RE: Chodan Kahani इंतकाम की आग
इंतकाम की आग--3
गतान्क से आगे………………………
सुनील को जब लगा कि ललिता का काम अब होने ही वाला है तो उसने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी. सीधे गर्भाशय पे धक्कों को ललिता सहन ना कर सकी और ढेर हो गयी.
सुनील ने तुरंत उसको सीधा लिटाया और वापस अपना लंड चूत में पेल दिया. ललिता अब बिल्कुल थक चुकी थी और उसका हर अंग दुख रहा था, पर वो सहन करने की कोशिश करती रही.
सुनील ने झुक कर उसके होंठों को अपने होंठों से चिपका दिया और अपनी जीभ उसके मुँह में घुसा दी. धीरे धीरे एक बार फिर ललिता को मज़ा आने लगा और वो भी सहयोग करने लगी. अब सुनील ने उसकी चुचियों को मसलना शुरू कर दिया था.
ललिता फिर से मंज़िल के करीब थी. उसने जब सुनील की बाहों पर अपने दाँत गाड़ने शुरू कर दिए तो सुनील भी और ज़्यादा स्पीड से धक्के लगाने लगा. ललिता की चूत के पानी छोड़ते ही उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया और ललिता के मुँह में दे दिया.
ललिता के चूत रस से सना होने की वजह से एक बार तो ललिता ने मना करने की सोची पर कुछ ना कहकर उसको बैठ कर मुँह में ले ही लिया. सुनील ने ललिता का सिर पीछे से पकड़ लिया और मुँह में वीर्य की बौछार सी कर दी. ललिता गू...गूओ करके रह गयी पर क्या कर सकती थी. करीब 8-10 बौछारे वीर्य ने उसके मुँह को पूरा भर दिया. सुनील ने उसको तभी छ्चोड़ा जब वो सारा वीर्य गटक गयी.
दोनों एक दूसरे पर ढेर हो गये. ललिता गुस्से और प्यार से पहले तो उसको देखती रही. जब उसको लगा कि वीर्य पीना कुछ खास बुरा नही था तो वो सुनील से चिपक गयी और उसके उपर आकर उसके चेहरे को चूमने लगी...
यहाँ राज अपनी मीटिंग ख़तम करके अपने असिस्टेंट पवन को तहक़ीक़ात करने के लिए बोला और खुद अपने घर चला आया. तब दोपहर हो रही थी… राज अपनी गाड़ी से उतर कर अपने घर की तरफ मुड़ा… और उसने घर की बेल बजाई… दरवाजा एक लड़की ने खोला बला की खूबसूरत लड़की थी…
नाम था… डॉली…हाँ हाँ आप लोगों ने सही नाम पढ़ा है डॉली … वोई डॉली जो अपने राज भाई के गर्ल्स स्कूल मे पढ़ती थी…
राज और डॉली की शादी हो गयी थी… राज ने जब उसे भिवानि मे पहली बार देखा था तभी से उसे उससे प्यार हो गया था… तभी उसने अपने माता पिता से बातचीत करके कहा कि ये लड़की मुझे पसंद है… तब उसके माता पिता बहुत खुश हुए क्योंकि राज के लिए बहुत सारे रिश्ते आए थे…. पर अपना राज कहाँ मानने वाला था…. उसे तो डॉली ही पसंद आई थी… एक दिन उसने अपने घर ये बात बता दी..तो उसके घर वालों ने डॉली के घर पर बातचीत कर के दोनो की शादी करा दी….
तो डॉली ने दरवाज़ा खोला और सामने राज को देख कर कमर पे हाथ रख के बोली… आ गये आप… चलो फ्रेश होकर खाना खा लो… राज चुप चाप कमरे आगेया और बाथरूम जाकर फ्रेश होगया… तब तक डॉली ने खाना परोस दिया था… राज खाना खाने बैठ गया.. और चुप चाप खाना ख़तम कर दिया… आप सब लोग सोच रहे होंगे… इतना रौब जमाने वाला राज घर पर क्यूँ बिल्ली बन कर रहता था… क्यूंकी डॉली थी ही वैसी…तीखी मिर्ची थी वह… इसलिए राज उसके प्यार मे पागल हुए जा रहा था… उसने खाना ख़तम किया और अपने बेडरूम मे चला गया…
जब सब बर्तन और घर का सारा काम करके डॉली फ्रेश होने बाथरूम मे चली गयी….फ्रेश होके वो अपने बेडरूम मे राज के पास गयी तो राज ने उसे झटके से अपनी बाहों मे भर लिया… डॉली ने उसके गालो पर प्यार से चपत लगाई… और बोली… हर बार आपको कुछ ना कुछ सूझता रहता है…
राज बोला तुम हो ही ऐसी….तब डॉली बोली “अच्छा..” हां चलो प्यार करते है… राज बोला… मौसम कितना सुहाना है… बाहर बादल घिर आए है… तब डॉली बोली चुप बैठो जब देखो तो यही सूझते रहता है… बेचारा राज क्या करता मन मसोस कर के बैठ गया… मुँह फूला कर … करवट ले कर सो गया.. डॉली भी उसके बगल मे करवट ले कर सो गयी…
लेकिन अपना राज कहाँ सब्र करने वाला था… राज ने पलट कर डॉली को देखा… डॉली नींद मे होने का नाटक कर रही थी… उसे पता था कि उसके पति अब क्या करने वाले है… राज ने उसके गले को चूमना शुरू किया और फिर राज ने उसे पलट कर अपनी तरफ उसका मुँह किया और राज ने उसे प्यार से अपनी बाहों मे जाकड़ लिया.
दोनो के होंठ खुद-ब-खुद एक दूसरे से मिल गये और चुंबन का वो खेल शुरू हुआ जो बहुत देर तक चलता रहा. साँसे भड़क रही थी दोनो की पर मज़ाल है कि होंठो से होंठ हट जाए. जुड़े रहे यू ही बहुत देर तक.
जब होंठ एक दूसरे से जुदा हुए तो दोनो हांप रहे थे. राज ने अब डॉली को सीधा किया और उसके उपर आ गया. राज का लिंग पूरे तनाव में था और डॉली को वो अपनी योनि के ठीक उपर महसूस हो रहा था.
“तुम तो बहुत उत्तेजना लिए हुए हो.” डॉली ने बोल कर अपना चेहरा हाथो में छुपा लिया.
राज ने डॉली के हाथ एक तरफ हटाए और फिर से उसके होंठो को अपने होंठो में जाकड़ लिया. राज के हाथ कब डॉली के सुराही दार उभारो तक पहुँच गये उशे भी नही पता चला. अब राज बहके बहके अंदाज में डॉली के उभारो से खेल रहा था.
राज ने अपने कपड़े उतार दिए परंतु डॉली अपनी सारी नही उतार पाई. मदहोश जो रही थी.
राज समझ गया कि डॉली की सारी भी उसे ही उतारनी पड़ेगी. बस फिर क्या था खींच ली उसने सारी. डॉली की तो साँसे अटक गयी. एक एक करके राज ने सब कुछ उतार दिया उसके शरीर से. डॉली तो उत्तेजना में थर-थर काँप रही थी. बहुत कामुक पल थे वो दोनो के बीच. अब वो पूरी तरह नग्न अवस्था में थे. राज बड़े प्यार से डॉली के उपर लेट गया. जब राज का उत्तेजित लिंग डॉली की योनि से टकराया तो वो कराह उठी, “आआहह…राज ”
शायद दोनो से ही रुकना असंभव हो रहा था. मगर राज अभी डॉली के अंगो से खेलना चाहता था. उसने डॉली के उभारो के निपल्स को मूह में ले कर चूसना शुरू कर दिया. कमरे में सिसकियाँ गूंजने लगी डॉली की.
उसने राज के सर को थाम लिया और उसके बालो को सहलाने लगी. शायद वो कहना चाहती थी कि राज ऐसे ही करते रहो प्यार मुझे. कुछ देर राज उभारो को ही चूस्ता रहा फिर अच्चानक ना जाने उसे क्या सूझी वो नीचे की और सरकने लगा.
|