RE: XXX Hindi Kahani पिकनिक का प्रोग्राम
एक दिन पिरी ने मुझे ट्यूशन में एक खत सबकी नजरों से बचाकर दिया। मैंने सबकी नजरें बचाकर पढ़ लिया। लिखा था की कल घर के सब लोग मेरे लिए लड़का देखने कोलकाता जा रहे हैं। तुम कल रात मेरे घर रहोगे, अपने घर में कोई बहाना करके आना। मैं परेशान हो गया। इतनी जल्दी पिरी की शादी हो जायेगी। मैंने अपने जज़्बात पे काबू रखा और कल का इंतेजार करने लगा। दूसरे दिन पिरी ट्यूशन नहीं आई। मैं रात के 9:00 बजे पिरी के घर पहुँचा। दरवाजा खटखटाया तो अंदर से एक बहुत ही सेक्सी औरत ने दरवाजा खोला। मैं उन्हें पहचानता था वो पिरी की छोटी भाभी थी। साड़ी में गजब की सुंदर दिखती थी। उन्होंने मुझे अंदर बुलाया
मैंने पूछा- “पिरी है…” मैं दिल ही दिल सोच रहा था की पिरी तो बोली थी घर में कोई नहीं है पर…
उन्होंने एक कमरे की तरफ इशारा करके बताया- “उस कमरे में जाइए जनाब…”
मैं अंदर गया तो देखा एक खातून बुर्क़े में सोफे पर बैठी थी। काले बुर्क़े में उनके गोरे-गोरे हाथ ही दिख रहे थे। मुझे देखकर आदब कहा।
कहने का अंदाज अलग था मैंने जवाब दिया। और फौरन आवाज पहचान लिया यह तो पिरी है। मैंने कहा- “पिरी तुम हो…”
वो उठकर आई और मेरे गले से लिपट गयी।
मैंने कहा- तुम्हारी भाभी।
पिरी ने कहा- डरो मत सेट्टिंग है।
मैंने अब खुलकर उसे अपने सीने से चिपका लिया। उसकी बड़े-बड़े चूचियां मेरी छाती से पिसी जा रही थीं। अनोखा अहसास था बुर्क़े में। किसी को गले लगाना क्या होता है, मैं पहली बार महसूस कर रहा था। मैंने उसके नकाब को उलट दिए, उसकी होंठ चूमने, फिर चूसने लगा और हाथ उसकी पीठ पर फेरने लगा। मुझे महसूस हुआ बुर्क़े के अंदर पिरी ने कुछ नहीं पहना।
मैंने पुख़्ता करने के लिए पीछे से बुर्क़ा उठाना शुरू किया और उसकी गाण्ड के ऊपर करके नंगी गाण्ड को सहलाते हुए कहा- “पिरी तुम अंदर कुछ नहीं पहना…”
उसने शरारत भारी मुश्कुराहट के साथ कहा- “जरूरत है क्या…”
मैंने कहा- “नहीं, बिल्कुल नहीं। जब मैं आने वाला हूँ तो बिल्कुल नहीं…” और हम किस्सिंग करने लगे।
उसने कहा- तुम सोफे पे बैठो। मैं चाहती हूँ की तुम मुझे देखकर मुट्ठी मारो। देखना है मैं अपनी अदाओं से तुम्हारा पानी निकाल पाती हूँ की नहीं।
मैं सोफे पे बैठ गया। उसने म्यूजिक लगा दिया। हल्की आवाज में वो बुर्क़ा पहने हुए लहराने लगी। कभी कूल्हे मटकाती तो कभी छातियां हिलाती।
मैंने कहा- जरा कबूतरों को आजाद तो करो।
पिरी ने बुर्क़े के चार बटन खोल दिये, अपनी छातियों को बाहर निकाल दिया और हिलाने लगी, बड़ी महारत के साथ हिला रही थी। मेरा पूरा बदन थरथरा रहा था। मैं पैंट के ऊपर से लण्ड को सहलाने लगा। मैंने कहा- “जरा पीछे घूमो, और गाण्ड दिखाओ…”
पिरी घूम गयी, गाण्ड के ऊपर तक बुर्क़े के दामन को उठा दिया और हिलाने लगी। अब मेरा लौड़ा बिल्कुल खड़ा हो गया। वो सामने घूमी और बुर्क़े का आखिरी बटन भी खोल दिया। अब उसकी बुर दिखने लगी। मैं अब लौड़े को पैंट के अंदर नहीं रख सकता था। मैंने जैसे ही पैंट की जीप खोलना चाहा।
पिरी बोली- अभी नहीं… भाभी को आने दो, उनसे खुलवाएंगे। भाभी कहती हैं की सबका एक जैसा होता है। मुझे शादी के लिए मना रही थीं। मैंने कहा इमरान का स्पेशल है। तो उन्होंने कहा दिखना फिर…”
इतने में भाभी ट्रे में तीन ग्लास शरबत लेकर आ गईं और कहा- “सारी… जरा देर हो गयी। चीनी बड़े दाने की थी घुल ही नहीं रही थी…”
पिरी बोली- भाभी अब जरा आप जो देखना चाहती थीं देख लीजिए।
उन्होंने मेरे हाथ में एक ग्लास शरबत का दिया और दोनों ने एक-एक ग्लास ले लिया और पीने लगीं। पिरी खड़ी-खड़ी लहराते हुए पी रही थी। भाभी मेरे करीब सोफे पे बैठी पी रही थीं।
मैंने ही कहा- “भाभी मेरे चीज को आजाद कराईए ना अंदर उसे जगह नहीं हो रही।
भाभी- “अच्छा देखूं तो…” कहकर उन्होंने मेरे पैंट का जिप खोल दिया। और चड्डी को साइड करके लण्ड को बाहर निकाला। और मुँह पे हाथ रखकर हैरत से बोली- “पिरी यह क्या है यार… घोड़े के लण्ड से भी मोटा। इसे तू कैसे लेती है…”
पिरी- अभी लेके दिखाऊगी जरा सब्र तो करो।
भाभी बोली- सच में पिरी तेरी पसंद की दाद देती हूँ। क्या माल फाँसा है। मजा आ गया देख के।
पिरी- भाभी देख के मजा आता है तो सोचो चुदवा के कितना मजा आएगा।
भाभी बोली- मुझे भी मौका मिलेगा क्या…”
पिरी बोली- क्यों नहीं आपके लिए ही तो बुलाया है।
“सच…” कहकर भाभी लण्ड को सहलाने लगीं।
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