RE: Sex Kahani सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी
कमरबंद खींचते ही अम्मी की सलवार उनके शरीर से खिसक कर सरसराती हुई नीचे फ़र्श पर आ गिरी। अम्मी की सफ़ेद दूधिया माँसल टांगें नंगी हो चुकी थीं।
‘शाज़िया.. तुम कितनी सुन्दर हो..’
अम्मी ने मुस्कुराते हुए नजर नीची कर ली.. अंकल ने आगे बढ़ कर अम्मी को प्यार से गले लगा लिया। उनका दुपट्टा अलग करके उनके होंठों पर अपने होंठ लगा दिए थे, अम्मी तो जैसे उनसे चिपट सी गई थीं, दोनों के लब एक-दूसरे से मिल गए।
गहरे चुम्बनों का आदान-प्रदान होने लगा। अब जय अंकल अम्मी के नंगे भारी-भारी चूतड़ों को चीर कर उनकी गुदा द्वार में उंगली डाल रहे थे।
‘आउच…’
अम्मी के मुख से एक प्यारी सी ‘आह’ निकल पड़ी। पजामे में से अंकल का लण्ड उभर कर बाहर निकलने हो रहा था। अम्मी ने एक बार नीचे उनके लण्ड को देखा और अपनी चड्डी से ढकी चूत उनके लण्ड से टकरा दी। अब वो अपनी चूत वाला भाग लण्ड पर दबा रही थीं।
अंकल ने अपने दोनों हाथों से अम्मी की चूचियों को सहला कर दबा दिया.. तो अम्मी सिमट सी गईं।
‘शाज़िया.. मेरे लण्ड को भी प्यार करो..न..?’
अंकल ने अम्मी की गर्दन को चूमते हुए कहा।
मुस्कुराते हुए अम्मी धीरे से नीचे बैठ गईं और उनकी जीन्स को नीचे खिसका दिया.. फिर उसे धीरे से नीचे उतार दिया। अंकल का सात इंच का लण्ड बाहर आ गया.. उनका सुपाड़ा पहले से ही खुला हुआ था.. अम्मी ने मुस्करा कर ऊपर देखा और लण्ड को अपने मुख में डाल लिया। अंकल ने मस्ती में अपनी आंखें बन्द कर ली।
अब जय अंकल के हाथ अम्मी की ब्रा को खोलने में लगे थे.. अम्मी ने उनका लण्ड चूसना छोड़ कर पहले अपनी ब्रा को उतार दिया..
हाय रे… अम्मी के उरोज तो सच में बहुत सधे हुए थे.. हल्का सा झुकाव लिए.. चिकने और अति सुन्दर..
अम्मी ने फिर से उनका लण्ड अपने मुख में ले लिया और चूसने लगीं। अंकल के हाथ अम्मी के बालों में चल रहे थे.. उनके बाल खुल गए थे।
अब उन्होंने अम्मी को उठा कर खड़ा कर लिया- शाज़िया.. मुझे भी आप अपनी चूत को प्यार करने की इजाजत देंगी?’
जय की इस बात पर पहले तो अम्मी शरमा गईं.. फिर वो बिस्तर पर चित्त लेट गईं और उन्होंने अपनी दोनों टांगें ऊपर को खोलते हुए अपनी चूत पसार ली।
‘हाय.. शाज़िया.. इतनी चिकनी.. इतनी प्यारी.. लण्ड लगते ही भीतर फ़िसल जाए.. 34 साल की होकर भी तुम किसी कुंवारी लड़की से कम नहीं हो।’
‘ऐसे मत बोलो.. मेरी जान.. बस इसे चूम लो.. फिर चाहे जो करो.. भले ही उसमें अपना अन्दर उतार दो..’
जय- थैंक्स यार राज.. तेरे दोस्त की बीवी तो मस्त माल है.. मैं तो कहता हूँ कि परमानेंट बदल ले इसे मेरी बीवी से.. तू मेरी बीवी आयशा को जब चाहे.. जहाँ चाहे.. ले जाया कर.. और जैसे चाहे चोदा कर।
‘अरे यार.. तू भी शाज़िया को जब चाहे ले जा सकता है.. अब शाज़िया हम दोनों की दोस्त है।’
राज अंकल ने जय की इस बात का हँस कर जवाब दिया था।
‘अच्छा जी थोड़ा कम मस्का लगाओ..’
अम्मी को चुदने की बहुत लग रही थी.. इस पर अंकल ने अपना मुँह अम्मी की चूत पर लगा दिया.. और उनके दाने को उनके होंठों ने मसल दिया।
‘सीईईए..’ करते हुए अम्मी ने आँखें बंद कर लीं और अपनी चूत उछालने लगीं।
मेरी चूत में भी यह देख कर पानी उतर आया.. इधर मैं अपनी चूत को दबाने लगी।
अम्मी तो खुशी के मारे जैसे उछल रही थीं.. पर अंकल चूत से चिपके हुए उसका रस चूसने में लगे थे।
‘अब तड़पाओ मत.. जैसा मैं कहूँ वैसा करो..’
‘शाज़िया.. पीछे घूम कर कुतिया बन जाओ.. पहले तुम्हारी चिकनी गाण्ड मारूंगा..’
‘ओह.. तुम्हें भी गाण्ड मारना अच्छा लगता है.. कोई बात नहीं.. मेरे दोनों तरफ़ छेद हैं.. किसी को भी चोद दो.. पर पहले अपना ये लण्ड मुझे मुँह से चूसने दो ना..’
‘ओह.. जैसी शाज़िया जी की इच्छा..’
जय अंकल ने एक बार फिर बिस्तर पर बैठ गए और अम्मी को मुँह में अपना लण्ड दे दिया। अम्मी के मुँह से बीच-बीच में सिसकारी भी निकल जाती थी। वो अपने कठोर लण्ड को अम्मी के मुँह में मारते रहे और अम्मी ने अपनी चूत घिसवाना चालू कर दिया।
मुँह से लौड़ा चुसवाते हुए जैसे ही अंकल का वीर्य छलका.. अम्मी के मुँह से भी सीत्कार निकल पड़ी। अम्मी अंकल का सारा वीर्य गटक गई थीं.. और अब वे उनके लण्ड को चाट-चाट कर साफ़ करने लगी थीं।
‘इसमें आपको बहुत मजा आता है ना?’
‘हाँ’ कहते हुए उनके लण्ड को अम्मी ने हिलाया.. फिर अम्मी ने अंकल के लौड़े को अपने चिकने बोबे से लगा दिया और उसे अपनी छाती पर घिसने लगी।
अम्मी अब बिस्तर पर बैठ गईं और अपनी चिकनी चूत को उंगली से पहले सहलाने लगीं.. फिर चूत की फांक को मसलने सी लगीं। फिर अम्मी ने अपना दाना उभार कर देखा और उसे मसलने लगीं.. उन्होंने अपनी गीली चूत में अपनी उंगली घुसा ली और ‘आह’ भरते हुए हस्तमैथुन करने लगीं।
अम्मी जल्दी ही झड़ गईं.. वो शायद पहले से ही बहुत उत्तेजित थीं।
अम्मी के झड़ते ही जय अंकल अम्मी की चूत का रस चूसने लगे.. अम्मी ने उन्हें सिसकारी लेते हुए अपनी जांघों के बीच दबा लिया।
‘अब देखो.. मैं फ़िर तैयार हूँ.. अब मैं तुम्हारी जम कर गाण्ड चोदूँगा.. मजा आ जाएगा..’
अम्मी ने घोड़ी बन कर अपनी सुडौल गाण्ड पीछे की और उभार दी.. जय अंकल को गाण्ड मारने का शौक था, उन्होंने धीरे से लण्ड गाण्ड में डाल दिया और अम्मी मस्त हो गईं..
ये सब देखने में मुझे बहुत आनन्द आ रहा था।
अम्मी की गाण्ड को अंकल ने बहुत देर तक बजाया, अम्मी भी अंकल के स्खलित होने तक गाण्ड चुदाती रहीं।
अम्मी की गाण्ड मार कर अंकल सुस्ताने लगे।
‘जूस पियोगे या दूध लाऊँ?’
‘अभी तो दूध ही पियूँगा.. फिर जूस..’
‘ही ही ही..’
अम्मी जैसे ही दूध लाने के लिए उठीं.. अंकल ने उन्हें फिर से गोदी में खींच लिया और उनकी चूचियों को अपने मुँह से दबा लिया।
‘शाज़िया.. मेरी जान कहाँ जा रही हो.. अपने दूध नहीं पिलाओगी क्या?’
अंकल अम्मी को गुदगुदाते हुए दूध पीने लगे।
‘हुंह..’
मैं अपनी बुर में उंगली करते हुए सोच रही थी कि अंकल अम्मी के दूध तो खूब चूस-चूस कर पी रहे हैं.. मेरे तो चूसते ही नहीं हैं..
अम्मी गुदगुदी के मारे सिसकारियाँ भरने लगीं।
‘बहुत प्यारे हो तुम दोनों.. कैसी-कैसी शरारतें करते हो..’
दोनों नंगे ही एक-दूसरे के साथ खेल रहे थे.. खेलते हुए उन दोनों में फिर से आग भरने लगी थी। राज अंकल का लण्ड फुंफकारने लगा था।
‘अब देरी किस बात की है..’ अम्मी ने चुदासे स्वर में कहा।
‘नहीं मुझे अभी दूध पीने दो.. न..’
‘पहले बस एक बार.. मेरे ऊपर चढ़ जाओ.. मुझे शांत कर दो..’
अम्मी ने अपनी दोनों खूबसूरत सी टांगें उठा लीं.. अंकल उन टांगों के बीच में समा गए। कुछ ही पलों में अंकल का मोटा लण्ड अम्मी की चूत को चूम रहा था। चाचा का लण्ड अम्मी की चूत में घुसता चला गया।
अम्मी आनन्द से झूम उठी थीं।
इधर मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया.. मुझे भी एक मीठी सी गुदगुदी हुई।
मेरी अम्मी अपनी टांगें ऊपर उठा कर उछल-उछल कर चुदवा रही थीं और जय अंकल का लण्ड चूस रही थीं।
मेरा हाल इधर खराब होता जा रहा थ, अम्मी की मधुर चीखें मेरे कानों में रस घोल रही थीं।
दोनों गुत्थम-गुत्था हो गए थे.. कभी अंकल ऊपर तो कभी अम्मी ऊपर..! खूब जम कर चुदाई हो रही थी।
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