RE: Sex Kahani सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी
मैं सोच नहीं पा रही थी कि उसको खुद से दूर करूँ या फिर मेरी चुत पर रगड़ते उसके मोटे लंड को अन्दर ले लूँ। मैं पागलों सी बेचैन थी, मेरे दोनों स्तन उसके हाथों से बुरी तरह मसले जा रहे थे। ब्रा नहीं होने के कारण चूचियाँ बाहर निकल पड़ी थी, चूचुक कड़े हो चुके थे।
‘कोई देख लेगा, मैं तुम्हारी मम्मी की ऐज की हूँ… आआहह्ह!’ मैंने आखिरी कोशिश की लेकिन उसमें मेरा कोई विरोध नहीं था।
‘प्लीज़ मैम करने दो, कोई नहीं आएगा। बहुत प्यार करता हूँ आपको!’ इतना कहते ही वह मुझ को फिर से पकड़ लिया और किस करने लगा।
अब की बार न जाने क्यों मैं भी उसके सर को पकड़कर उसका साथ देने लगी। उसके दोनों हाथ मेरे बूब्स को सहला रहे थे। किस करने के बाद वह मेरी चूचियों को चूसने लगा।
‘आअह… रोहित… यह सब मत करो बेटा… उम्म्ह… अहह… हय… याह… टीचर हूँ तुम्हारी… आम्म्म…’
मेरे बूब्स तो बहुत सॉफ्ट सॉफ्ट थे एक स्पंज की तरह एकदम रसीले और नाजुक भरे बोबे देख के उसका मन डोलने लगा- मैडम आप बहुत सेक्सी हो, आपका फिगर सनी लियॉन की तरह है, मैंने फैसला किया है कि कुछ भी हो जाये आज तो आपको चोदना ही है।
मैं उसकी गिरफ्त में ढीली पड़ती जा रही थी, मेरे हाथ धीरे धीरे उठ कर उसकी पीठ पर कसने लगे।
‘उफ्फ… तुम अभी बहुत छोटे बच्चे हो यार, मत करो यह सब…’
‘नहीं मैडम अब मत रोको प्लीज़! एक बार चोद लेने दो न… मेरी प्यारी मैडम प्लीज… अगर एक बार आपको चोद दूँ तो आप अपने आप मेरे लंड की दीवानी हो जाओगी और मुझे अपनी चुदाई करवाने बार बार बुलाओगी।’
‘आह्ह हह्हह… सीईई… रोहित यार तूने मुझे पागल बना दिया है। तेरी टीचर बहुत दिन से प्यासी है… मत कर यह सब… कोई देख लेगा… आह्ह…!’
वह मेरे बोबे अपने हाथों में भर कर चुसे जा रहा था और दबाए जा रहा था।
‘वाह, क्या मर्दन था उसके होंठों का… मैं पागल हुई कुछ भी बके जा रही थी।
चूचियों को चूसते चूसते उसके हाथ मेरी सलवार के ऊपर से ही मेरी नाज़ुक चुत को सहलाने लगे। उसकी उंगलियाँ मेरी चुत की गहराई को खोज रहीं थीं।
मैंने अहसास किया कि मेरी चुत अब एक भट्टी की तरह तप रही थी। उसे पता चल गया था कि शाज़िया मैम की चुत बहुत गर्म हो चुकी थी, उसने मेरी सलवार के नाड़े को टटोलते हुए अपना हाथ मेरी सलवार में सरका दिया था।
मेरा विरोध ठंडा पड़ चुका था- रुको, मैं खोलती हूँ।
मैंने नाड़ा बाहर निकाला, उसने बिन कोई देरी किये खींच दिया।
अचानक बाहर किसी की आहट हुई, रोहित उछल कर खड़ा हो गया, मैं तुरंत अपनी कुर्ती नीचे करके सलवार का नाड़ा बांधने लगी।रोहित ने अपना हाथ मेरे मुँह पर रख दिया, मैं खामोश हो गई लेकिन आंखें बन्द किये हाँफ़ती रही, अपने आपको संयत करने लगी।
मैंने उसको ख़ुद से अलग करके अपने को ठीक किया। अपनी ड्रेस को सम्हाल कर मैंने धीरे से खिड़की में से बाहर झांका। यह कॉलेज की प्रिंसीपल डेलना मैडम थीं।
रोहित भी झांकने लगा।
रोहित भी झांकने लगा- मादरचोद बुड्ढी मूतने आई है।
अगले ही पल शर्र की पानी गिरने की आवाज़ हुई। हम दोनों समझ गए कि डेलना मैडम साड़ी उठाकर मूत रहीं हैं। कुछ ही देर में डेलना मैडम मूत कर चलीं गई।
मुझे फिर से लगने लगा कि रोहित मेरे साथ फिर से वही करे… लेकिन ऊपरी दिल से न न कर रही थी- रोहित… बस कर… ऐसे नहीं… हाय रे…!
पर उसने चुत पर हाथ जमा लिये थे… मेरी चुत को तरह तरह से सहलाने व दबाने लगा- बस मैडम, ऐसे ही कुछ देर अपनी चुदवा लो।
मैं आनन्द के मारे दोहरी हो गई, तड़प उठी ‘हाय रे, ये मेरी चुत में अपना लंड क्यों नहीं पेल दे रहा है!’ मैंने भी अब सारी शरम छोड़ कर उसका लंड पकड़ लिया- रोहित… तेरा लौड़ा पकड़ लूं?
‘पकड़ ले… पर फिर तू चुद जायेगी…’
उसके मुँह से मेरे लिए तू और चुदना शब्द सुन कर मैंने भी होश खो दिये- रोहित… क्या कहा? चोदेगा? …हाय रे… और बोल न… तेरा लंड मस्त है रे… सोलिड है… अपनी टीचर को चोदेगा?
मैंने पूरा जोर लगा कर उसके लंड को मरोड़ दिया… वो सिसक उठा।
मैंने उसे लगभग खींचते हुए कहा- रोहित… बस अब… आह … देर किस बात की है… मां री… रोहित… आजाऽऽ ‘आआह्ह्ह्ह… मत करो यह सब… रोहित… टीचर हूँ तुम्हारी मैं… आआहह्ह…
मैंने उसका हाथ रोक दिया लेकिन न जाने क्यों अपने आप ही मेरे हाथ की पकड़ ढीली पड़ गई, उसने ख़ुद की सलवार का नाड़ा खींचते हुए सफ़ेद पटियाला सलवार को खोल दिया, सलवार नीचे सरक कर मेरी जांघों पर अटक गई।
‘वाह मैडम, क्या चुत है आपकी इस उम्र में भी! एकदम पिंक और हल्के हल्के ब्राउन के बालों साथ! मैं तो आपकी चुत को देखकर पागल हो गया हूँ।’
मेरी हालत ख़राब थी, मैं भी अब मस्त हो रही थी, मेरे हाथ उसकी पैंट पर सरकते हुए उसके लंड को टटोलने लगे थे। मैंने उसकी ज़िप खोलकर अपना हाथ अन्दर बढ़ा दिया।
रोहित ने सहयोग करते हुए पैंट खोल दी, उसका सात इंच का नाग मेरे हाथों में था- तेरा तो बहुत बड़ा है रे… इतनी सी उम्र में… ज़रूर रोज सपनों में मुझे चोदता होगा और इसे हिलाता होगा। क्यों रोहित?
‘हाँ मैडम, आपसे बहुत प्यार करता हूँ, मैडम प्लीज़ इसे चूसो न…’
‘ज़रूर चूसूँगी मेरे बेबी… मैं तुम्हारी मम्मी की जितनी बड़ी हूँ, तू तो मेरा राजा बेटा है, डाल दे मम्मी के मुँह में… आआहह्ह’ मेरी दबी हुई वासना अब पूरी तरह से उफान पर थी।
सब कुछ भूल कर मैं तुरंत नीचे बैठ गई मैंने अपने लम्बे-लम्बे लाल नेल पोलिश लगे हुए गोरे हाथों से उसके लंड को अपने मुँह में ले लिया।
‘आआहह्ह… मैडम… मेरी प्यारी शाज़िया मैडम… आप सबसे अच्छी हो… मैं आपका बेबी हूँ।’
मैं भूल चुकी थी कि रोहित मुझसे बहुत छोटा है, मेरा स्टूडेंट है- बस बस रोहित, मुझे अब जल्दी चोद! और नहीं रह सकती प्यासी!
मैं अपने सफ़ेद कुरते का दामन ऊपर करते हुए घूमकर कमोड के सहारे झुक गई, मेरी चोटी लहर कर हिल रही थी।
‘अब मैं पूरी गर्म हो चुकी थी, बोलने लगी- रोहित, प्लीज़ जल्दी चोदो, अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है। चोद दे अपनी मैडम को! रंडी बना ले मुझे अपनी आआहह्ह!
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