RE: Sex Kahani सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी
अचानक उसने मेरे सर को पकड़कर जोर जोर से लंड को मेरे मुँह में चुदाई करना शुरू कर दिया। मैं लंड की भूखी थी, एक सधी हुई पोर्न स्टार की तरह मैं उसके लंड को अपने थ्रोट तक निगल रही थी।
‘आआहह्ह मैडम और जोर से और जोर से…’ वो सिसकारियाँ भरने लगा। फिर ऐसा लगा जैसे गर्म-गर्म लावा उसके लंड से निकल रहा हो, उसका पूरा माल मैं पी गई- वाह कबीर! मजा आ गया।
कबीर ने बताया- यह मेरा पहला मौका था कि किसी लड़की ने मेरा लंड अपने मुँह में लिया। मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन मैं अपनी प्यारी टीचर को इस तरह से चोदूँगा।
हम दोनों कमरे में दीवार के सहारे खड़े थे। मेरे होंठ कबीर के होंठों में थे, एक हाथ मेरी चूची पर और एक हाथ जांघों को सहलाता हुआ मेरी चुत को टटोल रहा था।
कुछ समय हम ऐसे ही खड़े रहकर एक दूसरे को गर्म करते रहे, उसने धीरे धीरे मेरे टॉप के स्ट्राइप को कंधे से उतारते हुए मम्मों पर हाथ फेरना शुरू किया जिससे उनमें फिर से कठोरता आ गई, बड़े बड़े भरे हुए दूध से सफ़ेद मम्मे छोटी सी गुलाबी ब्रा में कसे हुए थे। और उसका लंड भी धीरे धीरे दोबारा तन गया।
‘मैडम इसको निकाल दूँ?’ उसने मेरे टॉप की दूसरी स्ट्राइप को भी कंधे से उतार दिया।
‘मैं घूम जाती हूँ पीछे से ज़िप खोल कर निकाल दो, सलवटें पड़ गई तो बाहर सब शक करेंगे।’
उसने मेरे पीछे से ज़िप खोली और टॉप को ऊपर खींचते हुए निकाल दिया। अब मैं सिर्फ ब्रा पेंटी और हाई हील की सैंडल में थी।
उसने मेरे खुले हुए काले घने बालों को एक तरफ करके गोरी पीठ पर छोटे से लाल तिल पर एक ज़ोरदार चुम्बन कर दिया। मैं सिसकार उठी।
तभी हमारी नज़र विंडो पर गई, वहाँ नदीम खड़ा हुआ हम दोनों को देख रहा था। कबीर ने चुपके से ही उसको जाने का इशारा किया। लेकिन उसने मुस्कुराकर चुप रहने का इशारा किया।
कबीर धीरे से मुझसे अलग हुआ और रूम से बाहर जाने लगा।
‘क्या हुआ कबीर? कहाँ जा रहे हो? मुझे कंडोम लगा कर चुदवाना पसंद नहीं है।’
‘नहीं कंडोम नहीं… बस अभी आया।’
वो बाहर जाकर अपबे दोस्त से बोला- क्या कर रहा है यार नदीम?
‘अरे यार, शाज़िया मैडम को चोद नहीं सकता तो कम से कम उनकी चुदाई देख तो लेने दे यार!’
‘अरे यार… तू भी न…’
‘प्लीज यार बस देख ही तो रहा हूँ, तू चोद साली को कुतिया की तरह!’
‘ठीक है, लेकिन ध्यान से वह देख न ले…’ कबीर वापस रूम में आ गया।
मैं बेड पर बैठी थी, कबीर ने आते ही मुझको धीरे से तकिये पर गिरा दिया और दूसरा तकिया मेरी कमर के नीचे रखते हुए जालीदार छोटी सी लाल थोंग पेंटी को खीच दिया, पैर ऊपर करते हुए मैंने उसका भरपूर सहयोग दिया।
मेरी ब्रा भी उतारते हुए उसने अपने भी कपड़े उतार दिए, अब हम जन्मजात नंगे थे।
मेरी टांगें ऊपर करके बेड के पास बैठ कर उसने अपना मुँह मेरी गोरी गुलाबी चुत पर लगा दिया।
‘आआह्ह ह्हह… कबीर! जोर जोर से चूस मेरी चुत… तू मेरा प्यारा स्टूडेंट है।’ मैंने सिसकारी लेते हुए और टांगें उचकाई और उसके सर पर अपना हाथ रख दिया।
उसकी जीभ मेरी गर्म चुत में घुसी हुई थी।
फिर उसने मेरे बड़े बड़े संतरे अपने मुँह में लेकर चूसने शुरू कर दिए और हाथ की उंगली मेरी गर्म गर्म चुत में डाल दी।
‘आआह्ह्ह्ह… कबीर अब रुक मत, जल्दी चोद दे मुझे! मेरी चुत प्यासी हो रही है।’ मुझे अपनी चुत ऐसे लग रही थी जैसे गर्म ज्वालामुखी दहक रहा हो।
फिर उसने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया, कुछ समय लंड चूसने के बाद मैं उठ गई और अपने गोल गोल मम्मे उसके मुँह पर रगड़ने लगी, उसने मेरी कठोर चूची मुँह में लेकर चूसनी शुरू कर दी, बोली- अब और मत तड़पाओ… अब मेरी चुत में अपना लंड डाल दो।
उसने भी देरी नहीं की और मुझको घोड़ी बना कर मेरी चुत में अपना मोटा लंड पेल दिया।
मैं तड़प उठी ‘उह्ह्ह हाह ह्ह्ह अह्ह ह्ह्ह्ह’ और बोली- इस लोहे के सरिए को बाहर निकालो… मैं मर गई…! तुम आजकल के लड़के देखने में छोटे हो लेकिन तुम्हारा लंड फौलाद है आआहह्ह… धीरे धीरे…
उसने देर नहीं की और अपना पूरा लंड बाहर खींच कर फ़िर से मेरी नंगी चुत में पेल दिया और कमर को कस कर पकड़ लिया और जोर जोर से चुत चोदने लगा।
पहले तो मैं तड़प रही थी, पर अब मुझको मजा आ रहा था और मेरे मुँह से ‘उह्ह… अह्ह्ह… जोर से चोदो… फाड़ दो… फुद्दी को… ओउछ्ह्ह… मर गई आह ओह्ह्ह…!’ निकल रहा था।
मुझे ऐसा करते देख वह और जोर से धक्के मारने लगा।
फिर मैंने उसे जोर से पकड़ लिया और अपनी बुण्ड उठा उठा कर उसका साथ देने लगी, वो पूरे उत्साह के साथ अपनी टीचर को चोद रहा था।
करीब 10 मिनट बाद मैं झड़ गई, मेरी चुत से पानी निकला और उसके टट्टों को भिगो दिया।
उसने फिर मुझको बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और मेरी टाँगें ऊपर करके मेरी पानी से नहाई हुई चुत में अपना लंड डाल दिया।
अब मुझको पूरा मजा आ रहा था और मैं बोल रही थी- आज फुद्दी चुदाई का पूरा मजा आया है।
फिर उसने पूरी ताकत के साथ धक्के मारने शुरू कर दिए तो मुझे लगा कि अब वह भी झड़ने वाला है, उसके मुँह से भी अब ‘अह्ह्हह उह्ह ह्ह’ की आवाज आ रही थी।
फिर एक गर्म पिचकारी मेरी चुत में पड़ी और उसका सारा माल मेरी चुत के अन्दर ही निकल गया।
‘मैडम! चूसो इसको।’ उसने अपना लंड निकाला और मेरे मुँह में डाल दिया। जो माल उस लंड पर लगा था, मैंने चाट कर पूरा साफ कर दिया।
मैं अपने शौहर की बेरुखी के कारण पहली बार उनके दो दोस्तों से चुदी थी। फिर ऐसा चस्का लगा कि मेरी चुत नए नए लंड लेने को मचलने लगती थी जिसकी वजह से मैं अंसल प्लाजा के पार्क में दो अनजान लड़कों से और एक बिहारी ऑटो वाले से चुदवा चुकी थी, कॉलेज में मुझे रोहित और कई स्टूडेंट्स ने चोदा था।
मेरी चुत नए लंड को देखकर फुरफ़ुराने लगती थी।
इस वक्त मुझे अपने पति के दोस्त राज की काल का इंतज़ार है, उसने मुझे किसी होटल में ले जा कर मेरी चुत चुदाई करने को कहा था।
|