RE: Sex Kahani सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी
मैं ऐसी क्यों बनी इस घटना को जानने के लिए कुछ समय पहले जाना पड़ेगा ये घटना मेरी बेटी फ़ातिमा की ज़ुबानी शुरू होगी
मेरा नाम फ़ातिमा है.. मैं 18 साल की हूँ। यह बात उन दिनों की है.. जब मैं स्कूल में पढ़ती थी। मेरी अम्मी शाज़िया एक प्राइवेट स्कूल में इंग्लिश की टीचर हैं और मेरे पापा दुबई की एक कंपनी में हैं। वह साल दो साल में इंडिया आया करते हैं और 25-30 दिनों के लिए ही आते हैं। जब वे घर आते थे.. तब अम्मी बहुत खुश रहती थीं.. लेकिन उनके जाने के बाद अम्मी बहुत उदास हो जाती थीं।
हमारा घर शहर की आबादी से दूर था, हम किराये के मकान में रहते थे, यह घर पापा के दोस्त राज अंकल का था। राज अंकल पापा के दोस्त थे। यही वजह थी कि वह हम लोगों से किराया नहीं लिया करते थे। राज अंकल हमारे घर अक्सर आया करते थे। उनके आने पर अम्मी बहुत खुश रहती थीं। उनके आने से अम्मी का अकेलापन दूर हो जाता था।
कभी-कभी हम लोग राज अंकल के साथ बाहर उनकी कार से आउटिंग पर भी जाते थे। धीरे-धीरे वह हमारे साथ बेहद घुल-मिल गए थे।
एक दिन मैं स्कूल से घर आई तो देखा कि मेरे पापा के दोस्त राज अंकल आए हुए हैं।
अम्मी दोपहर का खाना बना रही थीं। मैंने अपना स्कूल बैग कमरे में रखा और किचन की तरफ बढ़ गई.. लेकिन अन्दर का नज़ारा देख कर मेरे पाँव ठिठक गए थे।
मैंने चुपके से किचन में झांक कर देखा.. राज अंकल ने अम्मी को अपने आगोश में लिया हुआ था। वह अपने हाथों को अम्मी के बदन पर घुमा रहे थे। अम्मी अंकल की कमर पर हाथ फिरा रही थीं.. फिर गर्दन पर.. और फिर सर पर.. उधर अंकल अम्मी के होंठों को छोड़ कर उनके गालों को चूमने लगे और फिर गर्दन पर अपने होंठ फिराने लगे।
अम्मी लगातार उनका साथ दे रही थीं और अंकल भी उनके गुदाज स्तन लगातार दबा रहे थे। अंकल ने अम्मी का जालीदार सफ़ेद कुरता ऊपर उठा दिया था। अम्मी ने नीले रंग की ब्रा पहनी थी। राज अंकल अब अपने होंठों को उनकी गर्दन पर लेकर आए और फिर उनके कंधों पर चूमने लगे।
यह सब देख कर मैं पागल हुए जा रही थी, मैंने ऐसा पहली बार देखा था। मेरे जिस्म में आग सी लग गई थी। मैं यह समझ चुकी थी कि एक शादीशुदा औरत को पूरे-पूरे साल बिना शौहर के रहना बेहद मुश्किल होता है। पेट की भूख तो खाने से मिटाई जा सकती है.. लेकिन जिस्म की भूख का क्या?
यही वजह थी कि अम्मी ने अपना जिस्म राज अंकल को सौप दिया था।
वैसे भी मेरी अम्मी एक कॉलेज में टीचर थीं। वह खुले विचारों वाली महिला थीं। लेकिन मुझे फिर भी अपनी अम्मी से यह उम्मीद नहीं थी कि राज अंकल अम्मी को चोदेंगे।
किशोरावस्था में होने के कारण मेरी इसमें दिलचस्पी और बढ़ गई थी, मैं न चाहते हुए भी उन दोनों को देखे जा रही थी।
अभी कॉलेज से आकर मैंने अपना ड्रेस भी नहीं बदला था। मैं अपनी चूचियों को शर्ट के ऊपर से ही मसलने लगी। अंकल और अम्मी को बड़ा मजा आ रहा था।
अम्मी ने अंकल की पैंट में अपना हाथ डाला हुआ था। वह अंकल के लण्ड को सहलाने लगीं.. जिससे अंकल का लण्ड खड़ा होकर 6 इंच का हो चुका था।
अंकल ने अपना एक हाथ अम्मी की सलवार में डाल दिया.. शायद उनकी चूत गीली हो चुकी थी और थोड़ा-थोड़ा चिपचिपा पानी निकल रहा था।
अंकल ने अम्मी की सलवार का इज़ारबंद खोलना चाहा.. तो अम्मी ने हाथ पकड़ कर रोक दिया- अभी नहीं, फ़ातिमा आ गई है स्कूल से.. रात को..
अम्मी अपने कपड़े सम्हालते हुए किचन से बाहर आ गई थी। उन्होंने खाना लगाया और मुझे आवाज़ दी। हम तीनों ने मिलकर लंच किया।
फिर मैं टीवी देखने लगी अम्मी और अंकल आराम करने लगे। मैं यह समझ चुकी थी कि आज रात को मेरी अम्मी राज अंकल से चुदवायेंगी।
मैं यही सोच-सोच कर खुश हो रही थी कि आज मुझे अंकल-अम्मी की चुदाई देखने को मिलेगी।
फिर रात को राज अंकल अम्मी और मैं खाना खाकर रात साढ़े दस बजे सोने लगे, मुझे नींद तो आ नहीं रही थी।
तकरीबन दो घंटे ऐसे ही बीत गए। मेरी आँख हल्की सी लगने लगी थी। तकरीबन 15 मिनट बाद मेरे कानों में चूड़ियों के खनकने की आवाज सुनाई पड़ी। मेरी नींद खुल चुकी थी.. मैंने धीरे से अपने कमरे की खिड़की खोली.. जो कि अम्मी के कमरे की तरफ खुलती थी।
राज अंकल मेरी अम्मी के बदन पर अपना हाथ फेर रहे थे, वो शरमा रही थीं, अंकल ने उनका सफ़ेद दुपट्टा निकल कर अलग कर दिया था और उनके कन्धे पर हाथ रख दिया।
वो वहाँ से उठकर जाने लगीं.. अंकल ने अम्मी को पीछे से कस कर पकड़ कर अपने होंठ उनकी गर्दन पर रख दिए।
वो थोड़ा छूटने के लिए कसमसाईं.. उनके चहरे पर एक घबराहट सी थी- राज.. है तो यह गलत ना..
कुछ गलत नहीं है शाज़िया.. तुम्हारे शौहर मेरे दोस्त हैं.. और फिर तुम्हारी भी तो कुछ ज़रूरतें हैं।
राज अंकल ने अम्मी की गर्दन पर अपने होंठ फिराते हुए कहा।
अम्मी ने एक लम्बी सी सांस लेते हुए आँखें बंद कर ली थीं- मुझे डर लगता है.. किसी को मालूम पड़ गया तो?
अम्मी थोड़ा झिझक रही थीं.. लेकिन फिर धीरे-धीरे उनका विरोध कम हो गया और अम्मी ने खुद को ढीला छोड़ दिया।
अंकल ने उन्हें अपने पास खींचा और अम्मी के गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
वो थोड़ा ना-नुकर करते हुए बोलीं- तुम्हें नहीं लगता कि हम जो कर रहे हैं, ये सब गलत है.. मुझे अपने शौहर को धोखा नहीं देना चाहिए।
अंकल ने कहा- शाज़िया.. हम दोनों जो कर रहे हैं.. वो दो जिस्मों की जरुरत है.. तुम्हारे शौहर अल्ताफ मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं.. दुबई जाने से पहले उन्होंने मुझसे कहा था कि मैं आपका और आपकी बेटी फ़ातिमा का ख्याल रखूँ.. यदि तुम्हारा शौहर तुम्हारी इस जरूरत को पूरा करता है.. तो तुम बेशक जा सकती हो.. इस उम्र में ये सब सामान्य बात है। इसे धोखा नहीं कहते हैं.. यह तुम्हारी ज़रूरत है।
राज अंकल ने अपनी बात को जोर देते हुए अम्मी को समझाया था।
अम्मी मन ही मन में अंकल साथ देना चाहती थीं.. पर सीधा कह न सकीं। अंकल भी उसके मन की बात समझ गए और उसे चूमने लगा। धीरे-धीरे अम्मी ने खुद को समर्पित कर दिया था और अब उनका विरोध समाप्त हो चुका था।
मैं खिड़की से झांकते हुए अपनी अम्मी को अपने पापा के दोस्त से चुदते हुए देख रही थी।
उन दोनों ने तकरीबन दस मिनट तक किस किया। अब अम्मी की शर्म खत्म हो गई थी.. वह भी खुल गई थीं और अंकल का भरपूर साथ दे रही थीं।
अंकल उनके गाल के बाद उनके वक्ष स्थल पर चुम्बन करने लगे, इससे वो उत्तेजित हो गईं। वह उनके स्तनों को सहला रहे थे.. और उनके चूचुकों को अपनी उँगलियों से दबा कर मसल रहे थे.. अम्मी पूरी तरह गर्म हो गई थीं।
यह सब देख कर मेरे दिल में एक अजीब सी बेचैनी होने लगी थी। मेरा हाथ खिड़की पर खड़े हुए ही अपनी सलवार के अन्दर न चाहते हुए भी चला गया था।
उधर अंकल ने अपना हाथ अम्मी के पेट के ऊपर से सहलाते हुए उनकी सलवार में सरका दिया था.. शायद उनका हाथ अम्मी की चूत पर था।
‘आह्ह्ह.. राज..’
अम्मी मचल उठी थीं.. फिर अंकल अम्मी को अपनी गोद में उठाकर बिस्तर पर ले गए। उनको बिस्तर पर लेटा कर पीछे से उनकी कुर्ती की डोरियाँ खोलने लगे।
अम्मी ने फिर से थोड़ी ना-नुकुर की..
पर अंकल ने कहा- अब मुझे मत रोको.. जब भी मैं तुम्हारे जिस्म को मज़ा देता हूँ, हर बार तुम ऐसे करती हो कि जैसे मैं पहली बार तुम्हारे साथ ऐसा कर रहा होऊँ? हर बार तुम ना नुकुर करती हो?
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