Chodan Kahani दस लाख का सवाल
09-08-2018, 01:50 PM,
#10
RE: Chodan Kahani दस लाख का सवाल
में जीभ घुसते ही वहीदा बेसाख्ता फुदकने लगी. लगता था कि अब वो खुल कर मज़ा ले रही थी. वो मेरे सर को अपनी चूत पर दबा कर अपनी कमर तेज़ी से ऊपर-नीचे करने लगी. अचानक उसके मुंह से एक चीख निकली और उसका बदन कांप

उठा. उसकी सिसकारियों और उसके शरीर के कम्पन से जाहिर था कि वो झड़ रही थी. मुझे ख़ुशी हुई कि मैं वहीदा को चोदने से पहले ही उसे ओर्गज्म पर पहुँचाने में कामयाब हो गया था. अब चिड़िया पर मेरे जाल की पकड़ मजबूत हो गई थी.

जब वहीदा अपने ओर्गज्म से उबरी तो उसने प्यार से मुझे देखा. उसके चेहरे पर शर्म की लाली थी पर शर्म से ज्यादा उस पर ख़ुशी नज़र आ रही थी. उसने मुझे ऊपर की तरफ खींचा. ऊपर बढ़ते हुए मैंने फिर उसके शरीर को चूमना और चाटना

शुरू कर दिया, पहले उसका पेडू, फिर नाभि और फिर चून्चियां. एक बार फिर उसकी एक चूंची मेरे मुंह में थी और दूसरी मेरी मुट्ठी में. वहीदा फिर मचल रही थी और तड़प रही थी. उसकी सांसें तेज़ हो गई थीं और चूंची के नीचे से मैं उसके दिल

की धडकनों को महसूस कर रहा था. मैं अपना एक हाथ नीचे ले गया और उससे टटोल कर मैंने उसकी चूत को ढूँढा. चूत उत्तेजना से भीग चुकी थी. मैंने अपनी ऊँगली उसमें घुसा दी. ऊँगली अन्दर घुसते ही वहीदा सिसक उठी. मैंने उसकी चूंची से

अपना मुंह उठाया और उसके चेहरे का रुख किया. एक बार फिर मैं उसके गालों को चूसने और चाटने लगा. फिर मेरा मुंह उसके कान पर पहुंचा. मैं अपनी जीभ से उसके कान को अन्दर से गुदगुदाने करने लगा. गुदगुदी से वहीदा कुलबुलाने लगी.

मैंने फिर से अपना मुंह उसके होंठों से लगा दिया और अपनी जीभ उसके मुंह में घुसा दी. उसने भी खुल कर जवाब दिया और हमारी जीभें एक फिर मुक़ाबिल हो गईं. उनमे एक-दूसरी को पछाड़ने की होड़ लग गई. उधर मेरी ऊँगली अपने काम में

जुटी हुई थी.

वहीदा का जिस्म बुरी तरह मचल रहा था. जाहिर था कि उसकी जांघों के बीच आग लग चुकी थी. मैं अभी उसे और तडपाना चाहता था मगर उसने बड़े इसरार से कहा, “बस एहसान साहब, उंगली से नहीं! अब ऊपर आ जाइए.”

जब वहीदा ने मुझे अपने ऊपर आने की दावत दी तो मैं अपने आप को नहीं रोक पाया. आखिर इसी लम्हे का तो मैं बरसों से इंतजार कर रहा था. मेरा लंड भी अब उत्तेजना से बेकाबू हो चला था. मैंने वहीदा के ऊपर अपनी पोजीशन ली. उसने भी

अपनी टांगें चौड़ी कर दीं. मैं अपने लंड से उसकी चूत को ढूँढने लगा. अपने तमाम तजुर्बे के बावजूद मैं अपना निशाना ढूंढने में नाकामयाब रहा. वहीदा मेरी मुश्किल समझ गई. या शायद वो चुदने के लिए बेताब थी. उसने मेरे लंड को अपनी

उंगलियों के बीच थाम कर उसे सही जगह पर रखा और मुझे एक मौन इशारा किया. मैंने अपने चूतडों को आगे धकेला तो चूत के लब खिंच कर फैल गए. उनमे कहाँ कुव्वत थी एक हठीले लंड को रोकने की. सुपाड़ा चूत में प्रवेश पा गया. मैंने एक

सधा हुआ धक्का लगाया तो एक चौथाई लंड चूत में दाखिल हो गया. वहीदा हल्के-हल्के कराहती मुझे और गहराई में उतरने की दावत दे रही थी. मैं लंड को थोड़ा बाहर खींचता और फिर उसे थोड़ा और अंदर ठेल देता. आहिस्ता आहिस्ता लंड अपना

रास्ता बनाता गया. वहीदा भी पूरा सहयोग कर रही थी और जल्द ही उसकी चूत ने मेरे लंड को जड़ तक अपने अंदर जज्ब कर लिया. उसकी चूत मेरी बेग़म जैसी चुस्त नहीं थी पर थी बड़ी लज्ज़तदार, अन्दर से मखमल जैसी मुलायम. मुझे इल्म

था कि मर्दों को हर नई चूत लज्ज़तदार लगती है और जब चूत की मालकिन वहीदा जैसी हसीन औरत हो तो लज्जत का कहना ही क्या! मैंने उसकी तारीफ करने में कंजूसी नहीं की, “कसम से वहीदा, ऐसी मस्त चूत आज पहली बार मिली है!”

वहीदा ने शर्मा कर अपनी आँखें बंद कर लीं. मैं उसकी चूत की गिरफ्त का लुत्फ़ लेते हुए नीचे झुक कर उसके कानों, गले और कंधे को चूमने लगा. मेरा हाथ उसके मम्मे को सहला रहा था और उसके निप्पल को मसल रहा था. मैं किसी तरह

अपनी उत्तेजना पर काबू पाना चाहता था ताकि मैं जल्दी न झड़ जाऊं. जो नायाब मौका मुझे आज मिला था मैं उसे लम्बे से लम्बा खींचना चाहता था. मैने अपनी कोहनियों को वहीदा की बगलों के नीचे जमाया और अपने मस्ताये हुए लंड से

हलके-हलके धक्के देने लगा. वहीदा की आँखें बंद थीं पर वो खुश दिख रही थी. शायद वो भी चुदाई का लुत्फ़ ले रही थी. मैं भी उसे चोदने का पूरा मज़ा ले रहा था. जब मेरी उत्तेजना ज्यादा बढ़ जाती, मैं अपने धक्के रोक कर वहीदा के गालों और

होंठों को चूमने लगता. इससे उसका मज़ा बरकरार रहता और मैं अपनी उत्तेजना पर काबू पा लेता.

जब मैं वहीदा की चूत के कसाव का अभ्यस्त हो गया तो मैंने अपने धक्कों की ताक़त बढ़ा दी. मैं अब लंड को लगभग पूरा निकाल कर अन्दर पेल रहा था. ताक़त के साथ-साथ मेरे धक्कों की रफ़्तार भी बढ़ रही थी. वहीदा ने मुझे कस कर पकड़

लिया था और वो भी नीचे से धक्के लगा रही थी. जल्दी ही मेरे अंदर फुलझड़ियाँ सी छूटने लगीं. मेरे गले से आनंद की सिसकारियां निकल रही थीं, ‘आऽऽऽऽह…! ओऽऽऽऽह…! ऊऽऽऽऽह…!’

सिसकने वाला मैं अकेला नहीं था. मेरे साथ वहीदा भी सिसक रही थी. ... उसे लुत्फ़-अन्दोज़ पा कर मेरा हमला तेज़ हो गया - फचाक, धचाक, फचाक - मेरा लंड उसकी चूत को तहस-नहस करने पर आमादा था! वो चूत के अन्दर गहराई तक मार 
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