RE: Hindi Sex Kahaniya कामलीला
मेरा सामान बेचारा लकड़ी हो चला था लेकिन अभी उसकी बारी नहीं आई थी सो उसकी चिन्ता छोड़ मैंने तेल में उँगलियाँ डुबाईं और अपने दक्ष और सधे हुए हाथों से उस हिस्से की मालिश में तल्लीन हो गया जो अब तक तौलिये में छुपा था।
कमर पार करके मैं नीचे हुआ और डबलरोटी जैसे नर्म मुलयम चूतड़ों को मुट्ठियों में भींच भींच कर उनकी मालिश करने लगा जिससे बेचारा गोल छेद बार बार खुल जा रहा था और दोनों नितम्बों को अच्छे से मसलने के बाद मैंने थोड़ा स तेल उस चुन्नट भरे छेद पर डाल दिया और उसे मसलने लगा।
इतनी देर की गर्माहट अब असर करने लगी थी और प्रमिला के शरीर में लहरें पड़ने लगी थीं।मसलते मसलते मैंने बिचली उंगली छेद के अन्दर उतार दी।
उनकी एक सांस छूटी पर शरीर फिर स्थिर हो गया और मैं और तेल लेकर अपनी दो उंगलियाँ उनके छेद के अन्दर धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा।
कुछ मिनट तक इस क्रिया को दोहराने के बाद मैंने अपनी ताक़त से उन्हें सीधा कर दिया।
अब उनका नग्न शरीर सामने से मेरे सामने अनावृत था। उनकी छातियाँ मध्यम आकार की थीं लेकिन उनका एरोला सामान्य से कहीं ज्यादा बड़ा था और उनके बीच दो किशमिश के दाने थे जो अब उत्तेज़ना से खड़े हो चले थे।
मस्त भरी भरी और अब भी कुछ कसाव लिये दोनों चूचियाँ अपने पूरी आकार को नुमाया कर रही थीं और उनके नीचे गहरी नाभि वाला सपाट पेट, जिस पर प्रसव वाले निशानों की कुछ कसर अभी भी बाकी थी, उसकी नीचे साफ़ किये बालों की हरी चमक का आभास देता जांघों का ज़ोड़, जहाँ एक परिपक्व योनि अपने पूरे सुन्दर रूप में जैसे आमन्त्रण दे रही थी।
भगांकुर को छुपाने की कोशिश में लगी दो गहरे रंग की कलिकाएँ जो कामरस से भीगी हुई थीं।
योनि के नीचे चादर भी चूत से निकले पानी से थोड़ी गीली हो गई थी।
बहरहाल मैंने थोड़ा तेल लिया और दोनों चूचियों की भरपूर मालिश करने लगा। साथ ही दोनों घुण्डियों को भी मसल मसल कर खड़ा कर रहा था।
प्रमिला ने आँखें बंद कर रखी थीं लेकिन होंठ खुले हुए थे और जहाँ से गहरी गहरी साँसें निकल रही थीं।
दोनों पिस्तानों को भरपूर ढंग से दबाने, मसलने के बाद मैंने थोड़ा तेल उनके पेट और नाभि के आसपास मला और तत्पश्चात उनकी एक जांघ को अपनी गोद में रख कर उस पर इस तरह तेल की मालिश करने लगा कि मेरा हाथ बार बार उनकी बुर को स्पर्श कर रहा था, जो बुरी तरह गीली हो चली थी।
दोनों जाँघों की मालिश कर चुकने के बाद मैंने तौलिये से उनकी बहती हुई चूत पौंछी और फिर तेल से थोड़ी मालिश और थपथपाहट चूत के ऊपरी हिस्से पर देने के बाद भगनासा की मालिश करने लगा और अब प्रमिला मैडम की कराहें उच्चारित होने लगीं, उन्होंने मुट्ठियों में तकिया और चादर दबोच ली थी और खुद को संभालने की कोशिश कर रही थीं लेकिन यह आसान काम नहीं था।
भगांकुर को छेड़ती, तेल से चिकनी हुईं उंगलियाँ लगातार ज्वालामुखी को दहाने को फ़ट पड़ने को उकसा रही थीं।
जब काफी मसलाई हो चुकी तो मैंने एक उंगली गीले हुए छेद में उतार दी। उनका शरीर कांप कर रह गया।
उंगली को ऊपर की तरफ़ मोड़ कर मैंने उनके जी-स्पॉट को कुरेदना-सहलाना शुरु किया और दूसरे हाथ के अंगूठे से भगांकुर को लगातार मसलने लगा।
अब प्रमिला मैडम को अपनी आवाज़ रोक पाना मुश्किल हो गया और वो बुरी तरह ऐंठती सिसकारने लगीं, साथ ही अस्फुट से शब्दों में कुछ कहती भी जा रही थीं पर मेरे पल्ले न पड़ा।
तभी जब ‘मैं गई – मैं गई’ कहते वह ज़ोर से ऐंठ गईं और मेरे हाथों को हटा कर अपनी टांगें जोर से भींच लीं।
कुछ पलों के लिये हम दोनों ही शान्त पड़ गये और खुद को व्यवस्थित करने लगे। मेरा वीर्य भी इस उत्तेजना के कारण जैसे लिंग के सुपाड़े तक आ पहुँचा था।
‘मेरा भी निकलने वाला है, दिन भर से किनारों से टकरा रहा है, कहिये तो पीछे ही निकाल दूँ?’ मैंने जैसे मैडम से याचना की।
उन्होंने मूक सहमति दी और भिंची हुए टांगें खोल दीं।
मैंने उठ कर सीधे होने में देर नहीं की… उन्हें एकदम सीधे चित लिटा कर उनके पैर ऊपर किये और दोनों घुटने पेट से ऐसे सटा दिये कि अभी उंगली से चुदी चूत हल्क़ा मुंह खोले ऊपर हो गई और नीचे से गाण्ड का छेद सामने आ गया, जो भले पहले शरमा रहा हो पर उंगली चोदन के बाद से अब खिला सा सामने फैला था।
उसमें ज़रूरत भर तेल था ही, फिर भी मैंने अपनी चड्डी उतार फेंकने के साथ लंड की टोपी पर चिकना वाला थूक मला और नोक उनकी छेद से मिलाई।
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