RE: Chodan Kahani इंतकाम की आग
"ओह माइ गॉड मीनू!" अंकिता चिल्लाई...
मीनू उनके ही क्लास की एक सुंदर स्टूडेंट थी. वह ब्लंकेट से बाहर आई और अभी भी असमंजस के स्थिति मे शरद उसके दोनो उरोज अपने हाथ मे कस कर पकड़ा हुआ था. उसने खुद को छुड़ा लिया और एक ज़ोर का तमाचा शरद के कान के नीचे जड़ दिया.
शरद को क्या बोले कुछ समझ मे नही रहा था वह बोला, "आइ आम सौरी... आइ आम रियली सौरी..."
"वी आर सौरी..." सुधीर ने भी कहा.
"लेकिन इतने रात गये तुम यहाँ क्या कर रही हो...?" अंकिता मीनू के पास जाते हुए बोली.
"ईडियट... आइ वाज़ ट्राइयिंग टू सर्प्राइज़ यू... तुम्हे जन्मदिन की शुब्कामनाए देने आई थी में.." मीनू उसपर चिढ़ते हुए बोली.
"ओह्ह्ह.... थॅंक यू... आइ मीन सौररी.... आइ मीन आर यू ओके...?" अंकिता को क्या बोले कुछ समझ नही आ रहा था.
अंकिता मीनू को रूम मे ले गयी और शरद फिर से माफी माँगने के लिए रूम मे जाने लगा तो दरवाजा उसके मुँह पर धडाम से बंद हो गया.
क्लास चल रहा था. क्लास मे शरद और सुधीर पास-पास बैठे थे. शरद का ख़याल बिल्कुल क्लास मे नही था. वह बैचेन लग रहा था और अस्वस्थता से क्लास ख़त्म होने की राह देख रहा था उसने एकबार पूरे क्लास पर अपनी नज़र घुमाई, ख़ासकर मीनू की तरफ देखा. लेकिन उसका कहाँ उसकी तरफ ध्यान था? वह तो अपनी नोट्स लेने मे व्यस्त थी. कल रात का वाक़या याद कर शरद को फिर से अपराधी जैसा लगने लगा.
उस बेचारी को क्या लगा होगा....?
इतने सारे लोगों के सामने और अंकिता के सामने मैने...
नही मेने ऐसा नही करना चाहिए था....
लेकिन जो भी हुआ वह ग़लती से हुआ....
मुझे क्या मालूम था कि वह चोर ना होकर मीनू थी...
नही मुझे उसकी माफी माँगनी चाहिए....
लेकिन कल तो मेने उसकी माफी माँगने का प्रयास किया था....
तो उसने धडाम से गुस्से से दरवाज़ा बंद किया था....
नही मुझे वह जब तक माफ़ नही करती तब तक माफी माँगते ही रहना चाहिए...
उसके दिमाग़ मे विचारों का तूफान उमड़ पड़ा था. इतने मे पीरियड बेल बजी. शायद ब्रेक हो गया था.
चलो यह अच्छा मौका है...
उससे माफी माँगने का....
वह उठकर उसके पास जाने ही वाला था इतने मे वह लड़कियों की भीड़ मे कहीं गुम हो गयी थी.
ब्रेक की वजह से कॉलेज के गलियारे मे स्टूडेंट्स की भीड़ जमा हो गयी थी. छोटे छोटे समूह बनाकर गप्पे मारते हुए स्टूडेंट्स सब तरफ फैल गये थे, और उस भीड़ से रास्ता निकालते हुए शरद और सुधीर उस भीड़ मे मीनू को ढूँढ रहे थे.
कहाँ गयी...?
अभी तो लड़कियों की भीड़ मे क्लास से बाहर जाते हुए दिखी थी..
वे दोनो इधर उधर देखते हुए उसे ढूँढ ने की कोशिश करने लगे. आख़िर एक जगह कोने मे उन्हे अपने दोस्तों के साथ बाते करती हुई मीनू दिख गयी.
"चलो मेरे साथ..." शरद ने अपने दोस्तो से कहा.
"हम किस लिए... हम यहीं रुकते है... तुम ही जाओ..." सुधीर ने कहा.
"अबे... साथ तो चलो..." शरद उनको लगभग पकड़कर मीनू के पास ले गया.
जब शरद और सुधीर उसके पास गये तब उसका ख़याल इन लोगों की तरफ नही था. वह अपनी गप्पे मारने मे मशगूल थी. मीनू ने गप्पे मारते हुए एक नज़र उनपर डाली और उनकी तरफ ध्यान ना देते हुए अपनी बातों मे ही व्यस्त रही. शरद ने उसके और पास जाकर उसका ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने का प्रयास किया. लेकिन बार बार वह उनकी तरफ ध्यान ना देते हुए उन्हे टालने का प्रयास कर रही थी. उधर उनसे काफ़ी दूर संतोष गलियारे से जा रहा था वह शरद की तरफ देख कर मुस्कुराया और उसने अपना अंगूठा दिखा कर उसे बेस्ट ऑफ लक विश किया.
"मीनू.... आइ म सौरी..." शरद को इतने लड़को लड़कियों की भीड़ मे शर्म भी आ रही थी. फिर भी धाँढस बाँधते हुए उसने कहा.
मीनू ने एक कॅषुयल नज़र उसपर डाली.
शरद की गड़बड़ी हुई दशा देख कर उसके दोस्तों ने अब सिचुयेशन अपने हाथ मे ली.
"आक्च्युयली हम एक चोर को पकड़ ने की कोशिश कर रहे थे..." सुधीर ने कहा.
"हाँ ना... वह रोज हॉस्टिल मे चोरी कर रहा था..." संतोष उनके करीब आता हुआ बोला.
शरद अब अपनी गड़बड़ी भरी दशा से काफ़ी उभर गया था. उसने फिर से हिम्मत कर अपनी रात जारी रखी, "मीनू... आइ एम सौरी... आइ रियली डिड्न'ट मीन इट... में तो उस चोर को पकड़ने की..."
शरद हाथों के अलग अलग इशारों से अपने भाव व्यक्त करने की कोशिश कर रहा था. वह क्या बोल रहा था और क्या इशारे कर रहा था उसका उसको ही समझ नही आ रहा था. आख़िर वह एक हाव-भाव के पोज़िशन मे रुका. जब वह रुका तब उसके ख़याल मे आया कि, भले ही स्पर्श ना कर रहे हो, लेकिन उसके दोनो हाथ फिर से मीनू के ऊरोजो के आसपास थे. वह मीनू के भी ख़याल मे आया. उसने झट से अपने हाथ पीछे खींच लिए. उसने गुस्से से भरा एक कटाक्ष उसके उपर डाला और फिर से एक ज़ोर का थप्पड़ उसके गालपर जड़ करचिढ़कर बोली, "बदतमीज़...."
इसके पहले कि शरद फिर से संभाल कर कुछ बोले वह गुस्से से पैर पटकती हुई वहाँ से चली गयी थी. जब वह होश मे आया वह दूर जा चुकी थी और शरद अपना गाल सहलाते हुए वहाँ खड़ा था.
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क्रमशः…………………..
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