RE: Bhai Behen Chudai भाई बहन की दोस्ती
मै ये सुन कर हैरान हो गयी.....और उससे पीछे हट गयी. वो अब मुझे सिर्फ़ मुसकुराता हुआ देखता राहा. मेरी समझ मे नही आ राहा था के अब मै उससे क्या कहूं. फिर मै बोली: क्या मतलब है तुम्हारा? क्या तुम भाभी की बात कर रहे हो?
समीर : हां..........उसी की बात कर राहा हूं.........और बात बताऊं तुमको? उसे भी ये पता है और उसे ये सुन कर खुशी हुई थी.
अब तो मेरी हैरानगी की कोयी हद नही थी. मेरी समझ मे नही आ राहा था के
वो क्या कह राहा है. फिर मै बोली: समीर तुम को पता है ना तुम क्या कह रहे हो? वो तुम्हारी भाभी हैं. कैसे सोच लिया तुमने उसके बारे में?
समीर: भाभी हैं तो क्या हुआ. हैं तो एक लडकी ही ना आखिर. खुबसूरत हैं मुझे अच्छी लगती हैं और उसे मै भी अच्छा लगता हूं. इसमे बुराई क्या है?
मै: एक बात बताओ...........किस किसम का रिशता है तुम्हारा और रीना भाभी का?
समीर: वैसा ही जैसा होता है इस सूरत मे.
मै: क्या मतलब.....कैसा होता है इस सूरत मे?
समीर: प्यार भरा और क्या
मै: क्या तुम उसके साथ कुछ कर तो नही बैठे?
समीर: हां थोडा बहुत कर चुका हूं
मै: हे भगवान..........भाभी के साथ? समीर तुम पागल तो नही हो गये? किस हद तक गये हो तुम उसके साथ?
समीर: हां पागल कर दिया था उसने........मै क्या करता........और रही बात हद की, तो प्यार मे कोई हद नही होती
मै: क्या मतलब?
समीर: वही जो प्यार करने वाले करते हैं...........कुछ किसिंग.......कुछ हगिंन्ग ...............और कुछ वो भी.
मै: वो भी......................? सच सच बताओ..................कहीं सेक्स तो नही क्या तुम ने?
समीर: हां हो तो गया है ..........इसमे मेरा क्या कसूर? इतनी खुबसूरत औरत जब पास हो तो आदमी से ये कुछ भी हो सकता है.
मै: कसूर.............? क्या मतलब ? अगर कोई भी खुबसूरत औरत हो तुम उसके बारे मे ऐसा ही सोचोगे? चाहे वो तुम्हारी बहन ही क्यों ना हो
समीर:म्म्म्म्म्*म्म्म्म्म्*म्म्म.................. ...........हां ................ऐसा ही है..............
ये सुन कर तो मेरा दिमाग खराब होने लगा........कुछ देर तो मै चुप रही...........फिर बोली: क्या तुम मेरे बारे भी इस तरह से सोचते हो?
समीर: देखो अदिती..........तुम मेरी सब से अच्छी दोस्त हो.........बहन ही..........इस लिये तुमसे कुछ नही छुपाऊंगा..........हां तुम मुझे आकर्शित करती हो.............अगर तुम मेरी बहन ना होती तो मै तुमसे शादी करने की सोचता.
मै: समीर!!.....................तुम पागल तो नही हो गये ..... मै तुम्हारी बहन हूं ............कैसे आदमी हो तुम?
समीर: बहन तो हो.............पर खुबसूरत भी बहुत हो.............और सेक्सी भी..............अब मेरा क्या कसूर?
पता नही क्यों समीर की इन बातों से मज़ा आ राहा था और मै भाभी वाली बात का धक्का भूल गयी थी.अजीब सी हालत थी मेरी.मै सोच रही थी की अब मै इसे क्या कहूं और कैसे कहूं...............दिमाग मै कुछ नही आ राहा था.......लेकिन मै एक बात ज़रूर नोट कर रही थी. वो ये के समीर की ये बातें बुरी नही लगी मुझे. मै अब कुछ नही बोल रही थी और वो मुझ को सिर्फ़ देख राहा था और मुसकुरा राहा था. मै कुछ डर भी रही थी..............पता नही क्या हो राहा था मुझे..................पता नही मै शर्मा कर या डर कर रूम से बाहर चली गयी..............समीर वहीं बैठा राहा....................मेरे अन्दर एक अजीब सी हालत थी..........मेरा भाई और मेरे बारे मै ये सोचता है..............क्या मै सच मे इतनी खुबसूरत हूं?.............अब मुझे क्या करना चाहिये?...........................कैसे हैन्डल करूं इस हालात को? अब मै समीर के बारे मै एक और ही तरह से सोच रही थी. ये बात तो सच थी के समीर है काफ़ी हैन्ड्सम और सेक्सी भी................लेकिन वो मेरा भाई है........................ये बात बार बार मेरे दिमाग मै आ रही थी.
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