RE: Chodan Kahani इंतकाम की आग
एक ऑफीसर स्पॉट की तरफ निर्देश करते हुए बोला, “ उस बिल्ली को सब सिग्नल्स और निर्देश ये यहाँ से आ रहे है…”
“जहाँ से सिग्नल आ रहे है वह जगह यहाँ से कितनी दूर होगी…” राज ने पूछा.
दूसरे ऑफीसर ने कहा, “सर, वह जगह अपने यहाँ से पूरब की तरफ लगभग 5 किमी होगी…”
“हाँ.. हो सकता है एक मीटर इधर या एक मीटर उधर…” दूसरा ऑफीसर बीच मे ही बोल पड़ा.
राज शिकेन्दर के मकान के सामने खड़ा होकर वाइयरलेस पर अपनी पूरी टीम को आदेश और निर्देश दे रहा था,
“मुझे लगता है सब को अपनी अपनी पोज़िशन अच्छी तरह समझ मे आई है.. अपने पास अब सिर्फ़ यही एक मौका है. अब किसी भी हाल मे क़ातिल अपने शिकंजे से बचकर निकलना नही चाहिए… तो जिस जिसको जिस जिस जगह पर तैनात किया गया है वे अपनी जगह मत छोड़िए और बिना वजह अंदर बाहर करने की भी ज़रूरत नही है.. इसलिए ही मैने अंदर की और बाहर की ज़िम्मेवारी अलग अलग सौंप दी है… और बाकी बचे हुए तुरंत यहाँ मकान के सामने जीप के पास इकट्ठा हो जाओ…”
लगभग 15-20 टीम मेंबर्ज़ जीप के पास जमा हो गये. वहाँ से निकल ने से पहले राज ने उनको संक्षेप मे ब्रेफ किया.
“जहाँ से क़ातिल ऑपरेट कर रहा है वह जगह हमे मिल चुकी है.. इलसीए मैने अपनी टीम को दो हिस्सो मे बाँट दिया है… 7 लोग पहले ही यहाँ शिकेन्दर का रक्षण करने के लिए तैनात किए गये है.. और बाकी बचे 18 मतलब आप और मे… हमे ऑपरेशन का दूसरा हिस्सा यानी कि क़ातिल को पकड़ ने का काम करना है..”
राज अब जल्दी जल्दी आपनी गाड़ी की तरफ जाने लगा. गाड़ी की तरफ जाते जाते उसने सबको आदेश दिया, “ अब जल्द से जल्द अपनी अपनी गाड़ी मे बैठो… हमारे पहुँचने वह क़ातिल वहाँ से खिसकना नही चाहिए…”
सब लोग जल्दी जल्दी अपने अपने गाड़ी मे बैठ गये और सब गाडिया धुँआ उड़ाती हुई वहाँ से तेज़ी से निकल पड़ी – खूनी जहाँ से ऑपरेट कर रहा था वहाँ. सब गाड़ियाँ जब वहाँ से चली गयी तब वहाँ उड़ी हुई धूल का बादल धीरे धीरे नीचे आने लगा था.
शिकेन्दर के मकान के बगल मे एक कॅबिन था और उस कॅबिन मे दो कॉन्स्टेबल्स कंप्यूटर के सामने बैठे हुए थे. उनमे से एक कंप्यूटर के की बोर्ड की बटन्स दबाकर कुछ कर रहा था.
अचानक कंट्रोल बोर्ड पर फिर से ‘बीप’ ‘बीप’ ऐसी आवाज़ आने लगी. दोनो ने भी पहले कंट्रोल बोर्ड की तरफ और फिर टीवी स्क्रीन पर देखा, बिल्ली बेडरूम के पास पहुँची हुई टीवी स्क्रीन पर दिख रही थी.
“मुझे लगता है बिल्ली सिग्नल ब्लॉकिंग एरिया मे आ गयी है…” एक कॉन्स्टेबल मानो खुद से ही बोला.
अब ‘बीप’ ‘बीप’ आवाज़ और ज़ोर से आने लगी.
“देख… देख… बिल्ली सिंगल ब्लॉककिन एरिया मे पहुँच गयी है…” एक कॉन्स्टेबल ने झट से वाइयरलेस उठाया और कंट्रोल पॅनल पर एक ब्लिंक हो रहे लाइट की तरफ इशारा करते हुए कहा.
“सर… बिल्ली अब सिग्नल ब्लॉकिंग के एरिया मे पहुँच गयी है…” एक ने राज को इन्फ़ौरम किया.
“अच्छा… अब उसपर अच्छी तरह से नज़र रखो…” उधर से राज का मेसेज आया.
“यस सर…” कॉन्स्टेबल ने कहा.
“में इधर क़ातिल के पीछे लगा हूँ और ध्यान रहे कि उधर की पूरी ज़िम्मेदारी तुम्हारी है…” राज ने उसे ताक़ीद दी.
“यस सर…” कॉन्स्टेबल ने कहा.
और उधर से राज ने फोन कट कर दिया.
“सिग्नल ब्लॉकर ने सब सिग्नल ब्लॉक किए है और अब उस क़ातिल का एक भी आदेश उस बिल्ली तक पहुचेगा नही” एक कॉन्स्टेबल मॉनिटर और टीवी की तरफ देखते हुए फिर से उत्तेजित होकर बोला.
टीवी मॉनिटर पर अब वह बिल्ली भ्रमित हुई दिख रही थी. वह कभी आगे जा रही थी तो कभी पीछे.. शायद उसे कहाँ जाना है कुछ समझ मे नही आ रहा हो.
अचानक उनके सामने रखे सर्क्यूट टीवी पर दिखाई दिया कि उस बिल्ली का किसी बॉम्ब की तरह एक बड़ा विस्फोट होकर बड़ा धमाका हुआ है.. इतना बड़ा कि उनकी कॅबिन भी काफ़ी दूर होते हुए भी थर्रा उठी…
कॅबिन मे रखा हुआ कंप्यूटर और सर्क्यूट टीवी बंद हो गया.
दोनो पुलिस वालो को भी यह अप्रत्याशित आघात था…. उनको यह कैसे हुआ कुछ समझ नही आ रहा था… वे गड़बड़ा कर इधर उधर दौड़ने लगे…
“यह अचानक क्या हुआ…?” एक कॉन्स्टेबल घबराकर बोला.
वह इतना घबराया हुआ था कि उसकी सांस फूल गयी थी.
“टेररिस्ट अटॅक तो नही…?” उस कॉन्स्टेबल ने अपनी सांसोपर नियंत्रण करने की कोशिश करते हुए बोला.
“बेवकूफ़ की तरह कुछ भी बको मत… देखा नही… उस बिल्ली का विस्फोट हो गया है..” दूसरे कॉन्स्टेबल ने कहा.
“चल जल्दी… उधर क्या हुआ है यह हमे देखना पड़ेगा…” दौड़ते हुए कॉन्स्टेबल ने कहा.
क्रमशः……………
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