RE: Hindi Sex Kahani नशे की सज़ा
गतांक से आगे..............................
कुछ देर तक वो मेरे बदन से ऐसे ही खेलता रहा.फिर अचानक मुझे अपनी गोद से अलग करते हुए बोला-;”चलो फिर से खड़ी हो जाओ !”
उसके हुक्म के मुताबिक मैं फिर से खड़ी हो गयी.ब्रा और पॅंटी अभी भी मेरे बदन पर मौजूद थे.
‘अब अपने बाकी के कपड़े भी उतारो और बिल्कुल नंगी हो जाओ.” इनस्पेक्टर के होंठों पर अजीब सी मुस्कान थी.
मैने आहिस्ता आहिस्ता अपने हाथों को पीछे ले जाकर ब्रा के हुक को खोला और ब्रा मेरे शरीर से अल्ग हो गयी.अपने हाथों से मैने अपने सीने के कबूतरों को ढकने की कोशिश भी की लेकिन एकदम राज की आवाज़ ने मुझे रोक दिया-“हाथ नीचे करो और पॅंटी भी उतारो.”
मेरे हाथ अब अपने बदन के आख़िरी कपड़े को उतारने मे व्यस्त हो गये और कुछ ही पलों में मैं बिल्कुल नंगी होकर राज के सामने खड़ी हुई थी.अपने एक हाथ को मैने अपनी दोनो जांघों के बीच मे ले जाकर अपने नंगेपन को ढकने का नाकाम प्रयास भी किया लेकिन राज की आगे मेरी एक ना चली-“दोनो हाथों से अपने कान पाकड़ो और 100 बार उत्थक बैठक लगाओ.”
मुझे इस तरह के ह्युमाइलियेशन की ज़रा भी उम्मीद नही थी.
मेरे बदन मे कोई भी हरकत ना देख, राज ने शायद मुझे सबक सिखाने के लिए मेरी सज़ा बढ़ाते हुए कहा-“अब 150 उत्थक बैठक लगानी पड़ेंगी.और देर की तो यह सज़ा और भी बढ़ सकती है-तुम्हारी 10 साल की सज़ा कम करने के लिए कुछ और सज़ा तो देनी ही पड़ेगी.ऊत्थक बैठक लगाने पर तुम्हारी 10 साल की सज़ा घटकर 8 साल रह जाएगी.चलो शुरू हो जाओ फटाफट !”
मैने बिना किसी देरी के अपने कान पकड़कर उत्थक बैठक लगानी शुरू कर दी-शर्म और जलालत से मेरे चेहरा लाल हुआ जा रहा था.
“ ऊत्थक बैठक गिनती भी रहो बोल-बोलकर वरना वो काउंट नही होगी और तुम्हे ज़्यादा उत्थक बैठक लगानी पड़ेंगी.”
राज के होंठों पर बिल्कुल वैसी ही मुस्कान थी जैसे किसी तो सेक्षुयली ह्युमिलियेट करते वक़्त होती है. राज के लिए यह नज़ारा बेहद एरॉटिक था क्यूंकी वो एक हाथ में शराब का ग्लास थामे उसकी हल्की हल्की चुस्कियाँ ले रहा था और उसका दूसरा हाथ अपने खड़े हुए लिंग को सहलाने मे व्यस्त था.
जब तक मैं उत्थक बैठक लगाती रही ,अमित अपनी नज़रों से मेरे नंगे जवान बदन का रस पीता रहा.जैसे ही मेरी 150 उत्थक बैठकों की गिनती पूरी हो गयी मेरा एक हाथ अपने आप ही मेरी दोनो टाँगों के बीच चला गया और मेरे योनि प्रदेश को ढकने की नाकाम कोशिश करने लगा.मेरा दूसरा हाथ अपने सीने को ढकने की नाकाम कोशिश मे लग गया.लकिन राज के इरादे कुछ और ही थे-वो मेरी तरफ देखकर कहा-“ चलो अपने दोनो हाथ पीछे करो और धीरे धीरे अपनी कमर मतकाती हुई मेरी तरफ आओ.”
मैं जैसे ही राज के नज़दीक पहुँची, उसका एक हाथ मेरी दोनो टाँगों के बीच के योनि प्रदेश के मखमली भाग को सहलाने मे व्यस्त हो गया-पहली बार किसी मर्द के स्पर्श से मेरे अंदर मानो करेंट सा लगा लेकिन मेरे हाथ पीछे बँधे हुए थे और मेरी इसी असहाय स्तिथि का भरपूर फायडा वो उठा रहा था.बीच बीच में वो मेरे चिकने गोल नितंबों को भी थपथपा कर अपना पूरा मनोरंजन कर रहा था.अचानक उसने अपना हाथ योनि पर से हटाया और बोला-“अपनी टाँगे फैलाओ”
जैसे ही मैने अपनी टाँगे फैलाई उसने दोबारा से मेरे योनि प्रदेश और जांघों के भीतर के चिकने भाग पर अपना हाथ फिराना शुरू कर दिया.अपने दूसरे हाथ से वो अभी भी अपने लिंग को पॅंट के उपर से ही सहलाए जा रहा था जो अब तन कर टेंट की तरह हो गया था.
“ चलो घुटनो के बल बैठ जाओ और मेरी पॅंट की ज़िप को खोलो” राज ने मुझे ऑर्डर दिया.
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