Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
09-03-2018, 08:59 PM,
#26
RE: Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
बाबूजी के प्लान के हिसाब से सॅटर्डे को 3नो जोड़े और सखी की मा एक साथ पिक्निक स्पॉट पे चले गए. शनिवार की दोपहर को जब कम्मो घर में काम ख़तम कर चुकी तो बाबूजी ने उसे अपने कमरे में बुलवाया.

'' बाबूजी आपने बुलाया. कोई काम था क्या..'' कम्मो ने अपने सूट की चुन्नि से हाथ पोन्छ्ते हुए पुछा.

'' हां मुझे तुझको कुच्छ देना है. दरअसल तुझे पता है कि बहुएँ पेट से हैं और तुझ पे आजकल सारा काम का बोझ आ गया है. मैं जानता हूँ कि तू कितनी मेहनती है. इसलिए मैं तुझे कुच्छ इनाम देना चाहता हूँ. '' ये कहते हुए बाबूजी ने आल्मिराह से 3 बढ़िया क्वालिटी के सूट निकाले. तीनो सूट काफ़ी मेह्न्गे थे और सिले सिलाए थे.

सूट देख के कम्मो की बान्छे खिल गई. उसे यकीन नही हो रहा था कि बाबूजी उसको इतने महनगे सूट दे सकते हैं. बाबूजी ने उसे कहा कि वो कोई 2 सूट ले ले. ये बात सुनते ही कम्मो थोरी कन्फ्यूज़ हो गई पर कुच्छ बोली नही. उसने एक गुलाबी और एक हरा सूट चूज़ किया. बाबूजी ने दोनो सूट खोल दिए और कम्मो से कहा कि वो उनको ट्राइ करे और दिखाए. ये बात सुनते ही कम्मो थोड़ा शर्मा गई और सकपका गई.

'' बाबूजी हम ये सूट कैसे ट्राइ करें आपके सामने. ये लगते तो हमारे साइज़ के हैं पर आपको कैसे दिखाएँ पहेन के. हम घर जाके पहेन लेंगे. अगर कुच्छ उन्च नीच होगी तो दर्ज़ी से ठीक करवा लेंगे.'' कम्मो शरम से नज़रे झुकाए बोली.

'' अररी पगली तू बिना झुझक के पहेन के दिखा मुझे और फिर मैं बताता हूँ कि मैने तुझे ट्राइ करने को क्यों कहा है. चल जा मेरे बाथरूम में जाके बदल ले और दिखा. अगर नही दिखाएगी तो इन्हे यहीं छोड़ दे. मैं किसी और को दे दूँगा. '' बाबूजी ने थोड़ी कड़क आवाज़ में कहा.

अब कम्मो उनका विरोध नही कर सकती थी. उसका मॅन ललचाया हुआ था. उसने गुलाबी सूट उठाया और बाथरूम में चली गई. सूट काफ़ी हेवी था और उसपे अच्छी कारी गरि हुई पड़ी थी. पर सूट का फ्रंट और बॅक दोनो काफ़ी लो थे. सूट पहेन के उसने अपने आप को आईने में देखा और थोड़ी घबरा गई. उसकी चूचियो की दरार का करीब 2 इंच का हिस्सा सॉफ दिख रहा था. सूट को अगर वो आगे से उपर करती तो पिछे से ब्रा का स्ट्रॅप दिखने लगता. जिसने भी सूट बनाया था बड़ी सोच से बनाया था कि हर हाल में मॅग्ज़िमम हिस्सा एक्सपोज़ होगा ही होगा. उसके मम्मे बिल्कुल सही तरीके से सूट में सटे हुए थे. कमर पे सूट चिपका हुआ था और उसके चूतरो पे आस पास पर्फेक्ट फॉल आ रही थी. उससे ऐसा लगा जैसे किसी ने उसका नाप लेके सूट बनाया हो.

इसी पेशोपश में उसे बाबूजी की आवाज़ सुनाई दी. घबराते और शरमाते हुए बिना चुन्नी के वो बाथरूम से बाहर निकली. बाबूजी ड्रेसिंग टेबल में देख के अपनी मूच्छों को ताव दे रहे थे. उनकी पीठ कम्मो की तरफ थी. कम्मो की रिफ्लेक्षन ड्रेसिंग टेबल के शीशे में नज़र आ रही थी. कम्मो ने अपने दोनो हाथ अपने कंधों पे रखे हुए थे. वो अपने मम्मो की दरार को छुपा रही थी.

'' लीजिए बाबूजी देखिए..हमने सूट पहेन लिया.'' सहमी हुई आवाज़ में कम्मो बोली.



'' ये क्या कम्मो ऐसे कैसे पता चलेगा कि सूट तुझ पे अच्छा लगता है या नही.. हाथ तो नीचे कर..ह्म्‍म्म्मम घबरा नही सिर्फ़ यहीं से देखूँगा.'' बाबूजी अभी भी कम्मो को शीशे में ही देख रहे थे और मूच्छों पे ताव दे रहे थे.

कम्मो ने सिर झुकाते हुए अपने हाथ साइड में किए. बाबूजी की धोती में उनका लंड अब कड़ा होने लगा था. कच्छा तो उन्होने पहना ही नही था. बाबूजी पैनी नज़रों से कम्मो के एक एक अंग को घूर रहे थे. 2 बच्चों की मा लगती भी और नही भी. उसका झुका हुआ चेहरा एक मिड्ल एज औरत की मेचुरिटी बयान करता था. बदन का गातीलापन एक जवान औरत जैसा था पर बदन की बनावट एक भारी खेली खिलाई औरत की. कम्मो के जिस्म में एक्सट्रा माँस था पर सही जगहों पे. पर वो एक्सट्रा माँस एक तरीके से मसल्स के रूप में था. बाबूजी उसकी चूचिओ को देखने लगे. सूट में उसकी चूचियाँ अच्छी कसी हुई थी. करीब 15 सेकेंड तक बाबूजी उसे निहारते रहे. गुलाबी रंग उसके गेहुएँ रंग को सूट कर रहा था.

'' अच्छा ज़रा पिछे मूड के दिखा.'' बाबूजी ने हुकुम सुनाया.

शरमाते हुए कम्मो मूड गई और उसे अपनी तकरीबन 25% नंगी पीठ का एहसास हुआ. कम्मो के दिमाग़ में भी अब हलचल थी. वो हलचल अब उसकी चूत में उत्तेजना पैदा कर रही थी. चूचे भी कड़े हुए पड़े थे पर पूरे नही. कम्मो के निपल बहुत बड़े थे. उसे डर था की कहीं वो थरक गई तो निपल सॉफ सॉफ दिखने लगेंगे.
उसे अपनी पीठ पे बाबूजी की नज़रें गढ़ी हुई महसूस हो रही थी. बाबूजी उसकी पीठ, उसकी कमर और उसके चूतरो का ज़यज़ा ले रहे थे. फिर से करीब 15 सेकेंड तक उससे निहार लेने के बाद बाबूजी ने कम्मो को दूसरा सूट पहेन के आने को कहा.

कम्मो ने मूड के बेड से दूसरा हरा सूट उठाया. उसकी चूचियो की दरार जो करीब 2 इंच दिख रही थी झुकने से और भी दिखने लगी. सूट में कसाव था नही तो शायद उसके मम्मे उच्छल के बाहर आ जाते. एक बार फिर कम्मो बाथरूम में चली गई. जैसे ही उसने सूट को पहनने के लिए खोला तो वो हैरान रह गई. हरा सूट बहुत ही महनगा था. कम्मो के अंदाज़ से कम से कम 5000 का होगा. दूसरी बार वो तब चौंकी जब उसने उस सूट की बनावट देखी. कम्मो के पैर काँपने लगे और उसकी धधकने तेज़ हो गई. अपने आप को बाबूजी के सामने उस सूट में सोच के वो घबरा गई. पर तभी उसकी चूत ने जवाब दे दिया. उसकी चूत बुरी तरह पनिया गई. कम्मो का दिमाग़ ठीक से काम नही कर रहा था पर उसकी जवानी अंगड़ाई ले रही थी.
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