RE: XXX Hindi Kahani पिकनिक का प्रोग्राम
जेबा के हाथ कांप रहे थे, उसका रंग लाल हो रहा था। वो बुर्क़ा तो नहीं पहने थी। लेकिन स्कार्फ लपेटे हुई थी। काले स्कार्फ में उसका दूध सा सफेद चेहरा, काली रात में चाँद के जैसा चमक रहा था। मैंने उसके हाथ से ग्लास लिया और पीने लगा। और वो उल्टे पाँव ही भाग गयी।
उधर से जीनत और पिरी बोल रही थीं- “तुझे कहा था उसके पास बैठने को। तू चली क्यों आई…”
जेबा बोली- मुझे बहुत डर लग रहा है।
“चल हमारे साथ…” कहकर वो दोनों उसे पकड़कर कमरे में ले आईं। और मेरी तरफ उसे धकेलते हुए कहा- “तुम कितना तड़प रहे थे पिकनिक में की जेबा क्यों नहीं आई… दिन भर में 40 बार उसके बारे में पूछते रहे। अब संभालो अपनी जेबा को…”
मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया। और कहा- “यार जीनत, यह तो रूई से बनी है क्या… कितनी साफ्ट है…” कहकर अपनी बाहों में भींचने लगा।
“छोड़ो ना…” जेबा बोली।
फिर मैंने उसे बेड पर बिठाया। उसने अपने हाथों में चेहरा छुपा रखा था। मैं उसके साइड में सटकर बैठा। मेरे दाहिने बाजू जीनत मुझसे सटकर बैठी थी। जेबा के बाएं बाजू पिरी थी।
जीनत बोली- “जेबा शरम छोड़ो, कोई ना कोई मर्द हमारा सब कुछ देखेगा। चाहे हम उसे पसंद करें या न करें। उससे पहले क्यों ना जो हमें चाहता है या हम जिसे चाहते हैं अपनी मर्ज़ी से दिखाएं। ज़िंदगी में अफसोस तो नहीं रहेगा… जेबा, ऐसा मौका फिर आए या ना आए। और मैं गारंटी के साथ कह रही हूँ की इमरान के जैसा लड़का तुम्हें दुनियां में नहीं मिलेगा।
फिर जीनत मुझसे बोली- “इमरान, जेबा शर्मा रही है तुम तो उसे किस करो…”
मैंने उसका एक हाथ गाल से हटाया और गाल में किस कर दिया। और पीछे से एक हाथ उसकी बगल में डाल रखा था, उसे अपने साथ चिपकाए रखने के लिए। अब वो हाथ उसकी एक चूची को छू रहा था। फिर मैंने उसके पेट पर भी एक हाथ लपेट दिया। अब वो मेरी बाहों में थी, मेरे बाजू उसकी चूचियों को दबा रहे थे। मैं उसके चेहरे पे रखे हाथ पर किस करने लगा।
और कहा- “जेबा तुम मेरे खयालों में छाई रहती हो। सोते जागते सिर्फ़ तुम ही दिखाई देती हो…” मैं पागलों की तरह उसके हाथों को चूम रहा था। फिर मैंने उसके एक हाथ को हटाया और उसके दूसरे गाल पर चुम्मा दे दिया। फिर मैंने उसके दोनों हाथ हटाए और उसके दोनों हाथों को चूम लिया।
बस क्या था… जेबा ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया, और मेरे होंठ चूमने लगी।
मैं उसकी पीठ सहला रहा था और वो मेरी पीठ। मैंने उसका स्कार्फ खोलना चाहा लेकिन उसने मना किया। फिर मैं उसके होंठ चूसते हुए उसकी चूचियों को दबाने लगा। वो मेरा साथ दे रही थी। मैं बारी-बारी से उसकी चूचियां दबाने लगा। मुझे लग रहा था उसकी चूचियां पिरी से भी बड़ी थीं। उसकी साँसें तेज होने लगी थी। मैंने उसकी कुरती की चैन जो उसकी पीठ पर थी खोलने चाहे तो उसने रोक दिया, और बेड पर सीधी लेट गयी। और मेरा हाथ अपनी नाभि के नीचे और बुर से जरा ऊपर रख दिया।
मैं इशारा समझ गया और झट से उसकी सलवार के अंदर हाथ डालकर उसकी बुर को सहलाने लगा और मुट्ठी में पकड़ने लगा। बुर में काफी गोस्त था। जो आसानी से मुट्ठी में पकड़ा जा रहा था। बुर गीली भी लग रही थी। फिर मैंने उसकी कुरती ऊपर किया, सलवार का नाड़ा खोल दिया और सलवार नीचे खींचने लगा। उसने खुद गाण्ड ऊपर उठाकर सलवार निकालने में मदद की।
उसने बुर को कुरती से ढांप लिया। मैंने उसके हाथ हटाकर कुरती को ऊपर किया, और उसकी बुर देखकर पिरी की बुर भी भूल गया। क्या जबरदस्त बुर थी… इस तरह फूली हुई थी की जैसे गाण्ड के नीचे तकिया लगा हो। मैं उसकी बुर पे चूमा और चाटने लगा।
तब तक पिरी और जीनत अपने कपड़े उतारकर पूरी तरह नंगी हो चुकी थीं। और मेरे बदन से अपने बदन को रगड़ रही थीं। मैंने जेबा की कुरती ऊपर उठाते हुए उसकी दोनों चूचियों को बाहर निकाला।
सिर्फ़ मैं ही नहीं पिरी और जीनत भी बोल पड़ी- “क्या चूचियां हैं यार… तू तो बड़ी छूपी रुस्तम निकली। तेरी तो हमारी से भी बड़ी हैं यार… कैसे उठाकर फिरती हो…” और दोनों ने उसके एक-एक हाथ में अपनी एक-एक चूची को पकड़ा दिया। फिर बोली- “देखो हमारी तुमसे छोटी है ना… फिर भी हमें भारी लगता है, दिल करता है किसी को कहूँ पकड़कर चले…”
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