RE: Behen ki Chudai मेरी बहन कविता
एक हाथ में लण्ड को पकरे हुए दुसरे हाथ से मेरे अन्डकोषो को अपनी हथेली में लेकर सहलाती हुई बोली “….हाथसेकरताहै…. राजू….अपनाशरीरबर्बादमतकर…..तेराशरीरबर्बादहोजायेगातोमैंमाँकोक्यामुंहदिखाउंगी….” कहते हुए जब अपनी नजरों को ऊपर उठाया तो मेरे उदास चेहरे पर दीदी की नज़र पड़ी. मुझे उदास देख लण्ड पर हाथ चलाती हुई दुसरे हाथ से मेरे गाल को चुटकी में पकड़ मसलते हुए बोली “उदासक्योंहै….क्यातुझेअच्छानहींलगरहाहै…..हायराजूतेरालण्डबहुतबड़ाऔरमजेदारहै…. तेराहाथसेकरनेलायकनहींहै….येकिसीछेदघुसाकरकियाकर…..” मैं दीदी की ऐसी खुल्लम खुल्ला बातों को सुन कर एक दम से भोच्चक रह गया और उनका मुंह ताकता रहा. दीदी मेरे लण्ड की चमरी को पूरा निचे उतार कर सुपाड़े की गोलाई के चारो तरफ ऊँगली फेरती हुई बोली “ऐसेक्यादेखरहाहै….तूअपनाशरीरबर्बादकरलेगातोमैंमाँकोक्यामुंहदिखाउंगी……मैंनेसोचलियाहैमुझेतेरीमददकरनीपड़ेगी……..तूघबरामत….” दीदी की बाते सुन कर मुझे ख़ुशी हुई मैं हकलाते हुए बोला “हायदीदीमुझेडरलगताहै….आपसे….” इस पर दीदी बोली “राजूमेरेभाई…डरमत….मैंनेतुझे….गालीदीइसकीचिंतामतकर…. मैंतेरामजाख़राबनहींकरनाचाहती…ले……मेरामुंहमतदेखतूभीमजेकर……..” और मेरा एक हाथ पकड़ कर अपनी ब्लाउज में कसी चुचियों पर रखती हुई बोली“….तूइनकोदबानाचाहताथाना….ले…दबा…तू….भीमजाकर….मैंजरातेरेलण्ड…. की……कितनापानीभराहैइसकेअंदर….” मैंने डरते हुए दीदी की चुचियों को अपनी हथेली में थाम लिया और हलके हलके दबाने लगा. अभी दो तीन बार ही दबाया था की दीदी मेरे लण्ड को मरोरती हुई बोली “साले…कबमर्दबनेगा….ऐसेऔरतोकीतरहचूचीदबाएगातो…इतनातगड़ालण्डहाथसेहीहिलातारहजायेगा….अरेमर्दकीतरहदबाना…डरमत….ब्लाउजखोलकेदबानाचाहताहैतोखोलदे….हायकितनामजेदारहथियारहैतेरा….देख….इतनीदेरसेमुठमाररहीहूँमगरपानीनहींफेंकरहा…..” मैंने मन ही मन सोचा की आराम से मुठ मारेगी तभी तो पानी फेंकेगा, यहाँ तो जैसे ही लौड़ा अपनी औकात पर आया था वैसे ही एक थप्पर मार कर उसको ढीला कर दिया. इतनी देर में ये समझ में आ गया की अगर मुझे दीदी के साथ मजा करना है तो बर्दाश्त करना ही परेगा, चूँकि दीदी ने अब खुली छूट दे दी थी इसलिए अपने मजे के अनुसार दोनों चुचियों को दबाने लगा, ब्लाउज के बटन भी साथ ही साथ खोल दिए और नीले रंग की छोटी से ब्रा में कसी दीदी की दोनों रसभरी चुचियों को दोनों हाथो में भर का दबाते हुए मजा लूटने लगा. मजा बढ़ने के साथ लण्ड की औकात में भी बढोतरी होने लगी. सुपाड़ा गुलाबी से लाल हो गया था और नसों की रेखाएं लण्ड के ऊपर उभर आई थी. दीदी पूरी कोशिश करके अपनी हथेली की मुट्ठी बना कर पुरे लण्ड को कसते हुए अपना हाथ चला रही थी. फिर अचानक उन्होंने लण्ड को पकरे हुए ही मुझे पीछे की तरफ धकेला, मेरी पीठ पलंग की पुश्त से जाकर टकराई मैं अभी संभल भी नहीं पाया था की दीदी ने थोड़ा पीछे की तरफ खिसकते हुए जगह बनाते हुए अपने सर को निचे झुका दिया और मेरे लाल आलू जैसे चमचमाते सुपाड़े को अपने होंठो के बीच कसते हुए जोर से चूसा. मुझे लगा जैसे मेरी जान सुपाड़े से निकल कर दीदी के मुंह के अन्दर समा गई हो. गुदगुदी और मजे ने बेहाल कर दिया था. अपने नौजवान सुपाड़े को चमरी हटा कर पहले कभी पंखे के निचे हवा लगाता था तो इतनी जबरदस्त सनसनी होती थी की मैं जल्दी से चमरी ऊपर कर लेता था. यहाँ दीदी की गरम मुंह के अन्दर उनके कोमल होंठ और जीभ ने जब अपना कमाल सुपाड़े पर दिखाना शुरू किया तो मैं सनसनी से भर उठा. लगा की लण्ड पानी छोड़ देगा. घबरा कर दीदी के मुंह को अपने लण्ड पर से हटाने के लिए चूची छोड़ कर उनके सर को पकड़ ऊपर उठाने की कोशिश की तो दीदी मेरे हाथ को झटक लौड़े पर से मुंह हटाती हुई बोली “हायराजू….तेरालण्डतोबहुतस्वादिष्टहै….खानेलायकहै….तुझेमजाआएगा…….चूसनेदे….देखहाथसेकरनेसेज्यादामजामिलेगा….” मैं घबराता हुआ बोला “पर…पर…दीदीमेरानिकलजायेगा,,,,बहुतगुदगुदीहोतीहै…..जबचूसतीहो…..हाय. इसपरदीदीखुशहोतीहुईबोली “कोईबातनहींभाई….ऐसाहोताहै…..आजसेपहलेकभीतुनेचुसवायाहै…”
“हाय…नहींदीदी…कभी…नहीं….”
“ओह… हो…..मतलबकिसीकेसाथभीकिसीतरहकामजानहींलियाहै…..”
“हाय…नहींदीदी….कभीकिसीकेसाथ…..नहीं”
“कभीकिसीऔरतयालड़कीकोनंगानहींदेखाहै…..”
मैं दीदी की इस बात पर शर्मा गया और हकलाते हुए बोला ” जीकभीनहीं…”
“हायतभीतूइतनातरसरहाहै….औरछुपकरदेखनेकीकोशिशकररहाथा….कोईबातनहींराजू….मुझेभीमाँकोमुंहदिखानाहै….चिंतामतकर….पहलेमैंयेतेराचूसकरइसकीमलाईएकबारनिकलदेतीहूँ…फिरतुझेदिखादूंगी…..” मैं ज्यादा कुछ समझ नहीं पाया की क्या दिखा दूंगी. मेरा ध्यान तो मेरे तन्नाये हुए लौड़े पर ही अटका पड़ा था. मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चुंका था और अब किसी भी तरह से लण्ड का पानी निकलना चाहता था. मैंने अपने लण्ड को हाथ से पकड़ा तो दीदी ने मेरा हाथ झटक दिया और अपनी चूची पर रखती हुई बोली “ले इसको पकड़” और मेरे लण्ड को अपनी मुठ्ठी में भर कर ऊपर निचे करते हुए सुपाड़े को अपने मुंह में भर कर चूसने लगी. मैं सीसीयाते हुए दोनों हाथो में दीदी की कठोर चुचियों को मसलते हुए अपनी गांड बिस्तर से उछालते हुए चुसाई का मजा लेने लगा. मेरी समझ में नहीं आ रहा था की मैं क्या क्या करू. सनसनी के मारे मेरा बुरा हाल हो गया था. दीदी मेरे सुपाड़े के चारो तरफ जीभ फ़िराते हुए मेरे लण्ड को लौलीपौप की तरह से चूस रही थी. कभी वो पुरे लण्ड पर जीभ फ़िराते हुए मेरे अंडकोष को अपनी हथेली में लेकर सहलाते हुए चूसती कभी मेरे लौड़े के सुपाड़े के अपने होंठो के बीच दबा कर इतनी जोर-जोर से चूसती की गोल सुपाड़ा पिचक का चपटा होने लगता था. चूची छोड़ कर मैं दीदी के सर को पकड़ गिरगिड़ाते हुए बोला “हायदीदीमेरा….निकलजाएगा….ओह…सीसी….दीदीअपनामुंह….हटालो…ओहदीदी….बहुतगुदगुदीहोरहीहै…प्लीजदीदी….ओहमुंहहटालो….देखोमेरा….पानीनिकलरहाहै…..” मेरे इतना कहते ही मेरे लण्ड ने एक तेज पिचकारी छोड़ी. कविता दीदी ने जल्दी से अपना मुंह हटाया मगर तब भी मेरे लण्ड की तेज धार के साथ निकली हुई वीर्य की पिचकारी का पहला धार तो उनके मुंह में ही गिरा बाकी धीरे-धीरे पुच-पुच करते हुए उनके पेटिकोट एवं हाथ पर गिरने लगा जिस से उन्होंने लण्ड पकड़ रखा था. मैं डरते हुए दीदी का मुंह का मुंह देखने लगा की कही वो इस बात के लिए नाराज़ तो नहीं हो गई की मैंने अपना पानी उनके मुंह में गिरा दिया है. मगर मैंने देखा की दीदी अपने मुंह को चलाती हुई जीभ निकल कर अपने होंठो के कोने पर लगे मेरे सफ़ेद रंग के गाढे वीर्य को चाट रही थी. मेरी तरफ मुस्कुरा कर देखते हुई बोली “हायराजू…बहुतअच्छापानीनिकला…. बहुतमजाआया…तेराहथियारबहुतअलबेलाहै….भाई….बहुतपानीछोड़ताहै….मजाआयाकीनहीं…बोल…कैसालगाअपनीदीदीकेमुंहमेंपानीछोड़ना….हाय…तेरालण्डजिसबूरमेंपानीछोड़ेगावोतो…एकदमलबालबभरजायेगी….”. दीदी एकदम खुल्ल्लम खुल्ला बोल रही थी. दीदी के ऐसे बोलने पर मैं झरने के बाद भी सनसनी से भर शरमाया तो दीदी मेरे झरे लण्ड को मुठ्ठी में कसती हुई बोली “अनचुदेलौड़ेकीसहीपहचानयहीहै…कीउसकाऔजारएकपानीनिकालनेकेबादकितनीजल्दीखड़ाहोता…. ” कहते हुए मेरे लण्ड को अपनी हथेली में भर कर सहलाते हुए सुपाड़े पर ऊँगली चलाने लगी. मेरे बदन में फिर से सनसनाहट होने लगी. झरने के कारण मेरे पैर अभी भी काँप रहे थे. दीदी मेरी ओर मुस्कुराते हुए देख रह थी और बोली “इसबारजबतेरानिकलेगातोऔरज्यादाटाइमलगाएगा….वैसेभीतेराकाफीदेरमेंनिकलताहै…..सालाबहुतदमदारलौड़ाहैतेरा….” मैं शरमाते हुए दीदी की तरफ देखा और बोला “हाय….फिरसे…मतकरो…हाथसे…”. इस पर दीदी बोली “ठहरजा…पहलेखड़ाकरलेनेदे…हायदेखखड़ाहोरहाहैलौड़ा….वाह….बहुततेजीसेखड़ाहोरहाहैतेरातो….”. कहते हुए दीदी और जोर से अपने हाथो को चलाने लगी. “हायदीदीहाथसेमतकरो….फिरनिकलजाएगा….” मैं अपने खड़े होते लण्ड को देखते हुए बोला. इस पर दीदी ने मेरे गाल पकड़ खींचते हुए कहा “सालेहाथसेकरनेकेलिएतोमैंनेखुदरोकाथा…हाथसेमैंकभीनहींकरुँगी….मेरेभाईराजाकाशरीरमैंबर्बादनहींहोनेदूंगी….” फिर मेरे लण्ड को छोड़ कर अपने हाथ को साइड से अपनी पेटिकोट के अन्दर ले जा कर जांघो के बीच पता नहीं क्या, शायद अपनी बूर को छुआ और फिर हाथ निकाल कर ऊँगली दिखाती हुई बोली “हायदेख… मेरीचूतकैसेपनियागई….बड़ामस्तलण्डहैतेरा…जोभीदेखेगीउसकीपनियाजायेगी….एकदमघोड़ेकेजैसाहै…अनचुदीलौंडियाकीतोफारदेगातू….मेरेजैसीचुदीचुतोकेलायकलौड़ाहै….कभीकिसीऔरतकीनंगीनहींदेखीहै….”. दीदी के इस तरह से बिना किसी लाज शर्म के बोलने के कारण मेरे अन्दर भी हिम्मत आ रही थी और मैं भी अपने आप को दीदी के साथ खोलना चाह रहा था. दीदी के ये बोलने पर मैंने शर्माने का नाटक करते हुए कहा “हायदीदीकिसीकीनहीं…बसएकबारवोग्वालिनबाहरमुनिसिप्लिटीकेनलपरसुबह-सुबहनहारहीथी….तब….” दीदी इस चहकती हुई बोली “हाँ..तबक्याभाई…तब…”. मैं गर्दन निचे करते हुए बोला “वो..वो…तो…दीदीकपड़ेपहनकरनहारहीथी…बैठकर…पैरमोड़कर…..तोउसकीसाड़ीबीचमेंसेहट…हटगई…पर…काला…कालादिखरहाथा….जैसेबालहो….” दीदी हँसने लगी और बोली “अरे…वोतोझांटेहोंगी….उसकीचूतकी….बसइतनासादेखकरहीतेराकामहोगया….मतलबतुनेआजतकअसलमेंकिसीकीनहींदेखीहै…” मैं शरमाते हुए बोला “अबपतानहींदीदी….मुझे….लगावहीहोगी…इसलिए…” दीदी इस पर मुस्कुराते हुए बोली “ओहहो…मेराप्याराछोटाभाई…..बेचारा….फिरतुझेऔरकोईनहींमिलीदेखनेकेलिएजोमेरेकमरेमेंघुसगया….” मैं इस पर दीदी का थोड़ा सा विरोध करते हुए बोला “नहींदीदी….ऐसीबातनहींहै….वोतो….तोमैं….मेरेऑफिसमेंभीबहुतसारीलड़कियाँहैमगर…..मगर….मुझेनहींपता….ऐसाक्योंहै….मगरमुझेआपसेज्यादासुन्दर…कोईनहीं…..कोईभीनहीं….लगती….मुझेवोलड़कियाँअच्छीनहीं…लगतीप्लीज़दीदीमुझेमाफ़करदो… मैं…मैं…आगेसेऐसा…..नहीं…” इस पर दीदी हँसने लगी और मुझे रोकते हुए बोली “अरे…रे…इतनाघबरानेकीजरुरतनहींहै….मैंतोतुमसेइसलिएनाराज़थीकीतुमअपनाशरीरबर्बादकररहेथे….मेरेभाईकोमैंइतनीअच्छीलगतीहूँकीउसेकोईऔरलड़कीअच्छीनहींलगती….येमेरेलिएगर्वकीबातहैमैंबहुतखुशहूँ….मुझेतोलगरहाथाकीमेरीउम्रबहुतज्यादाहोचूँकिहैइसलिए…..पर….इक्कीससालकामेरानौजवानभाईमुझेइतनापसंदकरताहैयेतोमुझेपताहीनहींथा…” कहते हुए आगे बढ़ कर मेरे होंठो पर एक जोरदार चुम्मा लिया और फिर दुबारा अपने होंठो को मेरे होंठो से सटा कर मेरे होंठो को अपने होंठो के दबोच कर अपना जीभ मेरे मुंह में ठेलते हुए चूसने लगी. उसके होंठ चूसने के अंदाज से लगा जैसे मेरे कमसिन जवान होंठो का पूरा रस दीदी चूस लेना चाहती हो. होंठ चूसते चूसते वो मेरे लण्ड को अपनी हथेली के बीच दबोच कर मसल रही थी. कुछ देर तक ऐसा करने के बाद जब दीदी ने अपने होंठ अलग किये तो हम दोनों की सांसे फुल गई थी. मैं अपनी तेज बहकी हुई सांसो को काबू करता हुआ बोला “हायदीदीआपबहुतअच्छीहो….”
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