RE: XXX Hindi Kahani पिकनिक का प्रोग्राम
शहर में मेरे अब्बू को सब बहुत इज़्ज़त की निगाह से देखते थे। मेरे पास जमीन बेचने और खरीदने दोनों के ग्राहक आने लगे। मैंने कार ले ली, मेरा बिज़नेस दिन दूनी रात चौगुनी तरक़्क़ी करने लगा। एक रोज मैं एक माल में कुछ खरीद रहा था तो जीनत से मुलाकात हो गयी।
मैंने उससे बात करनी चाही तो उसने मना कर दिया। मैंने उसे नहीं छोड़ा और एक रेस्टुरेंत के केबिन में ले गया। वो रोने लगी- तुमने मुझे कभी अहमियत ही नहीं दी। मैं भी इंसान हूँ यार। सबको हँसाती रहती हूँ। एक मजाक बनकर रह गयी हूँ।
मैंने कहा- तुमने कभी खुलकर बताया नहीं।
उसने रोते हुए कहा- यह सब बताई नहीं जाती महसूस किया जाता है।
मैंने कहा- “तुम चाहती क्या हो…”
उसने कहा- अब चाहने से क्या होता है।
मैं- क्यों नहीं होता तुम चाहो तो अब भी हो सकता है।
क्या मतलब मैं कुछ समझी नहीं।
मैं- तुम समझ भी नहीं पाती समझा भी नहीं पाती, तो तुम्हें रोना ही चाहिए।
“क्या तुम मुझसे दूसरी शादी करो गे…”
मैंने कहा- मैं तो मुसलमान हूँ चार शादी कर सकता हूँ।
“उसने कहा सच…”
मैंने कहा- बिल्कुल सच। तुम घर वालों से कहो।
उसने कहा- घर वाले नहीं मानेगे।
मैं- तो फिर कोर्ट मैरेज।
उसने कहा- यही ठीक रहेगा। मैं कल कोर्ट में मिलूँगी।
मैं घर गया और बहुत ही परेशान सा चेहरा बनाकर घूमने लगा। जेबा ने पूछा।
तो मैंने कहा- आज जीनत मिली थी। कैसी उदास उजड़ी सी दिख रही थी। पहचानी भी नहीं जा रही थी। मैंने बड़ी मुश्किल से पहचाना। मुझसे बहुत नाराज थी। कह रही थी ज़िंदगी भर कुँवारी रहेगी। मैंने बहुत पूछा तो कहा वो मुझसे शादी करना चाहती थी। लेकिन मैंने तो शादी कर ली तुमसे।
जेबा बोली- तो क्या आप उनसे भी शादी कर लीजिए। उन्होंने तो मुझे तुमसे मिलाया था। जब हम शादी से पहले एक साथ खेल सकते थे तो शादी के बाद क्यों नहीं।
मैंने जेबा को गोद में उठा लिया और उसे चूमते हुए मैंने कहा- “वाह जेबा, दुनियां तुम्हारी जैसी लड़कियों की वजह से खूबसूरत बनी हुई है…” उस रात मैंने जेबा को जमके चोदा।
मैंने जेबा को गोद में उठा लिया और उसे चूमते हुए मैंने कहा- “वाह जेबा, दुनियां तुम्हारी जैसी लड़कियों की वजह से खूबसूरत बनी हुई है…” उस रात मैंने जेबा को जमके चोदा।
दूसरे दिन मैं और जेबा कोर्ट पहुँचे, कोर्ट में मैंने जीनत से शादी कर ली और जीनत को लेकर घर आए और काजी और दो गवाहों के सामने निकाह भी किया। रात को जेबा ने खुद पलंग सजाया। जीनत जेबा का बार-बार शुक्रिया अदा कर रही थी।
जेबा ने कहा- बाजी हमारी सुहागरात नहीं हुई। मैं चाहती हूँ की आपकी सुहागरात बहुत खूबसूरत हो।
जीनत भी दिलदार थी उसने कहा- “ऐसे कैसे हो सकता है की मैं अकेले सुहागरात मनाऊँ अपनी प्यारी सी सौतन को छोड़कर। आज हम दोनों दुल्हन बनेंगी…” उसने हमारे मैनेजर को बोलकर जेबा के लिए भी एक शादी का जोड़ा मँगवाया।
रात में दोनों एक-एक गिलास दूध अपने हाथों में लेकर कमरे में आईं। दोनों दुल्हन के लिबास में थीं। मैं खुशी से फूला नहीं समा रहा था। जेबा ज्यादा खूबसूरत है या जीनत… मैंने जेबा का गिलास पहले लिया और पी गया। फिर जीनत का गिलास लेकर पीने लगा, अब रुक-रुक कर पी रहा था।
जीनत ने कहा- “जनाब मैं जेबा नहीं हूँ की एक सांस में पी जाओगे…” फिर जेबा ने कहा- “बाजी आप पलंग पर जाएं…”
जेबा बोली- और तू।
जीनत ने कहा- मैं दूसरे कमरे में जा रही हूँ।
जेबा- “चल बुद्धू अब हम दोनों इसके दोनों बाजू सोएंगे…” और ऊपर चढ़ गयी। और मेरे एक बाजू बैठ गयी। जेबा मेरे दूसरे बाजू बैठी।
जीनत बोली- भूल गये क्या की अब भी मैं ही बताऊँ।
मैंने कहा- बताओ ना।
जीनत ने मेरे होंठ पर चूमा। और जेबा से कहा- अब तुम किस करो।
जेबा ने भी किस किया।
अब जीनत ने मेरे शर्ट के बटन खोलने शुरू किए। शर्ट निकाला फिर जेबा से कहा- तुम पैंट तो उतारो।
जेबा बोली- हाँ हाँ।
मुझे लग रहा था की जीनत अब भी खेल के ही मूड में थी। उसे दुनियादारी की परवाह नहीं थी। बोली- “इमरान मेरे कपड़े बहुत भारी हैं। उतार दो सिर्फ़ गहने रहने देना। मैं देखना चाहती हूँ की सिर्फ़ गहने में कैसी लगती हूँ…” मैंने वैसा ही किया। वो उठकर आईने के पास चली गयी। और खुद को निहारने लगी फिर पूछा- “इमरान, यह सब असली सोने के हैं…” तुमने इतना पैसा कहाँ से लाया।
मैं पहले तो हकलाया फिर संभलकर हँसने लगा।
जेबा बोली- बहुत मेहनत करते हैं बाजी। दिन में खाने भी नहीं आते।
जीनत बोली- अब ऐसा नहीं चलेगा। मैं आ गईं हूँ ना। सब ठीक कर दूँगी। शौहर को कैसे मुठ्ठी में रखना है। मैंने किताब में पढ़ा है।
जेबा- बाजी आप सब कुछ पहले से ही पढ़ लेती हैं।
जीनत- पढ़ना पड़ता है डियर। ज़िंदगी जो चलानी है।
मैंने कहा- जेबा ने तो बिना पढ़े ही तुमसे पहले बाजी मार ली।
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