RE: Chodan Kahani इंतकाम की आग
इंतकाम की आग--4
गतान्क से आगे………………………
उधर राज का संभोग चल रहा था तो इधर सुनील अपने दूसरे राउंड के लिए रेडी हो रहा था… वो लोग टीवी देख रहे थे…. उसने ललिता को वापस अपनी बाहों में उठा लिया और बेड पर ले जाकर पटक दिया.
ललिता क़ातिल निगाहों से उसको देखने लगी. सुनील भी कुछ सोचकर ही आया था," मेरी तुम्हारे साथ नहाने की बड़ी इच्छा है. चलें वो तो सुनील की दीवानी थी; कैसे मना करती," एक शर्त है?" "बोलो!" "तुम मुझे नहलाओगे!"
उसकी शर्त में सुनील का भी भला था. "चलो! यहीं से शुरुआत कर देता हूँ" कहकर सुनील ललिता के शरीर का एक एक कपड़ा उतार कर अनावृत करने लगा. ललिता गरम हो गयी थी.
नंगी होते ही उसने सुनील को बेड पर नीचे गिरा लिया और तुरंत ही उसको भी नंगा कर दिया. वह उसके उपर जैसे गिर पड़ी और उसके होंठों पर अपनी मोहर लगाने लगी.
सुनील पलट कर उसके उपर आ गया, उसने उसकी छाती को दबा दिया.... ललिता की सिसकी निकल गयी. उसने सुनील का सिर अपनी चुचियों पर दबा दिया.
सुनील उस पर भूखे शेर की तरह टूट पड़ा, और जिस्म को नोचने लगा, वह सच में ही बहुत सेक्सी थी. सुनील उठा और अपना लंड उसको चखने के लिए पेश किया. ललिता भी इस कुलफी को खाने को तरस रही थी.
उसने झट से मुँह खोलकर अपनी चूत के यार को अपने गरम होंठों में क़ैद कर लिया. कमरे का टेम्परेचर बढ़ता जा रहा था. रह रह कर ललिता के मुँह से जब उसका लंड बाहर लिकलता तो 'पंप' की आवाज़ होती.
ललिता ने चूस चूस कर सुनील के लंड को एकदम चिकना कर दिया था; अपनी कसी चूत के लिए तैयार! सुनील ने ललिता को पलट दिया. और उसके 40" की गान्ड को मसल्ने लगा.
उसने ललिता को बीच से उपर किया और एक तकिये को वहाँ सेट कर दिया. ललिता की गान्ड उपर उठ गयी.....उसकी दरार और खुल सी गयी.
ललिता को जल्द ही समझ आ गया कि आज सुनील का इरादा ख़तरनाक है; वह गान्ड के टाइट छेद पर अपना थूक लगा रहा था.... "प्लीज़ यहाँ नही!" ललिता को डर लग रहा था... फिर कभी कर लेना...!" अभी नही तो कभी नही वाले अंदाज में सुनील ने अपनी उंगली उसकी गान्ड में फँसा दी, ऐसा तो वो पहले भी उसको चोद्ते हुए कर चुका था!
पर आज तो उसका इरादा असली औजार वहाँ यूज़ करने का लग रहा था. ललिता को उंगली अंदर बाहर लेने में परेशानी हो रही थी. उसने अपनी गान्ड को और चौड़ा दिया ताकि कुछ राहत मिल सके. कुछ देर ऐसे ही करने के बाद सुनील ने ड्रेसिंग टेबल के ड्रॉयर से कोल्ड क्रीम निकाल ली," इससे आसान हो हो जाएगा"
जैसे ही कोल्ड क्रीम लगी हुई उसकी उंगली ललिता की गान्ड की दरारों से गुज़री, ललिता को चिकनाई और ठंडक का अहसास हुआ, ये अपेक्षाकृत अधिक सुखदायी था. करीब 2 मिनिट तक सुनील उंगली से ही उसके 'दूसरे छेद' में ड्रिलिंग करता रहा, अब ललिता को मज़ा आने लगा था.
उसने अपनी गान्ड को थोड़ा और उँचा उठा लिया और रास्ते और आसान होते गये; फिर थोड़ा और....फिर थोड़ा और..... थोड़ी देर बाद वह कुतिया बन गयी.....! इस पोज़िशन में उसकी गंद की आँख सीधे छत को देख रही थी, उंगली निकालने पर भी वह थोड़ी देर खुली रहती थी.
सुनील ने ड्रिलर का साइज़ बढ़ा दिया; अब अंगूठा अपने काम पर लगा था. सुनील झुका और ललिता की चूत का दाना अपने होंठों में दबा लिया, वह तो 'हाइ मर गयी' कह बैठी मरी तो वह नही थी लेकिन सुनील को पता था वह मरने ही वाली है.
सुनील घुटने मोड़ कर उसकी गान्ड पर झुक गया, टारगेट सेट किया और 'फाइयर!'.....
ललिता चिहुनक पड़ी, पहले ही वार में निशाना सटीक बैठा था..... लंड आधा इधर.... आधा उधर.... ललिता मुँह के बल गिर पड़ी, लंड अब भी फँसा हुआ था.... करीब 3 इंच "ब्स्स्स.... प्लीज़.... रुक... जाओ! और नही"
ललिता का ये कहना यूँही नही था... उसकी गान्ड फैल कर 4 इंच खुल चुकी थी...... 4 इंच!
सुनील ने सैयम से काम लिया; उसकी छातीया दबाने लगा..... कमर पर किस करने लगा.... वग़ैरा वग़ैरा!
ललिता कुछ शांत हुई, पर वह बार बार कह रही थी," हिलना मत....हिलना मत!"
सुनील ने उसको धीरे से उपर उठाया.... धीरे.... धीरे और उसको वापस चार पैरों वाली बना दिया......कुतिया!
सुनील ने अपना लंड थोड़ा सा बाहर खींचा.... उसकी गान्ड के अन्द्रुनि हिस्से को थोड़ी राहत बक्शी और फिर जुलम ढा दिया... पूरा जुलम उसकी गान्ड में ही ढा दिया.
ललिता को काटो तो खून नही.... बदहवास सी होकर कुछ कुछ बोलने लगी, शायद बताना ज़रूरी नही!
सुनील ने काम चालू कर दिया.... कमरे का वातावरण अजीबोगरीब हो गया था. ललिता कभी कुछ बोलती.... कभी कुछ. कभी सुनील को कुत्ता कहती.... कभी कमीना कहती.... और फिर उसी को कहती.....आइ लोवे यू जान.... जैसे मज़ा देने वाला कोई और हो और सज़ा देने वाला कोई और आख़िरकार ललिता ने राहत की साँस ली....
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