RE: Kamukta Story बदला
"आहह..!",उसकी छाती से सर उठा आँखे बंद कर उन्होने आह भारी & उनकी उंगली
कामिनी की चूत मे थोड़ा और अंदर घुस गयी.
"आईय्य्यीई.....!",कामिनी ने 1 आख़िरी बार कमर उचकाई & फिर अपने गुरु को
परे धकेलते हुए,उनकी गंद से अपना हाथ अलग करते हुए दाई करवट पे लेट तकिये
मे मुँह च्छूपा सुबकने लगी.चंद्रा साहब समझ गये की उनकी शिष्या बड़ी
शिद्दत से झड़ी है.तभी कमरे के दूसरे छ्होर पे शेल्फ पे रखा उनका फोन बजा
तो वो उसे उठाने चले गये,"हेलो...हा कैसी हो?....कुच्छ नही कामिनी आई
है.उसी के साथ बाते हो रही थी."
कामिनी समझ गयी की मिसेज़.चंद्रा का फोन है....ये इत्तेफ़ाक़ था या कुच्छ
और?!..अब भी कामिनी चंद्रा साहब के साथ चुदाई कर रही होती मिसेज़.चंद्रा
या तो वही कही आस-पास मौजूद रहती या फिर उनका फोन आ जाता.बात चाहे जो भी
हो हर बरा की तरह इस बार भी कामिनी की मस्ती इस बात से बढ़ गयी,चंद्रा
साहब उसकी ओर मुँह किए बीवी से बात कर रहे थे.कामिनी बिस्तर से उतरी &
उन्हे पीछे से अपनी बाहो मे जाकड़ उनकी पीठ चूमने लगी.चूमते हुए उसने
दोनो हाथ उनके पेट पे बाँध दिए & फिर नीचे ले जाके उनके लंड को थाम
लिया.अगर आंटी को पता चल जाए की इस वक़्त वो उनके पति के लंड को हाथ मे
पकड़ हिला रही थी तो उनका रिक्षन क्या होगा?!!
"लो बात करो.",चंद्रा साहब ने उसे पकड़ कर सामने किया & फोन उसे
थमाया.अपनी बाई बाँह उसके गले मे डाली & उसका ब्रा खोलने लगे.कामिनी ने
फोन को 1 हाथ से दूसरे हाथ मे ले जाके ब्रा को निकालने दिया,"हां,आंटी.बस
काम ही करते रहता हैं सर तो.अभी भी 1 केस मे जुटे हैं.मेरी दलीलें तो 2
बार हार मान चुकी हैं,अब आगे देखे क्या करते हैं.",चंद्रा साहब नीचे बैठ
उसकी पॅंटी उतार रहे थे.पॅंटी निकाल उन्होने उसकी कमर को अपने बाजुओ मे
कस लिया & उसकी गंद की फांको को दबाते हुए उसके गोल पेट को चूमने लगे.1
हाथ से कामिनी उनके सर के बॉल सहलाते हुए बात कर रही थी.
"हा,आंटी.वो सब तो ठीक है...आआईययईी..!",चंद्रा साहब ने उसकी चूत मे अपनी
जीभ घुसा दी थी,"..क-कुच्छ नही आंटी..वो आपके यहा का चूहा फिर नज़र आ गया
तो डर गयी थी.अच्छा अब रखती हू.",फोन किनारे कर कामिनी ने शेल्फ से पीठ
लगा दी.चंद्रा साहब उसकी चूत को चाते ही चले जा रहे थे.कोई 2-3 मिनिट तक
चाटने के बाद जब उसने उसकी चूत से बह आया सारा रस पी लिया तो वो खड़े हुए
& कामिनी की बाई टांग को उठा उसके पैर शेल्फ पे जमा उसकी चूत को थोड़ा
खोल दिया & अपना दाया हाथ उस से लगा दिया.
"आनह...ओई..मा......हाईईइ...ऊहह....!",चंद्रा साहब बड़ी तेज़ी से उसके
दाने पे अपनी उंगली दायरे मे घुमा रहे थे.कामिनी उनकी बाहे पकड़े किसी
तरह से खड़ी थी.उसकी चूत 1 बार फिर उसी तनाव को महसूस कर रही थी जो झड़ने
के पहले बनता था.उसकी चूचिया बिल्कुल कस चुकी थी & उनके निपल्स बिल्कुल
सख़्त हो चुके थे.दाने को रगड़ते हुए चंद्रा साहब ने दूसरे हाथ से उसकी
दाई चूची को मसला तो कामिनी की मदहोशी और भी बढ़ गयी.
"तब आगे क्या करना है सहाय एस्टेट के केस मे?"
"ऊओन्नह....अब मैं खुद एस्टेट जाउन्गि & हाईईईई....",कामिनी बेचैनी से
कमर हिला रही थी,"....इंदर के खिलाफ कोई सबूत इकट्ठा करूँगी...आनह.. &
अगर मुमकिन हुआ तो उसे देविका की नज़रो से...ओह...गिरा भी
दूँगी.....",उसने चंद्रा साहब का सर पकड़ अपनी छाती से लगा दिया & अपनी
कमर पागलो की तरह हिलाने लगी.चंद्रा साहब वैसे ही उसके दाने को रगड़ते
रहे.कामिनी अब झड़ने के करीब थी.चंद्रा साहब को भी इस बात का इल्म
था,उन्होने तभी अचानक 1 ऐसी हरकत की कामिनी ना केवल चौंक उठी बल्कि उसकी
चूत से तो रस का दरया बह निकला-चंद्रा साहब ने उसके दाने को अपनी उंगली &
अंगूठे के बीच पकड़ के हल्के से उसपे चिकोटी काट ली & उसी वक़्त उसके
निपल को भी दन्तो से हल्के से काट लिया.कामिनी हैरत से भरी झड़ने लगी &
अपने गुरु के गले लग गयी.
चंद्रा साहब उसे बाहो मे भरे उसके बालो को चूम रहे थे,"बहुत एहतियात
बरतना बल्कि मैं तो कहूँगा किसी पेशेवर जासूस को भेज दो अपनी जगह.",वो
उसकी पीठ सहला रहे थे.कामिनी अपनी साँसे संभाल रही थी.वो खामोश हाँफती
हुई उनके सीने से लगी खड़ी थी.चंद्रा साहब का प्री कम से गीला लंड उसके
पेट से दबा था.उसकी चूत तीन बार झड़ने के बावजूद इस लंड की चुदाई की
प्यासी थी,"नही सर,जाना तो मुझे ही होगा. ये काम मैं किसी और पे नही
छ्चोड़ सकती."
उसने लंड को पकड़ के हिलाया,"..& अब ये बाते छ्चोड़िए & जल्दी से इसे
मेरे अंदर डालिए वरना मैं मर जाउन्गि!",उसने लंड को मसल दिया तो चंद्रा
साहब उसे बाहो मे भरे हुए बिस्तर तक ले गये.सच तो ये था की उनका भी बुरा
हाल था.इतनी देर से वो खुद पे काबू रखे हुए थे & अब उनका जी भी यही कर
रहा था की बस जल्द से जल्द अपनी शिष्या की नाज़ुक सी निहायत कसी चूत मे
अपने लंड को घुसा उसे अपने रस से सराबोर कर दें.चंद्रा साहब उसे बाहो मे
भरे हुए बिस्तर पे लेट गये तो कामिनी ने अपने घुटने मोड़ अपनी टाँगे फैला
दी.चंद्रा साहब उसे चूम रहे थे & वो अपने दाए हाथ से उनके लंड को अपनी
चूत का रास्ता दिखा रही थी.
"आअनह...!",लंड जैसे ही अंदर गया अपने गुरु के सर को बाहो मे भरे कामिनी
ने आँखे बंद कर जोश से आ भर सर पीछे किया.ऐसा करने से उसकी लंबी गर्दन
चंद्रा साहब की नज़रो के सामने चमक उठी & वो उसे चूमने लगे.उनकी कमर बहुत
तेज़ी से हिल रही थी & वो बहुत ज़ोर-शोर से अपनी शिष्या को चोद रहे
थे.दोनो प्रेमियो की बस अब 1 ही ख्वाहिश थी-जल्द से जल्द अपनी मंज़िल
पाना वो भी 1 दूसरे के साथ-2.
कामिनी ने अपनी दाई तंग उठाई & पैर को चंद्रा साहब के बाए घुटने के
पिच्छले हिस्से पे जमा दिया.बाई टांग को उसने उसकी कमर पे लपेटा,ऐसा करने
से उसकी चूत थोड़ा और खुल गयी थी & चंद्रा साहब के धक्के और गहरे जा रहे
थे.उसके हाथो के नाख़ून उनकी पीठ से लेके गंद तक हर तरह की लकीरें बना
रहे थे.चंद्रा साहब उसकी चूचियो को मसलते हुए उसके चेहरे को चूमते हुए
बहुत ज़ोरो से धक्के लगा रहे थे.उनके लंड की रगड़ ने कामिनी की नाज़ुक
चूत को 1 बार फिर से झड़ने की कगार पे पहुँचा दिया था.
अचानक चंद्रा साहब के धक्के बहुत ही तेज़ हो गये.कामिनी की चूत ने भी
उनके लंड के सिकुड़ने-फैलने की मादक हरकत शुरू कर दी.दोनो प्रेमी समझ गये
की दोनो ही अपनी मंज़िलो के करीब है.चंद्रा साहब ने उसकी चूचियो से हाथ
हटा के बिस्तर पे जमाए & उसके बाए कंधे & गर्दन मे मुँह च्छुपाए वाहा पे
चूमते हुए अपना सारा ध्यान अपने धक्को पे लगा दिया.कामिनी भी उनकी गंद मे
अपने नाख़ून धंसाए अपनी टाँगो से उनके जिस्म को जकड़े नीचे से कमर हिला
रही थी.तभी कामिनी की चूत कुच्छ ज़्यादा ही कस गयी उसके गुरु के लंड पे &
वो बिस्तर से उठती हुई उनकी गंद मे और नाख़ून धँसाती हुई आहे भरती हुई
झड़ने लगी.उसी वक़्त चंद्रा साहब के लंड से भी उनके रस की धार च्छुटी
जिसने कामिनी की चूत को नहला दिया.
दोनो प्रेमी 1 दूसरे की बाहो मे पड़े हुए उस मस्ताने एहसास के 1-1 पल की
मदहोशी को महसूस करते हुए पड़े हुए थे.कामिनी ने घड़ी की ओर देखा अभी तो
बस शाम के 4 बजे थे,वो जानती थी की रात होने तक वो आज अपने गुरु की बाहो
मे ही रहने वाली है.उसने आँखे बंद की & अपनी बाहे अपने उपर पड़े हुए
चंद्रा साहब के गले मे डाल उनके गाल को चूम लिया.
"ऊऊहह.....आऐईईईई.....हाआंणन्न्...हान्न्न्न्न.....!",कामिनी आज तीसरी
बार चंद्रा साहब से चुद रही थी.वो बिस्तर पे पेट के बल पड़ी थी & चंद्रा
साहब उसकी पीठ पे सवार उसके दोनो तरफ बिस्तर की चादर को भींचते उसके हाथो
के उपर से हाथ लगाए,उनकी उंगलियो मे अपनी उंगलिया फँसाए उसकी चूत मे अपना
पूरा लंड धंसाए उसकी चुदाई कर रहे थे.
कोई 10 मिनिट से वो लगातार धक्के लगा रहे थे & अब दोनो प्रेमी 1 बार फिर
साथ झड़ने की तैय्यारि मे थे,"..कामिनी..आहह..",चंद्रा साहब ने उसके दाए
कंधे के उपर से सर ले जा उसके गाल को चूम लिया,"..मेरी 1 बात
मानो..",कामिनी ने उनके होंठो को अपने गुलाबी लाबो की क़ैद मे ले उन्हे
आगे बोलने से रोक दिया.
"कौन सी बात?",कुच्छ पलो बाद लाबो को छ्चोड़ आहे भरते हुए वो बोली.
"तुम एस्टेट मे छुप के सबकी जासूसी करोगी ये बात किसी को भी नही बताना
यहा तक की वीरेन सहाय को भी नही.",उनके धक्के और तेज़ हो गये थे.कमरे मे
उनके आंडो की कामिनी की गंद से टकराने की ठप-2 की आवाज़ गूँज रही थी.
"क्यू?"
"क्यूकी जो भी वीरेन को नुकसान पहुचाना चाहता है वो आज नही तो कल वो कहा
च्छूपा है ये तो पता लगा ही लेगा साथ ही ये भी मुमकिन है की वो उसके फोन
टॅप कर रहा हो या फिर किसी और तरह से उसपे नज़र रखे हो..",चंद्रा साहब ने
कामिनी के हाथो को और कस के भींच लिया,उनके आंडो मे मीठा दर्द हो रहा था
जो की बस थोड़ी ही देर मे मज़े मे बदलने वाला था.
"..अब जब वीरेन को पता ही नही रहेगा की तुम कहा हो तो उसके दुश्मन को ये
बात कैसे पता चलेगी..आअहह..!"
"हाईईईईईईई......!",दोनो प्रेमियो की आहो ने इस बात का एलन किया की दोनो
1 बार फिर साथ-2 मस्ती की मंज़िल तक पहुँच चुके थे.
थोड़ी ही देर बाद कामिनी अपनी सारी बाँध रही थी & चंद्रा साहब बिस्तर पे
लेटे उसे निहार रहे थे,"आपकी सलाह मेरे कितने काम आती है आपको तो अंदाज़ा
भी नही.",कामिनी ने सारी कमर मे अटकाई & आँचल अपने सीने से कंधे पे डाला
फिर अपने गुरु के नज़दीक आई & उन्हे चूम लिया,"अब चलती हू."
"अपना ख़याल रखना कामिनी & कोई भी परेशानी हो तो मुझे खबर करना.."
"ज़रूर सर."
इंदर आज रात फिर देविका के बिस्तर मे उसे बाहो मे ले सोया हुआ था.1 बार
फिर देविका रोते-2 नींद की बाहो मे चली गयी थी.इंदर उसे थपकीया देता हुआ
आगे के बारे मे सोच रहा था,देविका बेटे की मौत से बिल्कुल बेज़ार हो गयी
थी.उसे ना कारोबार मे दिलचस्पी रह गयी थी ना ही ज़िंदगी मे.ऐसे मे बस 1
इंदर ही उसे अपना लगता था.
इंदर ने उसकी इस हालत का पूरा फाय्दा उठाया & हर रात बिना चुदाई किए उसे
बाहो मे ले ये भरोसा दिला दिया की वो उसे सच्चे दिल से चाहता है.देविका
ने भी उसकी बात मान ली थी की दोनो कुच्छ दीनो बाद इस मनहूस जगह से कही
दूर चले जाएँगे.
कितनी आसानी से ये उसके जाल मे फँस गयी थी!....सोचती थी की वो उसे इस गम
से उबारेगा जबकि वो तो....इंदर ने आँखे बंद की & सो गया.
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क्रमशः......................
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