RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
शादी सुहागरात और हनीमून--2
गतान्क से आगे…………………………………..
चौंक के हम लोगों की हालत खराब हो गयी. पहले तो हम दोनो खड़े हो गये, फिर बैठ गये. मे तो तैयार भी नही थी 'दिखने' के लिए. भाभी ने किसी तरह बात समहालते हुए कहा, " लेकिन आप तो डेढ़ दो घंटे बाद.. और आप?.. आप को ढूँढने मे कोई दिक्कत तो नही हुई?"
" नही, जब आप का फोन आया तो मेने यही सोचा था लेकिन फिर सोचा कि यहाँ बैठ के क्या करूँगा चलु आप लोगो के पास ही. और रिसेप्षन मे आपका रूम नंबर तो बता दिया था लेकिन फिर उसने ये भी बोला कि आप दोनो थोड़ी देर पहले यही आई थी तो मेने सोचा देख लू" और फिर मुझे देखते हुए बोला,
"और आपकी फोटो तो मेने देख ही रखी थी."
शर्मा के मेने सर झुका लिया. बस मन कर रहा था कि धरती फॅट जाय.. ये क्या तरीका हुआ.. कि टाइम के पहले और वो हम लोगो के बारे मे क्या सोचेगा. शायद मेरी परेशानी उसने भाँप ली थी. बात बदलते हुए उसने भाभी से पूछा,
" क्या आप मसूरी पहली बार आई है.."
" हां मे तो पहली बार आई हू, लेकिन ये आ चुकी है. ये दो साल दून मे बोरडिंग मे पढ़ती थी." भाभी ने बात संभाली.
" चलिए अंदर कमरे मे चलते हैं." भाभी ने दावत दी और मुझसे कहा कि अंदर जाके मम्मी को बोल दू कि राजीव आ गये हैं.
मेरी तो जैसे जान मे जान लौटी. हिरण जैसे जाल से छूटी, मे सरपट भागी सूयीट मे. मम्मी को बता के अंदर के कमरे मे घुस कर पलंग पे औंधे मूह लेट गयी. तरह तरह के ख़याल... वो क्या सोचेंगे, मे अभी तैयार भी नही थी तब तक भाभी और उनकी आवाज़ सुनाई दी. लेकिन मे कमरे से बाहर नही आई. भाभी ने रूम सर्विस को ऑर्डर दे दिया था. थोड़ी देर मे बात के साथ क़हक़हे, खिलखिलाने की आवाज़ आई
कुछ देर मे भाभी अंदर आई और मेरी चोटिया पकड़ के उन्होने खींचा और कहा, " हे, राजीव घूमने चलने के लिए कह रहे है. तैयार हो जाओ." मेने आना कानी की तो भाभी ने चिढ़ा चिढ़ा के मेरी हालत खराब कर दी. पहले मम्मी ने दिखाने के लिए साड़ी तय कर रखी थी, लेकिन अब देख तो उन्होने लिया ही था. तो भाभी ने कहा कि सलवार सूट पहन लो और आँख नचा के बोली हां दुपट्टा गले से चिपका कर रखना, ज़रा भी नीचे नही. मसूरी मे आ के अगर पहाड़ नही देखे तो मेने भाभी की सलाह मान ली सिवाय दुपट्टे के. उफफफ्फ़ मेने आप को अपने बारे मे तो बताया ही नही कि उस समय मे कैसी लगती थी.
सुर्रु के पेड़ सी लंबी, पतली, 5-7 की. पर इतनी पतली भी नही, स्लेंडरर आंड फुल हाफ कवर्स. गोरी. बड़ी बड़ी आँखे, खूब मोटे और लंबे बालों की चोटी, पतली लंबी गर्दन और मेरे उभर 34सी, (अपनी क्लास की लड़कियों मे सबसे ज़्यादा विकसित मे लगती थी और इसी लिए पिछली बार मुझे होली पे 'बिग बी' का टाइटल मिला था), मेरी पतली कमर और स्लेन्डर बॉडी फ्रेम पे बूब काफ़ी उभरे लगते थे, और वही हालत हिप्स की भी थी, भरे भरे.
भाभी ने मेरा हल्का सा मेकप भी किया, हल्का सा काजल, हल्की गुलाबी लिपस्टिक और थोड़ा सा रूज हाइ चीकबोन्स पे. एक बार तो शीशे मे देख के मे खुद शर्मा गयी. बाहर निकली तो राजीव ने अपनी बातों से मम्मी और भाभी दोनो को बंद रखा था. टेंपो से हम लोग लाइब्ररी पॉइंट तक पहुँचे होंगे कि मम्मी ने कहा कि उनके पैरों मे थोड़ी मोच सी आ गयी है और वो होटेल वापस जाएँगी. भाभी ने भी कहा कि वो मम्मी को छ्चोड़ आएँगी. हम लोग भी वापस होना चाहते थे पर उन दोनो ने मना कर दिया. मे मम्मी की ट्रिक साफ साफ समझ गयी पर वो लोग थोड़ी ही दूर गयी होंगी कि भाभी ने मुझे वापस बुलाया और अपने हाथ से मेरे दुपट्टे को गले से चिपका के सेट कर दिया..और गाल पे कस के चिकोटी काट के बोला, "अब अगर तूने इसे ठीक करने की कोशिश की ना तो और मुस्करा के बोली, जा मज़े कर".
लाइब्ररी पॉइंट के पास एक दुकान थी. हम लोग उसके पास खड़े थे और उन लोगो को जाते हुए देख रहे थे. जैसे ही वो लोग आँखो से ओझल हुए, उन्होने पूछा, " हे तुम्हे, जलेबी कैसी लगती है?"
" अच्छी, क्यों" मुस्कराते हुए मे बोली..
" मुझे भी बहोत अच्छी लगती है, और इस दुकान की तो बहोत फेमस है चलो खाते है" और हम दोनो उस दुकान मे घुस गये.
मे मसूरी आने के पहले से सोच रही थी क्या बात करूँगी कैसे बोलूँगी लेकिन जब आज मौका पड़ा तो उन्होने इतने सहज तरीके से मुझे लगता था वो तो अपने बारे मे ही बाते करते रहेंगे पर उन्होने मुझसे इस तरह कुछ कहा कि.. मे ही सब कुछ बोलती चली गयी और अपने बारे मे सब कुछ बता दिया. मुझे क्या अच्छा लगता है, स्कूल और घर के बारे मे.. और बाते करते करते हम दोनो दो तीन प्लेट जलेबी गटक गये.
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