RE: Kamukta Story बदला
गतान्क से आगे..
रस्सी जलने तक कमरे का हाल तो बिल्कुल ही बुरा हो चुका था.आग भी दरवाज़े
तक पहुँच गयी थी & वहाँ से निकलना अब नामुमकिन था मगर कामिनी हार मानने
वालो मे से नई थी.उसने पलंग पे पड़ी चादर उठाई & उसे बाथरूम मे ले जाके
पानी से पूरा भीगा के अपने मुँह पे लपेट लिया & कमरे की खिड़की के पास
गयी जिसे खोलते-2 संजय वही गिर गया था.खिड़की मे लोहे का ग्रिल लगा था &
अब कामिनी के पास बचाव के लिए चिल्लाने के अल्वा & कोई रास्ता नही था.
नीचे लोगो की भीड़ जमा थी मगर सब देखने चिल्लाने के अलावा & कुच्छ नही कर
रहे थे & तभी कमरे का दरवाज़ा गिरने की आवाज़ आई.वो पलटी तो देखा की 1
कंबल लपेटे 1 आदमी अंदर गिरता हुआ दाखिल हुआ,"चलिए कामिनी जी.",ये शिवा
था.
"मगर शिवा,आग बहुत तेज़ है!",शिवा ने साथ लाया कंबल कामिनी को ओढ़ाया &
उसे पकड़ के आग के बीच से दौड़ता हुआ कमरे से बाहर निकला.कामिनी ने देखा
की पूरा बंगला जल रहा रहा था.नीचे जाना तो नामुमकिन था क्यूकी सीढ़ियो पे
भयंकर आग थी.शिवा उसे ले उपर की तरफ भाग रहा था छत पे.कामिनी की समझ मे
कुच्छ नही आ रहा था.छत पे आ उसे राहत महसूस मिली.धुए से भरे उसके फेफड़ो
मे ताज़ी हवा गयी & आग की झुलसाहट से उसे निजात मिली.
वो अपनी सांस संभाल ही रही थी कि अचानक शिवा ने उसे गोद मे उठाया & छत से
कूद गया.कामिनी की चीख निकल गयी लेकिन अगले ही पल वो 1 बड़े से जाल पे
झूल रही थी.
"शिवा..",हान्फ्ते हुए उसने अपने कंबल & चादर को खुद से अलग किया,"..देविका जी.."
"मैं यहा हू.कामिनी जी.",आवाज़ सुन कामिनी घूमी तो देखा की कालिख & पसीने
से आटे चेहरे वाली देविका उसके पीछे खड़ी है.
"देविका जी,आपके खिलाफ बहुत बड़ी साज़िश रची गयी थी!"
"मुझे पता है.आप पहले इधर आइए.",फाइयर ब्रिगेड,पोलीस & आंब्युलेन्स बंगल
के अहाते मे आ रही थी.देविका शिवा के साथ कामिनी को आंब्युलेन्स मे ले जा
रही थी.
"मैं ठीक हू."
"हां,मैं जानती हू.मैं भी आपके साथ हॉस्पिटल चल रही हू.चेक-अप ज़रूरी है
आपका.",तीनो के बैठते ही दरवाज़ा बंद हुआ & साइरन बजाती आंब्युलेन्स वाहा
से निकल गयी.आंब्युलेन्स की खिड़की से कामिनी ने देखा की पोलीस 2 लाशो का
मुआयना कर रही है...लेकिन रोमा,संजय & इंदर तो अभी उपर कमरे मे ही थे.अभी
आग बुझी भी नही थी फिर ये.."शिवा ये कौन हैं?"
शिवा ने देविका को देखा.दोनो के चेहरो पे अजीब सी उलझन थी,"क्या बात
है?बोलते क्यू नही!"
"वीरेन की &..",आगे की बात सुनने से पहले ही कामिनी बेहोश हो गयी.
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वो बादलो पे लेटी थी,कितना सुकून था यहा..हर तरफ बस ठंडक & उजाला,आहट हुई
तो उसने गर्दन घुमाई,सफेद कपड़ो मे वीरेन और भी सजीला दिख रहा था.वो
मुस्कुराइ & अपनी बाहे फैला दी.वीरेन उसकी तरफ आ रहा था मुस्कुराता
हुआ,उसके बाल हवा मे लहरा रहे थे.बस थोड़ी ही देर मे वो उसकी बाहो मे
होगी....मगर वो पास क्यू नही आ रहा था.वीरेन चल रहा था मगर उसके करीब नही
आ रहा था,"..वीरेन..",वो अब धुँधला हो रहा था,"..वीरेन.."वो चीखी मगर वो
बदलो मे गुम हो चुका था,"वीरेन!"
आँखे खुली तो देखा की चंद्रा साहब उसके पास बैठे हैं & बीप-2 की आवाज़ आ
रही है.उसने गर्दन घुमा के कमरे का जायज़ा लिया.वो 1 हॉस्पिटल के कमरे मे
थी & हार्ट रेट मॉनिटर बीप कर रहा था.चंद्रा साहब डॉक्टर को बुला रहे
थे.डॉक्टर आया & उसकी आँखे देखी & उसे 1 इंजेक्षन दिया & वो फिर नींद के
आगोश मे चली गयी.
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"गुड मॉर्निंग!",1 भले चेहरे वाली नर्स उसके पास बैठी थी.
"गुड मॉर्निंग.",कामिनी ने उठने की कोशिश की तो नर्स ने उसे मना किया &
फिर लीवर दबा के उसके बेड के उपरी हिस्से को उठा दिया तो कामिनी बैठ
गयी.1 डॉक्टर आया & उसकी सेहत के बारे मे पुच्छ के उसका चेक-अप
किया,"डॉक्टर."
"कोई मेरी जान-पहचान वाला है यहा?"
"हां,मैं 1-1 करके सबको भेजता हू."
"अच्छा लग रहा है?",सबसे पहले चंद्रा साहब आए & उसके सर पे प्यार से हाथ
फेरा & उसका माथा चूमा.कामिनी को बहुत अच्छा लगा उनका एहसास मगर उसी
एहसास ने उसे वीरेन की याद दिला दी,"वीरेन.."
चंद्रा साहब ने बस हा मे सर हिलाया & कामिनी के आँसू बह चले,"इन्हे उसके
लिए ज़ाया मत करो,कामिनी.",वो उनके सीने से लगी रो रही थी पर उनकी बात
सुन वो झटके से उठी,"क्या कह रहे हैं आप?"
"हां,जिसे तुमने दिलोजान से चाहा परसो रात उसी ने तुम्हे मारने की कोशिश की थी."
"क्या?!"
"जी,हां.",क्षोटन चौबे कमरे मे आया.
"आप तो इंदर को बदमाश समझ रही थी ना?",चौबे 1 कुर्सी पे बैठ गया.
"हां & वो था भी,रोमा उसकी बेहन थी &..-"
"..संजय उसका पति.",चौबे ने बात पूरी की,"..इंदर फाइयर ब्रिगेड वालो को
जिंदा मिला था & कल दिन मे उसको थोड़ी देर के लिए होश आया तो अपना बयान
भी दे दिया ऊ."
"क्या बोला वो?"
"कहानी लंबी है,असल मे इंदर,रोमा & संजय मुफ़्त मे मारे गये."
"मतलब इंदर अब ज़िंदा नही है?"
"नही.अब सुनिए पूरा बात.इंदर & रोमा बहुत छ्होटे थे जब दोनो के माता-पिता
का देहांत हुआ.जब इंदर बड़ा हुआ तो 1 दिन उसके हाथ घर का समान ठीक करते
हुए 1 खत लगा.ये खत उसकी मा को कोई लिखा था & खत से साफ-2 पता चलता था की
उसकी मा का आशिक़ है.खत लिखने वाले के नाम के जगह बस स लिखा था.."
"..इंदर & रोमा का रिश्तेदार के नाम पे बस 1 मौसा था तो इंदर चिट्ठी लेके
उसके पास गया तो उसका मौसा उसको बताया कि उसकी मा का इस स से चक्कर था
जिसके कारण उसका बाप ख़ुदकुशी कर लिया था & बाद मे जब उसकी मा इस स से
शादी करने को बोली तो उसको दुतकार दिया.."
"..उसकी मा ये बर्दाश्त नही की & जाके रेल लाइन पे लेट गयी.इंदर ये सुन
के गुस्सा से पागल हो गया & मौसा से स का पूरा नाम पुचछा तो वो बोला की स
सुरेन सहाय था.अब इंदर & रोमा उस से बदला लेने को पागला गये तो उसका मौसा
बोला कि हम तुमलोग का मदद करेंगे.."
"..फिर ये सारा खेल हुआ.सुरेन जी को दवाई बदल के मारा..",कामिनी के चेहरे
पे सवालिया भाव उभरे,"..हां-2 शिवा भी हमलॉग को सब बता दिया है.बहुत
बहादुर आदमी है.ऊ नही होता तो आपका & देविका जी का जान बचना मुश्किल
था.."
"हां तो..मौसा का प्लान था की रोमा के पेट मे प्रसून का बच्चा आ जाएगा तो
प्रसून को मार देंगे फिर सब कुच्छ प्रसून का बच्चा का हो जाएगा.दोनो
भाई-बेहन झाँसे मे आ गये जबकि मौसा का असली प्लान था अपने पार्ट्नर के
साथ मिलके सारा जयदाद हड़प लेना & दोनो भाई बेहन & संजय को मार देना.."
"..पर 2 लोग उसका प्लान चौपट कर दिए.1 तो शिवा जोकि परसो रात आपका बात
नही माना & भला हो उसका एस्टेट आ गया."
"& दूसरा?"
"दूसरा हम.हमको मॅनेजर'स कॉटेज से 1 पॅंट का टुकड़ा मिला था & सारा छनबीन
से यही लगा था कि कोई वीरेन को फँसा रहा है तो हम कुच्छ अपना प्राइवेट
इन्वेस्टिगेशन कर रहे थे.उस रात को आप भी तो वही कर रही थी."
"तो इंदर के क्वॉर्टर मे आप थे?"
"हां & हमको भी वोही सब पता चला जो आपको.दूसरी रात हम बस इंदर का ऊ फटा
पॅंट ऐसी जगह रखने आए थे की अगले सुबह जब हम तलाशी लेने आए तो वो साला
उसे च्छूपा नही पाए.लेकिन ई सारा कांड घट गया."
"इंदर का मौसा कौन था & उसका पार्ट्नर का क्या नाम था?",पार्ट्नर का नाम
तो कामिनी को पता ही था मगर दिल के किसी कोने मे 1 उमीद थी की हो सकता है
चौबे किसी और का नाम ले ले.
"मौसा थे एस्टेट के भुत्पुर्व मॅनेजर शाम लाल जी & उसके पार्ट्नर थे
वीरेन सहाय.",कामिनी को वो जानी पहचानी आवाज़ याद आ गयी-प्रसून की शादी
के वक़्त उसने उनसे बात की थी.वो कुच्छ नही बोली बस उसकी आँखो से आँसू
बहने लगे.
"अच्छा.हम चलते हैं.सब बदमाश तो मर ही गया है जो भी काम बाकी होगा ऊ हम
आपसे मिलके बाद मे कर लेंगे.",चौबे वाहा से निकल गया.
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क्रमशः.
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