Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
08-23-2018, 11:41 AM,
#15
RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
शरद वहाँ से सीधा धरम अन्ना के पास गया।
धरम अन्ना- आओ जी.. क्या खबर है, हमको बहुत मज़ा आना जी… उसको भी साथ लाना था जी.. क्या चूसती है वो…!
शरद- हाँ वो टाइम भी आएगा.. अभी बस सब काम मेरे मुताबिक हो रहा है धरम अन्ना। मुझे तो कोई मेहनत ही नहीं करनी पड़ रही। अमर इतना बड़ा चूतिया है साला.. अपनी बहनों को चोदने के चक्कर में इतना अँधा हो गया कि समझ भी नहीं पा रहा है कि उनका क्या हाल होने वाला है। साला पागल है..! उसकी बहन तो खुद इतनी बड़ी चुदक्कड़ है.. अगर वो जरा सी मेहनत करता तो मेरी उसको जरूरत ही नहीं होती।
धरम अन्ना- नहीं जी… गॉड तुमको हेल्प करना.. इसके वास्ते अमर को तुम्हारे पास भेजना जी.. हम एक बात पूछना शरद जी.. हम जानता कि अब उनका बहुत बुरा हाल होना जी लेकिन आप ऐसा क्यों करता जी.. ये हम को समझ नहीं आना जी?
शरद- धरम अन्ना सब बता दूँगा, वक्त आने दो। अब सुनो रात को क्या करना है…!
शरद बोलता गया और धरम अन्ना की आँखों में चमक आने लगी, दो मिनट तक शरद धरम अन्ना को समझाता रहा।
धरम अन्ना- गुड जी वेरी गुड.. धरम अन्ना तुमको सलाम देना जी.. क्या आइडिया होना जी मज़ा आ गया, अब तुम देखो धरम अन्ना क्या करता जी..!
शरद ‘ओके’ बोलकर वहाँ से चला आया और अपने घर आकर फिर से फोटो को देख कर रोने लगा- देखो सिमी.. अब बस ज़्यादा टाइम नहीं लगेगा, मैं रचना के साथ-साथ उसके भाई और बहन की ज़िंदगी भी बर्बाद कर दूँगा.. हाँ अब बस तुम देखती जाओ ‘आई मिस यू सिमी’ आ जाओ प्लीज़ आ जाओ उउउ उूउउ…!
काफ़ी देर शरद वहीं बैठा रोता रहा।
शाम को पाँच बजे ललिता घर आई, तब रचना गहरी नींद में थी।
ललिता धीरे से उसके पास लेट गई और उसके गले को दबा दिया और ‘हूओ’ की आवाज़ निकाली।
रचना की तो जान निकल गई और झटके से ललिता को पीछे धकेला।
रचना- पागल हो गई क्या मेरी तो जान निकल गई।
ललिता- हा… हा… हा… तुमको क्या लगा… हा हा हा कोई तुम्हें मारने आ गया हहा हा हा..!
रचना- रुक ललिता की बच्ची, अभी तुझे मज़ा चखाती हूँ।
वो उठकर उसके पीछे भागी।
ललिता कमरे में इधर-उधर भागने लगी और आख़िर रचना ने उसे पकड़ कर बेड पर गिरा दिया और उसके मम्मों को दबाने लगी।
ललिता- अई उफ़फ्फ़ दर्द होता है.. क्या कर रही हो छोड़ो ना प्लीज़ आ..हह.. सॉरी अब नहीं करूँगी कसम से आ..हह…..!
रचना उसको छोड़ कर अलग बैठ हुई- इतने से दर्द से घबरा गई, जब असली दर्द होगा तो क्या करोगी…!

!
ललिता- यह नाटक नहीं था.. असली में दर्द हो रहा था…!
रचना- मेरी भोली बहना… तुम समझी नहीं… जब चूत में लौड़ा जाएगा तब होगा असली दर्द…!
ललिता- अच्छा तुमको कैसे पता.. तुम तो ऐसे बोल रही हो जैसे लौड़ा ले लिया हो…!
रचना- और नहीं तो क्या.. इन दो दिनों मैंने खूब चुदाई कराई है और एक बड़ा सरप्राईज भी है तेरे लिए…!
ललिता- मैं नहीं मानती.. आप झूठ बोल रही हो… प्रूफ दो तब मानूँ।
रचना ने अपना पायजामा उतार कर अपनी फ़टी हुई फ़ुद्दी उसके सामने कर दी, जिसे देख कर साफ पता चल रहा था कि यह चुद चुकी है और चुदाई के कारण सूजी हुई भी थी।
ललिता चूत को छूकर देखती है और अपनी ऊँगली उसमें घुसा देती है।
रचना- आ..हह…. अब इस ऊँगली से कुछ फ़र्क नहीं पड़ने वाला बहना… लौड़े ने खोल कर रख दिया है इसको…!
ललिता- ओ माई गॉड…कब हुआ ये सब और किसके साथ.. प्लीज़ बताओ न.. कैसा फील हुआ.. सब बताओ…!
रचना उसे सारी बात बता देती है कि कैसे उसने शरद के साथ चुदाई की और हेरोइन बन गई है। सब कुछ बता दिया। बस अमर के साथ जो किया वो नहीं बताया।
ललिता- ओह माय गॉड फिल्म साइन कर ली और मुझे पता भी नहीं चला दीदी प्लीज़ मुझे भी हिरोइन बनना है.. प्लीज़ कुछ करो आप शरद से बात करो प्लीज़ प्लीज़…!
रचना- अरे मेरी माँ… सुन तो पूरी बात.. आज रात को यहाँ छोटी सी पार्टी है बस हम दोनों और शरद होगा.. तुम किसी तरह शरद को खुश कर दो वो चाहेगा तो तुम भी स्टार बन जाओगी..!
ललिता- दीदी मैं तो तैयार हूँ हम लेस्बो के टाइम सोचते थे कि लंड से कितना मज़ा आता होगा, पर कभी मौका नहीं मिला। अब आज पक्का मज़ा आएगा… पर आपने कहा दर्द होगा तो प्लीज़ बताओ ना कितना होगा…!
रचना- मेरी जान बहुत होगा, पर बस एक बार… उसके बाद तो मज़े ही मज़े हैं और शरद से शुरुआत करोगी तो बड़े आराम से करेगा। अब कहो क्या बोलती हो…!
ललिता- ओ माई गॉड… मैं क्या बोलूँ रात तो कब होगी मेरी चूत तो अभी से गीली हो गई है यार…!
रचना- अब तू जल्दी से बाथरूम में घुस जा और अपने बदन को चिकना कर ले। एक भी बाल नहीं रहना चाहिए समझ गई ना.. आज रात को खूब मस्ती करेंगे…!
ललिता- पर दीदी एक बात समझ नहीं आ रही भाई के होते ये सब कैसे होगा…!
रचना- भाई का टेन्शन तू मत ले यार… तू जानती नहीं हमारा भाई एक नंबर का हरामी है…!
ललिता- वो कैसे…!
रचना ने उसको पूरी बात बतादी, चुदाई की भी…!
ललिता- ओह वाउ.. दीदी आपने तो इन दो दिन में इतना कुछ कर लिया मेरा तो दिमाग़ चकराने लगा है…!
रचना- अब ज़्यादा सोच मत… जा जल्दी कर तू रात को सब समझ जाएगी।
ललिता ख़ुशी-ख़ुशी बाथरूम में चली गई और रचना वहीं बैठी मोबाइल पर कोई नम्बर डायल करने लगी।
रचना- हैलो शरद जी, ललिता आ गई है और मान भी गई है.. पर एक बात दिमाग़ में नहीं आ रही कि आज रात हम देर तक मस्ती करेंगे तो कल शूटिंग का क्या होगा…!
शरद- मेरी रानी, उसकी फिकर तुम क्यों करती हो, मैं सब संभाल लूँगा, तुम बस देखती जाओ।
रचना- ओके शरद बाय लव यू…!
रचना फ़ोन रखने के बाद मोबाइल में गेम खेलने लगी।
शाम तक ऐसा कुछ खास नहीं हुआ जो मैं आपको बताऊँ तो आपको सीधे मेन पॉइंट पर ले जाती हूँ।
शाम को 8 बजे अमर बीयर पार्टी का सामान ले रहा था, तभी उसको शरद का फ़ोन आया और उसने बताया कि पार्टी तुम्हारे घर में नहीं बल्कि मेरे एक फार्म हाउस पर होगी, जहाँ कुछ सरप्राईज भी है, तो तुम सब रात 9 बजे रेडी रहना.. मैं रचना को भी अभी बता देता हूँ इतना कहकर उसने फ़ोन काट दिया।
रचना भी एकदम तैयार थी, तभी शरद ने उसको फ़ोन किया और अपने प्लान के बारे में बता दिया और उसने यह भी कहा कि गाड़ी मैं भेज रहा हूँ, तुम लोग उसी में आ जाना और कुछ ड्रेस भी ले आना।
इतनी बात के बाद फ़ोन कट गया।
अमर जल्दी से जरूरत का सामान लेकर घर आ गया।
रचना हॉल में बैठी थी, उसने बहुत सेक्सी एक ब्लैक पारदर्शी मैक्सी वाला ड्रेस पहना था।
उसको देखते ही.. अमर- वाउ.. यू लुकिंग हॉट.. मार डालेगी आज तो बहना…!
रचना- थैंक्स भाई.. शरद जी का फ़ोन आया था.. आपको भी किया होगा ना…!
अमर- हाँ यार आया था.. जल्दी करो और यह ललिता कहाँ रह गई अब तक नहीं आई तुमने उसको कॉल तो कर दिया था ना यार…!
रचना- वो कब की आ गई भाई.. वो अन्दर तैयार हो रही है।
अमर- उसको बता दिया ना पार्टी यहाँ नहीं है…!
रचना- हाँ बाबा.. सब बता दिया, अब आप भी तैयार हो जाओ जल्दी…!
अमर सारा सामान वहीं रख कर अपने कमरे में चला गया।
ललिता भी तैयार होकर आ गई, उसने छोटा सा गुलाबी स्कर्ट और उस पर काली जैकेट पहनी थी, दोस्तो, अब मैं आपको क्या बताऊँ.. उसने ब्रा भी नहीं पहनी थी.. आधे से ज़्यादा मम्मे दिख रहे थे और स्कर्ट भी ऐसा कि जरा सा हवा का झोंका आए तो उसकी चूत भी दिख जाए।
रचना- वाउ.. ललिता क्या सेक्सी ड्रेस पहना है और ब्रा क्यों नहीं पहनी…!
ललिता- वो इस जैकेट का लुक ऐसे ही आता है.. मम्मे दिखेंगे तभी तो आपके शरद जी लट्टू होंगे न…!
रचना- वेरी स्मार्ट गर्ल.. पैन्टी तो पहनी है ना वर्ना बैठते टाइम चूत भी दिखाई देगी हा हा हा…!
ललिता- ये देखो, पहनी है.. आप भी न.. बस ही ही ही करती रहती हो…!
अमर- वाउ.. क्या बात है ललिता.. आज तो तुमने भी कमाल कर दिया है.. आज तो तुम रचना को भी मात दे रही हो…!
ललिता- भाई, प्लीज़ चुप रहो… मैं कभी भी दीदी से सुन्दर नहीं लग सकती ओके.. अब आप दीदी की तारीफ करो वरना मैं ये ड्रेस निकाल कर दूसरा पहन लूँगी…!
अमर- सॉरी रचना.. मैंने यूं ही बोल दिया.. इस दुनिया में तुमसे सुन्दर कोई नहीं है.. ओके…!
रचना- ठीक है.. ठीक है.. अब मस्का मत लगाओ…!
दोस्तो, मैं आपको बता दूँ.. रचना को बहुत गुस्सा आता है जब कोई उसके सामने किसी और की तारीफ करता है.. इसलिए सबको ये पता है कि रचना गुस्से में पागल हो जाती है और कुछ भी कर सकती है, तो सभी इस बात का ध्यान रखते हैं।
वो तीनों बात कर ही रहे थे कि एक आदमी जिसने ड्राइवर की ड्रेस पहनी थी, वो अन्दर आया।
ड्राइवर- सर… आपके लिए शरद सर ने कार भेजी है।
अमर- हाँ ओके… तुम ये सामान लेकर चलो… हम आते हैं…!
तीनों उसके पीछे-पीछे चल दिए। अमर आगे बैठ गया और दोनों पीछे।
आधा घंटा कार चलती रही और फिर एक सुनसान एरिया में बहुत ऊँचाई पर एक बड़ा सा फार्म हाउस आता है, वहाँ कार रुक गई। ड्राइवर ने नीचे उतर कर गेट खोला.. तीनों उतर गये।
बाहर एक 30 साल का ठीक-ठाक सा दिखने वाला आदमी खड़ा उनको वेलकम करता है और उनसे कहता है आप मेरे पीछे आइए शरद सर अन्दर आपका वेट कर रहे हैं।
वो जब अन्दर जाते है तो ज़बरदस्त लाइटिंग हो रही थी और स्वीमिंग पूल के पास हट (झोपड़ी) बनी हुई थी.. जो काफ़ी बड़ी थी और सजी हुई थी।
रचना- वाउ.. क्या मस्त डेकॉरेशन है मज़ा आ गया देख कर…!
शरद- वेल्कम ब्यूटीफुल गर्ल्स…!
रचना- ओह वाउ.. शरद जी आपने तो काफ़ी अच्छा इंतजाम किया है।
शरद- अब आप सब पहली बार मेरे फार्म पर आए हो तो कुछ स्पेशल तो बनता है ना…!
अमर- हाँ यार, ये तो सही बात है.. इससे मिलो मेरी छोटी बहन ललिता…!
शरद ‘हाय सेक्सी’ बोलकर ललिता का हाथ पकड़ कर चूम लेता है। ललिता भी एक सेक्सी सी स्माइल दे देती है।
शरद ताली बजाता है तो पाँच-छह आदमी आते हैं।
शरद- सब काम हो गया न.. अब तुम सब बाहर जाओ।
वो सब बाहर चले गये, ड्राइवर अमर का सामान अन्दर रख गया।
शरद- ओके.. अब पार्टी शुरू करते हैं.. आ जाओ सब यहाँ आराम से बैठ कर ड्रिंक करेंगे।
शरद ने अच्छे से टेबल लगाई थी, सब वहाँ बैठ गए, शैम्पेन खोली गई.. सबने रचना को ‘विश’ किया और पीने का दौर शुरू हो गया।
उसके बाद बीयर की बोतलें खोली गई।
ललिता- न बाबा मैं नहीं पीऊँगी.. अभी सर घूम रहा है…!
शरद- अरे यार पार्टी का मज़ा लो.. नहीं पिओगी तो मज़ा कैसे आएगा लो..मेरे हाथों से पीओ।
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