Chodan Kahani चुदक्कड़ घोड़ियाँ
09-06-2018, 07:05 PM,
#7
RE: Chodan Kahani चुदक्कड़ घोड़ियाँ
“ओह्ह्ह....सुधिया काकी बोलो ना चाचा को यहाँ से उठने के लिए........देखो कैसे गांड चाट रहें हैं तुम्हारी. चाचा हटो भी अब.........प्लीज .........आप तो ना जाने कितनी बार चोद चुके हो सुधिया काकी की गांड....आज मुझे चोद लेने दो प्लीज़ ...........हटो ना अब.” नंदू मम्मी और मुन्ना काका दोनों से मिन्नतें कर रहा था.
“उन्न्नंह ............न्न्नन्न्न्नन्न्न्न ...उन्नंह ............ मुन्ना........ आआअह्ह्ह .......... ऐसे हीईईईईइ........उन्न्न्हह ......... हाय्य्यय्य्य्य.......कोई चोदो मेरी गांड..........अब नहीईईईई सहा जा रहा मुन्ना.....तू जा और गीता की गांड चाट इसी तरह और उसे भी मस्त कर दे. और नंदू को मेरी गांड मारने दे..........मैं और नहीं सह सकती मुन्ना...............आआनंहह्ह्ह्हह .......... मुझे गांड मरवानी है अब.” मम्मी गांड मरवाने के लिए तड़प रहीं थीं. उनकी गांड मुन्ना काका के चाटने से बेहद गरमा गयी थी और वो अब अपनी नंगी कददू जैसी फूली गांड में नंदू का लंड डलवाना चाहती थी. उधर नंदू भी तिलमिला रहा था. एक बिलकुल नंगी अधेड़ उम्र की औरत उससे अपनी गांड मरवाना चाह रही थी और उसके लिए घोड़ी बनी खड़ी थी और कोई और नंदू की घोड़ी की लज्ज़तदार गांड को चाट रहा था और वो कुछ नहीं कर पा रहा था बस अपनी नंगी घोड़ी की गांड को हाथों से फेलाए खड़ा था.
“ओह्ह......हट मुन्ना.......तू तो सैकड़ों बार मेरी गांड चाट और चूस चुका है और ना जाने कितनी बार बींद चुका है अपने लौड़े से मेरी गांड........चल हट ....... अब नंदू को अपनी हसरतें पूरी कर लेने दे. चोद लेने दे उसे मेरी ठरकी गांड. उन्न्न्नन्न.....हट मुन्ना.........तू रात में जी भर के चाट लेना और चाहे तो पूरी रात चोदना मेरी मटकी जैसी गरम गांड को......वादा करती हूँ पूरी रात नंगी होकर घोड़ी बनी रहूँगी तेरे लिए. आराम से ऊपर चड़ चड़ के चोदना अपनी सुधिया की गदराई गांड. पूरी रात तुझे गांड मारने दूंगी पर अभी नंदू को चोद लेने दे. देख बेचारा कितना पागल सा हो गया है मेरी गांड में घुसने के लिए. चोद लेने दे इसे इसकी मनपसंद गांड.” मम्मी मुन्ना काका से अपनी गांड का पीछा छुड़ा कर अपनी गरम गांड नंदू के हवाले करना चाहती थी ताकि नंदू एक मस्त गदराई गांड को चोद कर अपनी ठरक शांत कर सके और मम्मी भी उसकी गांड चुदाई का लुफ्त उठा सकें. मम्मी अपनी नंगी गांड को ज़ोरों से दायें बाएं हिला के मुम्म काका को हटने के लिए कह रहीं थीं.
“ठीक है मालकिन अभी तो गीता की गांड मार कर काम चलाता हूँ पर रात में तेरी नंगी गांड को घोड़ी बना के खूब पीट पीट कर चोदुंगा. पूरी हवेली में तुझे नंगी दौड़ा दौड़ा के तेरी गांड मरूँगा. आज रात तू सिर्फ मेरी रांड बनेगी. भोंदू हो चाहे नंदू......कुत्तो को हाथ भी नहीं लगाने दूंगा आज रात....पुछ्ह्ह्हह ... पुछ्ह्ह्हह ... पुछ्ह्ह्हह ... पुछ्ह्ह्हह ... पुछ्ह्ह्हह ...” मुन्ना काका मम्मी की चूतडों पे 7-8 चुम्बन जड़ के खड़े हो गए और नंगी सुधिया घोड़ी को नंदू के हवाले कर दिया.
“ले चोद ले इस कुतिया की गांड नंदू............साली की चीखें निकाल दे गांड चोद चोद के इस हरामजादी की. खूब कूद कूद के गांड मार इस रंडी की.” कहते हुए मुन्ना काका गीता दीदी के नंगे चूतडों की तरफ लपके.
उधर गीता दीदी भी विरोध छोड़ कर मम्मी की ही तरह उनके पास वाली कुर्सी पर किसी चुदक्कड़ नंगी घोड़ी की तरह झुक चुकी थीं और मुन्ना काका को अपने जवान नंगे चूतडों से खेलने दे रहीं थीं.

काका बड़े प्यार से दीदी के चूतडों को अपने हाथों से सहला रहे थे. दीदी की भी आँखें बंद हो चलीं थीं. फिर अचानक मम्मी की एक प्यारी सी सिसकी ने मेरा ध्यान अपनी तरफ खींचा तो मैंने देखा की नंदू बटर की टिक्की उनकी गांड में घुसा रहा था. मम्मी शायद गुदगुदी के कारण सिसकीं थीं. नंदू ने मक्खन की टिक्की धीरे से मम्मी की गांड में घुसा दी और दूसरी टिक्की उठा कर फिर से उनकी भूरी गुदा पर मलने लगा. उधर मुन्ना काका ने जब एक बटर की टिक्की अपने हाथ में उठाई तो मैं ये देख कर हैरान रह गयी कि गीता दीदी ने मम्मी की तरह अपने दायें हाथ से अपनी गांड फेला ली जैसे जानती हों कि काका अब क्या करना चाहते हैं.
“बिलकुल अपनी माँ पर गयी है............कुतिया” काका ने मुस्कुरा के कहा और एक हाथ से दीदी की गांड पूरी तरह खोल कर बटर की टिक्की दीदी की गुदा पर मलने लगे. जैसे ही ठन्डे बटर की टिक्की दीदी की गुदा पर फिसलनी शुरू हुई दीदी के मुंह से मीठी मीठी सीत्कारी फूटने लगीं. काका का लंड अब और ज्यादा मोटा और फनफनाता हुआ लग रहा था. दीदी की गांड शायद मम्मी की गांड से भी ज्यादा गरम थी क्यूंकि बटर लगभग पिघल कर दीदी की गांड से चू कर उनकी चूत को गीला करने लगा था पता नहीं काका को ये देख कर क्या हुआ .......... उन्होंने दीदी की चूत में झटके से अपना लंड दाल दिया. काका का लंड बुरी तरह फुला था जिससे दीदी की चीख निकल गयी.
“उन्न्न्नन्न्न्न.न्न्न्नन्न्न्नन्न न्न्न्नन्न्न्न न्न्नन्न्न्न .................... उईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ईईईईईईईईईईईइ मुम्म्मम्म्म्मम्मम्मम्ममाआआआआआआआआआ .........मर्रर्रर्रर्र्र्रर्र्र्रर्र्र गयी......” दीदी ज़ोर से चीखीं.
“अरे मुन्ना.........बच्ची है कुत्ते ................ इतनी बुरी तरह क्यूँ चोद रहा है मेरी बच्ची की गांड.” मम्मी ने काका को लगभग डांटते हुए कहा. वो समझ रहीं थीं कि काका ने दीदी की गांड में लंड घुसेड़ दिया है शायद.
“मालकिन मैंने तो गीता की चूत में ही डाला है.........देखो कैसे घोड़ी की तरह चिल्ला रही है...........हाय मालकिन ........... अगर आप बुरा न मानो तो आज गीता को गालियाँ देते हुए चोद लूं जैसे जब कभी आप मूड में होती हो तो गालियाँ खाते हुए मुझसे चुदवाती हो. मैंने गीता को इतनी बार चोद लिया और इसकी गांड भी मार ली पर पता नहीं आज क्यूँ मेरा मन इसे गालियाँ देते हुए किसी रंडी की तरह चोदने का कर रहा है.” काका दीदी की चूत में लंड डालकर पागल से हो गए थे.
“आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् .......... काका जो भी तुम बकना चाहते हो बक लो ........ मुझे बुरा नहीं लगेगा. भोंदू और नंदू जो कि वैसे मुझे दीदी कहतें हैं..... मुझे चोदते वक़्त खूब गालियाँ देतें हैं. उन दोनों को तो इस लंगड़ी घोड़ी को चोदने में तभी ज्यादा मज़ा आता जब वो मुझे गालियाँ देतें हैं. मैं बुरा नहीं मानती काका. इससे तो बल्कि चुदवाने में और मज़ा आता है. क्यूँ मम्मी?”
“गीता इस वक़्त तुम्हारी घोड़ी है मुन्ना..........जैसे तुम्हारा दिल करे वैसे चोद लो अपनी इस लंगड़ी घोड़ी को. मुझे तो चुदते टाइम तुम्हारे मुंह से गालियाँ भी अच्छी लगतीं हैं और तुम्हारा बेरहम चोदने का तरीका भी. मैं तो बस इतना कहूँगी कि जी भर कर चोदो मेरी बेटी को पर इतना ध्यान रखना कि वो चुदाई में अभी बिलकुल नयी है. उसे एक लड़की की तरह ही चोदना नाकि किसी रंडी औरत की तरह. तुम तो एक मस्त मंझे हुए मर्द हो और मुझ जैसी गांडू और चुदक्कड़ औरत का भी बैंड बजा देते हो अपने इस लंड से. इसलिए गीता को चोदते टाइम ये सब याद रखना और ये भी कि गीता विकलांग है, लंगड़ी है...........ज्यादा बेरहम होके मत चोदना उसे. उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़..........नंदू...........तूने तो ४-5 बटर की टिक्की मेरी गांड में भर दीं हैं...........आज लग रहा है कि मेरी गांड को मस्त कर देगा तू.........हाय्यय्य्य कमीने..........ला अब तेरे लंड पे थोडा मक्खन मल दूँ” मम्मी ने मस्ती में आकर मुन्ना काका को पूरी आजादी दे दी गीता दीदी को मन मर्ज़ी से चोदने की.
“हान्न्नन्न्न्न.........सुधिया.........तू नहीं जानती कितना मज़ा आता है तेरी इस लंगड़ी बेटी को चोदने में. उफ्फ्फ्फफ्फफ्फ्फ़.......औरतें भी बहुत चोदी और लौंडियाँ भी पर इस लंगड़ी घोड़ी के साथ अलग ही मज़ा आता है. घुटनों के बल चल चल के कुतिया के घुटने इतने मज़बूत हो गए हैं कि रंडी कहीं भी घोड़ी बनी घंटों चुदती रहती है. और कितनी मस्त ठुकी हुई गांड है बिलकुल किसी गांडू औरत जैसी.” मुन्ना काका दीदी की गांड में बटर चुपड़ रहे थे और उनकी चूत मारते हुए बडबडा रहे थे.
उधर नंदू मम्मी के मुंह के आगे जाकर खड़ा हो गया था. मम्मी ने बटर की एक टिक्की उठाई और नंदू के मोटे नंगे लंड पर मलने लगी. नंदू का लंड मस्ती से नाच उठा. मम्मी लंड के चारों तरफ बटर का लेप लगा रहीं थीं जिससे नंदू और भी ज्यादा उत्तेजित हो गया. गरम लंड ने मक्खन को पिघला दिया और मक्खन ने लंड को बेहद चिकना और तर्र कर दिया. नंदू मम्मी की उठी हुई गांड को बेसब्री से घूर रहा था. मम्मी की गांड मक्खन में सनी हुई और भी कामुक लग रही थी. और जब नंदू ने भोंदू और रम्भा की ओर देखा तो उसकी लंड की नसें फटने को हो गयीं. भोंदू सोफे पे बैठा था और रम्भा काकी उसी सोफे पे बिलकुल मदर्जात नंगी अपने घुटनों और हाथों पे झुकी थीं. और भोंदू ने अपने दोनों हाथों से काकी के नंगे मांसल चूतड़ फेला रखे थे और लप लप करके काकी की मस्त गुदा चाट रहा था. रम्भा काकी बेहद कामुक ढंग से सीसक रहीं थीं. उनकी गांड चुदने की वजह से इकदम खुल गयी थी और गांड के अंदर का लाल लाल मुलायम मांस गांड के छेद से बाहर झांक रहा था.
गुदा से थूक जैसा लिसलिसा पानी निकल रहा था जिसे भोंदू मस्ती से चाट रहा था. उनकी आँखें मस्ती से बंद थीं. थोड़ी देर गांड चाटने के बाद भोंदू ने फिर से उस कामुक कुतिया की गांड में लंड दाल दिया और सोफे पे घोड़ी बनी अपनी पूरी नंगी माँ को बेदर्दी से कूद कूद के चोदने लगा. रम्भा काकी की गांड इतनी निर्मम तरीके से चुद रही थी कि उनकी लम्बी लम्बी चीखें पुरे हॉल में गूंज रहीं थीं. ये सब देख कर नंदू फिर से अपनी सुधिया काकी की गांड के पीछे आकर खड़ा हो गया. नंदू मुझे गांड चोदने का बड़ा शौक़ीन लग रहा था. वो भोंदू से भी ज्यादा पागल लग रहा था. पर अब नंदू की लाटरी लगने वाली थी. उसकी घोड़ी यानि मेरी मम्मी अब बिलकुल तैयार थी अपनी गांड में उसका लंड घुसवाने के लिए. गांड में अंदर और बाहर मक्खन चुपड़ा था और नंदू का लंड भी मक्खन में सना था.
“ओ री सुधिया..........ज़रा दोनों हाथों से गांड फेला ले अब.........उन्न्न्नन्न्न्नन्न्न्नन्न्न्नन्न्न्नन्न” नंदू लंड को हाथ में लेकर बोला. 
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