RE: Hindi Sex Kahaniya कामलीला
फिर इस तरह मैं खुद ही थक गया तो रुका और मैडम ने भी मेरी हलत समझते हुए इस चुदनी कुर्सी को किनारे कर दिया और मुझे अपने साथ दीवान पर ले आईं।
वहाँ एक ऐसी मशीन रखी थी जिसमें किसी भी साइज के डिल्डो को फिट किया जा सकता था, वह ऊपर नीचे एडजस्ट हो सकती थी और उसकी बनावट पुराने ज़माने के भाप के इंजन के पहियों जैसी थी जो घिर्रियों के गोल घूमने पर डिलडो आगे पीछे होता और उससे जुङा रेगुलेटर सामने लेटने वाली के हाँथ तक पहुंच सकता था ताकि उसकी घिर्रियों की रफ़्तार को कम ज्यादा किया जा सके।
मैडम ने उसे बिजली से कनेक्ट करके आन किया और उसमे एक नार्मल साइज़ के डिल्डो को फिट कर दिया और उसके ठीक सामने अपनी टांगें फैला कर ऐसे लेटीं कि डिल्डो का मुंह उनकी चूत में घुस गया और फिर आगे खिसकी तो वो अपने आगे पीछे होने की क्रिया के कारण उनकी चूत में अन्दर बाहर होने लगा।
शुरू में स्पीड कम थी लेकिन मैडम उसे बढ़ाती अन्तिम सीमा तक ले गईं और उस सूरत में वो पूरी बेरहमी और तूफानी रफ़्तार से मैडम की चुदाई करने लगा।
“आओ, तुम लेटो नीचे।” उन्होंने मुझसे कहा।
अब मैं मैडम क्या मेरी भी मरवाने वाली थीं? बहरहाल मैं उनके कहे अनुसार उनकी जगह लेट गया। मैडम ने मशीन की ऊंचाई को एडजस्ट किया और फिर मेरे लंड पर बैठ गईं। मुझे ऐसा लगा जैसे अजगर के बिल में कोबरा घुसा हो, कोई कसाव नहीं, एकदम ढीली खुली बुर।
लेकिन उन्होंने उसी पल में उस मशीनी डिल्डो को भी मेरे लंड के ऊपर से अपनी चूत में घुसाया और मेरे सीने से सटी अधलेटी अवस्था में हो गईं और रेगुलेटर से गति मध्यम कर दी।
अब यह हाल था कि मैं नीचे था, मैडम मेरे ऊपर और मेरा लंड उनकी चूत में समाया हुआ था और मेरे लंड के ऊपर से वह डिल्डो भी उसी चूत में घुसा हुआ था और मैं तो धक्के लगाने की हालत में नहीं था लेकिन कमबख्त डिल्डो तेज़ गति से बिना रुके धक्के लगाये जा रहा था।
फिर मैडम जी ने पोजीशन बदली और मेरी तरफ़ चेहरा करके मेरे ऊपर ऐसे लदीं कि उनकी चूचियाँ मेरे सीने से लड़ने लगीं और उसी दशा में नीचे, ऊपर की तरफ़ मेरे लंड को अन्दर लिया और गांड के छेद की तरफ़ से उस डिल्डो को… और उसकी स्पीड फुल कर दी।डिल्डो शोर मचाता फ़काफ़क चोदने लगा।
यह बात और थी कि उसकी रगड़ मेरे पप्पू पर ऐसे लग रही थी कि मुझे मज़ा नहीं आ रहा था।
बहरहाल कुछ देर ऐसे भी चुदाई हो गई तो उन्होंने उस डिल्डो को पीछे वाले छेद में घुसा लिया और फिर मुझे धक्के लगाने को कहा।
मैं धक्के लगाने लगा।
अब यह हाल था कि एक मशीनी लण्ड उनकी गाण्ड मार रहा था और मैं उनकी चूत को चोद रहा था।
वो आवाज़ें निकाल निकाल कर इस भरपूर चुदाई का मजा ले रहीं थीं।
फिर इस आसन में भी ख़ूब चुद चुकीं तो उन्होंने उसी सूरत में मुझे लंड उनकी गाण्ड में घुसाने को कहा।
इतनी भयंकर चुदाई से दोनों छेद बिल्कुल खुल चुके थे और इसीलिए गाण्ड में डिल्डो के घुसे होने के बावजूद जब मैंने लन्ड घुसाने की कोहिश की तो वह भी थोड़ी ताक़त लगाने पर घुस गया और यूँ दो लंड एकसाथ उनकी गाण्ड चोदने लगे।
ऐसे ही चुदते चुदते वह झड़ भी चुकीं तब कुछ जोश हल्क़ा पड़ा तो यह तमाशा बन्द हुआ और हम दीवान से उतरे।
इसके बाद उन्होंने मुझे एक्सटेंडेर लगाने को कहा। यह एक ऐसा खोखला लिंग था, जिसको मैं अपने सामान्य आकार के लंड पर फिट करके इसकी बेल्ट को पीछे बांध सकता था और यह मेरे लिंग के आगे लगभग ४ इंच और निकल के ठोस था और इसकी साइड की दीवारे भी मोटी थीं जो मेरे लिंग को करीब दस इंच लम्बा और ढाई इंच चौड़ा रूप प्रदान कर रहीं थीं।
इसके बाद वह सोफे पर सीधे लेट गईं और एक टांग सोफे की पुश्त पर चढ़ा ली।
मैं उनकी जांघों के बीच में बैठ गया और अब अपने परिवर्तित विशालकाय लिंग को उनकि योनि में प्रवेश करा दिया और फिर पहले धीरे धीरे धक्के लगाये और फिर उनके उकसाने पर धक्कों की स्पीड बढ़ाता गया।
कमरे में उनकी मादक सीत्कारें नशा भरने लगीं।
उनकी सीत्कारों के साथ चुदाई की फच फच मिलजुल कर एक अलग संगीत सा प्रस्तुत कर रही थी।
कुछ देर इस पोजीशन में चोदने के बाद मैं सोफे की पुश्त से टिक कर बैठ गया और वह मेरे लंड पर उलटी बैठ गईं यानि उनकी पीठ मेरी तरफ़ थी, मैंने उनकी कमर थाम ली और उन्हें उचकाने लगा।
वह आवाज़ें निकालती मेरे हाथों की ताक़त के सहारे उछलती भचाभच चुदने लगीं।
फिर जब वह थक गईं तो मैंने उनकी पीठ को सोफे के नीचे टिकाये उन्हे ऐसे टिका दिया जैसे कोई कंधे के बल खड़ा होता है और अपने लिंग को नीचे की दिशा में करके उनक़ी चूत बैठ बैठ के चोदने लगा।
इस आसन में जल्दी ही वह परेशान हो गईं तो उन्हे उठा कर सीधा कर लिया और उन्हें कुतिया की तरह झुका लिया।
उनका एक पांव नीचे था तो एक सोफे पर और मैं पीछे से उनकी चूत में लंड पेल कर धक्के लगाने लगा।
यह मेरे लिये पहला ऐसा मौका था जब मैं अपनी मर्ज़ी की चुदाई कर सकता था क्योंकि जो सारे आसन मैं ब्लू फिल्मों में देखता था वह मेरे छोटे लिंग के कारण असंभव थे लेकिन आज मेरे पास बड़ा लिंग था और एक बड़ी उम्र की खेली खाई औरत, जो न सिर्फ इसे बर्दाश्त कर सकती थी बल्कि हर आसन का जवाब दे सकती थी।
फिर क्या था… अगले आधे घंटे में मैंने जितने आसन पोर्न मूवी में देखे थे, हर आसन से मैंने मैडम जी को बुरी तरह चोदा।
अब चूँकि मेरे लंड पर खोल चढ़ा हुआ था और लंड को स्पर्श मिल ही नहीं रहा था तो मेरे चरम पर पहुँचने का सवाल ही नही उठता था और मैं झड़ने वाला नहीं था।
पर मैडम करीब एक घंटे तक ऐसे बुरी तरह चुदते चुदते बुरी तरह थक चुकी थीं और उन्हें पता था कि मैं ऐसे झड़ने वाला नहीं।
उन्होंने मुझे अलग किया और वह एक्सटेंडर निकाल फेंका।
इसके बाद मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर ज़ोर ज़ोर से चूसती हुई मेरे अंडकोषों को सहलाने लगीं और मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी।
जल्दी ही मुझे महसूस हुआ कि मेर निकलने वाला है। मैं उन्हें पीछे करना चाहता था लेकिन अन्तिम पलों में कर न सका और एक तेज़ कराह के साथ मैं मैडम का चेहरा ऐसे भींच लिया कि वह मेरे लंड को अपने मुँह से निकाल न सकीं और सारा रस भलभल करके उनके मुँह में ही निकल गया।
पूरी ट्यूब खाली करके मैं सोफे पर ऐसे गिर पड़ा कि आँख खोलने की हिम्मत भी न रह गई और जब खुली तो मैडम पास ही बैठीं मेरासर सहला रहीं थीं।
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