RE: Sex Kahani सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी
इससे आगे की कहानी मेरे यानी शाजिया की ज़ुबानी
मेरे पति वसीम दुबई की एक कंपनी में आई टी ऑफिसर हैं। दो साल में ही मैंने पति के दोस्त राज का किराये का घर छोड़ कर एक अच्छी हाई प्रोफाइल कालोनी में तीन बेडरूम वाला फ़्लैट ले लिया था, घर में आराम की तमाम चीज़ें हैं और हौंडा सिटी कार भी है। दोहरी इनकम की वजह से मेरे पास पैसे की किल्लत नहीं रही थी, ऊपर से पति की ऊपरी कमाई भी हो जाती है जिसके चलते मैं अपने शौक कपड़े लत्ते, जूते और गहनों वगैरह पर खुल कर खर्च करती हूँ।
उन दिनों मेरे पति दुबई से छुट्टी पर आये हुए थे, 38 की उम्र में वैसे तो मुझे दो तीन बच्चों की माँ बन जाना चाहिये था लेकिन ऐसा नहीं हुआ, मेरी सिर्फ एक 18 साल की बेटी फ़ातिमा ही थी और इसकी वजह है मेरे पति की दूरी!
मेरा पति वसीम अपनी बच्चे जैसी लुल्ली से मेरी जिस्मानी ज़रूरतें पूरी नहीं कर पाता, इसके अलावा वसीम को दुबई से शराब पीने की भी बहुत आदत लग गई थी और अक्सर देर रात को नशे में चूर होकर घर आता है या फिर घर में ही शाम होते ही शराब की बोतल खोल कर बैठ जाता है।
एक साल से पति के जिस्म की भूखी शुरू शुरू में मैं बहुत कोशिश करती थी उसे तरह तरह से चुदाई के लिये लुभाने की। मेरे जैसी हसीना की अदाओं और हुस्न के आगे तो मुर्दों के लंड भी खड़े हो जायें तो मेरे पति वसीम का लंड भी आसानी से खड़ा तो हो जाता है पर चुत में घुसते ही दो चार धक्कों में ही उसका पानी निकल जाता है और कईं बार तो चुत में घुसने से पहले ही तमाम हो जाता है।
उसने हर तरह की देसी दवाइयाँ चूर्ण और वियाग्रा भी इस्तेमाल किया, पर कुछ फर्क़ नहीं पड़ा।
अब तो बस हर रोज़ मुझसे अपना लंड चुसवा कर ही उसकी तसल्ली हो जाती है और कभी-कभार उसका मन हो तो बस मेरे ऊपर चढ़ कर कुछ ही धक्कों में फारिग होकर करवट बदल कर खर्राटे मारने लगता है।
मैंने भी हालात से समझौता कर लिया और वसीम को लुभाने की ज्यादा कोशिश नहीं करती। कई बार मुझसे रहा नहीं जाता और मैं बेबस होकर वसीम को कभी चुदाई के लिये ज़ोर दे दूँ तो वो गाली गलौज करने लगता है और कई बार तो मुझे पीट भी चुका है।
उनकी इन हरकतों की वजह से मैं अपनी बेटी को होस्टल से नहीं बुलाती थी।
वसीम मुझे भी अपने साथ शराब पीने के लिये ज़ोर देता था। पहले पहले तो मुझे शराब पीना अच्छा नहीं लगता था लेकिन फिर धीरे धीरे उसका साथ देते देते मैं भी आदी हो गई और अब तो मैं अक्सर शौक से एक-दो पैग पी लेती हूँ।
पति का होना न होना एक ही था, इससे अच्छा उनका न होना ही था, कम से कम उनके दोस्त राज और जय मुझे चोद तो रहे थे। अब चुदाई के लुत्फ़ से महरूम रहने की वजह से मैं बहुत ही प्यासी और बेचैन रहने लगी थी और फिर मेरे कदम बहकते ज्यादा देर नहीं लगी। और एक बार जो कदम बहके तो रुके ही नहीं!
अपनी बदचलनी और गैर मर्दों के साथ नाजायज़ रिश्तों के ऐसे ही कुछ किस्से यहाँ बयान कर रही हूँ।
फिलहाल पति की ग़ैर मौजदगी में मैं उनके दोस्तों से चुद रही थी जिसकी खबर धीरे धीरे मेरे कॉलेज के कुछ स्टूडेंट्स को लग गई।
‘इंग्लिश वाली शाज़िया मैडम चालू माल है।’ वे मेरे नाम से स्टाफ के टॉयलेट में ‘शाज़िया मैडम माल हैं, शाज़िया मैडम की चुत बहुत चिकनी है, शाज़िया की चुत चोदने को मिल जाय!।’ लिखने लगे।
मुझे स्टाफ के सामने बहुत शर्मिंदगी होती।
हमेशा क्लास के बाहर खड़े रहने वाले स्टूडेंट्स मेरी मस्त जवानी को नंगी नज़र से देखते और कुछ तो कमेन्ट भी कसते।
मैं भी जान बूझ कर उनको कई बार अपनी मोटी लेगिंग में कसी हुई गांड कुर्ती उठाकर दिखा देती।
‘शाज़िया मैडम क्या माल है… साली सलवार कुर्ती में भी होकर लंड को पागल कर रही है… ऊँची सेंडिल में इसकी मस्त चाल तो देखो…!’
‘इसका हस्बैंड तो बाहर रहता है, सुना है कि उसके दोस्तों से चुदवाती है।’
‘यार दिल करता है कि क्लास में ही झुका कर इसकी सलवार खींच दो और बारी बारी से सब मिलकर इसकी चुत को चोदो।’
मैं स्टूडेंट की बातों को सुनकर अनसुना कर देती, वहाँ से मुस्कुराती हुई निकल जाती।
एक दिन मैं बारहवीं की क्लास में लेक्चर के लिए गई तो मैंने सफ़ेद सूट पहना हुआ था जिसमें से मेरी फूलों वाली पेंटी साफ़ दिख रही थी, सब स्टूडेंट चुपके चुपके से मेरी पैंटी ही देख रहे थे, अपनी प्यास को दबाये मैं बहुत रोमांचित थी।
मैंने एक स्टूडेंट रोहित को नोटिस कर लिया जो कि मुझे देख कर अपना लंड सहला रहा था। रोहित मेरा ब्राइट स्टूडेंट था, उसको कुछ नहीं कहा।
मैं शर्म से अपनी पैंटी ठीक करने बाथरूम में चली गई।
लेकिन इतने में किसी ने मेरे बाथरूम का दरवाजा बाहर से लॉक कर दिया, मैं समझ गई कि यह किसी स्टूडेंट की ही कारस्तानी है, मैं अंदर फंस गई।
इससे पहले मैं हेल्प के लिए चिल्लाती, मैंने खिड़की से उस स्टूडेंट को देख लिया, रोहित ही था, मैंने उसको दरवाजा खोलने के लिए बोला, वह मान गया।
लेकिन दरवाज़ा खोलते ही वह अंदर घुस गया और अंदर से दरवाजा बंद कर दिया।
‘अरे!, ये तुम क्या कर रहे हो?’
‘मैम मैंने आपको पैंटी उतारते हुए देखा, आप बहुत सेक्सी लग रही थी।’
‘तो क्या करूँ, तुमने देख लिया तो किसी को बताना मत!’ उसको बोली और जाने लगी।
लेकिन उसने कसकर मेरा हाथ पकड़ लिया, मैं बोली- यह क्या कर रहे हो?
‘मैम आपको नीचे से तो देख लिया, अब में आपको ऊपर से भी नंगी देखना चाहता हूँ।’
‘रोहित, यह क्या बोल रहे हो, पागल हो गए क्या? टीचर हूँ तुम्हारी… तुम मेरे स्टूडेंट हो! यहाँ किसी ने देख लिया तुमको…’
‘मैम आप बहुत सेक्सी हो, प्लीज एक बार अपने बूब्स दिखा दो प्लीज़ प्लीज़…’
अजीब स्थिति थी, मैं अपने स्टूडेंट के साथ टॉयलेट में फ़ंस गई थी, शोर मचाती तो बहुत बदनामी होती, ऊपर से मेरे जिस्म के अन्दर दबी आग भी भड़क रही थी।
वह मुझे यहाँ वहाँ हाथ लगा रहा था। रोहित को मैं न चाहते हुए भी ख़ुद को छूने दे रही थी।
‘शाज़िया मैडम प्लीज दिखा दो न…’ उसका हाथ मेरी कुर्ती के अन्दर कमर पर था, वह मुझे चिपटा जा रहा था, मैं कसमसाती हुई ख़ुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी।
‘ठीक है सिर्फ दिखाऊँगी, कुछ करने नहीं दूंगी।’ मैं मान गई और कहने लगी- बस देखना ही है! और किसी को बताना मत!
‘ओके!’
इसके बाद मैंने अपनी सफ़ेद कुर्ती आगे से ऊपर कर दी, अब मैं अपनी दो मस्त मस्त कसी हुई चूचियों के साथ उसके सामने ब्रा में खड़ी थी।
‘मैम, प्लीज ब्रा उतार दो! प्लीज मेरी प्यारी शाज़िया मैडम, आप बहुत ही गोरी हो मैडम!’
‘उफ्फ, क्या मुसीबत है! ठीक है, मेरा हाथ पीछे नहीं पहुँच रहा है, तुम ही उतार दो!’
मेरे इतना बोलते ही रोहितके मन तो जैसे लड्डू फूटने लगे थे।
मैं पीछे घूम गई, उसने पहले मेरी सफ़ेद कुर्ती की ज़िप खोली फिर मेरी गुलाबी ब्रा की हुक खोल दिया, मेरी दो बड़ी बड़ी बॉल्स उछल कर बाहर आ गई, मेरी एकदम दूध सी सफ़ेद छातियाँ और उन पर गुलाबी निप्पल ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने आइसक्रीम के ऊपर चेरी डाल दी हो!
वह आंखें फाड़े मेरे बूब्स को देखता ही रह गया। मेरी छातियों को देखकर उसका लंड एकदम खड़ा हो गया, वह अपने खड़े हुए लंड को मसल रहा था, अचानक वह मुझे पकड़कर किस करने लगा।
‘अरे! यह क्या कर रहे हो तुम? हटो…’ मैंने उसको धक्का दिया और कहा- ये क्या कर रहे हो, कोई आ जायेगा।
लेकिन वो नहीं माना, मैं उससे बड़ी थी, सिर्फ उम्र में… ताक़त में नहीं!
वह मुझे अपनी बाँहों में जकड़े हुए था।
‘छोड़ दो ना अब… हाय… क्या कर रहे हो…!’
‘प्लीज मैडम करने दो ना… नीचे आपकी नर्म नर्म चुत कितनी अच्छी लग रही है!’ उसके होंठ मेरी गर्दन का मर्दन करते हुए बूब्स तक फिसल रहे थे।
मैं अन्दर ही अन्दर सिसकार उठी, मेरा बदन में झुरझुरी सी होने लगी थी, मैं पसीने में नहा उठी, न चाहते हुए भी मेरा अंग अंग वासना से जलने लगा।
वो भी आगे से मुझे पकड़े हुए एक कुत्ते की तरह से अपनी कमर हिला हिला कर मेरी चुत पर अपने लंड को घिस रहा था, मेरी प्यासी चुत में आग भड़क उठी थी, लंड लेने को मेरी चुत बेताब होने लगी, मैं चुत का और जोर लगाने लगी ‘हाय रे… कैसी मदहोशी है…’ चुत गीली और चिकनी हो चुकी थी।
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