RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
सबसे पहले मेने वही खोला. उसमे ढेर सारी किताबे थी. जो एक बड़ी सी हार्ड बाउंड मेने निकाली तो वो सचित्र काम सुत्र थी. जो मुझे भाभी ने दी थी,
उससे भी बड़ी और खूब ढेर सारी फोटो, सारे आसनो के और कयि मे तो क्लोज़ अप भी थे. उसके अलावा अनन्ग रंग, प्र्फ्यूम्ड गार्डेन, और भी वैसी ढेर सारी उसको मेने हटाया तो उसके नीचे, प्लेबाय, हस्लर, ह्यूमन डाइजेस्ट और फिर ढेर सारी पिक्चर अलबम जैसी जिसमे खूब अच्छे कागज पे रंगीन फोटो, ढेर सारी फोटो मे कोई लड़की, लिंग चूस रही थी, और काई संभोग की अलग अलग पोज़ की, किसी मे झुकी, और मर्द पीछे डाल रहा है, किसी मे वो गोद मे बैठ के ले रही है, किसी मे औरत उपर मर्द नीचे, उसके दोनो जोबन पकड़े और वो लिंग घोंट रही है. मेरी तो फिर से तभी मेने देखी कि बगल मे ढेर सारी पतली पतली किताबे उनके पन्नो से लग रहा था कि खूब पढ़ी गयी है. मेने एक को खोला, मटमैले पन्ने, प्रिंट भी वैसा और सब की सब 'मस्त राम' की लिखी.
ज़्यादातर पतली वाली 64 पेज की थी पर कुछ मोटी भी थी. मेने एक मोटी वाली उठा के खोली. उसका नाम था, 'भांग की पकौड़ी.' सरसरी तौर पे मैं देखने लगी, पहले तो जीजा साली की कहानी लगी. शादी के बाद एक आदमी आता है तो उसकी साली उससे मिलने आती है अपने बहन की ओर से. उसके जीजा के दोस्त की पत्नी दोनो को भांग की पकौड़ी खिला देती है..उसके बाद जो लिखा था मेने पन्ने पलट दिए. फिर मेने जब आगे उलटा तो कुछ जगहो पे धब्बे..गाढ़े दाग और आगे एक दो पन्ने तो एक दम चिपक गये थे. मैं बच्ची तो थी नही जो नही समझ पाती कि किस चीज़ के दाग है और किसके है. जो पन्ने दाग से चिपक गये थे,
उसे बड़े सम्हल के मेने खोला. उसमे वो लड़की अपने पति से पहले पहल मिल रही होती है और उसको भी उसके पति ने भांग की पकौड़ी खिला दी थी.
उनके मिलन का दृश्य था. और पूरी तरह 'दाग' से गीला. मेने पढ़ना शुरू किया कि क्या था जिसने 'इन्हे' इतना उत्तेजित कर दिया. उसमे लिखा था,
वो जम के उसे चोद रहा था. उस की दोनो मस्त रसीली गदराई चुचियो को दबाते हुए. उसका मोटा लंबा लंड, उसकी कसी चूत मे कस कस के जा रहा था (मेने सोचा एकदम 'इनके' जैसा.) और वो भी नीचे से अपने भारी चुतड उठा उठा के धक्के का जवाब दे रही थी, चुदवा रही थी. फिर उसने पोज़ बदल कर एक टाँग कंधे पे रखी और दूसरी कस के फैला दी. उसकी नई चूत कस के खुल गयी थी. अचानक उसने अपने लंड बाहर सुपाडे तक निकाला और चोदना रोक दिया. उसी तरह उसके हाथ भी चुचियो से अलग हो गये. वो चीखी.
"हे दबाओ ना रुक क्यो गये". हंस के उसने पूछा "क्या..क्या दबाऊ पहले नाम बोलो जो दबावाने है.
मस्ती से पागल वो उसका हाथ खिच के अपनी छाति पे रख के बोली, "इसे.."पर वो नही माना."नही बोलो क्या मसलवाने रगड़वाने है."अब उसकी हालत खराब थी वो बोली "मेरा जोबन मेरी रसीली चुचियाँ मसल दो रगड़ दो. उसने चुचि तो मसलाना शुरू कर दिया और बोला और ( मेरे हाथ मेरे जोबन पे अपने आप चले गये, वो मस्ती से पत्थर हो रहे थे और मेरे निपल भी कड़े हो गये थे.)वो अपने चुतड पटकती बोली, तुम मुझे बेशरम बना के रहोगे. ओह ओह चोद दोचोद दो मेरी बुर ..मेरी ये रसीली बुर अपने इस मोटे हलब्बी लंड से कस कस के चोदो हा हा हा और ज़ोर से चोदो फाड़ दो मेरी बुर. उधर उसने अपना लंड सूपदे तक बाहर निकाल के उसकी दोनो टाँगे कस के दुहरा दी और फिर एक झटके मे अपना मूसल जैसा लंड पेल के बोला,
"ले रानी ले अपनी मस्त कसी चूत मे मेरा मोटा लंड ले, चुदवा अपनी चूत.
घोंट मेरा लंड' "हा राजा हा दे मुझे चोद अपनी रानी को..और कस के पेल दे अपने लंड मेरी बुर मे .फाड़ दे फाड़ दे इसे बहुत चुदासि हू मैं."
वो कस कस के उसकी गदरती मस्त चुचियाँ पकड़ के दबा के मसलते हुए चोद रहा था और वो भी..चुतड उठा के चुदवा रही थी.
क्यो रानी मज़ा आ रहा है चुदवाने मे, वो बोला. हा राजा हा हा और ज़ोर से चोद..कस के चोद मेरी बुर.
सतसट सतसट मोटा सख़्त लंड उसकी बुर मे जा रहा था और वो उसी तरह मस्त हो के चुदवा रही थी.
(वहाँ एक बड़ा सा 'दाग' था. मेरी उंगली उसी जगह पे थी. अचानक वो मेरे गुलाबी होंठो पे लग गयी और मेने अन जाने मे उसे चाट लिया.) हां राजा चोद और कस के चोद मेरी बुर पेल दे अपना लंड मसल दे मेरी चुचि.
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