RE: Sex Kahani सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी
उस दिन के बाद मैं तीन रातों तक अम्मी के चुदने का इंतज़ार करती रही लेकिन राज अंकल नहीं आए, उनकी चुदाई नहीं हुई।
अब मैं अम्मी की हमराज़ हो ही गई थी, मैंने अम्मी से पूछा- क्यों अम्मी.. आजकल अंकल रात को क्यों नहीं आ रहे हैं?
अम्मी ने थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए कहा- तुमको क्या दिक्कत हो रही है?
इधर मेरा भी तो राज के बिना बुरा हाल था, मुझे भी अंकल से चुदे कई दिन हो चुके थे। अम्मी के साथ-साथ मेरी चूत को भी लण्ड की ज़रूरत सताने लगी थी।
जिसका नतीजा यह हुआ कि मैंने बेअदबी के साथ अम्मी से कह दिया- अम्मी मुझे भी वही चाहिए.. जो तुम रोजाना रात को अपनी चूत में डलवाती हो।
अम्मी तो बिल्कुल सन्न रह गईं, उन्हें मुझसे ऐसे जवाब की उम्मीद नहीं थी- देखो फ़ातिमा, तुम अभी बच्ची हो।
‘अम्मी मैंने आपको बताया नहीं.. राज अंकल मेरे साथ भी वो सब कर चुके हैं।’
‘क्या..???’
मेरे जवाब से अम्मी के पैरों तले जैसे ज़मीन खिसक गई थी।
‘अम्मी प्लीज़..’ मैंने अम्मी के गले लगते हुए कहा।
मेरी जिद के आगे अम्मी मजबूर हो गई थीं, उन्होंने कहा- ठीक है.. तुम्हारी चूत में भी लण्ड पेलवा दूँगी.. लेकिन ध्यान रहे पापा को ये सब बातें मालूम नहीं होनी चाहिए।
मैंने ख़ुशी से उछलते हुए कहा- ओके अम्मी.. तुम कितनी अच्छी हो।
दोस्तो.. जब मेरी अम्मी ने मुझसे कहा कि वे मेरी चूत में लण्ड पेलवा देंगी.. तो मैं बहुत खुश हुई कि मैंने अम्मी को मजबूर कर दिया था।
वैसे तो राज अंकल मुझे कई बार चोद चुके थे.. लेकिन अब मैं यह सब बिना डरे करना चाहती थी।
उसी दिन जब मैं नहाने जा रही थी तो अम्मी बाथरूम में आ गईं और दरवाजा बंद कर लिया।
वे बोलीं- अपने कपड़े उतारो।
मैंने अम्मी से कहा- अम्मी.. मुझे शर्म आएगी।
अम्मी ने मुझे डांटते हुए कहा- छिनाल कहीं की.. चूत और लण्ड का खेल देखकर पेलवाने की तुम्हारी हवस जाग उठी.. लेकिन यह नहीं जानती हो कि मर्द को क्या पसंद आता है? मर्द को चिकनी चूत चाहिए.. देखूं तुम्हारी झांटें साफ़ हैं या नहीं?
इसी के साथ अम्मी ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और पूरी तरह नंगी हो गईं, उनकी चूत के बाल एकदम साफ़ थे।
सच में क्या शानदार चूत थी अम्मी की.. मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि मैं इसी चूत के रास्ते बाहर निकली हूँ।
मैं भी फटाफट अपनी सलवार कुर्ती उतार कर नंगी हो गई। अम्मी ने मेरी चूत को सहलाया और बोली- आज तुम्हारे अंकल इसमें अपना लण्ड पेलकर बहुत खुश होंगे। एक बात बता दूँ.. उन्होंने मुझसे एक बार कहा था कि शाज़िया.. एकाध नए माल का इंतज़ाम करो.. पैसों की फ़िक्र मत करना।
अम्मी ने मुझे रगड़-रगड़ कर अच्छी तरह नहलाया.. मेरी चूत के बाल साफ़ किए और तब बोलीं- अब तुम्हारी चूत लण्ड लेने के लिए एकदम तैयार है।
शाम को जय अंकल आए तो मैं उनको निहारती रह गई। क्या बलिष्ठ गठा हुआ बदन पाया था अंकल ने..! मैं समझी कि अम्मी राज अंकल की बात कर रहीं हैं लेकिन मेरी चुदाई का प्रोग्राम जय अंकल के साथ था।
हम लोग खाना खाकर लेटने की तैयारी करने लगे। आज हम तीन लोग एक ही कमरे में एक ही बिस्तर पर आ गए।
अम्मी ने अंकल से कहा- क्यों जी.. आप किसी नए माल के बारे में कह रहे थे.. आज मैं अपनी मासूम बच्ची को आपके हवाले कर रही हूँ.. लेकिन ध्यान रखिएगा.. कि बेचारी की चूत एकदम कोरी है बहुत आराम से पेलिएगा..
‘फ़िक्र मत करो शाज़िया.. बस तुम देखो कैसे आज मैं तुम्हारी इस बच्ची को मासूम कच्ची कली से पूरी औरत बनाता हूँ।’
‘हम्म..’
अंकल बोले- शाज़िया.. तुम भी तो साथ ही रहोगी.. जब मैं इसकी बुर में अपना डंडा पेलूँगा.. तो तुम देखती रहना।
अम्मी ने कहा- हाँ मेरा रहना ज़रूरी है.. क्या पता तुम क्या हाल करोगे मेरी बच्ची का..
अम्मी ने हँसते हुए जवाब दिया।
मैं बोली- अम्मी मैं बच्ची नहीं हूँ.. आप ऐसे ही डर रही हो..
इस दौरान अम्मी ने कुर्ती और सलवार निकाल दी, मेरी बुर को सहलाकर अंकल को दिखाकर बोलीं- देखो जी कितनी चिकनी गुलाबी चूत है.. मेरी रानी बिटिया की..
मैंने अंकल के पजामे पर हाथ फ़ेरते हुए कहा- अंकल इस उम्र में भी आपका लण्ड भी कोई कम नहीं है..
अम्मी ने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए, अंकल भी अपने कपड़े उतार चुके थे, अब हम तीनों मादरजाद नंगे थे। अंकल मेरे होंठों को चूसते हुए एक हाथ से मेरी चूत को सहला रहे थे.. तथा दूसरे हाथ से अम्मी की गाण्ड सहला रहे थे।
मैं तो गर्म होने लगी.. लेकिन अम्मी अभी गरम नहीं हुई थीं।
अम्मी ने मुझसे पूछा- क्यों बेटी.. लण्ड चूसोगी?
मैंने कहा- आप लोग जैसा आदेश करें.. मैं तो अनाड़ी हूँ.. मुझे आप लोगों की निगाहबानी में ही चूत चुदवानी है।
अम्मी बोलीं- तब ठीक है..मैं जैसा कहती हूँ.. तुम वैसा करो।
हम तीनों ऐसी पोजीशन में हो गए कि मैं जय अंकल का लण्ड चूस रही थी। अम्मी मेरी चूत चाट रही थीं और अंकल अम्मी की चूत चाट रहे थे.. अर्थात तीनों लोगों ने एक सर्किल बना रखा था।
मैं तो अम्मी द्वारा चूत की चटाई से ही एक बार झड़ गई।
थोड़ी देर बाद मैंने अम्मी से कहा- अम्मी.. मेरी बुर में जल्दी लण्ड डलवा दो नहीं तो मैं पागल हो जाऊँगी।
अम्मी ने कहा- अच्छा.. अपनी टांगें फैलाकर पीठ के बल लेट जाओ.. मैं वैसलीन की शीशी लाती हूँ।
अम्मी ने मेरी चूत के अन्दर वैसलीन लगा दी और अंकल से बोलीं- मेरी रानी बिटिया की कुंवारी चूत को अपने लम्बे लण्ड से आबाद कीजिए।
अम्मी ने अंकल के सुपाड़े पर भी वैसलीन लगा दी। अंकल ने मेरी टांगों को फैलाकर लण्ड को मेरी प्यासी चूत के मुहाने पर रखा और मेरी अम्मी ने अंकल के पीछे से मेरी चूत को फैला रखा था।
अंकल ने धक्का लगाया लेकिन ललिताना चूक गया।
मेरी चूत लौड़े के लिए तड़प रही थी.. कि जल्दी से उसमें लण्ड घुसे, मैं लगभग रोते हुए बोली- अम्मी.. पेलवा दो न.. क्यों देरी हो रही है?
अम्मी ने कहा- इस बार घुस जाएगा बेटी.. घबराओ मत.. मैं भी तो लगी हूँ इसी कोशिश में.. पेलिए जी मेरी बेटी को.. देखो बेचारी तड़प रही है।
जब इस बार अंकल ने अपना सुपाड़ा घुसा दिया तो मुझे लगा कि मेरी जान निकल जाएगी.. लेकिन मैंने अपने दांत भींच लिए।
‘आईईए.. अम्मी.. दर्द हो रहा है..’
मैंने सोचा नहीं था कि जय अंकल का लण्ड राज अंकल से मोटा और लम्बा भी है।
‘बस.. बस.. धीरे धीरे.. जय.. अभी ये कमसिन कुंवारी है..’
अम्मी मेरी चूत को पीछे से सहला रही थीं ताकि दर्द न हो।
अंकल ने थोड़ा और घुसाया तो मुझे लगा कि अब पूरा हो गया.. लेकिन जब मैंने अंकल से कहा- अब धक्का लगाइए.. तो उनके बोलने से पहले अम्मी ने बाहर निकले हुए लण्ड को नापकर कहा- बस बेटी 5 इंच लण्ड अभी बाहर है.. 3 इंच तो तुमने निगल लिया है।
यह सुनकर मेरी तो हालत खराब हो गई.. खैर अंकल ने थोड़ा और जोर लगाया.. तो दो बार में पूरा लण्ड जड़ तक घुस गया। अंकल ने स्पीड तेज़ की तो धीरे-धीरे मुझे मज़ा आने लगा।
मैं बोलने लगी ‘आह्ह्ह्ह ऊह..ह उह.. पेल दो अंकल.. फाड़ दो मेरी बुर को.. उफ़..’
थोड़ी देर के बाद ‘फच.. फच..’ की आवाज़ आने लगीं।
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.. अंकल ने मेरी छोटी-छोटी कच्ची गुलाबी चूचियों के निप्पल को दबा-दबा कर लाल कर दिया था।
उधर अम्मी मेरी चूत को सहला रही थीं.. बीच-बीच में वह मेरी चूत और उसमें फंसे हुए लण्ड को चाटने भी लगती थीं।
अम्मी सिर्फ कॉलेज में ही नहीं बल्कि बिस्तर पर भी एक अच्छी टीचर थीं।
कुछ देर के बाद मुझे ऐसा लगा कि मैं आसामान में उड़ रही हूँ। अंकल ने मेरे छोटे से दुबले-पतले जिस्म को अपने कसरती शरीर में खूब जोर से भींच लिया था।
मैं अपनी गाण्ड इस क़दर उचकाने लगी कि लण्ड खूब गहराई तक घुस जाए।
अब मेरा काम-तमाम होने वाला था। मैं बड़बड़ाने लगी- अह.. मेरे राजा उन्ह.. आह औउच.. ओह.. मैं आ गई.. आह..ह ह हह ओह.. ओहोहोह..
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