RE: Sex Kahani सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी
कुछ देर के बाद मैं पूरी तरह से गर्म हो गई। फिर अंकल ने अपना लोअर खोला और अपना लण्ड मेरे हाथ में थमा दिया। उनका लण्ड अब तन कर पूरा 90 डिग्री का हो गया था।
मैं पहले तो शरमाई.. लेकिन कुछ देर के बाद जब उन्होंने फिर से लण्ड पकड़ाया.. तो मैं थोड़ा खुल गई।
अंकल ने बोला- इसे सहलाओ और आगे-पीछे करो।
मैं वैसा ही करने लगी।
अंकल ने फिर मेरी नन्हीं सी मासूम चूत में एक उंगली डाल दी। मैं जोर से ‘आह्ह्ह..’ करके सिस्कार उठी। कुछ देर के बाद मैंने अपनी चूड़ीदार पजामी खुद उतार दी।
‘वाह.. क्या नन्हीं सी पिंक.. बिना बाल की चूत है.. आज तो मैं तुझे कली से फूल बनाऊंगा.. मेरी गुड़िया रानी..’
अंकल ने हाँफते हुए कहा।
मेरी चूत पूरी भीगी हुई थी। मेरी चूत पर एक भी बाल नहीं था.. हल्का सा रोंया ही अब तक आया था। मेरी चूत पूरी पावरोटी की तरह फूली हुई थी।
फिर अंकल ने मुझे अपना लण्ड चूसने के लिए बोला.. मैंने मना कर दिया।
अंकल ने बोला- कुछ नहीं होता..
मैं बोलने लगी- नहीं.. मुझे घिन आ रही है..
‘देखो इस तरह से चूसो..’
यह कहते हुए राज अंकल ने मेरी चूत को चूसना शुरू कर दिया।
मैं चिल्लाने लगी- आह्हह्हह्हह.. अंकल नहीं.. बस करो..
अंकल अपनी जीभ से मुझे चोद रहे थे.. मेरे मुँह से सिसकारियाँ फूट रही थीं ‘अंकल आह्ह.. मेरी चूत में आग लग रही है.. अहह्ह्ह.. कुछ करो..’
वे लगातार मेरी चूत को चूसते रहे।
मैं जोर से चिल्ला रही थी- और जोर से.. आह्ह..
मैं अपने हाथ से उनके सिर को अपनी चूत के ऊपर खींच रही थी। अपने पैरों को कभी ऊपर तो कभी दोनों जांघों को जोर से दबा रही थी.. कभी-कभी मेरी साँसें फूल जाती थीं।
कुछ देर के बाद मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया.. अंकल ने सारा का सारा पानी पी लिया।
मैं बिस्तर पर नंगी निढाल पड़ी थी। वो मेरे गोर दुबले-पतले नाज़ुक जिस्म को देख रहे थे। मैं जोर से हाँफ़ रही थी.. जैसे कोई कई मील से दौड़ कर आई होऊँ।
‘डरती है मेरी गुड़िया रानी.. अंकल से डरती है? कुछ हुआ मेरी बेबी.. मज़ा आया ना?’
अंकल ने मुझे सीधे लिटा कर प्यार से कहा।
मैंने हाँ में सिर हिलाया।
अब अंकल का मुँह मेरे सामने था.. उनका चेहरा लाल हो चुका था। वो मेरे चेहरे की तरफ देख भी नहीं रहे थे। उन्होंने अपने इनर को उठाया.. लोअर नीचे सरका कर अपने लौड़े को बाहर निकाला।
उस वक्त तो मुझे पता नहीं था कि मेरा यौनांग कुछ छोटा था।
मुझे थोड़ा अजीब जरूर लग रहा था.. पर कामोत्तेजना बहुत हो रही थी। अंकल ने मेरी टांगें फैला दीं और खुद टांगों के बीचों-बीच आ गए।
उन्होंने लौड़े पर थूक लगाया और योनिद्वार के ठीक बीचों-बीच मुझे उनका लौड़ा महसूस हुआ। उन्होंने मेरे दोनों घुटनों को अपने हाथों से थामा और जोर का एक धक्का लगाया ‘आआआ.. ईईई आश्स्श्श्श.. अम्मी….
मेरी तो जैसे जान ही निकल गई.. मैं छूटने के लिए तड़पने लगी। नीचे मेरी चूत में जलन सी हो रही थी।
‘धीरे से.. धीरे से.. कुछ नहीं होगा मेरी गुड़िया रानी को..’
यह कहते हुए अंकल मेरे मासूम नन्हें अधखिले वक्ष-उभार मसलने लगे और मुझे चूमने लगे।
पहली बार मेरी चूत में कोई लण्ड गया था। कॉलेज में मुझे कई सारे लड़के मुझे लाइन मारते थे.. लेकिन मैंने सोचा नहीं था कि यह सौभाग्य राज अंकल को मिलेगा।
लगभग 5 मिनट में मेरा दर्द कुछ कम हुआ.. तो मुझे अच्छा लगने लगा और मैं खुद ही कमर हिलाने लगी और कूल्हे उठाने लगी।
अंकल ने मेरी कमर के नीचे तकिया लगाया और हल्के-हल्के धक्के लगाने शुरू कर दिए और लगभग दो मिनट में उनकी रफ्तार बहुत तेज हो गई।
अब मुझे भी बहुत मजा आ रहा था.. मेरी योनि में मीठी सी चुभन मुझे आनन्द भरी टीस दे रही थी।
लगभग 7-8 मिनट तक धक्के लगाने के बाद मुझे चरमोत्कर्ष प्राप्त होने लगा और मुझे योनि के अन्दर संकुचन सा महसूस हुआ। मुझे योनि के अन्दर कुछ रिसता हुआ सा महसूस हुआ.. अंकल ने लौड़ा झटके से बाहर निकाला और सारा वीर्य मेरे योनि मुख और मेरे पेट पर गिरा दिया.. और मेरे ऊपर गिर गए।
वे झड़ चुके थे और लम्बी-लम्बी सांसें लेने लगे।
मुझे चूत में दर्द महसूस हो रहा था.. मेरी चूत खून से लथपथ हो गई थी.. मैं डर गई थी।
तब अंकल ने बताया- पहली बार में ऐसा होता है..
मैंने चड्डी चूत पर चढ़ा ली।
कुछ देर बाद अंकल मेरे छोटे-छोटे चूतड़ों को मसलने लगे और फिर से मेरी चड्डी को कमर तक खिसका दिया। मैं आँखें बंद करके चुपचाप लेटी हुई थी।
अंकल मेरे ऊपर छा गए थे। उनका लौड़ा मेरी चूत में दुबारा घुस गया था.. मैं एकदम से थक कर चूर हो गई थी। ऐसा लग रहा था कि न जाने कितनी दूर से दौड़ लगा कर आई होऊँ।
कुछ देर अंकल का लण्ड मेरी चूत में ही पड़ा रहा.. अंकल ने अपनी आँखें खोलीं और मेरे सुनहरे घने बालों में अपना दुलार भरा हाथ फिराया। हम दोनों एक-दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे।
उन्होंने अपना लण्ड मेरी चूत से बाहर खींचा..
फिर अंकल ने लोअर पहना और बाथरूम में घुस गए..
मैं चुपचाप हल्की सी आँख खोलकर उनको देख रही थी.. जैसे ही वो अन्दर घुसे.. मैंने जल्दी-जल्दी अपनी पजामी ऊपर खींची.. कपड़े और बाल ठीक-ठाक किए और जल्दी से वहाँ से बाहर निकल आई.. क्यूंकि मेरा मन अंकल से नजर मिलाने को नहीं हो रहा था।
मेरे ख्याल से इस सारे प्रकरण में अंकल का कोई दोष नहीं था। मैं जानती थी कि मेरी अम्मी शाज़िया जो 34 साल की जवान और खूबसूरत औरत हैं.. उनके साथ जो हो रहा था.. वह मेरे साथ भी कभी भी हो सकता है.. लेकिन आज ही के दिन यह सब हो जाएगा.. मैं नहीं जानती थी।
|