RE: XXX Hindi Kahani पिकनिक का प्रोग्राम
अम्मी ने उसे अपने पास बिठाया और कहा- हमारी बेटी बहुत भोली है, साथ मिलकर रहना। वो उम्मीद से है उसका खयाल रखना।
जीनत बोली- “आंटी आप बेफिक्र हो जाइए। अब मैं हूँ ना इन दोनों की खबर लेने के लिए…” जीनत का वोही बिंदास अंदाज था।
अब्बू ने घूरकर देखा। तो जीनत सहम गयी।
जीनत- मेरा मतलब था की मैं दोनों का खयाल रखूँगी।
अब्बू बोले- “चलो यहाँ से। जेबा कोई दिक्कत हो तो हमें बताना…” और वो चले गये।
कुछ देर बाद जीनत के घर से कम से कम 6 लोग आए, अब्बू-अम्मी, भैया, भाभी छोटा भाई, भतीजा। जीनत सबके साथ ड्राइंग रूम में बैठी। जेबा शरबत लेकर आई। जीनत ने सबको घर के सारे कमरे घुमाए।
अम्मी ने पूछा- तेरा कमरा कौन सा है।
तो जीनत ने कहा- सभी कमरा मेरा है।
“फिर उसका…” अम्मी ने जेबा की तरफ इशारा करके पूछा।
तो जीनत बोली- अम्मी हमें अलग-अलग मत करो। तुम गहने देखो।
अम्मी गहने हाथ में लेकर तोलने लगीं। और पूछा- “असली सोने के हैं…”
जेबा मुश्कुराने लगी। यही सवाल तो जीनत कल रात कर रही थी। सच कहते हैं कहने वाले। माँ-बाप के गुण बच्चों में आते ही हैं।
अब्बू ने पूछा- दामाद जी कहाँ हैं।
तो जीनत ने कहा- वो काम पर गये हैं।
अब्बू ने पूछा- किस वक़्त आएंगे…”
जेबा बोली- वो दिन में नहीं आते।
जीनत बोली- फोन करो ना की मेरे अब्बू-अम्मी आए हैं। मुलाकात करके चलें जायें।
जेबा ने फोन लगाया दफ़्तर में किसी ने उठाया और जेबा ने मेसेज दिया की मलिक के आने पर उन्हें घर भेज दीजिएगा। मेहमान आए हैं।
दो बजे मैं घर आ गया। घर में घुसते ही साले साहब ने सलाम पेश किया। फिर मैंने अब्बू और अम्मी को सलाम किया। सबने मिलकर खाना खाया। जेबा सबकी खिदमत ऐसे कर रही थी जैसे अपने घर के लोग हों। मैं छोटे साले और भतीजे को कार में लेकर बाजार गया। उन्हें चाकलेट वगैरह खरीद कर दिया। फिर हम वापस आए तो सबने हमसे बिदा लिया।
अब्बू समझाने लगे- मेरी बेटी का खयाल रखना।
मैंने कहा- आपकी बेटी को मेरी नहीं, मुझे आपकी बेटी की जरूरत है। वो मेरा खयाल रखेगी। बहुत हिम्मत वाली है आपकी बेटी। उसने मुझे किडनैप करके शादी किया है।
सब हँसने लगे।
मैंने अपने ड्राइवर से कहा- “उन लोगों को घर पहुँचा आए…” वो लोग ज्यादा आमीर नहीं थे। छोटे से घर में रहते थे। बेटी का इतना बड़ा मकान, नौकर-चाकर देखकर खुशी से फूले नहीं समा रहे थे। जाते वक़्त भी मेरे घर को पलटकर देख रहे थे।
लेकिन जीनत को इन सबका कोई लालच नहीं था। उसे तो बस मेरा लण्ड चाहिए था। वो जेबा के सामने मुझसे लिपट गयी- इमरान मुझे आज दुनियां की सबसे बड़ी खुशी मिल गयी। मेरे अब्बू-अम्मी बहुत खुश होकर गये। जेबा ने उन्हें इतना खुश किया की वो मुतमईन हो गये। अब हमें इसे बरकरार रखना है। जेबा तुम मेरी किसी बात का बुरा मत मानना। मैं जरा मुँहफट हूँ ना। कभी-कभी बोलने के बाद सोचती हूँ, सोचकर नहीं बोलती। चलो खेलते हैं।
जेबा- बाजी अभी दिन है।
जीनत- तो क्या… हम तो घर के अंदर हैं।
मैंने कहा- मुझे अभी काम पे जाना है, रात में।
जीनत मेरे गले में बाहें डालकर बोली- आज तुम छुट्टी कर लो।
मैंने कहा- मैं मलिक हूँ नौकर नहीं। मेरे बगैर सब काम गड़बड़ कर देंगे। ठीक है कल हम तुम्हारे दफ़्तर जाएंगे। देखना है की तुम इतने पैसे कैसे कमाते हो। क्यों जेबा…”
जेबा बोली- मुझे नहीं देखना। मैं घर पर ही ठीक हूँ। आप चली जाना।
हमने रात में फिर चुदाई की, सिर्फ़ जीनत ने हिस्सा लिया। जेबा चुपचाप देखती रही और हँसती रही। दूसरे दिन जीनत भी मेरे साथ दफ़्तर जाने के लिए निकल पड़ी। उसने जेबा को भी बुलाया लेकिन उसने आने से इनकार कर दिया। जीनत दफ़्तर पहुँची तो सबने सलाम किया।
मैंने सबसे कहा- यह आपकी मालकिन हैं।
सब दबी जबान में फुसफुसाने लगे। मैंने नजर अंदाज किया लेकिन जीनत ने पूछ लिया- क्या खुसुर-फुसुर हो रही है। किसी ने उल्टा सीधा किया तो बहुत मारूँगी। तुम लोग मुझे जानते नहीं हो। इमरान किसी ने कुछ गड़बड़ किया तो मुझे बुला लेना, एक मिनट में ठीक कर दूँगी।
मैं अपने केबिन में उसे लेकर आया, ठंडा मँगवाया। फिर मैंने कहा- क्यों ना तुम रोज दफ़्तर आया करो।
जीनत बोली- मुझे मंजूर है। मैंने तुमसे शादी तुम्हारे साथ रहने के लिए ही तो किया है। ना की जेबा की तरह रात का इंतेजार करने को। यहाँ खेल सकते हैं…”
मैंने कहा- तुम भी ना बस कमाल करती हो। यह दफ़्तर है यहाँ काम करते हैं।
जीनत बोली- नहीं… काम अगर ना हुआ तो…”
मैं- “सोचेंगे…”
जीनत बोली- “लोग काम क्यों करते हैं…” फिर बोली- “मैंने सुना है शादी की बाद लोग हनीमून के लिए जाते हैं। हम कब जाएंगे…”
मैंने कहा- आपने ठीक सुना है। हनीमून के लिए वो लोग जाते हैं जो एक दूसरे से कभी खेले नहीं होते। हमने तो हनीमून शादी से पहले ही समुंदर किनारे मना लिया।
हम घर दोपहर में ही पहुँच गये। मुझे जीनत को झेलना मुश्किल हो रहा था, काम में दिल ही नहीं लग रहा था। वो कुछ देर में खेलने की बात कर रही थी। उसे छोड़कर कहीं जा भी नहीं पा रहा था। मेरे काम में बार-बार साइट पर जाना पड़ता है। जेबा ने खाना बनवा रखा था। हम खाना खाए और जल्दी आने का बोलकर मैं दफ़्तर आ गया।
रात में मैं दो ड्रेसेस लेकर घर आया। एक ही ड्रेस दोनों को पसंद आई। मुझे पहली बार दो बीवी रखने की उलझन से दो-चर होना पड़ा। उसका हाल भी जीनत ने ही निकाला, दोनों का नाम लिखकर कागज में डालो। जिसका तुम नाम उठाओगे, यह ड्रेस वोही लेगी। मुझे दूसरी तरफ चेहरा करके खड़ा होने को बोला। और दो कागज पे दो नाम लिखकर डाले। मैंने एक नाम उठाया। तो वो जेबा का था।
जीनत बोली- तू बड़ी लकी है रे।
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