RE: Sex Kahani सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी
अम्मी को इस रूप में मैंने पहली बार देखा था.. वो एकदम रांड बनी हुई थीं। लगता था जिन्दगी भर की चुदाई वो तीनों आज ही कर डालेंगे।
तभी तीनों का जोश ठण्डा पड़ता दिखाई देने लगा..
अरे..!
क्या दोनों झड़ चुके थे?
सफ़र की इति हो चुकी थी.. हाँ सच में वो दोनों झड़ चुके थे।
जय अंकल ने मुस्करा कर अम्मी कर चूचे अपने मुँह में भर लिए और ‘पुच्च.. पुच्च..’ करके चूसने लगे।
अम्मी धीरे से नीचे बैठ गईं और जय का लण्ड पकड़ कर सहलाने लगीं, उसका लण्ड अपने मुँह में लेकर उसे चूसने लगीं।
जय कभी तो अम्मी की जांघें चूमता और कभी उनके बालों को सहलाता- जोर से चूसो शाज़िया डार्लिंग.. उफ़्फ़ बहुत मजा आ रहा है.. और कस कर जरा..
अब अम्मी जोर-जोर से ‘पुच्च.. पुच्च..’ की आवाजें निकालने लग गई थीं, जय की तड़प साफ़ नजर आने लगी थी।
फिर अम्मी ने गजब कर डाला.. अम्मी ने अपनी एक टांग उसके दायें और एक टांग जय के बायें डाल दी। जय का सख्त लण्ड सीधा खड़ा हुआ था, दोनों प्यार से एक-दूसरे को निहार रहे थे।
अम्मी उसके तने हुए लण्ड पर बैठने ही वाली थीं.. मेरे दिल से एक ‘आह..’ निकल पड़ी ‘अम्मी प्लीज ये मत करो.. प्लीज नहीं ना..’
पर अम्मी तो बेशर्मी से किसी रंडी की तरह उसके लण्ड पर बैठ गईं।
‘अम्मी घुस जायेगा ना.. ओह्हो समझती ही नहीं है..’
पर मैं उनके लण्ड को किसी खूँटा की तरह अम्मी की चूत में घुसता हुआ देखती ही रह गई.. कैसा चीरता हुआ अम्मी की चूत में घुसता ही जा रहा था।
फिर अम्मी के मुँह से एक आनन्द भरी चीख निकल गई।
‘उफ़्फ़्फ़.. कहा था ना जड़ तक घुस जाएगा.. पर ये क्या..? अम्मी तो जय से जोर से अपनी चूत का पूरा जोर लगा कर उससे लिपट गईं और अपनी चूत में लण्ड घुसवा कर ऊपर-नीचे हिलने लगीं।
अह्ह्ह.. खुदा वो तो मस्त चुद रही थीं.. सामने से जय अम्मी की गोल-गोल कठोर चूचियाँ मसल-मसल कर दबा रहा था। उसका लण्ड बाहर आता हुआ और फिर ‘सररर..’ करके अन्दर घुसता हुआ मेरे दिल को भी चीरने लगा था।
मेरी चूत का पानी निकल कर मेरी टांगों पर बहने लगा था। पूरी रात राज अंकल और उनके दोस्त जय ने मेरी अम्मी को किसी रांड की तरह चोदा था।
मुझे अपनी बारी का इंतज़ार था.. जो कि जल्द ही आने वाली थी।
मैं अपने बिस्तर पर आ गई और चूत में उंगली डाल कर अन्दर-बाहर करने लगी।
संयोग से एक रात को अम्मी को चुदवाते हुए देखकर मैं अपनी चूत में उंगली कर रही थी कि मेरे मुँह से सीत्कार निकल गई जिसको अम्मी ने सुन लिया। मैं जान नहीं पाई कि क्या हुआ लेकिन अगले दिन अम्मी का व्यवहार कुछ बदला-बदला सा था।
मुझसे रहा नहीं गया.. मैंने अम्मी से पूछा- क्या बात है अम्मी.. आज बहुत उदास हो?
अम्मी ने कहा- नहीं ऐसी तो कोई बात नहीं है।
कुछ देर के बाद अम्मी ने मुझे अकेले में बुलाया और बोलीं- कल रात..
इतना सुनते ही मेरे कान खड़े हो गए.. मेरा चेहरा लाल हो गया।
तब अम्मी ने कहा- देखो बेटी मेरी उम्र इस वक़्त 32 साल है.. और तुम जानती हो कि तुम्हारे पापा बाहर रहते हैं.. उनको दुबई गए हुए दो साल से ऊपर हो गया।
ये सब कहते हुए अम्मी का गला भर आया.. उनकी आँखों से आंसू छलक पड़े। मैंने अम्मी को दिलासा दिया और कहा- मैं समझती हूँ.. कोई बात नहीं है अम्मी।
मेरी इस बात से उनका दिल कुछ हल्का हुआ और वो बोलीं- बेटी तुम नाराज़ नहीं हो न मुझसे?
मैंने कहा- नहीं अम्मी.. इसमें नाराज़ होने वाली कौन सी बात है.. ऐसा तो सबके साथ होता होगा?
अम्मी के चहरे पर कुछ मुस्कान आई।
मैं उस वक़्त कुछ और नहीं बोली।
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