RE: Chodan Kahani चुदक्कड़ घोड़ियाँ
“चाचा ........सही कह रहे हो यार........दोनों एक साथ डालेंगें इन रंडियों की गांड में अपना लंड.....आप भी दीदी की गांड में अच्छे से मक्खन लगा लो ..........ये लो मक्खन के टुकड़े. मक्खन लगा के बड़ा मज़ा आता है काका गांड चोदने में. सुधिया काका ने परसों ही ये मस्त तरीका बताया था मुझे और भोंदू भैया को. मक्खन गांड में दाल के चोदने से तो उससे भी कई गुना ज्यादा मज़ा आता है जितना कि सरसों के तेल से गांड चोदने में आता है. क्या मस्त “पिच” .. “पिच” करता हुआ गांड को चोदता है लंड.
“ज़रा पूछ सुधिया मैडम से कि कहाँ से सीखा उन्होंने ये मक्खन लगा के गांड चुदवाना” मुन्ना काका मम्मी की तरफ़ जोशीले ढंग से मुस्कुराते हुए नंदू से बोले जो कि अपने हाथ में एक अमूल बटर की टिक्की लेके उसे मम्मी के नंगे चूतड़ फेलाकर उनके मस्त भूरे और काफी चौड़े गांड के छेद पर मल रहा था. नंदू तो जैसे उस मस्त गांड में खो सा गया था. वो बड़ा उत्तेजित लग रहा था. मम्मी भी लगता था जैसे उन पलों का आखें बंद करके आनंद ले रहीं थीं. वो कुर्सी पर बिलकुल नंगी होकर अपने दोनों घुटने आपस में चिपका कर घोड़ी बनी हुई थीं. अपनी कमर को नीचे के तरफ गोल करके बड़ी ही बेशर्मी से उन्होंने अपने नंगे चूतड़ नंदू के सामने परोस रखे थे. और बस इतना ही नहीं बल्कि अपने सीधे हाथ को पीछे ले जाकर उन्होंने अपने दियें चूतड़ को पकड़ कर फेला रखा था. बायाँ चूतड़ मम्मी का नंदू ने अपने बाएं हाथ से फेला रखा था. इस तरह मम्मी की गांड उन्होंने खुद ने और नंदू ने पूरी तरह फेला रखी थी और नंदू का दायाँ हाथ उनकी भूरी गुदा पर बटर का टुकड़ा मल रहा था. मैं देख रही थी की बटर मलने से मम्मी की गुदा चिकनी हो गयी थी और चमक रही थी. मैं पहली बार मम्मी की गुदा देख रही थी. मम्मी को नंगा तो बहुत बार देखा था पर गुदा तो चूतडों में छुपी रहती है इसलिए कभी नहीं देखा था. मम्मी की गुदा सच में बड़ी दिलकश लग रही थी. बिलकुल गहरे भूरे रंग की और उनके नरम गांड के छेद के चारों तरफ़ सैकड़ों भूरे रंग की सलवटें बड़ी जान लेवा लग रहीं थीं.
मुझे समझ आ गया कि यही सलवटें उनकी गांड के छेद को चौड़ा करने में मदद करेंगीं जब नंदू अपने मोटे लंड को उनकी गांड में घुसयेगा. मुझे बाद में पता चला कि औरत की गांड में जितनी ज्यादा सलवटें होतीं है लड़कों को उतना ज्यादा मज़ा आता है उनकी गांड चोदने में.
खेर नंदू बटर की टिक्की लेके अपनी सुधिया काकी के गांड के छेद पे मल रहा था. और जैसे ही मुन्ना काका की नज़र मम्मी की इतनी कामुक अंदाज़ में खुली गांड पे पड़ी वो दीदी की गांड चाटना छोड़ तुरंत मम्मी के पीछे घुटनों के बल आकर बैठ गए और मम्मी की गुदा की सलवटों पे लगे मक्खन को जीभ से चाटने लगे.
खेर नंदू बटर की टिक्की लेके अपनी सुधिया काकी के गांड के छेद पे मल रहा था. और जैसे ही मुन्ना काका की नज़र मम्मी की इतनी कामुक अंदाज़ में खुली गांड पे पड़ी वो दीदी की गांड चाटना छोड़ तुरंत मम्मी के पीछे घुटनों के बल आकर बैठ गए और मम्मी की गुदा की सलवटों पे लगे मक्खन को जीभ से चाटने लगे.
“ओह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्हह्ह्ह्हह्हह्ह्ह ...........नंन्न्नन्न्न्नन्न्न्न......................................... दूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ .........ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊउफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़” गुदा पे गरम जीभ का अहसास होते ही मम्मी ने नंदू के नाम की एक गहरी सिसकी ली. उनकी आँखें बंद थी और उन्हें लगा कि शायद नंदू उनकी गरम गांड को मस्ती में आकर चाटने लगा है.
“सुधिया काकी देखो ना मुन्ना चाचा ने फिर से तुम्हारी गांड थाम ली..........” नंदू तिलमिला उठा मुन्ना को सुधिया की गांड चाटता देख कर.
मम्मी ने पीछे मुड़ कर देखा तो मुस्कुरा कर बस इतना कहा “पागल कुत्ता मेरा”.
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