RE: Chodan Kahani इंतकाम की आग
इंतकाम की आग--13
गतान्क से आगे………………………
वह बॉक्स नीचे ज़मीन पर गिरा हुआ था. राज नज़दीक गया और उसने वह बॉक्स उठाया. वह टूटा हुआ था. राज ने वह बॉक्स उलट पुलट कर गौर से देखा और वापस जहाँ से उठाया था वहीं रख दिया. तभी बेडरूम के दरवाज़े की तरफ राज का यूँही ख़याल गया. हमेशा की तरह दरवाज़ा तोड़ा हुआ था. लेकिन इसबार अंदर के कुण्डी को चैन लगाकर ताला लगाया हुआ था.
"पवन... ज़रा इधर तो आओ..." राज ने पवन को बुलाया.
पवन जल्दी से राज के पास चला गया.
"यह इधर देखो.. और अब बोलो तुम्हारी थेऔरी क्या कहती है.. कत्ल करने के बाद दरवाज़ा बंद कर अंदर से चैन लगाकर ताला कैसे लगाया होगा...?" राज ने उस कुण्डी को लगाए चैन और ताले की ओर उसका ध्यान खींचते हुए कहा.
पवन ने उस चैन और ताला लगाए कुण्डी की तरफ ध्यान से देखते हुए कहा, "सर.. अब तो मुझे पक्का विश्वास होने लगा है..."
"किस बात का...?"
"कि क़ातिल कोई आदमी ना होकर कोई रूहानी ताक़त हो सकती है..." पवन पागलों की तरह कहीं शुन्य मे देखते हुए बोला.
सब लोग ग़ूढ भाव से एक दूसरे की तरफ देखने लगे.
राज पोलीस स्टेशन मे बैठकर एक एक बात के उपर गौर से सोच रहा था और अपने पार्ट्नर के साथ बीच बीच मे चर्चा कर रहा था.
"एक बात तुम्हारे ख़याल मे आ गई क्या...?" राज ने शुन्य मे देखते हुए अपने पार्ट्नर से पूछा.
"कौन सी ...?" उसके पार्ट्नर ने पूछा.
"अबतक तीन कत्ल हुए है.... बराबर...?"
"हाँ.... तो...?"
"तीनो कत्ल के पहले अंकित को यह अच्छी तरह से पता था कि अगला कत्ल किसका होनेवाला है..." राज ने कहा.
"हाँ बराबर..."
"और तीसरे कत्ल के वक्त तो अंकित कस्टडी मे बंद था..." राज ने कहा...
"हाँ बराबर है..." पार्ट्नर ने कहा...
"इसका मतलब क्या...?" राज ने मानो खुद से सवाल पूछा हो..
"इसका मतलब सॉफ है कि उसका काला जादू जैल के अंदर से भी काम कर रहा है..." पार्ट्नर मानो उसे एकदम सही जवाब मिला इस खुशी से बोला...
"बेवकूफ़ की तरह कुछ भी मत बको..." राज उसपर गुस्से से चिल्लाया.
"ऐसी बात बोलो कि वह किसी भी तर्कसंगत बुद्धि को हजम हो..."राज अपना गुस्सा काबू मे रखने की कोशिश करते हुए उससे आगे बोला...
बहरहाल राज के पार्ट्नर का खुशी से दमकता चेहरा मुरझा गया.
काफ़ी समय बिना कुछ बात किए शांति से बीत गया.
राज ने आगे कहा, "सुनो, जब हम अंकित के घर गये थे तब एक बात हमने बड़ी स्पष्ट से गौर की..."
"कौन सी...?"
"कि अंकित के मकान मे इतनी खिड़कियाँ थी कि उसके पड़ोस मे किसी को भी उसके घर मे क्या चल रहा है यह स्पष्ट रूप से दिख और सुनाई दे सकता है.."राज ने कहा..
"हाँ बराबर..." उसका पार्ट्नर कुछ ना समझते हुए बोला...
अचानक एक विचार राज के दिमाग़ मे कौंध गया. वह एकदम उठकर खड़ा हो गया. उसके चेहरे पर गुत्थी सुलझाने का आनंद झलक रहा था.
उसका पार्ट्नर भी कुछ ना समझते हुए उसके साथ खड़ा हो गया.
"चलो जल्दी..."राज जल्दी जल्दी दरवाज़े की तरफ जाते हुए बोला...
उसका पार्ट्नर कुछ ना समझते हुए सिर्फ़ उसके पीछे पीछे जाने लगा...
एक दम ब्रेक लगे जैसे राज दरवाज़े मे रुक गया.
"अच्छा तुम एक काम करो... अपने टीम को स्पेशल मिशन के लिए तैय्यार रहनेके लिए बोल दो..." राज ने अपने पार्ट्नर को आदेश दिया.
उसका पार्ट्नर पूरी तरह गड़बड़ा गया था. उसके बॉस को अचानक क्या हुआ यह उसके समझ के परे था....
स्पेशल मिशन...?
मतलब कहीं क़ातिल मिला तो नही...?
लेकिन उनकी जो अभी अभी चर्चा हुई थी उसका और क़ातिल मिलने का दूर दूर तक कोई वास्ता नही दिख रहा था...
फिर स्पेशल मिशन किस लिए..?
राज का पार्ट्नर सोचने लगा. वह राज को कुछ पूछने ही वाला था इतने मे राज दरवाज़े के बाहर जाते जाते फिर से रुक गया और पीछे मुड़कर बोला,
"चलो जल्दी करो..."
उसका पार्ट्नर तुरंत हरकत मे आगया.
जाने दो मुझे क्या करना है...?
स्पेशल मिशन तो स्पेशल मिशन...
राज के पार्ट्नर ने पहले टेबल से फोन उठाया और एक नंबर डाइयल करने लगा.
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