RE: Hindi Sex Kahaniya कामलीला
“जल्दी – जल्दी, ऐसे ही फ़क करो मुझे… कम आन…” वो चिल्लाईं।
मैं उठ खड़ा हुआ और उन्हें भी उठा लिया। अगले पल में वो कमोड पर एक पाँव रख कर ऐसे झुक गईं कि पीछे से उनकी चूत उभर आई जिसमें मैंने अपना लंड आराम से अन्दर घुसा दिया और उनके नर्म कूल्हों को मुट्ठियों में दबा कर धक्के लगाने लगा, पन्द्रह-सोलह धक्कों के बाद उन्होंने हाथ पीछे करके मुझे धकेला और ज़ोर से मूत की छछार मारीं। फिर मैं लंड डाल कर उसी अवस्था में चोदने लगा।
थोड़े धक्कों के बाद उन्होंने मुझे धकेला ही नहीं बल्कि मुझे नीचे करके एकदम से मेरे मुँह पर धार मारी और छोटी सी धार के पूरा होते ही फिर मुझे बाथरूम के टाइल वाले फर्श पर चूतड़ों के बल बिठाया और मेरे ऊपर ऐसे बैठीं कि चूत लंड पर फ़िट हो गई और वो उछल उछल कर धक्के लेने लगीं और कुछ धक्कों के बाद एकदम से ऊपर होकर मेरे मुंह की ओर ही फिर एक छोटी धार मारी।
धार मारने के बाद फिर उसी तरह चुदने लगीं।
और कुछ धक्कों के बाद फिर एक अपेक्षाकृत और छोटी धार मार के लेट गईं और आपने पाँव आपने हाथों से समेट लिये और चूतड़ों को इतना उठा दिया कि पीछे का छेद सामने आ सकता और उनके इशारे पर मैंने अपना लंड उसी छेद में ठूंस दिया और खुद पंजों के बल बैठ कर धक्के लगाने लगा, कुछ धक्कों के बाद उनकी चूत से छोटी होती धार निकल पड़ती और फिर वो लगभग चीखने लगीं।
“और ज़ोर से – और ज़ोर से।”
मैं भी उनकी ऊपर उठी जांघों पर पंजे गड़ा कर ज़ोऱ ज़ोर से धक्के लगाने लगा और वो उत्तेज़ना के चरम पर पहुँचती ज़ोर ज़ोर से चिल्लाती रहीं और मुझे बकअप करती रहीं और जब मेरे लंड ने पानी छोड़ने क संकेत दिया तभी उनका भी पानी छूट पड़ा और वो एकदम से ज़ोर की कराह के साथ ढीली पड़ गईं।
मैं उन्हीं के जिस्म पर पसर गया और उन्होंने मुझे दबोच लिया। हम इसी तरह अपनी अन्तिम उर्जा एक दूसरे के शरीर में खपाने लगे।
इस स्नान-सम्भोग के पूर्ण होने के उपरान्त हमने कायदे से स्नान किया और बाहर आ गये।
काफी थकान हो चुकी थी, सो कुछ पल के आराम के बाद हमने खाना खाया और टीवी देखने लगे।
टीवी देखते देखते सर भारी हुआ तो दोनों ही सो गये।
और शाम को आँख खुली तो शाम के नाश्ते के बाद वो ख़ाना बनाने लग गईं और मैं अपनी याहू मेल और फेस बुक पे लग गया।
और इसी तरह जब हम अपने अपने कामों से फारिग हो गये तो मैडम जी मुझे एक अच्छे से सजे धजे कमरे में ले आईं जहाँ काफी ढेर साड़ी सजावट की विदेशी वस्तुएँ मौजूद थीं।
फिर उन्होंने अलमारी खोल और काफ़ी सामान वहाँ सोफों के बीच रखी मेज पर रख दिया और मैं हैरानी से वह सब देखने लगा।
उस सामान में कई तरह के डिल्डो, स्ट्रेप के साथ, बगैर स्ट्रेप के, एक्सटेंडेर, डबल डिक, वाइब्रेटर, ऐनल बीड्स, ऐनल प्लग, सेक्स मशीन विद रेगुलेटर, स्टिंग सेक्स मशीन, डिल्डो में विद रिंग, डॉट्स और गुदा मैथुन के लिये कई तरह के शेप वाले डिल्डो।
‘तीन साल पहले एक सरकारी दौरे पर ठाकुर साहब यूके गये थे तो वहाँ से कुछ लाये थे तो कुछ ऑनलाइन ख़रीदारी में मंगाये। वह नहीं चाहते थे कि मैं उनके सेक्स ना कर पाने को लेकर कभी डिप्रेस होऊँ… इसलिए यह सब चीज़ें खरीदी गईं पर इनका सुख भी किसी गोश्त पोश्त वाले मर्द के साथ ही आता है। जब यह सब आया था तो मैं बहुत रोमाँचित हुई थी लेकिन फिर सब बोर लगने लगा। चलो आज एक ज़िंदा मर्द के साथ इनका लुत्फ़ उठाते हैं।”
उन्होंने अलमारी बन्द की और शरीर पर मौजूद गाउन उतार कर सोफे पर आ गईं।
मैं उनके पास बैठ कर नर्म स्पर्श से उन्हें सहलाने लगा। वह गौर से मुझे देखती ठंडी ठंडी साँसे लेती रहीं।
फिर मैंने वाइब्रेटर आन किया और उसे उनके भगांकुर से स्पर्श कर दिया और हल्के हल्के ऊपर नीचे फिराने लगा।
मैडम जोर की सिसकरि लेतीं पींठ और सर के नीचे के कुशन को भींचने सहलाने लगीं।
फिर एक हाथ से वाइब्रेटर संभाले दूसरे हाथ से मैंने उनके गुदा द्वार में उंगली करनी शुरु की जिस से वह छेद भी ढीला पड़ने लगा और जब थोड़ा ढीला हो गया तो वाइब्रेटर हटा लिया और ऐनल बीड्स की लड़ी सम्भाल ली, वहीं मौज़ूद थोड़े से जेल से उसे गीला करके उसकी बड़े अंगूर जैसे दानों को एक एक करके उनके छेद में उतारने लगा, जब भी उसके दान अपने आकार के कारण छेद पर खिंचाव डालता और फिर पक से अन्दर हो जाता, मैडम के चेहरे पर परम संतुष्टि के भाव आते।
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