RE: Holi Mai Chudai Kahani
मैं अकेले रह गई थी. थोड़ी देर मैं सुस्ता रही थी कि ‘उईईईई’ की चीख आई, उस तरफ़ से जिधर मेरे भाई का कमरा था. मैं उधर दौड़ के गई. मैं देख के दंग रह गई. उसकी Half-Pent घुटनों तक नीचे सरकी हुई और उसके चूतडों के बीच में ‘वो’.
‘इनका’ मोटा लाल गुस्साया सुपाड़ा पूरी तरह उसकी गाण्ड में पैबस्त… वो बेचारा अपने चूतड़ पटक रहा था लेकिन मैं अपने experience से अच्छी तरह समझ गई थी कि अगर एक बार सुपाड़ा घुस गया तो ये बेचारा लाख कोशिश कर ले ‘इनका’ मुसल बाहर नहीं निकलने वाला. उसकी चीख अब गों-गों की आवाज़ में बदल गई थी. उसके मुँह की ओर मेरा ध्यान गया तो ननदोई ने अपना लंड उसके मुँह में ठेल रखा था. लम्बाई में भले वो ‘मेरे इनसे’ 19 हो लेकिन मोटाई में तो उनसे भी कहीं ज्यादा, मेरी मुट्ठी में भी मुश्किल से समा पाता.
मेरी नज़र सरक कर मेरे भाई के शिश्न पर पड़ी. बहुत प्यार, सुन्दर-सा गोरा, लम्बाई में तो वो ‘मेरे उनके’ और ननदोई के लंड के आगे कही नहीं टिकता, लेकिन इतना छोटा भी नहीं, कम से कम 6 inch का तो होगा ही, छोटे केले की तरह और एकदम कड़ा…..
गाण्ड में मोटा लंड मिलने का उसे भी मज़ा मिल रहा था. ये पता इसी से चल रहा था. वो उसके केले को मुट्ठिया रहे थे और उसका लिची जैसा गुलाबी सुपाड़ा खुला हुआ बहुत प्यारा लग रहा था. बस मन कर रहा था कि गप्प से मुँह में ले लूँ और कस-कस कर दो-चार चुप्पे मार लूँ. मेरे मुँह में फिर से वो स्वाद आ गया जो मेरी छोटी ननद के बुर में उंगलियां निकाल के चाटते समय मेरे मुँह में आया था. अगर अभी वो मिल जाती तो सच में बिना चुसे ना छोडती.
मैं उस समय इतनी चुदासी हो रही थी कि बस…..
“पी साले पी…. अगर मुँह से नहीं पिएगा तो तेरी गाण्ड में डाल के ये बोतल खाली कराएँगे.”
ननदोई ने दारू की बोतल सीधे उसके मुँह में लगा के उड़ेल दी. वो घुटुर-घुटुर कर के पी रहा था. कड़ी महक से लग रहा था कि ये देसी दारू की बोतल है. उसका मुँह तो बोतल से बंद था ही, ‘इन्होने’ एक-दो और धक्के कस के मारे. बोतल हटा के ननदोई ने एक बार फिर से उसके गोरे-गोरे कमसिन गाल सहलाते हुए फिर अपना तन्नाया लंड उसके मुँह में घुसेड़ दिया.
‘इन्होने’ आँख से ननदोई जी को इशारा किया, मैं समझ गई कि क्या होने वाला है.? और वही हुआ.
ननदोई ने कस के उसका सर पकड़ा और मोटा लंड पूरी ताकत से अंदर पेल के उसका मुँह अच्छी तरह बंद कर दिया और मजबूती से उसके कंधे को पकड़ लिया. उधर ‘इन्होने’ भी उसका शिश्न छोड़ के दोनों हाथों से कमर पकड़ के वो करारा धक्का लगाया कि दर्द के मारे वो बिलबिला उठा. बेचारा घूं-घूं के सिवाय कुछ न क सका. लेकिन बिना रुके एक के बाद एक ‘ये’ कस-कस के पलते रहे. उसके चेहरे का दर्द… आँखों में बेचारे के आँसू तैर रहे थे. लेकिन मैं जानती थी कि ऐसे समय रहम दिखाना ठीक नहीं और ‘इन्होंने’ भी Almost पूरा लौड़ा उसकी कसी गाण्ड में ठूस दिया.
वो छटपटाता रहा, गाण्ड पटकता रहा, घूं-घूं करता रहा लेकिन बेरहमी से वो ठेलते रहे. मोटा लंड मुँह में होने से उसके गाल भी पुरे फुले और आँखे तो मानो निकल पड़ रही थी.
“बोल साल्ले, मादरचोद, तेरी बहन की माँ का भोसड़ा मारूं……… बोल मज़ा आ रहा है गाण्ड मराने में…???” उसके चूतड़ पे धौल जमाते हुए ‘ये’ बोले.
ननदोई जी ने एक पल के लिए अपना लंड बाहर निकाल लिया और वो भी हँस के बोले, “Idea अच्छा है…… तेरी सास बड़ी मस्त माल है….. क्या चुचियाँ है उसकी..!!!! पूछ इस साले से चुदवायेगी वो..??? साईज क्या है उस छिनाल की चुचियों की..???”
“बोल साले, क्या साईज है उस की चुचियों की.?? माल तो बिंदास है….” उसके बाल खींचते हुए ‘इन्होने’ उसके गाल पे एक आँसू चाट लिया और कच-कचा के गाल काट लिया…..
“38 DD” वो बोला.
“अबे भोसड़ी के, क्या 38 DD.?? साफ-साफ बोल…..” उसके गाल पे अपने लंड से सटासट मारते ननदोई जी बोले…..
“सीना…..छाती……चूची……” वो बोला.
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