RE: Behen Sex Kahani बहन के साथ मस्ती
मेरे बातों को सुनकर दीदी मुस्कुराते हुए बोली, तेरे पास इतने सारे पैसे हैं चल मुझे एक 100 का नोट दे। मैं भी अपना पर्स निकाल कर दीदी से बोला, तुम मुझसे 100 का नोट ले लो दीदी मेरे हाथ में 100 का नोट देख कर बोली, नही, मुझे रुपया नहीं चाहिए। मैं तो यूँही ही मज़ाक कर रही “लेकिन मैं मज़ाक नहीं कर रहा हूँ। दीदी तुम ना मत करो और यह रुपये तुम मुझसे ले और मैं ज़बरदस्ती दीदी के हाथ में वो 100 का नोट थमा दिया।
दीदी कुछ देर तक सोचती रही और वो नोट ले लिया और बोली, मैं तुम्हे उदास नहीं देख सकती और मैं यह रुपया ले रही हूँ। लेकिन याद रखना सिर्फ़ इस बार ही रुपये ले रही हूँ। मैं भी दीदी से बोला, सिर्फ़ काले रंग की ब्रा ख़रीदना। मुझे काले रंग की ब्रा बहुत पसंद है और एक बात याद रखना, काले रंग के ब्रा के साथ काले रंग की पैँटी भी ख़रीदना दीदी। दीदी शर्मा गयी और मुझे मारने के लिए दौड़ी लेकिन मैं अंदर भाग गया.
अगले दिन शाम को मैं दीदी को अपने किसी सहेली के साथ फ़ोन पर बातें करते हुए सुना। मैं सुना की दीदी अपने सहेली को मार्केटिंग करने के लिए साथ चलने के लिए बोल रही है।
मैं दीदी को अकेला पा कर बोला, मैं भी तुम्हारे साथ मार्केटिंग करने के लिए जाना चाहता हूँ। क्या मैं तुम्हारे साथ जा सकता हूं दीदी कुछ सोचती रही और फिर बोली, सोनू, मैं अपनी सहेली से बात कर चुकी हूँ और वो शाम को घर पर आ रही है और फिर मैंने मां से भी अभी नहीं कही है की मैं शोपिन्ग के लिए जा रही हूं।
मैं दीदी से कहा, तुम जाकर मां से बोलो कि तुम मेरे साथ मार्केट जा रही हो और देखना मां तुम्हे जाने देंगी। फिर हम लोग बाहर से तुम्हारी सहेली को फ़ोने कर देंगे की मार्केटिंग का प्रोग्राम कँसेल हो गया है और उसे आने की ज़रूरत नहीं है ठीक है ना, “हाँ, यह बात मुझे भी ठीक लगती है मैं जा कर मां से बात करती हूं और यह कह कर दीदी मां से बात करने अंदर चली गयी मां ने तुरंत दीदी को मेरे साथ मार्केट जाने के लिए हाँ कह दी.
उस दिन कपड़े की मार्केट में बहुत भीड़ थी और मैं ठीक दीदी के पीछे ख़ड़ा हुआ था और दीदी के चुतड़ मेरे जांघों से टकरा रहा था। मैं दीदी के पीछे चल रहा था जिससे की दीदी को कोई धक्का ना मार दे। हम जब भी कोई फूटपाथ के दुकान में खड़े हो कर कपड़े देखते तो दी मुझसे चिपक कर ख़ड़ी होती और उनकी चूची और जांघे मुझसे छू रहा होता। अगर दीदी कोई दुकान पर कपड़े देखती तो मैं भी उनसे सट कर ख़ड़ा होता और अपना लंड कपड़ों के ऊपर से उनके चुतड़ से भिड़ा देता और कभी कभी मैं उनके चूतड़ों को अपने हाथों से सहला देता। हम दोनो ऐसा कर रहे थे और बहाना मार्केट में भीड़ का था। मुझे लगा कि मेरे इन सब हरकतों दीदी कुछ समझ नहीं पा रही थी क्योंकि मार्केट में बहुत भीड़ थी.
मैंने एक जीन्स का पैंट और टी-शर्ट खरीदा और दीदी ने एक गुलाबी रंग की पंजाबी ड्रेस, एक गर्मी के लिए स्कर्ट और टॉप और 2-3 टी-शर्ट खरीदी। हम लोग मार्केट में और थोड़ी तक घूमते रहे। अब क़रीब 7.30 बज गए थे।
दीदी ने मुझे सारे शॉपिंग बैग थमा दिए और बोली- आगे जा कर मेरा इंतज़ार करो, मैं अभी आती हूँ।
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