RE: XXX Hindi Kahani पिकनिक का प्रोग्राम
पिरी बोली- “बड़ी पंडित बनती है। इतना भी नहीं जानती की किसी के ऊपर कोई बैठ जाय और वो सोता रहे, ऐसा कहीं होता है। वो तो बहुत पहले से जाग रहा है। मेडम को देखकर चुप था…”
मैं दिल ही दिल सोचने लगा- “पिरी तो बिल्कुल मुझे समझने लगी है…”
पिरी ने कुर्ता भी उतार दिया और मुझे उसकी चूचियां दबाने को बोली।
मैं चूचिया दबाने लगा, चूचुकों को चुटकी में लेकर मसलने लगा। वो लगातार कमर ऊपर-नीचे कर रही थी। आँखें बंद करके आहहाहह… उम्मह… सस्स्शह… करके कूद रही थी। मैं चूचुकों को खींच रहा था जैसे बकरी के चूचुक दुहे जाते हैं।
पिरी मस्ती के साथ कमर हिला रही थी। जैसे वहाँ हम दोनों के सिवा कोई नहीं हो। कभी थोड़ा बदन उठाती, कभी मुझ पर पूरा लेट जाती, लिपट जाती। फिर उसने अपने पैर पे बैठकर दोनों हाथ मेरे सीने में रखकर इस तरह कमर उपर-नीचे करने लगी की मेडम ताली बजाने लगीं।
फिर सभी लड़कियां ताली बजाने लगीं।
पिरी जोश में आ चुकी थी, स्पीड बढ़ती गयी। पशीने से लथफथ हो गई थी। उसका पशीना मेरे बदन पे गिर रहा था और आअनः… आनहा… की आवाज निकाल रही थी। फिर वो मेरे लण्ड पर दबाओ देकर बैठ गयी। और मुँह से हुऊँ… हुऊँ… की आवाज निकालती हुई बुर से पानी छोड़ने लगी। और मुझपर गिर गयी जैसे उसका दम निकल गया हो। मुझे चूमने लगी।
फिर कोमल ने आकर उसे मुझसे अलग किया, और मुझ पर चढ़ गयी। उसने चढ़ते ही स्पीड पकड़ लिया। मैंने उसकी चूचियों को पकड़ लिया और बुरी तरह दबाने लगा, चूचुकों को मसला। वो किसी शेरनी की तरह फूँकारती हुई हूओन्न्नह… हूओन्न्नह… करती हुई चोदने लगी।
अब मैं भी जोश में आने लगा और नीचे से कमर उछालने लगा। 10 मिनट में वो फारिग हुई।
जीनत आने को थी की मैं पिचकारी मारने लगा। हवा में 4-5 फीट ऊपर तक मेरी पिचकारी उछली और मेरे ऊपर ही गिरने लगी। वो नजारा देखकर सब फिर से तालियां बजाने लगीं।
जीनत उदास हो गई और मेरे ढीले होते लण्ड को बुर में डालने लगी।
मेडम बोली- आधा घंटा इंतेजार करो फिर खड़ा हो जायेगा।
जीनत बोली- मैं इंतेजार नहीं कर सकती और बुर में मेरा ढीला लण्ड ही घुसा लिया, मुझ पर सावर हो गयी। उसने भी कुरती उतार दी, और अपनी चूचियां मेरे छाती पर रगड़ने लगी, मेरे होंठ चूसने लगी।
मैं जीनत से ना जाने क्यों नफरत करने लगा था। मैं उसके चूचियां बड़े बेदर्दी से दबा रहा था जैसे किसी बात की सजा दे रहा हूँ। वो मुझे मारऩे लगी।
सब उसपर बिगड़े- “अरे वाह… चुदक्कड़ क्वीन मारेगी…”
जीनत बोली- “ये बड़ी जोर से चूचियां दबा रहा है…”
पिरी बोली- “मेरे तो चूचुकों को दुह रहा था। मेरी तो जान ही निकल रही थी। लेकिन मैंने उफ भी नहीं किया। हम मजा ले रहे हैं तो उसे भी जिस तरह वो चाहे मजा लेने दे। चिल्लाकर मजा किरकिरा क्यों करती हो…” और मुझे इशारे से उसके चूचुकों को दुहने के लिए कहा।
मैं जीनत की निपलस को चुटकी में पकड़कर बड़ी बेदर्दी से पीसने लगा। वो आ आ करने लगी मैं उसके चूचुकों को दुहने लगा।
वो फिर से चिल्लाने लगी- “ओह्ह माँ मर गई… मर गई…”
सोनम बोली- तू उतर… तुझसे नहीं होगा।
जीनत बोली- मेरी बिल्ली मुझसे म्याऊँ, बैठ चुप होके।
मैंने उसकी चूचुकों को खींचकर अपने मुँह में डाल लिया और चूसने लगा। तब जीनत आहह… आह्ह करके मजा लेने लगी।
मैंने दाँत से काट लिया।
फिर वो चिल्लाई- मर गई।
अब मेरा लण्ड खड़ा हो चुका था। अब मैं नीचे से कमर उठाकर चोदने लगा। वो भी मजे से चोदने लगी।
पिरी बोली- तू तो गाण्ड मराने वाली थी। चुदवा रही है।
जीनत बोली- हाँ ठीक याद दिलाया। मेरे गाण्ड में घुसा दे ना।
पिरी बोली- नहीं बाबा तू इल्ज़ाम देगी की गाण्ड फट गयी।
जीनत ने सोनम से कहा- सोनम तू घुसा दे।
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