RE: Chodan Kahani इंतकाम की आग
इंतकाम की आग--2
गतान्क से आगे………………………
“मौत गला काट ने से हुई है.. और गला जब काटा गया तब चंदन शायद नींद मे होगा ऐसा इसमे लिखा है लेकिन क़ातिल ने कौन सा हथियार इस्तेमाल किया गया होगा इसका कोई पता नही चल रहा है…” वह ऑफीसर जानकारी देने लगा.
“अमेज़िंग…?” इंस्पेक्टर राज शर्मा मानो खुद से ही बोला.
“और वहाँ मिले बालो का क्या….?”
“सर हमने उसकी झांच की… लेकिन वे बाल आदमी के नही है…”
“क्या आदमी के नही….?”
“फिर शायद किसी भूत के होंगे…” वहाँ आकर उनके बात चीत मे घुसते हुए एक ऑफीसर ने मज़ाक मे कहा.
भले ही उसने वह बात मज़ाक मे कही हो लेकिन वे एक दूसरे के मुँह को ताकते हुए दो तीन पल कुछ भी नही बोले. कमरे मे एक अजीब सा सन्नाटा छाया हुआ था.
“मतलब वह क़ातिल के कोट के या जर्किन के हो सकते है….” राज शर्मा के बगल मे बैठा ऑफीसर बात को संभालते हुए बोला.
“और उसके मोटिव के बारे मे कुछ जानकारी…?”
“घर की सारी चीज़े तो अपनी जगह पर थी… कुछ भी कीमती सामान चोरी नही गया है… और घर मे कही भी चंदन के हाथ के और उंगलियों के निशान के अलावा और किसी के भी हाथ के और उंगलियों के निशान नही मिले….” ऑफीसर ने जानकारी दी.
“अगर क़ातिल भूत हो तो उसे किसी मोटिव की क्या ज़रूरत….?” फिर से वहाँ खड़े ऑफीसर ने मज़ाक मे कहा.
फिर दो तीन पल सन्नाटे मे गये.
“देखो ऑफीसर…. यहाँ सीरीयस मॅटर चल रहा है… आप कृपा करके ऐसी फालतू बाते मत करो…” राज शर्मा ने उस ऑफीसर को ताक़ीद दी.
“मैने चंदन की फाइल देखी है… उसका पहले का रकौर्ड़ कुछ उतना अच्छा नही… उसके खिलाफ पहले से ही बहुत सारे गुनाहों के लिए मुक़दमे दर्ज है… कुछ गुनाह साबित भी हुए है और कुछ पर अब भी केसस जारी है.. इससे ऐसा लगता है कि हम जो केस हॅंडल कर रहे है वह कोई आपसी दुश्मनी या रंजिश हो सकती है…” राज शर्मा फिर से असली बात पर आकर बोला.
“क़ातिल ने अगर किसी गुनहगार को ही मारा हो तो….” बगल मे खड़े उस ऑफीसर ने फिर से मज़ाक करने के लिए अपना मुँह खोला तो राज शर्मा ने उसके तरफ एक गुस्से से भरा कटाक्ष डाला.
“नही मतलब अगर वैसा है तो….अच्छा ही है ना… एक तरह से वह अपना ही काम कर रहा है… शायद जो काम हम भी नही कर पाते वह काम वह कर रहा है…” वह मज़ाक करनेवाला ऑफीसर अपने शब्द तोल्मोल कर बोला.
“देखो ऑफीसर…. हमारा काम लोगों की सेवा करना और उनकी हिफ़ाज़त करना है…”
“गुनहगारों की भी….?” उस ऑफीसर ने व्यंगात्मक ढंग से कड़वे शब्दो मे पूछा.
इस पर राज शर्मा कुछ नही बोला. या फिर उसपर बोलने के लिए उसके पास कुछ लब्ज नही थे. लेकिन राज शर्मा ने मन ही मन मे कहा "जहाँ चाह वहाँ रह" ज़रूर मिलेगी.
सुबह 10 बज रहे थे, वहाँ राज शर्मा अपनी मीटिंग मे बिज़ी था और यहाँ सुनील, सांवला रंग, उम्र 25 के आस पास, लंबाई 5 ½ फुट, घुँगराले बाल, अपने बेडरूम मे सोया था. उसकी बेडरूम मतलब एक कबाड़ खाना था जिस मे इधर उधर फैला हुआ सामान, न्यूज़ पेपर्स, मॅगज़ीन्स, व्हिस्की की खाली बॉटल वह भी इधर उधर फैली हुई. मॅगज़ीन के कवर पर ज़्यादा तर लड़कियों की नग्न तस्वीरे दिख रही थी और बेडरूम की सारी दीवारें उसके फॅवुरेट हेरोयिन्स की नग्न, अर्ध नगञा तस्वीरों से भरी हुई थी. चंदन के और सुनील के बेडरूम मे काफ़ी समानता थी.
फ़र्क सिर्फ़ इतना ही था कि सुनील के बेडरूम को दो खिड़कियाँ थी और वह भी अंदर से बंद और बंद रूम एसी थी इसलिए नही तो शायद सावधानी के तौर पे बंद थी. वो नींद से जागा और उसने अपना मोबाइल निकाला और एक नंबर डाइयल किया.. फोन एक लड़की ने उठाया…वो उसको बोला में अभी 10-15 मिनिट मे तुम्हारे घर आ रहा हूँ…
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