RE: Kamukta Story बदला
गतान्क से आगे..
"युवर ऑनर,ये है वो चाकू जिस से मुलज़िम ने अपने भतीजे का क़त्ल
किया..",सरकारी वकील के हाथो मे 1 पॅकेट था जिसके अंदर से वीरेन की पॅलेट
नाइफ सॉफ दिख रही थी,"..हुज़ूर,मुलज़िम ने बड़ी चालाकी से एस्टेट से शहर
जाने का बहाना बनाया & फिर चोरी-छुपे आके खाली पड़े मॅनेजर'स कॉटेज मे
छिप गया,फिर बहला-फुसला के प्रसून को बंगले से बाहर बुलाया & उसका क़त्ल
कर लाश को एस्टेट के टीले पे फेंक दिया.."
"मिलर्ड!मुलज़िम ने बहुत ही घिनोना जुर्म किया है.अपने भतीजे का जोकि
मंदबुद्धि था & जिस बेचारे को तो दुनियादारी के बारे मे कुच्छ भी पता नही
था,उसका क़त्ल किया है.मेरी आप से गुज़ारिश है की आप इसे कोई भी रियायत
ना दें बल्कि कड़ी से कड़ी सज़ा दें & इसकी ज़मानत की अर्ज़ी खारिज कर
दें.",सरकारी वकील ने अपनी दलील पेश कर दी थी & अब कामिनी की बारी थी.
"मिलर्ड!ये छुरि यक़ीनन मेरे मुवक्किल की ही है मगर आपको पैंटिंग सीखने
वाला कोई बच्चा भी बता देगा की इस से किसी इंसान को गहरे ज़ख़्म भी नही
पहुचाए जा सकते क्यूकी इस च्छुरी पे धार नही होती.मेरे मुवक्किल अपने
बयान मे ये कह चुके हैं की उनकी छुरि एस्टेट की झील के पास पैंटिंग करते
वक़्त गुम हो गयी थी."
"युवर ऑनर!",सरकारी वकील फिर खड़ा हुआ,"..मैं कुच्छ कहने की इजाज़त चाहता हू."
"इजाज़त है."
"मिलर्ड!फोरेन्सिक रिपोर्ट मे सॉफ लिखा है की प्रसून की हत्या इसी छुरि
से हुई थी & मुलज़िम ने अभी तक कोई सबूत भी पेश नही किया है की ये छुरि
उसके पास से गुम हो गयी थी."
"मिलर्ड!मैं ये नही कहती की खून इस छुरि से नही हुआ..",कामिनी की बात सुन
सभी चौंक पड़े & कोर्ट मे ख़ुसर-पुआसर होने लगी.
"ऑर्डर!ऑर्डर!",जड्ज ने अपना हथौड़ा पटका.
"क़त्ल तो यक़ीनन इसी च्छुरी से हुआ है मगर उस से ये कहा से साबित हो
जाता है की क़त्ल वीरेन सहाय ने किया है.मिलर्ड!आमतौर पे ये छुरि जिसे
पॅलेट नाइफ कहते हैं बिल्कुल बोथर होती है मगर इस च्छुरी को देखिए इसकी
धार कितनी तेज़ है & आप उसी फोरेन्सिक लॅब से जहा से ये रिपोर्ट आई है की
यही मर्डर एवपोन है,पुच्छ के इस बात का पता लगवा लीजिए की इस च्छुरी पे
धार उसी फॅक्टरी से बेक आई थी या फिर किसी राह चलते धार लगाने वाले ने
अपनी मशीन से बनाई है."
"मिलर्ड!मैं 1 गवाह को पेश करना चाहती हू."
"इजाज़त है."
"अपना परिचय दीजिए?"
"मैं एस.के.शर्मा हू पेंकला कंपनी का प्रॉप्रीटर."
"आपकी कंपनी क्या बनती है मिस्टर.शर्मा?"
"स्टेशनेरी के समान."
"ये पॅलेट नाइफ आप ही की कंपनी की प्रॉडक्ट है.",कामिनी ने च्छुरी वाला
बॅग शर्मा को दिया.
"जी,हां. ये हमारी आर्टिस्ट'स असिस्टेंट सीरीस की पॅलेट नाइफ. ये सीरीस
बहुत ही एक्सक्लूसिव सीरीस है & इसमे हमने बस कुच्छ 200 पीसस ही बनाए
थे."
"अपनी बात तफ़सील से कहें."
"इस सीरीस के तहत पूरी दुनिया मे बस 200 आर्टिस्ट'स असिस्टेंट कीट्स बनी
थी जिसमे से 1 की ये नाइफ है."
"तो उस सीरीस के किसी नाइफ मे धार थी जैसे इस च्छुरी मे है?"
"जी बिल्कुल नही."
"थॅंक्स,मिस्टर.शर्मा."
"मिलर्ड!बात सॉफ है.मेरे क्लाइंट की च्छुरी गुमी नही बल्कि चुराई गयी &
फिर उसकी धार बनाके उस से प्रसून का क़त्ल किया गया & मेरे क्लाइंट को
फँसा दिया गया."
"मगर कोई बिना वजह क्यू फँसाना चाहेगा वीरेन सहाय को?",सरकारी वकील उठ खड़ा हुआ.
"उनकी एस्टेट के लिए.",कामिनी ने जड्ज से कहा,"..अगर प्रसून & वीरेन जी
रास्ते से हट जाते हैं तो फिर देविका जी & उनकी बहू को रास्ते से हटाना
किसी शातिर इंसान के लिए कौन सी बड़ी बात है?वैसे मेरे काबिल दोस्त ने
अभी तक मेरे मुवक्किल पे बस इल्ज़ाम ही लगाया है,ये नही बताया है की
आख़िर मेरे क्लाइंट अपने ही भतीजे का क़त्ल क्यू करेंगे जब आधी जयदाद तो
वैसे ही उनके नाम है.ऐसे तो उन्हे अपने हिस्से से भी हाथ धोना पड़ेगा."
अब सरकारी वकील बगले झाँक रहा था.कामिनी ने मौका देखा & आगे बढ़ी.
"मिलर्ड,अगर वीरेन जी ने इस छुरि से प्रसून का क़त्ल किया है तो वो ये
छुरि वही एस्टेट मे क्यू दफ़ना देंगे जबकि वाहा से वापस पंचमहल भागने पे
उनके पास बीसियो उस से बेहतर जगहे इस छुरि को ठिकाने लगाने की."
"..मिलर्ड!ना तो छुरि पे वीरेन जी के हाथो के निशान हैं ना ही तो ये छुरि
उनके पास या उनके समान से बरामद हुई है फिर पोलीस ने कैसे वीरेन सहाय को
गिरफ्तार कर लिया!मिलर्ड!मेरी आपसे गुज़ारिश है की आप मेरे मुवक्किल को
ज़मानत दें & पोलीस को सही दिशा मे तफ़तीश करने का हुक्म दें."
थोड़ी ही देर बाद वीरेन अपनी ज़मानत की रकम कोर्ट मे जमा करा रहा था.
"जिसने भी ये किया है मैं उसे छ्चोड़ूँगा नही,कामिनी."
"रिलॅक्स,वीरेन.मैं तुम्हे सब बताउन्गि तुम बस अपने गुस्से पे काबू
रखो.",कामिनी ने उसका हाथ थाम लिया & ड्राइवर ने गाड़ी कोर्ट के अहाते से
बाहर निकाल ली.
कामिनी की कार चंद्रा साहब के बंगल के अहाते मे रुकी.कार से उतर कामिनी
ने बंगल के अंदर कदम रखा तो उसे देख उसके गुरु की खुशी का ठिकाना ही नही
रहा,"आओ,कामिनी कैसी हो?",आगे बढ़ उन्होने उसके हाथ अपने हाथो मे ले लिए.
"अच्छी हू.",उसकी नज़रो ने चंद्रा साहब से हाथ छ्चोड़ने का इशारा किया
ताकि कही उनकी बीवी ना उनकी ये हरकत देख लें.
"घबराओ मत..",चंद्रा साहब हँसे,"..तुम्हारी आंटी शहर से बाहर हैं & इस
वक़्त हमे कोई भी परेशान नही करेगा.",उसका हाथ थामे हुए उन्होने उसे अपनी
बाई तरफ सोफे पे बिठा लिया.कामिनी ने आज पीले रंग की झीनी सारी स्लीव्ले
ब्लाउज के साथ पहनी थी जिसकी बॅक बहुत लो थी. इस लिबास मे उसका हुस्न &
भी मदहोश करने वाला लग रहा था.
"आजकल तो तुम बड़ी मसरूफ़ होगी?",दोनो सोफे पे थोड़ा घूम के 1 दूसरे को
देखते हुए बाते कर रहे थे.
"हां,सर.आपको तो पता ही है सहाय एस्टेट का केस.",चंद्रा साहब के दाए हाथ
की उंगलिया कामिनी के बाए हाथ की उंगलियो मे फँसी हुई थी.आज दोनो तन्हा
थे & इसलिए चंद्रा साहब की हर्कतो मे कोई बेचैनी नही थी.
"किसी ने वीरेन सहाय को अच्छा फँसाया है?",चंद्रा साहब के दाए हाथ की
उंगली उसकी हथेली पे घूमते हुए उसकी अन्द्रुनि कलाई पे आ पहुँची थी.
"हां,सर.",बहुत हौले-2 उनकी उंगली कामिनी की अन्द्रुनि बाँह से उपर उसके
कंधे की ओर जा रही थी.उसके बदन मे हल्की सिहरन उठने लगी थी.तभी उसे अपने
बाए पाँव पे कुच्छ महसूस हुआ,नीचे देखा तो चंद्रा साहब के दाए पैर का
अंगूठा उसके टखने & टांग के निचले हिस्से को सहला रहा था.कामिनी शोखी से
मुस्कुराइ.
"तो कौन है वो शख्स?",चंद्रा साहबने उसके बाई बाँह को हवा मे उठा दिया &
थोड़ा आगे बढ़ उसकी नंगी बाँह को अपने दाए हाथ से सहलाने लगे.कामिनी को
उनकी हरकते बड़ी भली लग रही थी.
"उम्म....इंदर धमीजा,एस्टेट मॅनेजर.",चंद्रा साहब का हाथ उसकी बाँह पे
उपर-नीचे हो रहा था. इस बार जब हाथ उसकी कलाई से नीचे उसकी बाँह पे आया
तो बाँह के अंत पे ना रुक उसके नीचे उसकी चिकनी बगल पे फिराने लगा.
"आ..हाअ..हा..हाअ..!",गुदगुदी से कामिनी को हँसी आ गयी & उसने झट से बाँह
नीचे कर उनके हाथ को अपने जिस्म से अलग किया.चंद्रा साहब ने उसकी दोनो
उपरी बाहो को अपने हाथो से थाम लिया & बस उन्हे थोड़ा मज़बूती से सहलाने
लगे. इस बार जिस्म की सिहर्न कामिनी की चूत तक भी पहुँची & वो थोड़ा
कसमसाई.
"इतने यकीन से कैसे कह सकती हो की ये धमीजा ही इस सबके पीछे है?",चंद्रा
साहब के हाथो की हर्कतो से बेचैन हो कामिनी ने अपने कंधे थोड़े उचका दिए
तो उसका पल्लू उसके सीने से ढालाक गया.ब्लाउस का गला गहरा नही था फिर भी
लगभग 1 इंच गहरा क्लीवेज तो नज़र आ ही रहा था.कामिनी को लगा की अब वो
उसके सीने पे अपने होंठ रखेंगे मगर चंद्रा साहब ने ऐसा कुच्छ नही किया
बल्कि उनके हाथ उसकी मांसल बाँहो को रगड़ते हुए उसके कंधो पे आ गये& फिर
पीछे जा उसकी पीठ पे फिराने लगे.
"उनह..सभी कुच्छ उसी की ओर इशारा करता है.",कामिनी अपने गुरु के थोड़ा और
करीब खिसक आई थी.उसकी मस्ती अब बहुत बढ़ गयी थी & अपने चेहरे पे जैसे ही
उसने अपने गुरु की गरम सांसो को महसूस किया वो उनके होंठ चूमने को आगे
झुक गयी मगर चंद्रा साहब ने मुस्कुराते हुए अपने होंठ पीछे खींच
लिए,कामिनी तड़प उठी.चंद्रा साहब का बाया हाथ उसकी पीठ पे ही घूम रहा था
जबकि दाया उसके बाए कंधे से होता हुआ आगे आ गया था & उसकी गर्दन के
नीचे,ब्लाउस के उपर की जगह को सहला रहा था.
"यानी की तब तो वो भी असली मुजरिम नही है.",चंद्रा साहब के हाथो की रगड़
ने कामिनी की चूत को गीला कर दिया था.अपनी बाई टांग दाई पे चढ़ा अपनी
भारी जाँघो के बीचा अपनी चूत को भींच कामिनी ने उसकी कसक को काबू मे
किया.चंद्रा साहब का बाया हाथ पीठ से नीचे उसकी नंगी कमर पे जा पहुँचा था
& उसकी बगल के मांसल हिस्से को दबा रहा था.दाए हाथ को उसके ब्लाउस के
बीचो बीच ऐसे फिराते हुए वो नीचे लाए की वो बस ब्लाउस के हुक्स की लाइन
पे ही रहा,उसकी दोनो छातियो मे से 1 को भी उसने ना च्छुआ.
जोश के मारे कामिनी की छातिया बिल्कुल कस गयी थी & उन्हे अब ब्लाउस &
ब्रा के बंधन बिल्कुल रास नही आ रहे थे.उसके निपल्स बिल्कुल कड़े हो चुके
थे & उनका उभार उसके गुरु को उसके ब्लाउस मे से दिख रहा था,"ऐसा कैसे कह
सकते हैं आप?",कामिनी उन्हे बताने लगी की शिवा ने उसे क्या बताया था &
कैसे इंदर ने किसी तरह वीरेन की पॅलेट नाइफ चुरा के उसी से प्रसून का
क़त्ल किया.चंद्रा साहब उसकी बाते गौर से सुनते हुए उसके पेट & कमर को
सहलाए जा रहे थे.
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