RE: Hindi Sex Kahani नशे की सज़ा
मेरे और सलोनी के मन मे उत्सुकता हो रही थी कि अब विवेक नेहा के साथ क्या करने वाला है और वो शुरुआत यहीं से करेगा या फिर गेस्ट हाउस पहुँचने के बाद करेगा-नेहा के मन मे भी यह सब ख़याल उमड़ रहे होंगे. इसी बीच ड्राइवर ने बहुत ज़ोर से ब्रेक लगाया जिसकी वजह से और उसके हाथ बँधे होने की वजह से नेहा एकदम अपनी सीट से नीचे की तरफ खिसक गयी-विवेक ने इसी बहाने से अपनी झिझक छोड़ दी और नेहा को उठाकर सीट पर बिठाने के वजाय उसे अपनी गोद मे बिठा लिया-क्यूंकी नेहा के हाथ पीछे की तरफ बँधे हुए थे, इसलिए विवेक ने नेहा का चेहरा अपनी तरफ करके उसे अपनी गोद मे बिठाया. नेहा ने ब्लू कलर की जीन्स और रेड कलर का टॉप पहन रखा था-कपड़े उसने जल्दबाज़ी मे पहने थे-इसकी वजह से उसने अंदर के कपड़े पॅंटी और ब्रा दोनो ही नही पहने थे-यह बात अभी तक विवेक को नही मालूम थी.
पोलीस गेस्ट हाउस यहाँ से लगभग 30 किलोमेटेर दूर था और ट्रॅफिक की वजह से वहाँ पहुँचने मे कम से कम एक घंटे का समय ज़रूर लगना था-विवेक ने भी शायद यही सब सोचकर नेहा को अपनी गोद मे बिठाया था कि 1 घंटे का वक़्त भी बर्बाद क्यूँ किया जाए और रास्ते मे भी जीतने हो सकते हैं मज़े ले लिए जाएँ.
हम दोनो भी इस इंतेज़ार मे थे कि कब कुछ मज़ेदार हरकत विवेक और नेहा के बीच मे शुरू हो ताकि मेरा और सलोनी का समय भी उसे देखकर कट जाए-इसके लिए हमे ज़्यादा इंतेज़ार नही करना पड़ा.
हमने देखा की विवेक ने नेहा के गाल पर हल्की सी चपत लगाई और बोला-“तेरा क्या चक्कर है इस चॅनेल से ?”
नेहा को इस पहले पहले लगने वाले थप्पड़ की ज़रा भी उम्मीद नही थी.वो एकदम सकपकाकर बोली-“सर, मेरा कोई चक्कर वॅकर नही है.”
विवेक ने इस बार नेहा के दूसरे गाल पर हल्के से चपत लगाया और बोला-“ फिर तू यहाँ क्या कर रही थी ?”
“सर कुछ नही..मैं तो बस रंजन से मिलने आई थी.” नेहा ने झूठ बोल कर अपनी जान छुड़ाने की कोशिश की.
“कौन रंजन ?” विवेक ने फिर एक हल्का सा चपत नेहा के गाल पर लगाते हुए पूछा.
मुझे लग रहा था कि विवेक सिर्फ़ टाइम पास करने के लिए ही नेहा का इनटेरगेशन कर रहा था और जान बूझकर सवाल करने के बहाने नेहा के गालों पर हल्के हल्के चपत लगाकर मज़े ले रहा था.
“सर रंजन और बॉब्बी ही इस चॅनेल का सारा काम काज देखते हैं.” नेहा ने विवेक के सवाल का जबाब देने की कोशिश की.
“ कौन बॉब्बी ?” विवेक ने नेहा के दूसरे गाल पर फिर से हल्का सा चपत लगाया.
ऐसा लग रहा था कि ज़्यादा से ज़्यादा चपत लगाने के लिए विवेक छोटे छोटे सवाल कर रहा था-उसका मकसद सवाल पूछना कम,नेहा के मखमली गालो पर चपत लगाना ज़्यादा लग रहा था.
“सर, बॉब्बी मेरा दोस्त है.” नेहा का चेहरा इस अजीब तरह के ह्युमाइलियेशन से एकदम लाल हो गया था.
“बॉब्बी तेरा दोस्त है यह पहले ही बता देती तो इतने थप्पड़ तो नही खाने पड़ते-पोलीस से बात छिपाने की कोशिश करती है ?” कहकर विवेक ने फिर एक हल्का सा चपत नेहा के गाल पर लगाया.
विवेक जिस अंदाज़ से नेहा के गालों पर अपने हाथ सॉफ कर रहा था, उसे इस बात का अंदाज़ा तो सॉफ हो गया था कि गेस्ट हाउस मे पहुँचने के बाद यह सेक्सप्लाय्टेशन का खेल और भी अधिक रोचक होने वाला था.
नेहा इस बीच चुप हो गयी थी-उसे लग रहा था की बात फिलहाल ख़तम हो गयी है.लेकिन विवेक को तो शायद अपना वक़्त मज़े लेते हुए बिताना था सो उसने फिर से नेहा के गालों पर एक हल्का सा चपत रसीद किया और बोला-“चुप कैसे हो गयी ? मैने क्या पूछा था ?”
‘सर मुझे कुछ याद नही कि अपने क्या पूछा था.” नेहा को शायद समझ मे नही आया कि विवेक को क्या जबाब दे.
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