RE: Sex Kahani सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी
प्यासी अम्मी की चूत पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी.. इसलिए राज अंकल को भी कोई दिक्कत नहीं हुई। पाँच मिनट बाद राज अंकल बिस्तर पर अम्मी के ऊपर जा पहुँचे और अम्मी के पीठ की चुम्मियाँ लेने लगे।
मैं यह सब देख रही थी.. लेकिन मैंने अपनी खिड़की अधखुली कर रखी थी इसलिए अम्मी.. अंकल को कोई शंका नहीं हुई।
राज अंकल धीरे अम्मी के दूध दबाने लगे.. अम्मी के मुँह से आवाजें निकलनी शुरू हो गई थीं। राज अंकल ने धीरे से अम्मी की गुलाबी सलवार का इजारबंद खोल दिया और धीरे से कुर्ती भी ऊपर सरका दी। अम्मी अब अधनंगी हो चुकी थीं। उन्होंने अपनी कमर पर एक काली डोरी बांधी हुई थी। राज अंकल के द्वारा अम्मी की चुदाई को देख कर मैं पागल हो रही थी।
राज अंकल ने इतनी जोर से अम्मी के दूध दबाए और चूसे कि अम्मी ‘आ.. आहा.. अआ.. हह्हा..आआह्ह.. धीरे से..’ करने लगीं।
राज अंकल ने धीरे-धीरे अम्मी की सलवार घुटनों तक सरका दी और उनकी काली चड्डी के ऊपर से ही अम्मी के चूतड़ दबाने और चूमने लगे। अम्मी ने करवट बदली और खुद ही अपने जम्पर को उतार कर फेंक दिया। अम्मी अब ब्रा और पैंटी में थीं।
मैंने आज पहली बार अपनी अम्मी का गोरा जिस्म देखा था। ब्रा-पैंटी में वो मुझे उस समय बहुत ही कामुक.. सुन्दर और मासूम लग रही थीं, वे 34 साल की होने के बावजूद इस वक़्त जवान लड़की लग रही थीं।
अंकल अम्मी को अपनी बाँहों में लेकर.. उनके होंठों को चूसने लगे, अब वो भी अंकल का साथ दे रही थीं।
मेरे लिए यह अनुभव जन्नत से कम नहीं था। राज अंकल ने उठकर अम्मी के पाँव सहलाने शुरू कर दिए और उसमें गुदगुदी करने लगे। अम्मी अपना पाँव हटाने लगीं।
वह दोनों किसी प्रेमी जोड़े की तरह एक-दूसरे से खेल रहे थे, उनके अन्दर कोई जल्दबाजी नहीं थी, दोनों एक-दूसरे को प्यार कर रहे थे।
राज अंकल उनकी पायल को चूमने लगे और हाथ से पाँव पर मालिश करने लगे। राज अंकल धीरे से अम्मी की पैंटी की तरफ पहुँचे और उसे उतार कर किनारे रख दी।
उनका लण्ड जो इतना खड़ा हो चुका था कि चड्डी फाड़ रहा था। अंकल पूरे नंगे हुए और अम्मी की टांगें ऊपर करके अपना सात इंच का लण्ड अम्मी की फूली हुई चूत में डाल दिया।
अम्मी सिसकार उठीं- अअह आआ.. आआह.. अहह..हाहा आआहह्ह..हा राज धीरे-धीरे.. फ़ातिमा उठ जाएगी.. अहह्ह..सिइइइ..
अम्मी ने मेरे जाग जाने के डर से अपनी आवाजें बंद कर लीं। राज अंकल धीरे-धीरे चुदाई की गति तेज करने लगे। अम्मी की चूड़ियाँ खन-खन कर रहीं थीं।
अंकल उनको तेज-तेज चोदने लगे।
अम्मी भी अंकल के कंधे को पकड़ कर अपनी तरफ खींच रही थीं.. वैसे ही राज अंकल भी तेज स्पीड में उनकी चूत में धक्के लगा रहे थे। उनका सात इंच का लण्ड अम्मी की चूत में पूरा पेवस्त हो रहा था। अम्मी अपनी टांगें ऊपर किए हुए बिस्तर पर पड़ी लम्बी-लम्बी साँसें भर रहीं थीं।
तकरीबन आधे घंटे तक राज अंकल अम्मी को लण्ड डालकर चोदते रहे.. उसके बाद वे दोनों शांत हो गए। इसी के साथ उनकी पायलों की ‘छुन-छुन’ भी बंद हो गई थी। शायद राज अंकल झड़ चुके थे।
वह दोनों काफ़ी देर बिस्तर पर नंगे ही पड़े रहे.. उसके बाद फिर वो दूसरी बार के लिए तैयार हुए।
कुछ देर बाद उन्होंने अम्मी को फिर से चूमना-चाटना शुरू कर दिया। अम्मी ने भी राज अंकल के लण्ड को मुँह में लेकर उनके लौड़े को चूसना शुरू किया। पहली ठोकर के सारे वीर्य साफ़ को किया।
राज अंकल अम्मी को फिर से प्यार करने लगे। उनके दूध दबाने शुरू कर दिए। अब राज अंकल का लौड़ा फिर से हाहाकारी हो गया था। इस बार उन्होंने अम्मी को उल्टा किया.. मतलब अंकल ने अम्मी को कुतिया बना दिया।
‘ऐसे पीछे नहीं राज…’
‘तुम जानती हो मुझे कुतिया बना कर तुम्हारी गाण्ड मारना बहुत अच्छा लगता है.. शाज़िया..’
राज अंकल ने अपना मूसल अम्मी की गाण्ड के छेद में लगाया और उनके चूतड़ों पर एक थपकी दी।
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