RE: XXX Hindi Kahani पिकनिक का प्रोग्राम
सोनम आई और लण्ड को बुर से निकालकर गाण्ड के सुराख में ठूँसने लगी। बड़ी मुश्किल से लण्ड थोड़ा अंदर गया। वो जोर लगाने लगी, मैं भी जोर लगा रहा था। लेकिन लण्ड अंदर नहीं जा रहा था।
यह देखकर मेडम बोली- “ऐसे नहीं जाएगा… किसी के पास क्रीम है…”
सोनम ने कहा- “हाँ…”
मेडम बोली- तो लाओ।
सोनम ने क्रीम दिया। तो मेडम ने मेरे लण्ड में क्रीम लगाया और फिर लण्ड को गाण्ड के सुराख में धकेल दिया। अब लण्ड घुसता ही चला गया और जीनत तड़पने लगी।
मैं कमर उछालकर धक्के देने लगा।
जीनत बोली- बस बस और अंदर नहीं… लग रहा है…
लेकिन मैं तो सिर्फ़ उसे तकलीफ देने के लिए ही चोद रहा था। मैंने उसकी कमर को पकड़ लिया और गाण्ड में पूरा लण्ड घुसा दिया।
वो आ आ करती रही।
मैं उसकी गाण्ड मारने लगा। कुछ ही देर में वो फारिग हो गयी। फिर वो आ आ करती मुझ पर गिर गयी।
यह देखकर सोनम आगे बढ़ी और उसे मुझसे अलग किया।
अब जीनत ठीक से खड़ी भी नहीं हो पा रही थी।
पिरी को जैसे बहुत मजा आ रहा था। मैं उसकी आँखों में चमक देख रहा था। जैसे मुझे शाबासी दे रही हो।
अब सोनम मुझ पर चढ़ी और मुझे अपने चूचुकों को चुसवाने लगी। और लण्ड को बुर में अंदर कर लिया।
मैं देख रहा था की जीनत अब भी बैठी कराह रही थी।
अब मैं सोनम को चोद रहा था, उसकी चूची पी रहा था। कुछ देर बाद मेरी स्पीड तेज हो गयी और सोनम पूरी तरह मेरा साथ दे रही थी। उसने पानी छोड़ दिया। और मैंने उसे अपने से दूर धकेलकर अलग किया। और खुद भी पिचकारी मारने लगा। अबकी मुझे भी तकलीफ हो रही थी। पानी भी बहुत कम निकला। मेरे लण्ड के अंदर जलन महसूस हो रही थी। सब फारिग हो चुके थे।
मैं उठा और अपनी पैंट पहनी, और सभी ने कपड़े ठीक किए। और घर वापसी की तैयारी करने लगे। सबने आने से पहले आज की बात किसी से ना कहने की कसम खाई।
दूसरे दिन जीनत ट्यूशन नहीं आई। सबको पता था उसकी हालत खराब थी। जब हम पिकनिक से घर वापस आ रहे थे तो वो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी। गाण्ड निकालकर बड़ी मुश्किल से चल रही थी। कोई भी देखता तो जान जाता की अभी-अभी गाण्ड मरवाकर आई है।
तीसरे दिन सोनम ने ट्यूशन में कहा- “जीनत की हालत बहुत खराब हो गयी थी। वो ठीक से बैठ भी नहीं पा रही थी। अब ठीक है कल से ट्यूशन आएगी…”
जब वो चौथे दिन ट्यूशन में आई तो वो बिलकुल पहले जैसी चुलबुली थी। उसके मुँह में किसी के लिए कोई शिकायत नहीं थी। उसने आते ही खुसुर-फुसुर करना शुरू कर दिया। मुझे बड़ा गुस्सा आ रहा था।
जेबा जो पिकनिक नहीं जा पाई थी। उससे कुछ ज्यादा ही खुसुर-फुसुर होने लगी। 5वें दिन जेबा हम सबको बड़ी अजीब नजरों से देखने लगी। मुझसे बात करने से कतराने लगी।
तो मैंने पूछ लिया- “क्या हुआ… तुम ऐसे क्यों बर्ताओ कर रही हो…”
तो जेबा ने कहा- तुम इतने बुरे हो मैं सोच भी नहीं सकती थी।
मैंने क्या किया…
जेबा- “मैं सब जान गयी हूँ जीनत ने सब बता दिया है।
मैंने यह बात सबको बता दी।
सबने जीनत से झगड़ा किया। लेकिन वो फिर एक प्लान बनाकर लाई और हम सबसे माफी माँगी। और कहा- “इस जेबा की बच्ची को एक बार चुदवा देते हैं। फिर उसका मुँह बंद रहेगा। नहीं तो यह हम सबको बदनाम कर देगी…”
सबने मना किया तो जीनत समझ गई। फिर हम सबसे माफी माँगने लगी- “दोस्तों मुझसे गलती हो गयी, मुझे ही सुधारना होगा। जेबा को चोदना ही होगा। दूसरा कोई रास्ता नहीं है। वो तो हमें ज़नखा वगैरा कहने लगी है। पता नहीं कब उसकी जबान खुल जाए…”
पिरी बोली- “उसके अब्बू तो मोलवी हैं ना। वो स्कूल भी बुर्क़े में आती है वो कैसे चुदवाने को तैयार होगी। असंभव…”
जीनत ने कहा- वो सब तुम लोग मुझ पर छोड़ दो।
मैंने एक दिन जीनत से जब साथ में सिर्फ़ पिरी थी, कहा- “इतने लोगों के रहते नहीं होंगा। सिर्फ़ तुम पिरी और जेबा होगी तब होगा…”
जीनत बोली- “क्यों इतने सबको एक साथ चोद नहीं सकते। हाहाहा…”
मैं फिर लाजवाब हो गया। उसने वादा किया की सिर्फ़ हम तीनों ही होंगे। एक दिन जीनत ने कहा- “आज रात मैंने उसे अपने घर बुलाया है। पिरी तू भी आना। और इमरान तुम रात के 9:00 बजे के बाद आना…”
प्लान के मुताबिक पिरी और जेबा शाम को जीनत के घर पहुँच गये, और जेबा से पिकनिक के बारे में एक-एक डिटेल उसे बताने लगे। और यह भी कहा की उसके ना जाने पर मैं कितना दुखी था। मैं सिर्फ़ उसकी खातिर ही पिकनिक गया था। मैं उससे बहुत मुहब्बत करता हूँ। फिर एक ब्लू फिल्म भी उसे दिखाया, उसे पूरी तरह गरम कर दिया। बताया की लण्ड जब बुर में अंदर-बाहर होता है तो कितना मजा आता है। इस शुख से बढ़कर दुनियां में और कोई शुख है ही नहीं।
अब जेबा खुद मेरे आने की राह देखने लगी। और कहा- अगर मैं नहीं आया तो…”
मैं ठीक 9:00 बजे जीनत के घर पहुँच गया। दरवाजा जीनत ने खोला। उसके घर में कोई नहीं था। सबलोग आउट आफ स्टेशन शादी में गये थे। उसने घर वालों से कह रखा था की उसके दोस्त आ जाएंगे। उसे पढ़ाई करनी है। सब इतमीनान से चले गये। मैं अंदर गया सबने मिलकर रोटी खाया। फिर जेबा के हाथों से दूध भेजा गया। जैसे सुहागरात में दुल्हन के हाथ से दूध भेजा जाता है।
|