Free Sex Kahani प्यासी आँखों की लोलुपता
09-08-2018, 01:53 PM,
#10
RE: Free Sex Kahani प्यासी आँखों की लोलुपता
मैंने दरवाजे की कुण्डी अंदरसे बंद की और चैन की सांस ली। मुझे समझ नहीं आरहा था की मैं जय पर गुस्सा करूँ या उससे डरूं। यह झंझट और मानसिक तनाव से मुझे सर दर्द होने लगा था। मेरी छींकें फिर से चालु हो गयीं। बाथरूम में मेरे पहनने के कपडे नहीं थे। मैंने जय को आवाज लगाई, “जय, प्लीज मेहरबानी करके मुझे अलमारी में से बदलने के लिए कपडे दे दो?”
चंद सेकंडों बाद मुझे बाथरूम के दरवाजे पर जय ने दस्तक दिए। मैंने धीरे से थोड़ा सा दरवाजा खोला और उसके पीछे छिपते हुए मेरे कपडे जय से लिए और फटाक से दरवाजा बंद कर दिया। मुझे डर था की कहीं जय दरवाजे में अपना पाँव न अड़ा दे और मुझे उस नग्न हाल में देखने की जिद न करे। अगर जय ने ऐसा किया होता और मुझे नग्न देख लिया होता तो? यह सोच कर मेरी रगों में रोमांच फ़ैल गया। मुझे ऐसी उत्तेजना क्यों हो रही थी? क्या मैं चाहती थी की जय मुझे नग्न हालत में देखे?

मैंने जय के लाये हुए कपडे देखे। उसने मुझे सिर्फ मेरा गाउन दिया था। बेचारा जय। या तो उसको मेरी ब्रा और पैंटी मिली नहीं अथवा तो उसको मुझे उन कपड़ों को देने में शर्म आ रही थी। खैर, मैंने धीरे से कपडे बदले और वही गाउन पहन लिया और अंदर वाले कपडे नहीं पहने। मैंने दरवाजा थोड़ा खोल के देखा तो जय वहीं खड़े थे। मैं उस समय भी ठीक परिवेश में नहीं थी पर मैं थक गयी थी। मैं बाहर आ गयी। मैंने जय से बाथरूम में जाकर तौलिये से खुद को पोंछ कर कपडे बदल ने को कहा। मैंने राज का कुर्ता पजामा उसे दे दिया और मैं बैडरूम में चली गयी।
मैं अपने आप में शर्म और गुस्से से त्रस्त थी। मैं कैसे दरवाजा बंद करना भूल गयी? एक तरफ मैं अपने आप को कोस रही थी तो साथ साथ में मुझे एक अद्भुत रोमांच का भी अनुभव हो रहाथा। यह ऐसा अनुभव था जो मुझे स्कूल में जब मैं छोटी थी और सेक्स के बारे में कुछ नहिं जानती थी तब एक लड़के ने मुझे पकड़ कर होंठ पर चुम्बन किया था तब हुआ था। मुझे गंदा, उत्तेजक, विचित्र, बीभत्स जैसे अलग अलग तरह के भाव मनमें एक साथ हुए।
मैं जय से काफी नाराज थी। मान लिया की मैंने गलती से दरवाजा खुला छोड़ा था। पर उसे दरवाजा खटखटाना तो चाहिए था। मैंने उसे चिल्लाते हुए ऊँचे आवाज़ में बैडरूम में से कहा, “जय, सभ्य लोग अंदर आने से पहले दरवाजा खटखटाते हैं।” 

तब फिर जय घबड़ायी हुई आवाज में बोलै, ‘मैंने तो दरवाजा काफी समय तक खटखटाया था। पर तुम तो उस समय अपने पति के साथ बात कर रही थी और मेरे दरवाजे खटखटा ने की आवाज नहीं सुनी तो क्या करता? तो फिर मैं अंदर आगया।”
जय की बात सही थी। तब मुझे याद आया की जब मैं बात कर रही थी तो मैंने दरवाजा खटखटा ने की आवाज सुनी थी, पर राज के साथ बात करते करते मैंने आवाज पर उस समय ध्यान नहीं दिया था। दोष तो मेरा ही था पर बेचारे जय को मैंने बिना वजह बुरी तरह झाड़ दिया। मुझे जय के लिये बुरा लगा।
मैंने पैंटी और ब्रा नहीं पहनी थी, पर मैं इतनी थकी हुई थी की तब और कपडे पहनने की हालत में नहीं थी। मैं पलंग के एक छोर पर बैठी और मैंने जय से कहा, “जय, मैं बहुत थक गयी हूँ। मुहे बहुत जुखाम भी हुआ है और चक्कर आ रहें है। पूरा बदन दर्द कर रहा है। मैं कुछ भी खाना बनाने की स्थिति में नहीं हूँ। मैं थोड़ी देर लेटना चाहती हूँ। कुछ खाना बना हुआ फ्रिज में रखा है। क्या मैं थोड़ी देर सो लूँ और फिर तुम्हारे लिए खाना गरम कर दूँ और कुछ चपाती बना दुँ तो चलेगा? आप चाहो तो ड्राइंग रूम में बैठ कर टीवी देख सकते हो।”
मैं आगे कुछ बोलूं उसके पहले मैं पलंग पर गिर पड़ी और गहरी नींद में सो गयी। मुझे लगा की शायद जय ने मेरे ऊपर चादर ओढ़ा दी थी।
हालांकि मैं गहरी नींद में सोई हुई थी पर मेरे दिमाग में कई धुंधली भ्रमित छबियाँ और चलचित्र आते जाते रहते थे। मुझे सपना आया की कोई काला सा आदमी मेरे सर के ऊपर मंडरा रहा था और जोर जोर से बोल रहा था, “तुमने होम वर्क नहीं किया है। तुम्हें सजा मिलेगी। …” क्या वह मेरे बॉस थे? इतने में ही एक बहुत बड़ा कॉक्रोच मुझ पर आक्रमण करने लगा और मैं चिल्लाने लगी, पर मेरे मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी। अचानक जय जैसा ही कोई इंसान मुझे अपनी बाहों में लेकर कुछ पीला रहा था ऐसा मुझे आभास हुआ।
जब जय ने मुझे अपनी बाहों में जकड़ा हुआ था तब अचानक एक बहुत विशाल काय पक्षी मुझ पर टूट पड़ा और आक्रमण करने लगा। मैं जय से चिपक गयी और जोर जोर से चिल्लाने लगी, “जय मुझे बचाओ, यह मुझे खा जाएगा….। प्लीज …… ”
और उस बार मेरे गले में से जोरोंसे चीखें निकली और मैंने अपनी आवाज सुनी भी।
तब जय ने मेरी पीठ सहलाते हुए मुझे हलके से और प्यार भरे शब्दों में कहा, “प्यारी डॉली, सब ठीक है। यहां कोई नहीं है। शांत हो जाओ। मैं तुम्हारे साथ हूँ न?”
जय की इतने करीब से धीमी और मधुर आवाज सुनकर मैं जाग उठी और देखा तो जय का चेहरा मेरे शेहरे के साथ लगभग जैसे सटा हुआ था। जय का चेहरा मेरे इतने करीब था की मैं थोड़ा सा और उठती या जय थोड़ा सा और झुकता तो हमारे होंठ मिल जाते। एक पल के लिए मरा मन भी किया की मैं जय को चुम लूँ, पर ऐसा कुछ नहीं हुआ।

जय ने धीरे से मुझे पलंग पर बिठाया। मैंने घडी में देखा तो रात के ११.३० बजे थे। इसका मतलब हुआ की मैं करीब एक घंटे सोई थी। मुझे धीरे से समझ आया की जब मुझे बुरे सपने आ रहे थे तब जय ने मुझे उठाया, पलंग पर बिठाया और मुझे कुछ दवाइयां दी थीं। जय ने जब देखा की मैं उठ गयी थी तब उन्होंने मुझे जुखाम की दवाई दी और उसे पानी के साथ निगल जाने को कहा.
मैंने जब प्रश्नात्मक दृष्टि से जय को देखा तो जय ने कहा, “चिंता मत करो, यह तुम्हारे लिए जुखाम, बदन में दर्द और बुखार की दवाइयां है। इन्हें मैं डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के अनुसार दवाई की दूकान से लाया हूँ। और एक और बात, आप जब सो रहीं थीं तो मैंने न तो आपके कपडे उतारे और न ही कोई गलत काम किया है।”
मैं समझ गयी की मेरे डाँटने से जय को काफी दर्द हुआ था और वह उस कारण बड़ा ही दुखी था।

मैंने मुस्करा कर जय के कानों में धीमी आवाज में कहा, “बकवास मत करो। मैंने तुम्हें गलत ही झाड़ दिया। मैं तुम पर चिल्लाने और सख्त शब्दों के प्रयोग के लिए माफ़ी मांगती हूँ। वह शब्द मेरे मुंहसे मेरी झुंझुलाहट के कारण अकस्मात ही निकल पड़े। मैं जानती हूँ की तुम सभ्य हो और कोई उलटिपुलटि हरकत नहीं करोगे। अगर आज तुमने कुछ किया भी होता तो मैं तुम्हें कुछ न कहती। हे बुद्धू राम! तुमने आज मेरी जान बचाई और मुझे ठीकठाक घर ले आये और मेरी अच्छी देख भाल की जो शायद राज भी न करते। मुझे पता नहीं मैं तुम्हें कैसे धन्यवाद दूँ?”

ऐसा कहकर मैंने जय को अपने करीब खींचा और उसे लिपट गयी और काफी लम्बे समय तक लिपटी रही और फिर उसके होठों के एकदम करीब उसके गाल पर मैंने एक गहरा चुम्बन किया। मैं इतनी आवेश में थी की मेरा मन किया की मैं जय के होंठ चुम लूँ। पर मैंने बड़ी मुश्किल से अपने आप को नियत्रण में रखा। बेस्ट हिन्दी चुदाई कहानी देसी टेल्स
मैंने जब जय के गाल चूमे तो जय की शक्ल देखने वाली थी। वह काफी समय तक अजीब ढंग से बिना कुछ बोले वहीं पर बैठा रहा। थोड़ी देर बाद जय ने कहा, “जब तुम सो रही थी तब राज का एक बार फ़ोन आया था। राज को मैंने तुम्हारी तबियत के बारे में बताया और कहा की तुम उस वक्त सो रही थी। तब राज ने मुझे कहा की वह एक घंटे बाद फ़ोन करेगा। राज ने मुझे यहीं रुक जाने को भी कहा। पर मैंने उसे कहा की देर रात हो चुकी थी और मुझे घर जाना चाहिए। तब राज ने जब तक तुम उठ न जाओ तब तक मुझे रुक ने के लिए कहा। अब तुम उठ गयी हो तो फिर मुझे जाना चाहिए।”
ठीक उसी वक्त मेरे फ़ोन की घंटी बज उठी। मैंने जय को बैठने का इशारा किया। वह राज का फ़ोन था। राज ने मेरी तबियत के बारें में पूछा. उसे मेरी चिंता हो रही थी। मैंने कहा की जय मेरे साथ ही था और मुझे बेहतर लग रहा था। मैंने यह भी कहा की जय जाना चाहता था। तब राज एकदम गुस्सैल हुए और मुझे फ़ोन जय को देने के लिए कहा। जब जय राज से बातें करने लगे तो मुझे लगा की राज जय को खूब डाँट रहे थे और जय के मुंह से जवाब में आवाज भी नहीं निकल रही थी। जय की शकल खिसियानी लग रही थी।

थोड़ी देर बाद जय ने फ़ोन बंद किया और बोले, “लगता है आज मेरा डाँट खाने का ही दिन है। तुमसे डाँट खाने के बाद तुम्हारे पति ने भी मुझे झाड़ दिया और मुझे कह दिया की अब मुझे घर नहीं जाना है और यहीं तुम्हारे साथ ही रहना है। मुझे समझ में नहीं आता की मैं क्या करूँ?” 
मैं जय की बात सुन कर हंस पड़ी और बोली, “तो तुम यहां से जाने के लिए क्यों अड़े हुए हो? और फिर इतनी तेज बारिश में इतनी रात गए तुम जाओगे कैसे? तुम्हारी कोई गर्ल फ्रेंड वहां तुम्हारा इंतजार कर रही है क्या, जो ऐसे जिद पकड़ के बैठे हो? मैं तुम्हें खा नहीं जाउंगी। तुम जाकर के ड्राइंग रूम में सो जाओ। ”
जय ने कहा, “जब तुम सो रही थी तो मैंने खाना तैयार कर लिया है। अब तुम्हें खाना बनाने की जरुरत नही है।” ऐसा कह कर जय ने चावल चपाती और कुछ सब्जी एक प्लेट में मेरे सामने रख दी।
मेरा खाने का मन नहीं था। पर जय ने अपने हाथों से जबरदस्ती मुझे यह कह कर खिलाया की खाली पेट में दवाइयों का बुरा असर पड़ेगा। जय और मैंने चुपचाप थोड़ा खाया। जय ने फिर प्लेट्स हटाकर किचन के बेसिन में साफ़ कर दी और वापस मेरे पास आ गये।
मेरा शर्दी और जुखाम कम हो गया था, पर बदन टूट रहा था , मेरे कांधोंमें और पाँव में सख्त दर्द हो रहा था। मैंने दो हाथों में अपना सर पकड़ा जय की और देखा। मुझे कपकपी सी आ रही थी। शायद बुखार भी था। जय ने देखा की मैं कष्ट महसूस कर रही थी। जय ने तुरंत मुझे पलंग पर लिटाया और मुझे चद्दर ओढ़ाई। जय ने मेरे सर पर हाथ रख कर मेरा तापमान चेक किया। शायद मुझे थोड़ा बुखार था। मेरी ऑंखें लाल हो रही थी और नींद आ रही थी। जय ने मुझे “पैरासिटेमोल” दवाई दी और मुझे लेटने को कहा।
मैंने जय की और देख कर कहा, “रुकने के लिए धन्यवाद। अगर तुम चले गए होते तो मुझे दिक्कत होती।”
जय ने कहा, “ठीक है, पर बस अब मैं यहीं हूँ और कहीं जाने वाला नहीं हूँ। अब तुम आराम करो और अगर तुम्हें कोई भी चीज़ की जरुरत हो तो मैं यहाँ ही बैठा हूँ।”
मैंने जय का हाथ पकड़ा और मैंने लेटने की कोशिश की पर मेरी पीठ में बहुत दर्द हो रहा था। मैंने अपने कन्धों को अपने अंगूठों से दबाने की कोशिश की जिससे थोड़ा आराम मिल सके। जय ने देखा की मुझे कन्धों में दर्द हो था तो उसने मुझे बैठाया और ऐसे घुमाया जिससे मेरी पीठ उस की तरफ हो। फिर उसने अपने दोनों हाथ मेरे कंधे पर रख कर अपने अंगूठे से मेरे कन्धों की रीढ़ को जोरों से दबाया। शुरू में तो मुझे दर्द हुआ। परन्तु कुछ समय बाद मुझे बेहतर लगा और आराम हुआ। मैंने जय से कहा, “”सही है, ठीक लग रहा है। जारी रखो। “
जय ने मुझे अपनी और खींचा और कहा, “तुम थोड़ा और करीब आ जाओ जिससे मैं तुम्हारे कन्धों को ठीक तरह से दबा सकूँ।”
मैं और कितना पीछे खिसक सकती थी? मेरे कूल्हे तो जय के पाँव से सटे हुए ही थे। जय अपने पांव की गुथ्थी मार कर बैठा हुआ था। जय ने मुझे मेरी बगल में हाथ डालकर ऊपर उठाया जिससे मैं कूल्हों को थोड़ा उठाकर जय की गोद में जा बैठूं। अब जय का हाथ आराम से मेरे कन्धों की पसलियाँ को ठीक से दबा सकता था। उस शाम यह दूसरी बार मैं जय की गोद मैं बैठ रही थी। मैंने एक बार सोचा भी की मैं उसका विरोध करूँ, पर क्या फायदा? मैं एक बार पहले भी तो अपनी ही मर्जी से उसकी गोद में बैठ गयी थी!
Reply


Messages In This Thread
RE: Free Sex Kahani प्यासी आँखों की लोलुपता - by sexstories - 09-08-2018, 01:53 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Thriller Sex Kahani - मोड़... जिंदगी के sexstories 21 14,230 06-22-2024, 11:12 PM
Last Post: sexstories
  Incest Sex kahani - Masoom Larki sexstories 12 6,842 06-22-2024, 10:40 PM
Last Post: sexstories
Wink Antarvasnasex Ek Aam si Larki sexstories 29 4,693 06-22-2024, 10:33 PM
Last Post: sexstories
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,757,037 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 577,522 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,343,818 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 1,028,174 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,805,352 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,206,418 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,168,852 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 3 Guest(s)