RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
पापा के बाहर निकलते ही खुशी के मारे हंगामा हो गया. और सभी लोग मम्मी ने तुरंत फोन पे मोर्चा संभाला और पंडित जी जिन्होने हमारी कुंडली देखी थी उनको, शादी की सायत डिसेंबर जन्वरी मे जल्द से जल्द देखने को कहा. फिर उन्होने राजीव की भाभी को भी फोन कर के कहा कि वो अपने पंडित से लगन चेक करा ले. रीमा तो मारे खुशी के उनसे चिपक ही गयी और बोलने लगी कि जीजू, अब ट्रीट हो जानी चाहिए. वो बोले अपने दीदी से कहो कि मूह मीठा कराए. भाभी अपने फॉर्म मे आ गयी थी. वो बोली, अर्रे वो तो अब रोज आपका मूह मीठा कराएगी. अब वो दोनो लोग चुहुल के मूड मे आ गये थे.
भाभी उनसे हंस के बोली, अच्छा पंडित तो बाद मे बताएगा, आप बताइए आप कि लिए शादी की सबसे अच्छी डेट कौन सी होगी, वो हंस के बोले 20 डिसेंबर.
रीमा, भोली, पूछ बैठी क्यों.
वो हंस के बोले कि इस लिए कि 21 डिसेंबर की रात सबसे लंबी होती है. 14 घंटे से भी उपर, लंबी. भाभी ने मुझे छेड़ा,
बन्नो सोच ले अभी से ये प्लॅनिंग है, क्या हालत होगी तेरी. मेने अपनी खुशी और मुस्कराहट दबाते हुए उन्हे घूरा पर वो बेशर्म, और ज़ोर से मुस्कराने लगे. और ये सब बाते बिना ये लिहाज किए हो रही थी कि मम्मी भी वहीं बैठी थी. वो अपनी मुस्कराहट दबा के पंडितों को जल्द डेट निकालने के लिए बार बार रिंग कर रही थी.
उनकी मुराद पूरी तो नही पूरी हुई लेकिन ऑलमोस्ट पूरी हो गयी. पंडित जी ने जन्वरी के शुरू मे शादी की डेट निकाल दी. अब तो सब उन के पीछे पड़ गये. तय ये हुआ कि खाने के बाद सबको वो 9 से 12 पिक्चर दिखाने ले चलेंगे. जब मैं तैयार होने लगी तो सोच नही पा रही थी कि क्या पहनु. फिर मेने गुलाबी शलवार सूट निकाला , थोड़ा टाइट था लेकिन अब तक मुझे उनकी निगाहों का अंदाज़ा हो चुका था. पहन कर मेने जब शीशे मे देखा तो एक बार मैं भी मेरे उभारों को देखने लगी वो थोड़ा ज़्यादा ही टाइट थी और नीचे हिप्स पे भी . मेरे कटाव और गोलाइयाँ साफ दिख रहे थे. लेकिन अब चेंज करने का टाइम भी नही था. मेने हल्की सी लिपस्टिक लगाई और अपनी बड़ी बड़ी आँखों मे हल्का सा काजल भी. मैं जब निकली तो भाभी और रीमा अभी तैयार ही हो रहे थे. मैं उनका इंतजार ही कर रहे थी कि मुझे गुनेगुनाने की आवाज़ सुनाई दी,
"कजरा मुहब्बत वाला अँखियों मे ऐसे डाला, कजरे ने ले ली मेरी जान, हाय "
मेने मूड के देखा तो जनाब थे. बड़े अंदाज से मुझे देख रहे थे. मुझसे रहा नही गया. मेने भी छेड़ा, बड़े रोमांटिक हो रहे है. वो बोले तुम्हारी इन आँखों ने बना दिया है, लेकिन यार अब ये इंतजार बर्दास्त नही होता और पास आ गये. मैं बोली कि अब कहाँ अब तो दो महीने भी नही बचे है. वो बोले यार यहाँ दो पल भी पहाड़ हो रहे है. मेने कुछ नही कहा लेकिन आँखो ने मेरी चुगली कर दी कि हालत मेरी भी यही हो रही है. थी तभी सीढ़ियों पे भाभी और रीमा की आने की आवाज़ सुनाई पड़ी और हम लोग अलग हो गये.
हम बाहर निकले तो रीमा ने पूछा,
"कौन सी पिक्चर चलेंगे "जिसमे कॉर्नर सीट मिल जाए"भाभी ने छेड़ा.
"और अगर कोने वाली सीट ना मिली तो" रीमा ने बन के भोलेपन से पूछा.
"तो फिर पिक्चर देख लेंगे." वो भी उसी अंदाज मे बोले.
खैर पहले ही हॉल मे. लास्ट रो मे, कोने वाली सीट भी मिल गयी और हॉल भी अच्छा था.
सबसे कोने वाली सीट पे मैं बैठ गयी तो भाभी ने छेड़ा अर्रे बन्नो, हम लोग तुम्हे यही बैठाते, क्यों जल्दी कर रही हो. जब मेने शरमा के उठने की कोशिश की तो भाभी ने मुझे दबा के बैठा दिया और कहा कि अर्रे बैठो, हाँ गोद मे बैठने की जल्दी हो रही हो तो बात अलग है. राजीव मेरे बगल मे बैठ गये और उनके बगल मे रीमा और फिर भाभी. हल्की रोशनी मे मैं देख रही थी कि उनकी निगाहे किस तरह से मेरे बदन को सहला रही थी. एक सिहरन सी दौड़ गयी मेरे तन मन मे. मेरे उभार पत्थर की तरह सख़्त हो गये. बस किसी तरह मैं आँखे पर्दे पे गढ़ाने की कोशिश कर रही थी. पिक्चर बड़ी ही रोमांटिक थी. थोड़ी ही देर मे ही हीरो की जगह मुझे उनका चेहरा नज़र आने लगता. एक सीन मे जब हीरो ने हेरोइन को किस करने की कोशिश की तो मेरे होंठ दहकने लगे. और तभी सीट के ह्थ्थे पे उनका हाथ छू गया. मुझे लगा जैसे मेरे जिस्म पे कोई लोहे की सलाख लग गयी हो और मैं पिघल गयी हू और मेने झट से हाथ हटा लिया. लेकिन उसी पल मुझे अहसास हुआ कि मुझे हाथ नही हटाना चाहिए था. और जब मेने सीट पे हाथ रखा तो उन्होने हाथ हटा लिया. पिक्चर और गर्म होती जा रही थी. बेडरूम सीन चल रहा था और हेरोइन हीरो से कस के चिपकी थी. हीरो का एक हाथ उसकी पीठ पे और दूसरा सारे बदन पे और अबकी बार जब उन्होने अंजाने मे अपना हाथ रखा तो ना सिर्फ़ मेने अपने हाथ नही हटाया बल्कि हिम्मत कर के अपना दूसरा हाथ भी उनके हाथ पे रख दिया. मेरे सारे बदन मे चींतिया दौड़ रही थी. एक अजब सा अहसास बस मन कर रहा था सामने पर्दे की तरह मैं उनकी बाहों मे घुल जाउ कॅलंडर के पन्ने उड़ जाए और जल्दी से जन्वरी के वो दिन. तब तक इंटेरवाल हो गया.
क्रमशः…………………………
शादी सुहागरात और हनीमून--6
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