RE: XXX Hindi Kahani पिकनिक का प्रोग्राम
मैंने कहा- प्यार में उम्र की कोई सीमा नहीं होती। वो तो शादी के लिए होती है।
पिरी बोली- तो तुम प्यार किसी और से शादी किसी और से करोगे।
मैंने कहा- करना पड़ेगा। सभी ऐसा करते हैं। सब प्यार करने वाले शादी थोड़े कर पाते हैं।
फिर हम ऐसे चुप हुए की पानी लेकर आने तक चुप ही रहे। काफी संजीदा भी हो गये थे।
मेडम ने हमें देखकर कहा- तुम लोगों के मुँह ऐसे लटके हुए क्यों हैं…
जीनत ने कहा- हमारी सीरियस देवी जो साथ गयी थीं कुछ डाँट-वाँट दिया होगा।
पिरी बोली- मैंने कुछ नहीं कहा। वो खुद अपने घर की याद करके उदास हो रहा था।
“अरे वाह… घर से 10 किलोमीटर दूर घर की याद आ गई…” मेडम बोली।
सब हँसने लगी। हाहाहाहा…
मैं भी हँसने लगा, बोला- पिरी तुम्हें बहाना भी करना नहीं आया।
फिर सब हँसी मजाक करते हुए खाना बनाने लगे। खाना बन गया तो सब नहाने की तैयारी करने लगे। सब लड़कियों ने सिर्फ़ दुपट्टे अपने बदन से बाँधे। किसी की चूचियां आधा दिख रही थीं तो किसी की गाण्ड आधा दिख रही थी। हमारे बीच में शरम नाम की कोई चीज रही नहीं थी। जैसे मैं लड़का ही नहीं था। या सबने मुझे अपना बदन दिखाने का ठान लिया था।
जब हम समुंदर की तरफ जाने लगे तो मेडम बोली- कोई एक जरा जल्दी आ जाना, फिर मैं नहाने जाऊँगी।
सबसे बुरा हाल पिरी का था। उसकी आँखों में एक अलग ही चमक थी। मुझे देखकर अजीब सी मुश्कुराहट आ रही थी उसे। उसका दुपट्टा सबसे छोटा था। वो खींच-खींचकर अपनी बुर छुपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी। मुझे इशारा कर रही थी की उसकी बुर देख लूँ।
मैं आगे आगे चल रहा था जब मैं घूमता, वो दुपट्टा हटाकर बुर दिखाती। मैंने तौलिया बाँधा था मेरा लण्ड फनफना उठा था। मैंने भी एक बार बाकी लड़कियों की नजर बचाकर लण्ड उसे दिखा दिया। हम पानी के अंदर घुसे, पानी ठंडा था और लहरें बड़ी-बड़ी थी। मुझे भी डर लग रहा था।
सबने कहा- सब एक जगह हाथ पकड़कर नहाएंगे।
पानी में डूबकर उठने के बाद मैं पागल हो गया। सभी लड़कियों के दुपट्टे उनके बदन से चिपक गये थे, ऐसा लग रहा था वो नंगी थीं। मैं सबसे लिपटता और उनकी चूंचियां जी भरके दबाता वो भी मेरा लण्ड पकड़ती।
फिर मैं पिरी के पीछे से गया और उसे पकड़ा। तो उसने खुद मेरे लण्ड को अपने पीछे से अपनी बुर में डाल लिया। पानी की वजह से या उसकी बुर गीली होने की वजह से लण्ड आधा घुस गया। मैं हैरान था, और जोर से उससे चिपक गया। मैं अंदर-बाहर तो नहीं कर पा रहा था, ना ही मुझे चोदने का कोई अनुभव था। मैं चिपक कर खड़ा रहा।
उधर से जीनत आई और मुझे खींच लिया, और मुझसे लिपट गयी। मुझे लगा वो मेरे और पिरी पर नजर रख रही थी। उसके बर्ताओ से जलन तो नहीं दिख रही थी। लेकिन मुझे लग रहा था की वो मुझ पर सिर्फ़ अपना हक समझ रही थी। वो सामने से मेरे गले में बाहें डालकर खड़ी हो गयी। फिर एक हाथ से मेरे लण्ड को अपनी बुर में डाल लिया। और गले में बाहें डालकर अपने पैर मेरी कमर पे बाँधकर लटक गयी। मेरा लण्ड उसकी बुर में अंदर तक घुस गया। पानी छाती से ऊपर था इसलिए कुछ दिखने वाला नहीं था। वो आँखें बंद करके मेरे लण्ड को महसूस कर रही थी।
सोनम आई और कहा- क्या बच्चों की तरह गोद में लटकी हुई है।
जीनत बोली- “तू लटक के तो देख कितना मजा आता है…” जीनत उतर गई।
और सोनम लटक गयी लेकिन लण्ड को बुर में लिए बगैर ही। जीनत ने नीचे हाथ लेजाकर मेरे लण्ड को उसकी बुर के छेद में डालने लगी। वो आ आ करने लगी लेकिन जीनत ने अंदर डाल ही दिया। अब वो किसी की परवाह किए बिना ऊपर-नीचे होने लगी। मैं बेहोश सा हुआ जा रहा था।
फिर कोमल भी पास आ गयी, बोली- क्या चल रहा है।
सोनम उतर गयी।
जीनत ने कहा- “कोमल तू चित लेट पानी की सतह पर…” तीनों ने उसे पानी पे तैरते रहने के लिए सहारा दिया। और मुझसे कहा की मैं लण्ड उसकी बुर में डालूं।
मैंने वक़्त गँवाए बिना ही लण्ड उसकी बुर में घुसा दिया और बिना कुछ सोचे चोदने लगा।
पिरी बोली- जीनत तेरे पास कमाल के आईडिया हैं।
जीनत बोली- मानती हो ना गुरु।
सब हँसने लगे। कुछ ही देर में मेरा बदन अकड़ने लगा। जीनत समझ गयी और कोमल को मुझसे अलग कर दिया। मैं कराहते हुए पानी में आपना पानी छोड़ने लगा। शायद पहले से ज्यादा मेरा पानी निकला था।
फिर पिरी ने कहा- “मेडम ने कहा था कोई जल्दी आ जाना मैं चलती हूँ…” मुझे भी कहा- “इमरान तुम भी चलो…"
जीनत ने मना किया- “नहीं… इमरान नहीं। सोनम तू जा…”
सोनम बोली- मैं नहीं जाती, कोमल को भेज दो।
फिर कुछ सोचकर जीनत ने ही कहा- “ठीक है इमरान को ले जाओ। लड़का साथ में रहना चाहिए।
मैं और पिरी यही चाहते थे। हम खुशी-खुशी वापस झाड़ियों की तरफ चलने लगे।
जब हम पहुँचे तो मेडम बोली- “आ गये…” फिर वो समुंदर की ओर चली गयीं।
मेडम के जाते ही पिरी मुझसे लिपट गयी। और बुरी तरह मुझे चूमने लगी। उसकी सांस उखड़ रही थी। फिर मुझसे अलग हुई और मेरे सामने अपना दुपट्टा उतारकर अलग कर दिया। कहने लगी- इमरान तुम मुझसे प्यार करते हो ना…”
मैंने हाँ में सर हिलाया।
पिरी- “तो मैं चाहती हूँ की तुम मेरा सब कुछ देख लो। और जी भरके प्यार कर लो क्योंकी हमारी शादी तो नहीं हो सकती। लेकिन मैं तुम्हें शादी के सभी शुख देना चाहती हूँ। तुम मुझे भूलोगे तो नहीं ना…”
मैंने कहा- ज़िंदगी भर नहीं।
पिरी ने मेरा तौलिया भी खोल दिया। और उसे निचोड़कर उसी से मेरा बदन पोंछा, और खुद का बदन भी सुखाया। मैं उसकी शख्त, सुडौल, बड़ी-बड़ी, गोरी-गोरी छातियों को देख रहा था। फिर उसके पेट, नाभि और बुर पर नजर गयी। तो मेरे बदन में झुरझुरी सी होने लगी। मेरा लण्ड फिर खड़ा होने लगा था। मैंने उसकी चूचियों को पकड़ लिया और चूसने लगा। वो सर पीछे करके आ आ करने लगी। फिर उसने मेरे एक हाथ को अपनी बुर पे रखा और कहा उंगली घुसाओ।
मैंने एक उंगली घुसाया।
पिरी ने कहा- इमरान दो उंगली।
मैंने दो उंगली घुसाया।
पिरी- “इमरान जोर-जोर से अंदर-बाहर करो। उम्म्मह… आअहह…”
मैं करने लगा। उसका बदन अकड़ने लगा और उसकी बुर से लावा निकलने लगा। मेरी हथेली भर गयी। मैंने उसे अपने लण्ड पर मल लिया। फिर पिरी ने अपनी सांस को काबू करते हुये एक चादर नीचे बिछाई। और खुद चित होकर लेट गयी।
पिरी ने कहा- “इमरान मेरी बुर में लण्ड घुसाओ। जल्दी मुझे चोदो… जल्दी… नहीं तो जीनत आ जाएगी। वो बड़ी हरामी है। हमें जानबूझ कर पहले भेजी है। पीछे-पीछे खुद भी आ जाएगी…”
मैं जल्दी से बैठा और लण्ड को बुर में घुसा दिया। इस तरह मुझे पहली बार किसी बिल्कुल नंगी लड़की को चोदने का मौका मिल रहा था। मैंने दो चार धक्के ही लगाए थे की जीनत आ गईं, और हमें चुदाई करते हुए देखने लगी।
जीनत हमारे पास बैठ गयी और बोली- “पिरी मुझे मौका मिलेगा क्या…”
पिरी बिल्कुल गिड़गिड़ाते हुए बोली- “प्लीज जीनत अभी-अभी लण्ड अंदर गया है। जरा सा इंतेजार कर ना यार… तू ने आग लगाई है जरा सा ठंडा तो करने दे…”
जीनत ने कहा- तुम तो बहुत देर से आई हो।
पिरी बोली- उसका खड़ा करने में देर हो गयी ना।
जीनत- अच्छा अच्छा तू रो मत, चोदती रह… लेकिन मेरे लिए भी छोड़ना।
पिरी बोली- मेरा पानी निकल जाए तो तुझे दे दूँगी।
मैं पिरी की चूचियां को दोनों हाथों से पकड़कर चूस रहा था और लण्ड अंदर-बाहर कर रहा था।
10 मिनट के बाद ही जीनत बेचैन होने लगी, बोली- “यार पिरी छोड़ ना…” वो भी अब गिड़गिड़ा रही थी की मेडम आ जाएंगी।
जीनत की रोनी आवाज पर पिरी को तरस आ गया। उसने कहा- “ठीक है ले ले…” और मेरे कानों में कहा- “हम फिर कभी मौका निकालेंगे…”
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