RE: Holi Mai Chudai Kahani
मैं चिल्लाती रही, “राजा बस एक बार मुझे झाड़ दो, बस एक मिनट के लिये….”
लेकिन आज उनके सर पर दूसरा ही भुत सवार हो गया. उन्होंने मुझे उल्टा कर के कुतिया जैसा बना दिया और बोले, “चल साली पहले गाण्ड मरा…”
एक धक्के में ही आधा लंड अंदर, “ओह्ह…ओह..फटी…फट गई..मेरी गाण्ड.” मैं चीखी कस के.
पर उन्होंने मेरे मस्त चूतड़ों पे दो हाथ कस के जमाए और बोले, “यार, क्या मस्त गाण्ड है तेरी….” साथ-साथ पूछा, “होली में चल तो रहा हूँ ससुरी पर ये बोल कि सालियां चुदवाएगी कि नहीं..???”
मैं चूतड़ों को मटकाते हुए बोली, “अरे सालियां है तेरी, ना माने तो जबर्दस्ती चोद देना.”
खुश होके जब उन्होंने अगला धक्का दिया तो पूरा लंड गाण्ड के अंदर. ‘वो’ मजे से मेरी Clit सहलाते हुए मेरी गाण्ड मारने लगे. अब मुझे भी मस्ती चढ़ने लगी. मैं सिसकियां भरती बोलने लगी, “हाय मुझे उंगली से झाड़ दो….ओह्ह्ह…ओह्ह…मज़ा आ रहा है …ओह्ह्ह…”
उन्होंने कस के Clit को Pinch करते हुए पूछा, “हे पर बोल पहले तेरी बहनों की गाण्ड भी मारूंगा, मंजूर..???”
“हां…हां…ओओह्ह्ह…ओ…हा…अआ…जो चाहो…. बोले तो….. तेरी सालियाँ है जो चाहे करो….जैसे चाहे करो…”
पर अबकी फिर जैसे मैं कगार पे पँहुची उन्होंने हाथ हटा लिया. इसी तरह सारी रात 7-8 बार मुझे किनारे पँहुचा के वो रोक देते, मेरी देह में कम्पन्न चालू हो जाता लेकिन फिर वो कच-कचा के काट लेते.
झडे वो जरूर लेकिन वो भी सिर्फ दो बार. पहली बार मेरी गाण्ड में जब लंड (Penis) ने झड़ना शुरू किया तो उसे निकाल के सीधे मेरी चूची, चेहरे और बालों पे.
बोले, “अपनी पिचकारी से होली खेल रहा हूँ.”
और दूसरी बार एकदम सुबह मेरी गाण्ड में. जब मेरी ननद दरवाजा खटखटा रही थी. उस समय तक रात भर के बाद उनका लंड (penis) पत्थर की तरह सख्त हो चुका था. झुका के कुतिया की तरह करके पहले तो उन्होंने अपना लंड (penis) मेरी गाण्ड में खूब अच्छी तरह फैला के, कस के पेल दिया. फिर जब वो जड़ तक, अंदर तक घुस गया तो मेरे दोनों पैर सिकोड़ के अच्छी तरह चिपका के, कचा-कच, कचा-कच पेलना शुरू कर दिया.
पहले तो मेरे दोनों पैर फैले हुए थे, उसके बीच में उनका पैर, और अब उन्होंने जबरन कस के अपने पैरों के बीच में मेरे पैर सिकोड़ रखे थे. मेरी कसी गाण्ड और सकरी हो गई थी. मुक्के की तरह मोटा उनका लंड (penis) गाण्ड में कसमसा रहा था.
जब मेरी ननद ने दरवाजा खटखटाया, वो एकदम झड़ने के कगार पे थे और मैं भी. उनकी तीन उंगलियां मेरी बुर में और अंगूठा Clit पे रगड़ रहा था.
लेकिन खट-खट की आवाज के साथ उन्होंने मेरी बुर के रस में सनी अपनी उंगलियां निकाल के कस के मेरे मुँह में ठूस दी. दूसरे हाथ से मेरी कमर उठा के सीधे मेरी गाण्ड में झड़ने लगे.
उधर ननद बार-बार दरवाजा खटखटा रही थी और इधर ‘ये’ मेरी गाण्ड में झड़ते जा रहे थे. मेरी गीली प्यासी चूत भी बार-बार फुदक रही थी. जब उन्होंने गाण्ड से लंड निकला तो गाढ़े थक्केदार वीर्य की धार, मेरे चूतडों से होते हुए मेरे जांघ पर……
पर इसकी परवाह किये बिना मैंने जल्दी से सिर्फ चोली पहनी और साड़ी लपेटकर दरवाजा खोल दिया.
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