RE: Free Sex Kahani प्यासी आँखों की लोलुपता
गाडी के मालिक ने मेरी और सहानुभूति से देखा। मैं पूरी तरह बारिश में भीगी हुई थी। उस दिन मैंने कुछ ज्यादा ही पतले कपडे पहने थे। मेरे कपडे मेरे बदन से ऐसे चिपके हुए थे की मुझे पता नहीं मैं कैसी दिख रही होउंगी। गाडी के मालिक ने कुछ देर सोचकर हमें अंदर आने को कहा। जय ने मेरी और देखा और कुछ कहने की कोशिश कर रहा था पर मैंने पलट कर गाडी में से कोइ न देखे ऐसे होठों पर उंगली रखकर उसे चुप रहने का इशारा किया। वह शायद मुझे पूछने की कोशिश कर रहा था की क्यों मैंने उसे अपना पति कह कर पुकारा।
पहले जय गाडी में घुसा और बाद में मैं उसकी गोद मैं जा बैठी। आगे एक महिला बैठी थी। उसने मुझे देखकर पीछे मुड़कर “हाई” किया। कार में सब बैठने वाले हमारी तरह पूरी तरह भीगे हुए थे।
जय की गोद में अगली ४५ मिनट बैठना मेरे लिए एक बड़ा ही रोमांचक अनुभव रहा। मैं जय के दोनों हाथों के बीच जकड़ी हुई थी। उसक लण्ड एकदम खड़ा होगया था और मेरी गांड की दरार में कोंच रहा था। जय का बांया हाथ लगातार मेरे बाएं स्तन को दबा रहा था। मुझे ऐसे लगा की जैसे वह यह जान बुझ कर कर रहे थे। मेरे साड़ी के पल्लू में सब कुछ छिपा हुआ था और कोई उसे देख नहीं सकता था। मैं कुछ भी बोलने की हालत में नहीं थी क्यूंकि आखिर मैंने ही उन्हें अपना पति बताया था।
उस कार ने हमें घर से करीब दो किलोमीटर दूर छोड़ दिया। अब बाकी की दुरी हमें चल कर पार करनी थी। मैं एक कदम भी चलने की हालत में नहीं थी। मुझे बहुत सरदर्द हो रहा था। मेरी आखें लाल हो रही थी। जय ने मेरा एक हाथ और कन्धा सख्ती से पकड़ा और मुझे आधा उठाकर पूरा टेका देते हुए मुझे घसीटते घर की और चल पड़े। मैं भी लुढ़कते हुए उनके सहारे धीरे धीरे चलने लगी। जब मैं अपने घर तक पहुंची तब मुझमें एक और कदम चलने की ताकत नहीं थी।
सोसाइटी के दरवाजे पर मैं खड़ी रही, तो जय मुझे भांप रहे थे। उस बारिश में वह मेरे पुरे बदन को देख रहे थे। मेरा हाल देखने लायक तो था ही। मेरे सारे कपडे मेरे बदन पर ऐसे चिपक गए थे की मेरी चमड़ी साफ़ दिखाई दे रही थी। मेर ब्रा और मेरा पेटीकोट ऐसे नजर आ रहे थे जैसे उनके ऊपर मैंने कुछ पहना ही नहीं था। मैंने उस दिन नायलॉन का गहरे गले वाला ब्लाउज और छोटी सी सिल्की कपडे की ब्रा और उसके ऊपर नायलॉन की ही साड़ी पहनी थी।
साड़ी मेरी नाभि के काफी नीचे बंधी हुई थी। मैंने देखा की मेरी चूँचियाँ, मेरे निप्पलं और निप्पलों के पूरी गोल घूमती हुए मेरे एरोला साफ़ साफ़ दिखाई दे रहे थे। मुझे ऐसा लग रहा था की जैसे उस समय बारिश में मैं जय के सामने एकदम नंगी खड़ी हुई थी। मुझे जय की शरारत, जो उसने कार में की थी वह याद आयी तो मैं शर्म और उत्तेजना से तार तार हो गयी। मैंने अपनी साडी ठीक की और घर जाने के लिए आगे बढ़ी।
जय ने देखा की मैंने उसे मुझे ताकते हुए देख लिया था तो उसकी नजरे झुक गयीं। उतने में ही मुझे जोरों से छींकें आने लगीं। मेरे नाक से पानी बह रहा था। जय ने मुझे पूछा की क्या मेरे पास सर्दी की कोई दवा है। जब मैंने मनाकिया तो उसने कहा वह जाकर तुरनत ही मेरे लिए दवाई लेकर आएगा और मुझे दवाई देकर ही फिर घर जाएगा। जय दवाई लेने चला गया। मैं बड़ी मुश्किल से सीढ़ियां चढ़कर घर में प्रवेश कर ही रही थी की मेरे फ़ोन की घण्टी बज उठी।
मैंने हड़बड़ाहट में पर्स में से फ़ोन निकाला और देखा की राज का फ़ोन था। मैं जल्दी में दरवाजा बंद करना भूल गयी।
राज फ़ोन पर थे। वह मेरे स्वास्थ्य के बारे में पूछ रहे थे, पर मुझे बुरी तरह से छींकें आ रही थी। उन्होंने टीवी में मुंबई में भारी वर्षा के बारे में सुना था। मैंने राज से कहा की मैं एकदम गीली और लगभग नग्न हालत में थी। मुझे सख्त जुखाम हो गया था और मेरा सर चक्कर काट रहा था। बड़ी मुश्किल से मैं घर पहुंची थी। मैंने राज से कहा की जय ने मुझे तभी ऑफिस से घर छोड़ा था। मैंने राज से कहा की अगर वह पांच मिनट के बाद फ़ोन करेगा तो मैं उससे अच्छी तरह से बात कर पाऊँगी।
तब राज ने मिन्नतें करते हुए कहा, “बस जानूं एक मिनट। यह बताओ, की बरसात में कुछ आपस में छेड़खानी हुई की नहीं? बस इतना ही बतादो, हाँ या ना?”
मैंने कहा, “अरे भाई हाँ हुई। मैं क्या करती? कोई बस या टैक्सी मिल नहीं रही थी। आखिर में तंग आकर एक कार में मुझे जय की गोद में बैठ कर आना पड़ा। तुम्हारे दोस्त जय ने इसका पूरा फायदा उठाया और पुरे रास्ते में मेरी चूँचियाँ को दबाता और सहलाता रहा और मैं कुछ न कर सकी। पर यह सब मैं बादमें बताउंगी। अभी मुझे नहाने जाने दो।”
राज ने फ़ोन काट दिया। मैं बाथरूम में तौलिया लेकर घुसी और सारे गीले कपडे उतार कर सम्पूर्ण रूप से नग्न होकर गरमा गरम शावर में थोड़ी देर के लिए अपने आप को फव्वारे में गर्माहट का आनंद लेने दिया। आजका दिन बड़ा ही अजीबो गरीब था। एक और बड़ी परेशानी हुई तो दूसरी और आज मैंने एक पर पुरुष के द्वारा मेरे स्तनों को सहलाने और उसके लण्ड का मेरी गांड पर ठोकर मारने में आनंद का अनुभव किया। मुझे समझ नहीं आया की मैं इतनी कैसे बदल गयी। मैं अपने आपको एक पर पुरुष के साथ ऐसे हाल में आनंद लेते हुए सोच भी नहीं सकती थी।
शावर में नहाने से मेरी काफी थकान कम होगयी और मेरे जुखाम में भी थोड़ी राहत मिली ऐसा मुझे लगा। अच्छी तरह से नहाकर मैंने बदन को कस कर पोंछा। मैं बाथरूम में बदलने के लिए कपडे लेकर नहीं घुसी थी। मैंने तौलिया लपेटा और बाथरूम से बाहर आकर बैडरूम की और चल पड़ी। मैंने हेयर ड्रायर लिया और चालू कर अपने बाल सुखाने में लगी थी की मेरे सेल फ़ोन की घंटी फिर बजने लगी। फिर राज का ही फ़ोन था। उसके पिछले फ़ोन के बाद ठीक पांच मिनट हुए थे। मैं थोड़ी झल्लायी की यह क्या? अरे भाई थोड़ देर तो सब्र तो करो! फिर मैं इस लिए मुस्करायी की राज को मेरे बिना कुछ पल भी रहा नहीं जाता।
पर मैं फ़ोन उठाती कैसे? मेरे एक हाथ में ड्रायर था दूसरे हाथ मैं मैंने तौलिया पकड़ रखा था। मैंने फ़ोन टेबल पर रखा और हैंड्स फ्री स्पीकर मोड में रखकर मैं बोली, “तुम्हें पांच मिनट का भी इंतजार नहीं होता क्या?”
राज ने कहा, “चेक करो डार्लिंग! पिछले कॉल से ठीक पांच मिनट के बाद ही फ़ोन किया है।”
मैं हंस पड़ी और बोली, “अरे भाई मैं ठीक से नहाऊँ तो सही! अभी भी में तौलिये में लिपटी हुई, करीब आधी नंगी खड़ी हूँ। चलो ठीक है भई, बोलो क्या बात है?”
राज ने कहा, “आय हाय! जानू, काश मैं वहाँ होता और तुम्हें उस हालत में देखता! तो पता नहीं क्या हो जाता!”
मैंने राज को उकसाते हुए कहा, “क्या हो जाता? तुम तो मुझे रोज ऐसी हालत में देखते रहते हो।”
राज ने कहा, “पर आज की बात कुछ और है। आज तो तुम कुछ मस्ती कर के आयी हो! आज तो मैं तुम्हें अपनी बाहों में उठाता और उठाकर बैडरूम में ले जाता और तुम्हारी छेड़खानी की पूरी कहानी सुनकर तुम्हारी खूब चुदाई करता। देखो, तुम्हारे साथ बातें करते हुए मेरा लण्ड भी खड़ा हो गया है। अफ़सोस की तुम मेरे साथ नहीं हो। अब तो मुझे मूठ मार कर ही काम चलाना पड़ेगा। थोड़ी देर रुकने के बाद राज ने पूछा, “यह बताओ आज क्या हुआ?
मैंने राज को पूरी कहानी सुनाई। कैसे बॉस ने मुझे काम दिया। जय ने मुझे मी काम में पूरा साथ दिया और वह रिपोर्ट अच्छी तरह से बनायी। जब हम निकले तो मैं बारिश में पूरी भीग गयी थी। मेरे सारे कपडे बदन से चिपक गए थे। सब लोग आते जाते मुझे देखकर कैसे घूरते रहते थे। जय ने भी मुझे ऐसी करीब नंगी देखा तो उसकी आँखों में भी कैसे लोलुपता का भाव आया था। उसके बाद मैंने राज को बताया की एक कार वाले ने कार रोकी और हमें बिठाया और मुझे मजबूरन यह कहना पड़ा की जय राज हैं और मुझे उसकी गोद में बैठना पड़ा। मैंने राज को यह भी कहा की चूँकि मेरे स्तन मेरे पल्लू से ढके हुए थे तो उसका जय ने पूरा फायदा उठाया और पुरे रास्ते में मेरी चूँचियाँ को दबाता और सहलाता रहा और मैं कुछ न कर सकी।“
फिर मैं चुप हो गयी। मेरी आगे की बात बताने की हिम्मत नहीं हो रही थी। पर राज कहाँ रुकने वाले थे? उन्होंने पूछ ही लिया जो मैं उन्हें बताने में झिझक रही थी। उन्होंने पूछा, “तो तुम जय की गोद मैं बैठी थी, है न? तो फिर उसका लण्ड खड़ा नहीं हुआ था क्या?”
मैं राज को जुठ बोलकर धोखा नहीं देना चाहती थी। मैंने बड़े रंज के साथ कहा की “हाँ उसका लण्ड भी खड़ा हो गया था और मेरी पिछवाड़े में ठोकर मार रहा था।“
यह सब बताते हुए मैं रोने लगी। मैंने राज से कहा, “मुझे अफ़सोस है की आज मुझे कबुल करना पड़ रहा है की मैंने जय की ऐसी शरारत का कोई विरोध नहीं किया और मैं भी ऐसी हलकी हरकतों का मझा लेती रही। अब मुझे अपने आप पर गुस्सा आ रहा है।”
राज ने कहा, “अरे जानूं, तुमतो बिलकुल बुद्धू हो। रोती क्यों हो? क्या हुआ? कुछ नहीं हुआ। थोड़ा सा जोश में आकर अगर जय ने कुछ कर दिया तो कौनसा आसमान टूट पड़ा? अब चुप हो जाओ। तुम्हें गुस्सा आ रहा है? मैं तुम्हारी बात सुनकर उत्तेजित हो रहा हूँ। काश मैं वहाँ होता! पर क्या करूँ? तुम तो देख नहीं सकती, पर मैं बताऊँ की मेरा लण्ड तुम्हारी बातें सुनकर खड़ा हो गया है। मैं इस वक्त उसे मेरे हाथों में लेकर जोरों से हिला रहा हूँ।” न चाहते हुए भी राज की बात सुनकर मुझे हंसी आगयी। मैंने राज से कहा, “पता नहीं तुम कैसे पति हो, जो अपनी पत्नी को इतना प्यार करते हो और इतनी छूट देते हो!”
मैंने राज को लम्बी सासें लेते हुए सुना। मैं समझ गयी की वह मुठ मार रहे थे। मेरे बेचारे पति! मैं भी उनकी बातें सुनकर उत्तेजित होने लगी थी। सोचती थी वाकई में अगर राज यहां होते तो मेरी तो शामत ही आ जाती। थोड़ी देर बाद एक लम्बी सांस लेते हुए राज बोले, “ओह.. आअह्ह्। डार्लिंग तुम्हारी बात सुनकर मजा आ गया।“ मैं जान गयी की राज के वीर्य का फव्वारा उनके हाथों में ही छूट गया था।
थोड़ी देर रुक कर बोले, “जय कहाँ है?”
मैंने कहा, “जय? वह तो मुझे छोड़ कर चले गए। ”
अचानक राज ने कुछ नाराजगी जताते हुए कहा, “चला गया? और तुमने उसे जाने दिया? इतनी बारिश में वह बेचारा इतनी दूर अपने घर कैसे जाएगा? उसे तुमने रोका क्यों नहीं? तुम कितनी मतलबी हो? उसने तुम्हें सहारा दिया और घर तक लाया तो बस? तुमने उसे छोड़ दिया? और जय भी कमाल है! इस हाल में तुम्हें छोड़ कर चला गया? मेरा मतलब है तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है। तुम्हें जुखाम हुआ है। मैंने उसे कहा था की उसे तुम्हारा ध्यान रखना है।” तब अचानक मुझे ध्यान आया की जय ने कहा था की वह दवाई लेने के लिए जा रहा था।
तब मैंने राज से कहा की शायद जय गया नहीं था। वह शायद मेरे लिए दवाई लेने गया था। राज ने तब मुझे समझाते हुए कहा, “जानूं, आज रात के लिए उसे रोक दो। तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है। वह तुम्हें दवाई इत्यादि देगा और तुम्हारा ध्यान रखेगा।और हाँ, ध्यान रखना अगर जय ने तुम्हें कहीं छू लिया तो तुम फिर कोई ड्रामा मत करना। जय के साथ झगड़ा करके कोई और बखेड़ा मत खड़ा करना। और एक बात जो मैं तुम्हें हमेशा कहता हूँ ….”
मैंने राज की बात को आधे में ही काटते हुए कहा, “जानती हूँ ‘भूत तो चला गया, भविष्य मात्र आश है, तुम्हारा वर्तमान है मौज से जिया करो’ ठीक है न?”
राज मेरी बात सुनकर बहोत खुश हुए और बोले, “तुम वास्तव में मेरी जान हो। और हाँ, रात को अगर कुछ होता है तो मुझे जरूर बताना। मुझसे कुछ भी मत छुपाना। एक बार फिर से मैं कह रहा हूँ की अपने दिल की बात मानो और अपने आप को मत रोको। मैं तुम्हारे साथ हूँ। मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ और हर हाल में हमेशा करता रहूंगा, चाहे कुछ भी हो जाए। तुम सही करो या गलत, मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा। क्या तुम्हें कोई शक है?”
राज की बात सुनकर मेरी आखें नम हो गयीं। भला ऐसा पति किसी को मिलेगा क्या? मैंने कहा, “जानूं, मैं नहीं जानती तुम क्या सोच रहे हो। पर तुम निश्चिन्त रहो, मैं जय को रात के लिए रोकूंगी और तुम्हारे दोस्त को कुछ भी ऐसा नहीं कहूँगी जिससे उसे ठेस पहुंचे। मैंने बहुत भाग्य शाली हूँ की मैं तुम्हारी पत्नी हूँ। मैं तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ। अब मैं बातें करके थक गयी हूँ और फ़ोन रखती हूँ, ओके? डार्लिंग, आई लव यू।” राज ने उत्तर में कहा, “डार्लिंग, आई लव यू टू।”
मैंने जैसे ही फ़ोन काटा तो पीछे से मुझे जय की खांसने की आवाज सुनाई दी। मेरा फ़ोन मेर हाथ से गिर पड़ा। मैं पलटी तो देखा की जय बैडरूम के दरवाजे पर खड़ा था। जय घर के अंदर कैसे आया? क्या जय ने मेरे और राज के बीच हुई बातों को सुन लिया था? मैं तो बात करते करते लगभग नंगी हालत में खड़ी थी। मेरा तौलिया छोटा था और मुझे पूरी तरह से ढक नहीं रहा था। मैं चिल्लाई और बोली, “तुम? तुम यहां क्या कर रहे हो? तुम अंदर कैसे आये?” मैं एकदम बाथरूम की और भागी।
मैंने जय को हिचकिचाहट से भरी टूटीफूटी दबी हुई आवाज में जवाब देते हुए सुना, “देखो। … गुस्सा .. मत.. करो.. इसमें मेरी कोई… गलती .. नहीं थी। मैं तो .. दवाई .. लेने गया.. था। मैंने। दरवाजा खुला देखा। .. तो अंदर आ गया। तुम इस… हालात में होगी … उसका मुझे जरा.. भी … अंदाज़ नहीं था।
मैं शर्म के मारे मरी जा रही थी। मुझे जय की घबराहट भरी आवाज सुनकर गुस्सा भी आ रहा थाऔर हंसी भी। मुझे समझ नहीं आ रहा था की मैं रोऊँ या हँसूँ। मैंने अपनी हालत देखि। तौलिया या तो मेरी चूँचिया छिपा सकता था या तो मेरी इज्जत। तो मैंने अपनी इज्जत ढंकी। पर इस वजह से मेरे उद्दंड स्तन मंडल जो अकड़ से खड़े थे वह साफ़ साफ़ खुले दिख रहे थे।
मेरी फूली हुई निप्पलं मेरी उत्तेजना बयाँ कर रही थी। निप्पलोंके चारों और गोलाई में मेरे चॉकलेट रंग के एरोला फुले हुए दिख रहे थे। मेरे जीवन में पहली बार मैं एक परपुरुष के सामने ऐसी अधनंगी खड़ी हुई थी। मैं “प्ले बॉय” मैगज़ीन के कवर पेज की मॉडल की तरह लग रही थी। मैंने तौलिया सख्ति से पकड़ा और बाथरूम की और भागी।
बाथरूम का दरवाजा जय के पीछे था। वहाँ जाने के लिए मुझे जय के पास से ही गुजर ना पड़ता था। मैं जैसे ही जय के पास से निकली तो जय ने मुझे अपनी बाहों में पकड़ लिया। वह मुझे चुम्बन करना चाहते थे। उन्होंने मेरे मुंह को अपनी तरह करने की कोशिश की। पर मैंने उनका हाथ मेरे मुंह से हटा दिया। तब उन्होंने मेरे खुले हुए दोनों स्तनों को दोनों हाथों में पकड़ा और उत्तेजना से उन्हें अपने हथेलियों में सहलाने लगे और मेरी फूली हुई निप्पलों को जोर से दबाने लगे। उनकी शकल उनका हाल बयान कर रही थी।
जय की आँखों में लोलुपता झलक रही थी। उनकी आँखें नम थीं और जैसे मुझे उनकी बाहों में आनेके लिए मिन्नतें कर रही थी। उनमें आत्मविश्वास नहीं था। वह परेशान और अनिश्चित नजर आ रहे थे। उस समय मेरा हाल भी कोई ज्यादा अच्छा नहीं था। मैं भी उनकी बाहों में जाने के लिए एकदम अधीर हो उठी और मैंने एक सेकंड के लिए सोचा “अब जो होगा सो देखा जाएगा।”.
पर तभी मेरी बुद्धि ने कहा “नहीं, अगर तू अब रुक गयी तो समझले जय तुझे छोड़ेंगे नहीं। तू जरूर उनसे चुद जाएगी, और अपने पति को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहेगी। ”
मैंने जय के हाथों करारा झटका देते हुए कहा, “यह क्या कर रहे हो? मुझे छोडो।” जय ने मुझे छोड़ दिया और मैं भागती हुई बाथरूम में जा पहुंचि।
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