RE: XXX Hindi Kahani पिकनिक का प्रोग्राम
मैं सोफे पर सर के पीछे हाथ करके पिरी के नंगे डान्स का मजा ले रहा था। मुझे भाभी की हरकतों की कोई परवाह नहीं थी। मैं तो पिरी की खूबसूरती को पी जाना चाहता था। जितने दिन वो यहाँ है। मैं उसे हर तरह से एंजाय कर लेना चाहता था। और पिरी भी यही चाहती थी। भाभी अब मेरे पैंट के हुक खोल चुकी थीं। पैंट को मुझसे अलग कर रही थीं। मैं उनकी मदद कर रहा था। पैंट अलग हुआ फिर टी-शर्ट। मैं अब बिल्कुल नंगा था। पिरी भी बुर्क़ा बदन से अलग कर चुकी थी। और अब भी म्यूजिक की धुन में लहरा रही थी। वो अपने बदन की हर एक खूबसूरती को मुझ पर उजागर करने पे तुली थी।
अब पिरी ने मुझसे कहा- इमरान अब जरा मेरी भाभी को अपना हुनर दिख दो। ऐसा की वो ज़िंदगी भर भूल ना पाएं।
तब मैंने भाभी पर तवज्जो दिया, उन्हें अपनी बाहों में जकड़ लिया और उनकी होंठ चूमने लगा फिर चूसने लगा। मेरी बाहों की पकड़ बहुत मजबूत थी। भाभी कसमसने लगी। मैंने और कसकर पकड़ लिया। फिर उनकी छातियों को ब्लाउज़ के उपर से मसलने लगा। भाभी सोफे पर लेट गयीं। मैंने बटन खोले और ब्लाउज़ उतार दिया। फिर ब्रा बिना हुक खोले उठा दिया। छातियां बाहर आ गईं। भाभी की छातियां भी कुछ कम नहीं थीं। पिरी से बड़ी थी लेकिन पिरी की तरह गोल नहीं थी। थोड़ा ढीली और लटकी हुई थीं। मैंने सीधे चूचुक पकड़ लिए और मसल दिया। भाभी तड़प गयी। मैंने फौरन मुँह लगा दिया और दोनों छातियों को मसलता रहा, चूसता रहा।
पिरी चाहे जितनी खूबसूरत हो मुझे मानने में कोई शरम नहीं की अलग-अलग औरत का अलग ही मजा होता है। मैं अब उनकी साड़ी और पेटीकोट खोलने लगा, जो एक मिनट में बदन से अलग हो गयी। मैंने अपनी से दो उंगलियों में थूक लगाया और सीधे भाभी की बुर में घुसाकर आगे पीछे पूरी रफ़्तार में करने लगा। मुझे भाभी को चोदने में कोई इंटेरेस्ट नहीं था। सिर्फ़ जल्द से जल्द उन्हें निपटाना चाहता था।
भाभी तड़पने लगीं। मैं उनकी बुर पर आ गया।, और मुँह लगाकर चाटने लगा। दो मिनट बाद मैंने लण्ड को भाभी की बुर पर रखा और धक्का दिया। मुझे मालूम था शादीशुदा हैं। मैंने एक ही बार में पूरा लण्ड घुसा दिया। भाभी हड़बड़ा कर उठने लगी की भाग जाएंगी। लेकिन मैं उनपर चढ़ गया और चोदने लगा, जैसे किसी दुश्मन को सजा दे रहा हूँ। मैं बहुत ही जंगली अंदाज में चुदाई कर रहा था।
भाभी- “पिरी बचा मुझे… मेरी बुर फट चुकी है। लण्ड छाती तक घुस गया है। तेरी बुर को सलाम करती हूँ। कैसे सहती है तू…”
पिरी- भाभी एंजाय करो।
भाभी- एंजाय क्या करना ज़िंदा बचूँ तो बहुत है।
मैंने कुछ नर्मी बरती और आराम से चोदने लगा।
भाभी भी अब मजा लेने लगीं- “वाह पिरी, आज तूने मुझे औरत होने का शुख दिया।
पिरी- शुख तो कोई और दे रहा है। आप मेरा शुक्रिया क्यों कह रही हो।
भाभी ने मेरी तरफ मुश्कुराते हुए कहा- तेरी वजह से ही तो जनाब मिले हैं। अच्छा बता पिरी, इनका लण्ड खाने के बाद तेरे भैया की पेंसिल को मैं ज़िंदगी भर कैसे लूँगी।
पिरी- वो आप समझें। मुझे यह साबित करना था की सबका एक जैसा नहीं होता।
भाभी- पिरी कह देना कभी-कभी घर आते रहें।
मैं चोदते हुए उनकी बड़ी-बड़ी छातियों को नाचते हुए देख रहा था। सच कहता हूँ ऐसा नजारा अब तक किसी कुँवारी लड़की से नहीं मिला था। मैंने अपने दोनों हाथों में दोनों छातियों को पकड़ लिया और चूचुकों को चुटकी में लेकर मसलने लगा।
भाभी तड़पने लगीं और कहा- मत करो ना, बहुत सरसराहट होती है।
मैंने कहा- आप चुपचाप पड़ी हैं गाण्ड उछालकर चुदिए।
भाभी गाण्ड उछलने लगी। मैंने धक्के बंद कर दिए और भाभी गाण्ड उछालकर खुद ही लण्ड लेने लगीं। मैं उनके चूचुकों को चूसने लगा। फिर मैं भी धक्के मारने लगा। भाभी का बदन अकड़ने लगा, वो मुझसे लिपट गयी और उनकी बुर से पानी बहने लगा।
आअहह… आअहह… उम्म्म्मह… और वो सर्द पड़ गयी।
लेकिन मेरा लण्ड उनकी बुर को बदस्तूर चोद रहा था। पिरी जान चुकी थी भाभी पानी छोड़ चुकी हैं।
पिरी ने कहा- “क्या यार पोजिशन चेंज करो ना।
मैंने लण्ड बुर से बाहर निकाला, भाभी को घोड़ी बनने को कहा।
भाभी बोली- नहीं और नहीं फिर कभी।
पिरी बोली- ऐसा कैसे, आपने उसके लण्ड का साइज देखा, जरा टाइमिंग भी देख लो।
भाभी का भी दिल था वो फिर तैयार हो गयीं, और सोफे पे सर रखकर पैर जमीन पर रखकर गाण्ड ऊपर उठा दिया। मैं खड़ा होकर झट से उनकी बुर में लण्ड धकेल दिया। भाभी की गाण्ड बहुत खूबसूरत थी। मैंने फौरन स्पीड पकड़ लिया। मुझे पिरी पर गुस्सा आ रहा था, और मैं गुस्सा भाभी की गाण्ड पर उतार रहा था। भाभी आ आ करती रही। लेकिन मैं बेदर्दी से धक्के मार रहा था।
पिरी फिर बोली- इमरान जरा भाभी की गाण्ड भी मार ले ना।
भाभी रोने वाली आवाज में बोली- नहीं पिरी मैं मर जाऊँगी, गाण्ड में नहीं। मैंने कभी गाण्ड नहीं मरवाई।
पिरी- तो अब मरवा लो।
भाभी मना तो कर रही थीं लेकिन गाण्ड उठाई हुई थीं। मैंने बुर से लण्ड निकाला और गाण्ड के सुराख में धकेलने लगा। लण्ड बुर के रस में गीला था। फिर भी बड़ी मुश्किल से अंदर जाने लगा।
भाभी- “आह्ह… मर गयी… मर गयी…” कहती रहीं मैं गाण्ड मारने लगा।
फिर पिरी बोली- “इमरान, अपना पानी भाभी की बुर में छोड़ना। मैं चाहती हूँ की भाभी तेरे बच्चे की माँ बनें…”
भाभी चौंकते हुये- क्या… तू अपने घर में दूसरे का बच्चा पैदा करवाना चाहती है।
पिरी बोली- मैं अपने घर में इमरान की कोई निशानी चाहती हूँ।
भाभी बोली- तो तू खुद पैदा कर।
पिरी बोली- मैं भी कोशिश करूँगी। लेकिन दो जने कोशिश करें तो ज्यादा बेहतर होगा।
इतने में मुझे लगा मेरा पानी आने वाला है। मैंने गाण्ड से लण्ड निकाला और भाभी की बुर में डाला और बुर के अंदर पानी छोड़ने लगा। पानी छोड़ने का मजा ही कुछ और होता है। जैसे सारा बदन का रस निचोड़ा जा रहा हो। और उसे लण्ड के सुराख से बुर में डाला जा रहा हो। मैं सोफे पर बैठ गया।
पिरी फौरन मेरे पास आई और मेरे लण्ड को चूसने लगी। लण्ड पर लगे रस को चाट-चाट कर साफ कर दिया। उसे चोदने की खाहिश या उसके हुश्न की जादू से मेरा लण्ड फिर खड़ा होने लगा। पिरी सोफे पर मेरे अगल बगल पैर रखकर खड़ी हो गयी, जिससे उसकी बुर मेरे मुँह के सामने थी। मैं समझ गया वो क्या चाहती है। मैं फौरन उसकी बुर जबान से चाटने लगा। वो बुर को मेरे मुँह में दबाने लगी। मैं उसकी बुर में जबान घुसा-घुसाकर चाटने लगा। वो पहले से गरम थी। अब मस्त हो गयी, और मेरे लण्ड पर बैठ गयी। लण्ड पूरा बुर के अंदर चला गया। मेरे कंधे पर बाहें डालकर कमर ऊपर-नीचे करते हुए लण्ड लेने लगी।
मेरे बालों में हाथ फेरते हुए मेरे गालों को किसी बच्चे की तरह चूमते हुए बोली- “तुम थक गये होगे ना… मैंने रेस्ट भी नहीं दिया और चढ़ गयी। क्या करूँ तुम्हें देखकर सब्र करना मुमकिन ही नहीं होता। तुम आराम से बैठो। मैं तुम्हें जैसा कहोगे, वैसा मजा देने की कोशिश करूँगी…”
वो अपनी कमर को इतने आराम से ऊपर-नीचे कर रही थी, जैसे कोई मेरे लण्ड को मलमल के रुमाल से पकड़कर सहला रहा हो।
कहानी ज़ारी है… …
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