RE: Chodan Kahani इंतकाम की आग
इंतकाम की आग--6
गतान्क से आगे………………………
राज इशारा समझ गया कि डॉली मान गयी है और उसने अपना हाथ हटा लिया. राज के लंड को देखते हुए अपना हाथ ज़ोर ज़ोर से उपेर नीचे कर रही थी.
थोड़ी देर बाद जब उसका हाथ थकने लगा तो उसने अपना दूसरा हाथ भी लंड पे रख दिया और दोनो हाथों से लंड को हिलाने लगी जैसे कोई खंबा घिस रही हो.
राज का एक हाथ वापिस उसकी गान्ड पे जा चुका था और नीचे सारी के उपेर से उसकी चूत को मसल रहा था. डॉली दोनो हाथों से लंड पे मेहनत कर रही थी और नीचे राज की उंगलियाँ उसकी चूत को जैसे कुरेद रही थी. डॉली ने हटने की कोई कोशिश नही की थी. चुपचाप बैठी हुई थी और चूत मसलवा रही थी.
उसका ब्लाउस पसीने से भीग चुका था और उसके दोनो निपल्स सॉफ नज़र आ रहे थे. राज ने दूसरा हाथ उठाके उसकी छाती पे रख दिया और उसकी बड़ी बड़ी छातीयों को रगड़ने लगा.
एक उंगली उसके क्लीवेज से होती दोनो चुचियो के बीच अंदर तक चली गयी. फिर उंगली बाहर आई और इस बार राज ने पूरा हाथ नीचे से उसके ब्लाउस में घुसकर उसकी नंगी छाती पे रख दिया. ठीक उसी पल उन्होने अपने दूसरे हाथ की उंगलियों को डॉली की चूत पे ज़ोर दबाया.
डॉली को जिस्म में जैसे 100 वॉट का करंट दौड़ गया. वो ज़ोर से राज के हाथ पे बैठ गयी जैसे सारी फाड़ कर उंगलियों को अंदर लेने की कोशिश कर रही हो. उसके मुँह से एक लंबी आआआआआअहह निकल पड़ी और उसकी चूत से पानी बह चला.
अगले ही पल राज उठ बैठा, डॉली को कमर से पकड़ा और बिस्तर पे पटक दिया. इससे पहले के डॉली कुछ समझ पाती, लंड उसके हाथ से छूट गया और राज उसके उपेर चढ़ बैठा.
उसकी पहले से ही घुटनो के उपेर हो रखी सारी को खींचकर उसकी कमर के उपेर कर दिया. डॉली आने से पहले ही ब्रा और पैंटी उतारके आई थी इसलिए सारी उपेर होते ही उसकी चूत उसके पति के सामने खुल गयी.
वो अब तक राज के अपनी चूत पे दबी उंगलियों के मज़े से बाहर ही ना आ पाई थी. जब तक डॉली की कुछ समझ आया के क्या होने जा रहा है तब तक राज उसकी दोनो टांगे खोलके घुटनो से मोड़ चुका था.
उसके दो पावं के पंजे राज के पेट पे रखे हुए थे जिसकी वजह से उसकी चूत पूरी तरह से खुलके राज के सामने आ गयी थी. डॉली रोकने की कोशिश करने ही वाली थी के राज ने लंड उसकी चूत पे रखा और एक धक्का मारा.
उसका पूरा जिस्म अकड़ गया और उसने अपने दोनो पावं इतनी ज़ोर से झटके के राज की मज़बूत पकड़ में भी नही आए… तब तक राज उसके उपेर लेट चुका था. डॉली ने अपने दोनो नाख़ून राज की पीठ में गाड़ दिए.
उसके दाँत राज के कंधे में गढ़ते चले गये. इसका नतीजा ये हुआ के राज गुस्से में थोड़ा उपेर को हुआ और उसके ब्लाउस को दोनो तरफ से पकड़के खींचा. खत, खत, खत, ब्लाउस के सारे बटन खुलते चलये गये. ब्रा ना होने के कारण डॉली की दोनो छातियाँ आज़ाद हो गयी.
बड़ी बड़ी दोनो छातियाँ देखते ही राज उनपर टूट पड़ा. एक छाती को अपने हाथ में पकड़ा और दूसरी का निपल अपने मुँह में ले लिया. डॉली के जिस्म में अब चीटियाँ दौड़ रही थी.
तभी उसे महसूस हुआ के राज अपना लंड बाहर खींच रहा हैं पर अगले ही पल दूसरा धक्का पड़ा और इस बार डॉली की आँखों के आगे तारे नाच गये. चूत पूरी फेल गयी और उसे लगा जैसे उसके अंदर उसके पेट तक कुछ घुस गया हो.
राज के अंडे उसकी गान्ड से आ लगे और उसे एहसास हुआ के पहले सिर्फ़ आधा लंड गया था इस बार पूरा घुसा है. उसकी मुँह से ज़ोर से चीख निकल गयी.
"आआआआहह राज " डॉली ने कसकर दोनो हाथों से राज को पकड़ लिया और उससे लिपट सी गयी जैसे दर्द भगाने की कोशिश कर रही हो. उसका पूरा बदन अकड़ चुका था.
लग रहा था जैसे आज पहली बार चुद रही हो. बल्कि इतना दर्द तो तब भी ना हुआ था जब राज ने उसे पहली बार चोदा था. उस रात राज ने उसे आराम से धीरे धीरे चोदा था और लेकिन आज की रात उसे क्या होगया था उसे भी नही मालूम जानवरों जैसा बिहेव कर रहा था… तो राज ने तो बिना उसकी मर्ज़ी की परवाह के लंड जड़ तक अंदर घुसा दिया था..
राज कुछ देर यूँही रुका रहा. दर्द की एक ल़हेर उसकी छाती से उठी तो डॉली को एहसास हुआ के दूसरा धक्का मारते हुए उसके पति ने उसकी एक छाती पे दाँत गढ़ा दिया था. राज ने अब धीरे धीरे धक्के मारने शुरू कर दिए थे. लंड आधा बाहर निकलता और अगले ही पल पूरा अंदर घुसा देता.
डॉली के दर्द का दौर अब भी ख़तम नही हुआ था. लंड बाहर को जाता तो उसे लगता जैसे उसके अंदर से सब कुछ लंड के साथ साथ बाहर खींच जाएगा और अगले पल जब लंड अंदर तक घुसता तो जैसे उनकी आँखें बाहर निकलने को हो जाती. उसकी पलकों से पानी की दो बूँदें निकालके उसके गाल पे आ चुकी थी.
उसकी घुटि घुटि आवाज़ में अब भी दर्द था जिससे बेख़बर राज उसे लगातार छोड़े जा रहे था. लंड वैसे ही उसकी चूत में अंदर बाहर हो रहा था बल्कि अब और तेज़ी के साथ हो रहा था.
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