RE: Chodan Kahani इंतकाम की आग
इंतकाम की आग--10
गतान्क से आगे………………………
दौड़ते हुए वे घने अंधेरे मे डूबे हुए एक सन्करि गली मे घुस गये. शिकेन्दर और उसके दोस्त भी उनके पीछे ही थे. वे जब गली मे घुसने ही वाले थे कि उतने मे एक बड़ा सा ट्रक रास्ते से उनके और उस गली के बीच मे से गुजर गया. वे ट्रक पास होने तक रुक गये और जब ट्रक पास हो चुका तब उनको उस गली मे कोई नही दिख रहा था. वे गली मे घुस गये. गली के दूसरे सिरे तक तेज़ी से दौड़ गये. वहाँ रुक कर उन्होने आजूबाजू देखा. लेकिन उन्हे शरद और मीनू कही नही देखाई दे रहे थे.
शिकेन्दर और उसके दोस्त इधर उधर देखते हुए एक चोराहे पर खड़े हो गये. उन्हे मीनू और शरद कहीं भी नही दिखाई दे रहे थे.
"हम सब लोग चारो तरफ फैलकर उन्हे ढूँढते है.. वे हमारे हाथ से छूटने नही चाहिए..." शिकेन्दर ने कहा.
चार लोग चार दिशा मे, चार रास्ते से जाकर फैल गये और उन्हे ढूँढ ने लगे.
मीनू और शरद रास्ते के किनारे पड़े एक ड्रेनेज पाइप मे छिप गये थे. शायद ड्रेनेज पाइप्स नये डालने के लिए या बदल ने के लिए वहाँ लाकर डाले होंगे. इतने मे अचानक उन्हे उनकी तरफ दौड़ते हुए आ रहे किसी के पैरों की आहट हो गयी. वे अब वहाँ से हिल भी नही सकते थे. वे अगर इस हाल मे उन्हे मिले तो उनके पास करने के लिए कुछ नही बचा था. उन्होने बिल्ली के जैसे अपनी आँखें मूंद कर अपने आपको जितना हो सकता है उतना सिमटने की कोशिस की. इसके अलावा वे कर भी क्या सकते थे...?
अब उनके ख़याल मे आया कि वह दौड़कर आनेवाला, उन्ही चारों मे से एक, अब उनके पाइप के पास पहुँच गया है.. वह नज़दीक आते ही शरद और मीनू एकदम शांत लगभग साँसे रोक कर कुछ भी हरकत ना करते हुए वैसे ही छिपे रहे. वह अब पाइप के एकदम पास आकर पहुँचा था.
वह उन चारों मे से ही एक चंदन था. उसने आजूबाजू देखा.
"साले कहाँ गायब हो गये...?" वह चिढ़कर अपने आप से ही बड़बड़ाया.
उतने मे चंदन का पाइप की तरफ ख़याल गया.
ज़रूर साले इस पाइप मे छिपे होंगे...
उसने अनुमान लगाया. वह पाइप के और करीब गया. वह अब झुक कर पाइप मे देखने ही वाला था. इतने मे....
"चंदन... ज़रा इधर तो आओ... जल्दी..." उधर से शिकेन्दर ने उसे आवाज़ दिया.
चंदन पाइप मे झुक कर देखते देखते रुक गया, उसने आवाज़ आई उस दिशा मे देखा और मुड़कर दौड़ते हुए उसे दिशा मे चला गया.
जानेवाले पेरो की आवाज़ आते ही मीनू और शरद ने सुकून की सांस ली.
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