RE: Hindi Sex Kahani नशे की सज़ा
इसके बाद बॉब्बी ने सलोनी के नितंबों पर जोरदार स्लॅप मारते हुए कहा-“चल चिकनी……उठ जा और अब सलोनी मेडम की खिदमत मे लग जा………नेहा ज़रा इस चिकनी को मेरे हवाले करना-रंजन इसकी बड़ी तारीफ कर रहा था-ज़रा मैं भी तो इसका टॅलेंट टेस्ट करके देखूं.”
इसके बाद नेहा ने मुझे अपनी गिरफ़्त से आज़ाद करते हुए कहा-“चल चिकनी,खड़ी हो जा….तेरी खबर अब बॉब्बी साहब लेंगे………जा उनको जी भारकर खुश कर……..कोई शिकायत नही चाहिए मुझे…….समझी….?”
“जी मॅम, समझ गयी…….मैं बॉब्बी सर को पूरी तरह से खुश करने की कोशिश करूँगी.” मैने नेहा से कहा और बॉब्बी के सामने आकर खड़ी हो गयी.
नेहा अब सलोनी से अपने योनि प्रदेश को चटवा चटवा कर मौज़ मस्ती मे डूबी हुई थी और उसे बॉब्बी और मेरे बीच क्या हो रहा था इसकी शायद कोई भी खबर नही थी.
बॉब्बी कुछ देर तक मुझे देखता रहा-मैं पूरी तरह से नंगी थी.
“अपने हाथ उपर उठाओ ! “ काफ़ी देर बाद बॉब्बी की आवाज़ सुनाई दी और मैने ओबीडियेंट स्लेव की तरह अपने हाथ उपर उठा लिए.
“अपनी जंघें थोड़ी फैलाओ ! “ बॉब्बी का अगला हुक्म जारी हुआ और मैने अपनी टाँगे फैलाकर खड़ी हो गयी-अब मेरे योनि प्रदेश को काफ़ी अच्छी तरह देखा जा सकता था.
कुछ देर तक बॉब्बी मुझे इसी पोज़िशन मे देख देख कर अपना लिंग सहलाता रहा-उसके लिए यह बेहद एरॉटिक सीन था जो उसने कभी सपने मे भी नही सोचा होगा कि कभी कोई जवान खूबसूरत लड़की अपने सारे कपड़े उतार कर उसके सामने अपने हाथ उपर उठाकर और जंघे फैलाकर खड़ी होगी.
बॉब्बी अब सोफे से उठा और उसने कमेरे का रुख़ मेरी तरफ कर दिया-ज़ाहिर था की अब कमेरे मे सिर्फ़ मेरी ही रेकॉर्डिंग हो रही थी-नेहा और सलोनी की नही-बॉब्बी की भी नही.बॉब्बी बोला-“अब ज़रा अपने कान पकड़कर 100 बार उत्थक बैठक लगाते हुए यह बोलो कि –“मैं बॉब्बी सर की यौन गुलाम हूँ.”
मैने कान पकड़ लिए और हर उत्तक बैठक के साथ यह दोहराने लगी-“मैं बॉब्बी सर की यौन गुलाम हूँ.”
बॉब्बी दुबारा से सोफे पर बैठ गया था और मुझे देखकर अपने लिंग को सहलाता जा रहा था.
नेहा जो अब तक सलोनी की चूमा चाती की मस्ती मे डूबी हुई थी,उसने अचानक अपनी आँखें खोली तो मुझे उत्थक बैठक लगाते हुए पाया.उसने सलोनी से कहा-“चलो,,,तुम अब ज़रा बॉब्बी के लिंग को रिलीफ पहुँचाओ.मैं इसको देखती हूँ.” कहते हुए नेहा मेरे पास आकर पास रखी कुर्सी पर इस तरह से बैठ गयी ताकि मेरा गोरा चिकना और मखमली बदन उसकी पकड़ मे रहे.
बॉब्बी की तरफ देखकर नेहा बोली-“बॉब्बी अब मैं तुम्हे एक ऐसा गेम शो दिखाने जा रही हूँ-जिसमे मैं इस चीक्कनी के मखमली बदन के जिस किसी भाग पर अपना हाथ रखूँगी, यह उस भाग का नाम हमे हिन्दी मे बताएगी------है ना मज़ेदार गेम…….?”
बॉब्बी के लिंग को सलोनी ने अपने मूह मे ले रखा था-वो और भी अधिक बौरता हुआ बोला-“ हां हां शुरू करो यह गेम…….काफ़ी मज़ेदार लग रहा है सुनने मे तो. इस गेम को मैं भी आगे बढ़ाना चाहूँगा”
यह कहने के बाद नेहा ने अपना हाथ मेरे नितंबो पर ज़ोर से लगाया और बोली-“ठीक है उत्थक बैठक बहुत हो गयी……..अब रुक जाओ…….और जो मैं कहती हूँ उसे सुनो………समझ गयी कि फिर से समझाना पड़ेगा………?”
“जी मॅम मैं समझ गयी……….” मैने नेहा से कहा
“क्या समझ गयी ?” नेहा कहाँ छोड़ने वाली थी.
“यही कि आप मेरे बदन पर जहाँ कहीं भी अपना हाथ रखेंगी,मुझे उस जगह का नाम हिन्दी मे बताना है…….और अगर नाम नही बता पे या नाम बताने मे देरी की तो बॉब्बी सर अपनी लेदर बेल्ट से मेरे नितंबों को स्पॅंक कर सकते हैं.” मेरे अंतिम वाक्य को सुनकर बॉब्बी का मन बाग बाग हो उठा था-क्यूंकी उसने लेदर बेल्ट को एकदम कसकर पकड़ लिया था जैसे की अगले ही पल उसका इस्तेमाल करने जा रहा हो.
सुबह के 10 बज चूक्के थे -इससे पहले की यह सेक्सप्लाय्टेशन का गेम और आगे बढ़ता, रंजन अचानक ही वहाँ पर पहुँचा और बॉब्बी की तरफ देखकर घबराता हुआ बोला-“हम लोग बुरी तरह फँस चुके हैं-सब कुछ छोड़कर भागने मे ही ख़ैरियत है-डीआरआइ की रेड होने की खबर मुझे अभी अभी लगी है”
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