RE: XXX Hindi Kahani पिकनिक का प्रोग्राम
जीनत हँसते हुए बोली- “कहने और करने में फर्क़ होता है…” फिर जीनत ने मेरे गले में बाहें डालकर मुझे ऊपर उठाया। मैं बैठ गया। वो मेरी गोद में बैठी थी, मेरा लण्ड उसकी बुर में घुसा हुआ था। यह एक नया अंदाज था। मैंने उसे पीठ से बाहें डालकर पकड़ लिया था। मेरा मुँह उसके एक चूचुक पर था, और मैं उसे चूस रहा था। वो मेरे सर को सहला रही थी।
पिरी बोली- “जेबा जरा देख कैसे माँ अपने बच्चे को दूध पिला रही है…”
जीनत बोली- “हाँ बेटा, तू दूध पी, इधर का भी पी…”
मुझे भी मजाक सूझी- “मुम्मी तुम उछल क्यों रही हो…”
जीनत बोली- क्या करूँ बेटा, तुम्हारे पापा नीचे से मेरे पेशाब-खाने में डंडा घुसा रहे है ना।
मैं बोला- मुम्मी, पापा बड़े गंदे हैं ना।
जीनत- नहीं बेटा, पापा को गंदा नहीं कहते। पापा ने डंडा-घुसा घुसाके रास्ता बड़ा किया, तभी तो तुम उधर से निकले ना।
मैं बोला- “अच्छा मुम्मी, मैं उधर से निकला हूँ…”
जीनत- हाँ बेटा, और जो तू अमृत पी रहा है ना। यह भी तेरे पापा की मेहनतों का नतीजा है। मैं 18 साल तक लटकाए घूमती रही, एक बूँद भी नहीं निकला। और तेरे पापा ने चूस-चूसकर 9 महीने में इस पत्थर से अमृत की धारा बहा दी। तू पी जी भरके।
पिरी बोली- वाह जीनत, तेरी हाजिर जवाबी का जवाब नहीं। कितनी गहरी बातें कितने गंदे अंदाज से समझा दी। मुझे चोद ना… जरा मुझे भी आक्टिंग करनी है।
मैं समझ गया की एक नया खेल शुरू हो गया है।
जीनत ने दो मिनट माँगा और पानी छोड़कर उतर गयी।
फिर मेरी गोद में पिरी बैठी। लण्ड को बुर में डालकर ऊपर-नीचे होने लगी। मुझे तो उसे गोद में बिठाते ही दिल खुशी से झूम उठा। उसके बड़े-बड़े दूध मेरे मुँह से रगड़ रहे थे। मैंने चूचुकों को चूसना चाहा। तो उसने कहा- “पहले मेरी होंठ को चूसो।
जीनत ने कहा- “तू दूसरी बीवी का रोल कर…”
पिरी बोली- “क्यों… पहली क्यों नहीं…”
जीनत बोली- “पहली में मजा नहीं आएगा। लोग दूसरी पर ज्यादा मरते हैं…”
पिरी बोली- “ठीक है…”
जीनत मन ही मन खुश हुई।
लेकिन पिरी के दिल में कुछ और ही था। वो बोली- “जानू मेरे होंठ कैसे है…”
मैंने कहा- “बहुत मीठे, रसीले…”
पिरी- मैं किस कैसा करती हूँ।
मैंने कहा- गरम बहुत खूब।
पिरी ने पूछा- जानू मैं लण्ड कैसा चूसती हूँ।
मैंने कहा- लाजवाब।
पिरी- “मेरे दूध कैसे दिखते हैं…”
मैंने कहा- गुंबद की तरह बहुत ही खूबसूरत।
पिरी- “तुम इन्हें दबाते हो तो तुम्हें कैसा लगता है…”
मैंने कहा- “बता नहीं सकता कितना मजा आता है।
पिरी- “मैंने तुम्हें जोर-जोर से दबाने से कभी रोका, कहीं लगता है या कुछ कहा…”
मैंने कहा- “नहीं तो…”
पिरी- “तुम इन्हें चूसो फिर बताओ चूसने में कैसे लगते हैं…”
मैंने चूसना शुरू किया वो सिसकारी भरने लगी।
पिरी बोली- “कुछ ज्यादा ही मस्ती में चुटकी में लेकर मसलो, दाँत लगाकर काटो, मैं कुछ नहीं कहूँगी…” उधर लण्ड बुर में अंदर-बाहर होता ही रहा। फिर कहा- “तुमने मुझे कितनी बार चोदा, तुम्हें कैसा लगा…”
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